गुरुवार, 30 सितंबर 2021

वविनि के भोजराज जैन अब 80 हजार रिश्वत के लिए अधीनस्थों से ले रहे सेवा

 वविनि के भोजराज जैन अब 80 हजार रिश्वत के लिए अधीनस्थों से ले रहे सेवा  

रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़)छग राज्य वन विकास निगम में  भ्रष्टाचार अनियमितता एवं घोटालों का खेल तो वर्षों से चल ही रहा है परन्तु नियुक्ति पद स्थापना एवं ग्रेच्युटी फंड देने के नाम पर अब भी कोई अवसर नही छोड़ा जा रहा है पहले ऐसे कार्यों के लिए सीधे ऊपर बैठे अधिकारी अपना मुंह खोल  कर पैसों के लेनदेन की बात करते थे परन्तु अब चेहरे बदल कर पैसों के लेनदेन करने का प्रकरण प्रकाश में आ रहा है  यह कटु सत्य बिलासपुर के कोटा पंडरिया परियोजना मंडल के अंतर्गत से आ रहा है जहां के सहायक  प्रबन्धक लेखा के द्वारा दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी से उसके नियमितीकरण सूची में नाम समायोजित करने के एवज में गरीब दीन व्यक्ति से अस्सी हजार रुपयों की डिमांड की जा रही है  ऐसा कृत्य करने वाले कोटा पंडरिया परियोजना मंडल में सहायक प्रबन्धक लेखा पद पर टी श्री हरि के द्वारा अंजाम दिया जाना बताया गया है एक गरीब दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी जो विगत 28 वर्षों से छग वन विकास निगम के कोटा परियोजना मंडल में कार्यरत है तथा 2011-12 में ही उसका नियमितीकरण होना तय था परन्तु किसी कारण वंश सूची में नाम नही जा पाया तथा दस वर्षों तक उसे इंतज़ार करना पड़ा परन्तु टी. श्री हरि  सहायक प्रबंधक लेखा वित्त प्रबन्धक संविदा नियुक्त भोजराज जैन जैसे अधिकारीयों के  इशारों में नृत्य करते है तथा अब वे स्वयं पैसे लेने की बजाए अपने अधीनस्थ मंडल कार्यालयों में सहायकों से ऐसे कृत्य को अंजाम देने से भी गुरेज नही कर रहे है फिर भी वास्तविकता सामने आ ही जाती है तथा ऐसे भ्रष्ट लोगों को सार्वजनिक होना पड़ता है जिनमे भोजराज जैन जैसे शातिर घाघ अधिकारी के सुनियोजित दिशा निर्देश का पालन करते हुए टी. श्री हरि द्वारा एक दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी से नियमितीकरण सूची में नाम  पंजीबद्ध हेतु 80 हजार रुपये की मांग की जा रही है 

यह कथन स्वयं सहायक लेखा कोटा पंडरिया टी. श्री हरि के द्वारा रामनारायण साहू से  कहा है कि रायपुर के जैन साहब को उक्त राशि देने पर ही राम नारायण साहू का नियमितीकरण हो पाएगा स्पष्ट करते चले कि राज्य सरकार के जारी दिशा निर्देश पर  एवं जारी परिपत्र के अनुसार ऐसे पात्र व्यक्ति जो लगभग दस वर्षों से दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी है उन की सूची बना कर नियमितीकरण में समायोजित करने के उद्देश्य से नामांकन कार्य किया जा रहा है परन्तु  वन विकास निगम के कार्यालयों में सम्मानित पदों पर बैठे ऐसे अधिकारी जो चाय में मक्खी गिर जाए तो उसे भी चूस कर चाय पीने वाले मक्खी चूस गरीब दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों से रिश्वत लेने पीछे नही हट रहे है तथा राम नारायण साहू  से अस्सी हजार रुपये की मांग कर रहे है स्वभाविक है कि ऐसे रिश्वत खोरी की मांग बगैर किसी ऊपर बैठे अधिकारी के दिशा निर्देश  के कोई कर्मचारी इतनी बड़ी हिमाकत तो नही कर सकता इसका उदाहरण बिलासपुर में  रिश्वत मांगने वाली यह पहली घटना सामने आई है इसमें भी सेवानिवृत हो चुके एवं मुख्यालय में संविदा नियुक्त  वित्त प्रबंधक लेखा भोजराज जैन के द्वारा  दूर की कौड़ी  वाला खेल खेला जा रहा है जब से फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़ ने जोड़ तोड़ कर संविदा नियुक्त  भोजराज जैन  का वित्त प्रबंधक वन मुख्यालय में पदस्थी  का समाचार वायरल हुआ तब से ही  विभाग में उनकी बड़ी छीछालेदर हुई समाचार वायरल होने के पश्चात  उनके नियुक्ति,पदस्थापना,एवं प्रमोशन,जैसे  लेनदेन के मामले में आंशिक गिरावट के साथ उनके अवैध रूप से धन अर्जित करने की मंशा और मंसूबों पर भी पानी फिर गया तब से ही उन्होंने नियुक्ति,पदोन्नति, अतिरिक्त पद स्थापना एवं फर्जी बिल बाउचर के माध्यम से अधिकारियों कर्मचारोयों का शारीरिक मानसिक और आर्थिक शोषण जैसे अवैध उगाही से अपना हाथ खींच लिया तथा अब वे स्वयं प्रत्यक्ष रूप से सामने न आते हुए  अप्रत्यक्ष रूप से अपने चंगु मंगू अधिकारियों को आवैध उगाही में संलग्न कर लिया जिसका ऐसे अधिकारी पद पावर का  बेजा लाभ उठाते हुए दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों से भी राशि की मांग कर रहे है यह बात का खुलासा लगभग 28 वर्षों से छग वन विकास निगम बिलासपुर में सेवा देने वाले रामनारायण साहू को विभाग में नियमित करने के लिए 80 हजार रुपये की रिश्वत की मांग कथित सहायक लेखा प्रबन्धक श्री टी.हरि द्वारा किया जा रहा है यही नही पैसे न देने की स्थिति में उसे लगभग छ माह से भी कार्य से पृथक कर दिया गया जिसकी वजह से दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी राम नारायण साहू के समक्ष अपने परिवार के भरण पोषण की समस्या खड़ी हो गई 80 हजार रिश्वत की मांग के संदर्भ में राम नारायण साहू ने बताया कि सहायक लेखा प्रबन्धक  द्वारा स्पष्ट यह कहा जा रहा है कि यदि उसके नाम को समाहितिकरण करवाना है तो रायपुर में वित्त प्रबंधक भोजराज जैन को राशि देनी पड़ेगी तब उसके नाम को नियमितीकरण सूची में समायोजित किया जाएगा इसके लिए उसे 80 हजार रुपये देने पड़ेंगे इससे ज्ञात होता है कि वित्त प्रबंधक लेखा में संविदा नियुक्त भोजराज जैन अपने सुनियोजित अर्थ लाभ वाली मंशा की मानसिकता से अब भी रिहा नही हुए है बल्कि स्वतः पर्दे के पीछे रहते हुए अपने चंगु मंगू भक्तों के माध्यम से अवैध उगाही वाला कार्यक्रम  संचालित कर रहे है वही एक अन्य मामले में भी सेवा निवृत्त कर्मचारी संगठन द्वारा  लिखित शिकायत का मामला सामने आ रहा है जिसमे प्रधान मुख्य वन संरक्षक पी.सी.पांडे साहब भावसे प्रबंध संचालक  छग राज्य वन विकास निगम को  स्वर्गीय सेवतकर साहब जो विगत  2015 को रिटायर हुए थे तथा   2 मई 2021 को कोरोना के चलते उनका स्वर्गवास हो गया था उनके ग्रेच्युटी एवं अवकाश नगदीकरण एरियर की राशि भुगतान में कथित  श्री हरि सहायक प्रबन्धक लेखा बिलासपुर कोटा परियोजना मंडल द्वारा कागजी दस्तावेजो के नाम पर परेशान किया जा रहा है ऐसी परिस्थिति सहायक प्रबन्धक द्वारा लंबे समय से उत्पन्न की  जा रही है ताकि  ग्रेच्युटी अवकाश फंड दिलवाने के एवज में स्वर्गवासी कर्मचारी की पत्नी एवं पुत्र  हलकान किया जा सके पश्चात  विभाग से राशि दिलवाने के एवज में उनसे एक बड़ी कमीशन राशि की बात की जा सके ऐसी स्थिति उत्पन्न करनें की यह एक सोची समझी नाट्य स्थिति निर्मित की जा रही है तथा ऐसे नाट्य के  रूप रेखा तैयार करने में महानट श्री भोजराज जैन महारत रखते है  उन्ही के दिशा  निर्देशन में यह नाट्य टी. श्री हरि सहायक प्रबन्धक लेखा बिलासपुर कोटा परियोजना मण्डल द्वारा खेला जा रहा है जो  देखने पर स्वतः  स्थिति स्पष्ट नज़र आती है जबकि पूर्व अंक में फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़ ने स्पष्ट कर दिया था कि वन विकास निगम कर्मचारियों से अवैध  उगाही के मामले को जो संविदा नियुक्त भोजराज जैन द्वारा किए जाएगे उसे प्रमुखता से समाचार प्रकाशन कर उसका भंडाफोड़ किया जाएगा जिसका उन्होंने तोड़ निकलते हुए अब स्वयं प्रत्यक्ष रूप से सामने न आकर अपने अन्य सहयोगियों को आगे कर अवैध उगाही का माध्यम बना लिया है जबकि ऐसे कृत्यों में महारत हासिल किए हुए पुराने कर्मचारी  संविदा नियुक्त पिल्लई,कोठारे बाबू, जो दो से तीन मर्तबा संविदा... संविदा..वाला खेल खेल चुके है वो  चिर खामोशी वाली चादर ओढ़ लिए है परन्तु    श्री भोजराज जैन द्वारा अवैध रूप से उगाही जैसे दिल दहला देने वाले प्रकरण लगातार सामने आ रहे है परन्तु फिर भी वन विकास निगम में ऊपर बैठे उच्च अधिकारी मौनी बाबा जैसे मौन धारण किए हुए तथा अब तक  आंख बंद कर क्यों बैठे है ?  यह समझ के परे है विभागीय कर्मियों में कानाफूसी हो रही है कि कहीं  भोजराज जैन के उक्त अवैध  उगाही में उनकी भी मूक सहमति तो नही ? इस सवाल वन विकास निगम के समस्त परियोजना मंडल कार्यालय के कर्मचारियों में अब चर्चा का विषय बनता जा रहा है.

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