शनिवार, 24 दिसंबर 2022

बस्तर के बुर्जी और कुंदेड़ में पुलिस कैंप का विरोध कर रहे आदिवासियों पर पुलिस के हमले की किसान सभा ने की निंदा, कहा : दोषियों को गिरफ्तार करो, घायलों को मुफ्त चिकित्सा और मुआवजा दो*





*बस्तर के बुर्जी और कुंदेड़ में पुलिस कैंप का विरोध कर रहे आदिवासियों पर पुलिस के हमले की किसान सभा ने की निंदा, कहा : दोषियों को गिरफ्तार करो, घायलों को मुफ्त चिकित्सा और मुआवजा दो*






रायपुर। छत्तीसगढ़ किसान सभा ने दक्षिण बस्तर के सुकमा जिले में बुर्जी और कुंदेड़ गांवों में पुलिस कैंप की स्थापना के विरोध में शांतिपूर्ण ढंग से धरना दे रहे आदिवासियों पर पुलिस के हमले की तीखी निंदा की है। ये पुलिस हमले 15 दिसम्बर और 22 दिसम्बर को किए गए हैं। पुलिस के इन हमलों में 13 आदिवासियों के गंभीर रूप से घायल होने की खबर मिली है। छत्तीसगढ़ किसान सभा ने मांग की है कि उक्त हमलों के लिए दोषी पुलिस अधिकारियों और जवानों को तत्काल गिरफ्तार किया जाए तथा घायल आदिवासियों को मुफ्त चिकित्सा सहायता व मुआवजा दिया जाए। इसके साथ ही किसान सभा ने बस्तर के सैन्यीकरण पर रोक लगाने की भी मांग की है।



आज यहां जारी एक विज्ञप्ति में छग किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने बस्तर में जल–जंगल–जमीन और खनिज की लूट पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि इस लूट के खिलाफ आदिवासी प्रतिरोध को कुचलने के लिए ही जगह–जगह पुलिस कैंप बनाए जा रहे हैं और इसके लिए आदिवासियों की जमीन छीनी जा रही है। आंदोलनकारी ग्रामीणों के अनुसार, कुंदेड़ का पुलिस कैंप दो आदिवासियों की 10 एकड़ जमीन पर जबरन कब्जा करके बनाया गया है।


उल्लेखनीय है कि पिछले दो सालों से सिलगेर, बुर्जी, कुंदेड़ सहित पुसानर, बेचापाल, बेचाघाट, नांबीधारा, गोमपाड़, सिंगाराम, गोंडेरास व अन्य स्थानों पर पुलिस कैंप की स्थापना के विरोध में आंदोलन चल रहे हैं। आदिवासियों के इन आंदोलनों को कुचलने के लिए उन पर भारी दमन किया जा रहा है। किसान सभा नेताओं ने कहा है कि अपनी मांगों के लिए शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन करने का अधिकार संविधान भी देता है, लेकिन प्राकृतिक संपदा की लूट को आसान बनाने के लिए केंद्र और राज्य, दोनों ही सरकारें उन पर जुल्म ढा रही है, उन पर लाठियां–गोलियां बरसा रही है और  उन्हें गैर–कानूनी तरीके से गिरफ्तार कर रही है। ये पुलिस कैंप ग्राम सभाओं की सहमति के बिना और पेसा कानून का उल्लंघन कर स्थापित किए जा रहे हैं।


आंदोलनकारी आदिवासियों से मिली जानकारी के आधार पर किसान सभा नेताओं ने घायल आदिवासियों की तस्वीरें और नाम भी जारी किए हैं। घायलों के नाम हैं : बोगाम भीमे, मूवा एमूला (अलगुड़ा), मड़लाम जोगा (बोड़ाम), ओयाम लखमा, ओयाम मंगडू (प्रलागट्टा), कुंजाम देवा, मुचाकी मंगू, मुचाकी मंगली (बैनपल्ली), छुर्रा, माड़वी पोदीयल (तोलेवर्ती), कलमू गंगी, माड़वी ठंगा, पोडियाम मासे (मोरपल्ली गांव) आदि।


किसान सभा नेताओं ने प्रदेश और देश भर की प्रगतिशील–जनवादी ताकतों से बस्तर के आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों और मानवाधिकारों के हनन के खिलाफ आवाज उठाने की अपील की है।


*संजय पराते*

अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ किसान सभा

(मो) 94242–31650

मंगलवार, 20 दिसंबर 2022

हम पैसा देकर मंच नही करते - दीपक हटवार

 हम पैसा देकर मंच नही करते - दीपक हटवार 

रायपुर हम पैसा देकर मंच नही कर सकते उक्त वक्तव्य सुप्रसिद्ध उद्धोषक दीपक हटवार जी ने मायाराम सुरजन हॉल में चल रहे श्री शिवाय म्यूज़िकल गीत संगीत कार्यक्रम में कही जिसकी व्यापक प्रतिक्रिया हॉल ही में होने लगी किसी ने उनके कथन के समर्थन में ताली बजाई तो किसी ने हतप्रभ होकर प्रतिक्रिया व्यक्त की ऐसा कह कर दीपक हटवार जी ने  एक नया विवाद खड़ा कर दिया 

   श्री शिवाय ग्रुप द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम में जब ..बिशन चाचा कुछ गाओ न... गीत के पश्चात दीपक हटवार जी को मंच आसंदी से दो शब्द कहने कहा गया तब उन्होंने  किसी  का नाम लिए बगैर ...मैं पैसा देकर मंच में नही आ सकता.. बल्कि दक्षिण लेकर काम करता हूँ क्योंकि यह कलाकार का हक़ है जैसे शब्दों का प्रयोग किया वही उन्होंने यह भी कहा कि मैं ने जीवन मे बड़े बड़े सरकारी गैर सरकारी संस्थाओं के मंच संचालन किया मगर किसी भी मंच संचालन के लिए पैसा नही दिया  बल्कि दक्षिणा लेकर कार्यक्रम किया हूँ उन्होंने आगे कहा कि आज का दौर बड़ा अजीब दौर चल रहा है कार्यक्रम में क्वालिटी का ध्यान रखे अच्छे कलाकरों को ले तभी कार्यक्रम सफल होगा  जिस पर उपस्थित कुछ श्रोताओं ने ताली बजाकर उनके कथन का समर्थन और स्वागत किया तो कुछ ने प्रतिक्रिया स्वरूप बगैर सहयोग के कार्यक्रम असंभव की बात कही है अब यह पैसा देकर मंच संचालन जैसी विवादास्पद बयान को लेकर अलग नजरिए से देखा जा रहा है वही इस संदर्भ मे प्रसिद्ध मंच संचालक लक्ष्मी नारायण लाहोटी से चर्चा करने पर उन्होंने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मंच संचालन करना एक सारथी का कार्य है जो कार्यक्रम को उसके गंतव्य तक पहुंचाता है कोई भी कार्यक्रम बगैर सहयोग लिए दिए चाहे वह कोई भी सामाजिक,धार्मिक स्तर का कार्यक्रम क्यों न हो परस्पर सहयोग,चंदे के नही किया जा सकता है वैसे भी आज के गीत संगीत कराओके कार्यक्रम पन्द्रह  से बीस हजार रुपये से कम में नही होता जो सब के सहयोग से संपन्न होता है इसमें परिवारिक सदस्य होने के नाते  सहयोग राशि देना कोई गलत नही है वही कुछ लोग अधिक राशि देकर मंच संचालन करने की बात पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह जिसकी जैसी इच्छा वह वैसा कर सकता है परंतु दीपक जी के इस बयान को लेकर हॉल में बैठे लोग कानाफूसी करते दिखे वही पैसा लेकर कलाकार लिए जाने की बात को लेकर भी काना फुसी हो रही थी कि कुछ कलाकार पैसा लेकर  मंच को अपनी बपौती मान लेते है और व्यवहारिक शिष्ट भाषा शैली भले सरल और सहजता पूर्ण हो परंतु उनका शब्दो से नियंत्रण लगभग समाप्त हो जाता है  तथा अनर्गल शब्द कहने से भी नही चूकते पूर्व मे सोशल मीडिया में समाचार प्रसारित किए गए चाय पानी बिस्कुट को लेकर पुनः मंच से वही बात कह दी जाती है बताते चले कि कार्यक्रम में उक्त कमी को  लेकर स्वयं म्यूज़िकल ग्रुप संचालको के द्वारा क्षमा मांग ली गई थी परंतु यहां  सम्मान के समय उपरोक्त बात का पुनः  चर्चा में लाने के पीछे क्या मंतव्य था ज्ञात नही वही कुछ दिन पूर्व भी एक एंकर द्वारा तो फ्री मंच संचालन सीखने कार्यशाला ही लगा दिया गया अब उक्त कार्यशाला में कितने मंच संचालक पैदा हुए ज्ञात नही  परंतु यह जरूर आभास हो रहा है कि बगैर दक्षिणा  लिए मंच संचालन जैसे वक्तव्य ने संपूर्ण कराओके कलाकारों के बीच एक चर्चा अवश्य छेड़ दी है

मंगलवार, 13 दिसंबर 2022

सत्तर में फिट फिर भी हिट एंकरिंग के बेताज बादशाह सादिक खान

सत्तर में फिट फिर भी हिट

एंकरिंग के बेताज बादशाह सादिक खान


अलताफ हुसैन की कलम से 
रायपुर कुछ लोग नाम अर्जित करने के लिए बहुत कुछ करते है मगर कुछ लोग ऐसा काम कर जाते है कि उनका नाम खुद ब खुद हो जाता है काम के एवज में नाम कमाने वालो में रायपुर शहर के बुलंद आवाज़ के धनी,और हजारों स्टेज प्रोग्राम में अपनी आवाज़ से लोगों को सीटों पर चिपका कर सफल प्रोग्राम के जमानतदार माने जाने वाले मृदुभाषी,हरदिल अजीज़,बिजली की गरज के समान कड़क आवाज़ के धनी जिनके लब खुलते ही एक एक शब्द कानों में एक  मधुरस घोल देती हो अलहदा अंदाज़ में मंच संचालन से अपनी पृथक पहचान बनाने वाले एंकर सादिक खान आज किसी परिचय के मोहताज नही है श्री सादिक खान ने युवा काल से ही अपना जीवन स्टेज को समर्पित कर दिया था प्रारंभिक दौर में मटका पार्टी से जुड़ते हुए कॉमेडी करते करते कब रायपुर संगीत समिति आर्केस्टा में प्रस्तोता के साथ साथ  कई फिल्मी कलाकारों की आवाज़ में मिमिक्री से लोगों को गुदगुदाने का कार्य प्रारंभ किया यह वे स्वयं नही जानते  और उनकी विशेष छत्तीसगढ़ी,ओडिसा भाषीय शब्दावली में रंगोबती गीत सहित दो महिलाओं के परस्पर गुड़ाखु  पर केंद्रित वार्तालाप अभिनीत शैली  ने उन्हें काफी शोहरत दिलाई   मंच संचालन से प्रारंभ हुआ 

यह दौर आज सत्तर वर्षों में भी अनवरत जारी है कार्यक्रम की अर्जित आय से ही अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले एंकर सादिक खान से हमने जब उनसे भेंट की तो उन्होंने बड़े गर्मजोशी से हमारा स्वागत किया और उसी मृदुभाषी व्यक्तित्व के साथ स्वागत करते हुए हमें अपने जीवन के उस सुनहरे पल को साझा किया जो हमे किसी समुद्र की उठती उतरती जल लहरों से कम नही लगा जीवन के सागर में ज्वारभाटा समतुल्य शैली से आए अनेक उतार चढ़ाव ने उनके मन को अवश्य व्यकुल किया जो रात के सन्नाटे में शून्य में निहारती आंखे  दुख,कष्ट के भाव लिए हाड़ मांस के निर्मित मानव शरीर रूपी अंतर्मन कक्ष मे भले परस्पर अंतर्द्वद्व करते रहे हो परन्तु यथार्थ और वास्तविक रंगमंच का यह सूत्रधारक जब भी रंगमंच पर दैदीप्यमान  होता तब  अपने विशेष  भाव भंगिमा और मायावी आवाज़ से उपस्थित श्रोताओं के मन मस्तिष्क  को अवश्य आकर्षित कर  गुदगुदा देता या फिर जीवन दर्शन कराती भिन्न भिन्न शायरों की शायरी और उस पर सम्मोहक आवाज़ की  जादूगरी का ऐसा शब्द बाण चलाता कि बैठा हुआ दर्शक हास् परिहास के स्वच्छंद वातावरण में वाह वह कहे बगैर  स्वतः को रोक नही सकता 

   यह कुदरत का ही देन कह ले कि लड़कपन में मटका पार्टी से  प्रारंभ किया गया प्रहसन,गीत संगीत के प्रति लगाव का यह सफर जीवन का लंबा सफर तय करने विवश कर देगा जिसमे नाम और शोहरत तो बहुत था  परंतु इस बात की कतई ग्यारंटी नही थी कि पारिवारिक जिम्मेदारी के उज्ज्वल भविष्य के साथ साथ भरण पोषण में एक स्थायी आर्थिक लाभ का संसाधन बन सके परंतु बड़ी जीवटता के साथ एंकर सादिक खान ने उन चुनौतियों का सामना किया और बगैर आय के अन्य संसाधन न होने के बावजूद उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में एक चट्टान की भांति जीवन संघर्षों का सामना किया और जीवन के पचास वर्षों तक केवल मंच संचालन के माध्यम से अपना भरापूरा परिवार का पालन पोषण किया अपने जीवन के एक एक अध्याय के स्मृति पन्नों को उलटते हुए सादिक खान ने बताया कि प्रारंभिक दौर में पवन छिब्बर के सान्निध्य में एंकरिंग और कॉमेडियन करता था  रायपुर संगीत समिति के बंद होने और पवन जी के जाने के पश्चात उन्होंने प्रायवेट आयोजन में एंकरिंग प्रारंभ की और बॉलीवुड के सुप्रसिद्ध फिल्मी सितारों से लेकर गायको तक,भजन संध्या से लेकर क़व्वाली के प्रोग्राम तक मे उनके स्वयं की उपस्थिति में मंच संचालन कर जिनमे मुख्यत सोनू निगम,उदित नारायण,शब्बीर कुमार,मो.अजीज़,अनवर,विनोद राठौर, शक्ति कपूर,अनिल कपूर,  श्रीदेवी,कव्वालों में अजीज़ नाजां,मजीद शोला ,अलताफ राजा,अनूप जलोटा, सहित स्थानीय,भजन सम्राट,दुकालू यादव, किरण शर्मा जैसे नाम उनके स्टेज प्रोग्राम की फेहरिस्त में जुड़ते चले गए और सभी कार्यक्रम का उन्होंने सफलता पूर्वक अंजाम दिया और यह कारवां लगातार पचास वर्षों से आज भी अनवरत जारी है वर्तमान में भी वे प्रायवेट इवेंट में अपनी लगातार आवाज़ से मंच संचालन कर लोगों का मनोरंजन कर रहे है 

श्री सादिक खान का कथन है कि जब तक आवाज़ है तब तक वे मंच के प्रति समर्पित रहेंगे इस दरमियान आकाशवाणी,और दूरदर्शन में भी एंकरिंग करने का सुअवसर मिला छोटा गब्बर,एयर स्वर्णदीप जैसे कई  नाट्य मंचनों में अपने मंचीय आसंदी से बोले जाने वाले विशेष भाषीय शैली और जादूगरी आवाज़ से लोगों के आकर्षण का केंद्र बिंदु बने रहे  आश्चर्य होता है कि पचास वर्षों तक समर्पित रह कर बगैर किसी अन्य व्यवसाय के कोई व्यक्ति अपना और परिवार का भरण पोषण जैसी महती जिम्मेदारी का निर्वहन कैसे किया होगा ? यह तो उनकी लगन, परिश्रम,और मंच के प्रति समर्पित भावना का ही परिणाम है कि अनेकों दुख दर्द को अपने सीने में दबाए यह मंच का सारथी जब मुस्कुराते हुए लोगों का मनोरंजन करते हुए मंच पर दैदीप्यमान होता है तब  भले ही उपस्थित श्रोता उसके जादूगरी शब्दों का जायका लेते हुए हंस हंस कर लोटपोट होते है, ताली बजाते है और खूब एन्जॉय करते है 

परंतु जैसे ही शो समाप्त हुआ लोगो को गुदगुदाने वाला यह मंच सारथी का जीवन अंधियार पूर्ण बंद कक्ष में अपने स्वयं के अस्तित्व की तलाश में बैचैन हो उठता है ठीक उस कलाकार के समान जो सिनेमाई रुपहले पर्दे में अपनी कला और एक्टिंग से प्रत्यक्ष रूप से श्रोताओं को हँसाता और गुदगुदाता है परंतु जब वह तन्हा होता है तो उसे हंसाने या बहलाने वाला कोई नही होता भौतिक जिम्मेदारी का एक बहुत बड़ा मसला सुरसा की भांति मुंह फाडे खड़े रहती है  कि उन सामाजिक भौतिकवादी जिम्मेदारी का समाधान कैसे और कब होगा और ऐसा हो भी क्यों न साहब ..क्योंकि मंच का यह जादूगर भी तो एक मानव मात्र है क्योंकि इसके भी सीने में दिल धड़कता है,,पारिवारिक जिम्मेदारी का इसे भी अहसास है और उसका समाधान मंच संचालन के माध्यम से प्राप्त हुए अल्प राशि से कर पाना असंभव है मंच सारथी सादिक खान को यह बात दिल की गहराई में सलती है कि मेरे बाद मेरे परिवार का क्या होगा? उन्हें भरपूर ज्ञात है कि बड़े बड़े सुरमा एंकर आए और चले गए परन्तु जो गए उन्होंने अपने परिवार के भविष्य को सुव्यवस्थित कर दिया है परंतु यहां तो ...जब तक हम है तब तक यह गम है..उसके बाद सब कुछ खत्म है..वैसे भी हम सब जानते है कि ये दुनिया ही एक रंगमंच है ..यहां जो भी आता है इस रंग मंच का कठपुतली बन जाता है सब अपनी अपनी कला सफर की भूमिका तय करते हुए पार्श्र्व में चले जाते है 

और पीछे छोड़ जाते है न भूलने वाली स्मृतियां और अपने कदमों के निशां जिनके पद चिन्हों पर चलने का अनुसरण पुनः भावी नई पीढ़ी निभाती रहेगी  आइए,एंकरिंग और मंच संचालन के इस बेताज बादशाह सादिक खान जिन्होंने अपना पूरा जीवन ही मंच को जिया उसकी आगोश में श्रोताओं के ताली की गड़गड़ाहट में  मिला ऐसा स्नेह  जैसे कोई मां की गोद मे अपने दुलरुवा बेटे को थपकी के साथ जैसे लोरी पूर्ण गीत के बीच अपनी ममता का अनमोल खजाना लुटा रही हो 

यही तो फलसफा है एक वास्तविक रंगमंच के सच्चे कालाकार का जो सिर्फ और सिर्फ जीते ही है रंगमंच के लिए ऐसे समर्पित कलाकार  के लिए आज किसी फ़िल्म के गाए गीत की ये दो लाइन पूरी तरह मूर्धन्य कलाकार पर सटीक और सार्थक लग रही है -कि 

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जीना यहां मरना यहां इसके सिवा जाना कहां

जब जी चाहे आवाज़ दो हम थे वहीं हम थे जहां .....

रविवार, 11 दिसंबर 2022

अब तक बच्चन....अमिताभ के फिल्मी गीत का जादू चला

 अब तक बच्चन....अमिताभ के फिल्मी गीत का जादू चला


अलताफ हुसैन की समीक्षात्मक रपट

रायपुर सदी के महानायक  अमिताभ बच्चन के फ़िल्म और उनके गीतों  का जादू विगत कई वर्षों से लगातार जारी है जिसकी बानगी.. अब तक बच्चन... नामक कार्यक्रम के माध्यम से  आज मायाराम सुरजन हॉल में देखने मिला  जहां उनके प्रशंसकों के द्वारा उनके  फिल्मों के गीतों की प्रस्तुति दी गई  अब तक बच्चन शीर्षक की परिकल्पना श्रीमती कृष्णा शेषगिरी राव ने की और इस परिकल्पना को साकार करने में किसी प्रकार की कोताही नही बरती गई और एक से बढ़कर एक सुपरहिट गीत की प्रस्तुति दी गई कभी कभी मेरे दिल मे ख्याल आता है कि प्रस्तुति इशरत अली ने बड़े ही खूबसूरत अंदाज़ में प्रस्तुत किया वही शेषगिरी राव ने प्यारा सा गीत ...रिमझिम गिरे सावन ...जिसका पार्श्र्व गायन किशोर कुमार ने किया बहुत ही सुंदर ढंग से मंच से जिया जिसे श्रोता शांत चित्त सुनते रहे और तालियों से उनका स्वागत किया पल्लवी राव और जी भूषण राव ने युगल गीत ..बच के रहना रे बाबा,,,के बाद ये कहां आ गए हम ...फ़िल्म सिलसिला का सुप्रसिद्ध गीत को दोनों पति पत्नी ने अच्छे ढंग से प्रस्तुत किया जी.भूषण राव ... आज रपट जाएं तो हमे न बचाइयों...अपने प्यार के सपने सच हुए ....मंजिले अपनी जगह... रास्ते अपनी जगह...तू मुझे कुबूल मैं तुझे कुबूल...

शीशीया राव और जी भूषण राव के युगल गीत ....इम्तेहान हो गई इंतज़ार की...गीत पर बैठे सभी श्रोता गायकों के साथ ताली बजा कर गाने का लुत्फ उठाया..ज़िंदगी इम्तेहान लेती है....परदेसिया ये सच है पिया...पर श्रोता झूमने और नाचने लगे...अच्छा कहो चाहे बुरा कहो...मैं पल दो पल का शायर हूँ...जैसे लगातार बच्चन साहब के गीत गूँजते रहे औऱ श्रोता भी प्रत्येक गीत का आनंद उठाते रहे वही कार्यक्रम में साउंड सिस्टम की तकनीक खराबी से श्रोताओं का जायका कुछ समय तक बिगड़ा जरूर परन्तु धीरे धीरे उसमे भी सुधार लाया गया वही अब तक बच्चन शीर्षक के सभी गीत केवल शेषगिरी राव,और उनके भ्राता श्री जी. भूषण राव ने अपने  अर्धांगिनीयों  के साथ संपूर्ण कार्यक्रम को अपने कंधों में सम्हाल रखा था अपवाद स्वरूप एक दो गायको को छोड़ दिया जाए तो कार्यक्रम निजी गायकी के प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है लगातार एक ही चेहरा देखने से भी बहुत से श्रोता शीघ्र पलायन कर गए ऐसे बहुत से श्रोता होते है  जिन्हें कार्यक्रम में नयापन होने की अपेक्षा और दरकार होती है जिसका अभाव दिखा फिर भी शेषगिरी राव एंड फैमिली का उक्त अब तक बच्चन कार्यक्रम... बच्चन साहब के फिल्मी जीवन के सिल्वर पर्दे पर अभिनीत सुपरहिट गीतों से श्रोताओं को लंबे समय तक बांधे रखा विशेष कर सिलसिला फ़िल्म में बच्चन की आवाज़ में बोले गए कविता शब्द की अदायगी बहुत सुंदर ढंग से प्रस्तुत की गई कार्यक्रम के परिकल्पना कार शेषगिरी राव एवं जी भूषण राव और उनकी टीम ने  की गायकी में दम था तभी तो श्रोता मायाराम सुरजन हॉल में.. अब तक बच्चन ...की संगीतिज्ञ पाठशाला में उनके जीवन दर्शन से जुड़ी एक एक अध्याय का वर्णन  के साथ  गीतों का लुत्फ  देर रात तक उठाते रहे

शुक्रवार, 9 दिसंबर 2022

रायपुर वन मंडल के चतुर्थ श्रेणी कर्मी महीनों नदारत फिर भी उठा रहे लाखों का वेतन

 रायपुर वन मंडल के चतुर्थ श्रेणी कर्मी महीनों नदारत फिर भी उठा रहे लाखों का वेतन 




अलताफ हुसैन

रायपुर एक तरफ वन विभाग के मैदानी अमले के अधिकारी,कर्मचारी निर्माण कार्यों से लेकर श्रमिक भुगतान,वृक्षारोपण में गड्ढे खनन से लेकर बिल बाउचर सहित अनेक गड़बड़,घोटाले और  भ्रष्टाचार को अंजाम देने में मस्त है तो वही कार्यालयीन कर्मचारी भी स्वास्थ्य की आड़ में अनुपस्थित रहकर फर्जी बिल के माध्यम से लाखों का चूना लगाने किसी प्रकार से गुरेज नही कर रहे और यथा संभव विभाग को नाना प्रकार से चुना लगाने नित नए नए हथकंडे का इस्तेमाल कर फर्जी बिल के माध्यम से अर्थ लाभ उठाने कोई अवसर नही खो रहे है हाल ही जंगल सफारी में दैनिक वेतन भोगी श्रमिक मनीष यदु का मामला अभी पूरी तरह शांत हुआ भी नही था वैसा ही मिलता जुलता एक अन्य प्रकरण रायपुर वन मण्डल कार्यालय का भी सामने आया है जहां चतुर्थ श्रेणी के तीन कर्मी लगातार लाखों की राशियों के भुगतान का लाभ उठा रहे है जिसका भान किसी को है कि नही यह तो ज्ञात नही परन्तु चर्चा जोरों पर है कि तीनों चतुर्थ श्रेणी भृत्य (अर्दली) पर रायपुर वन मण्डल कार्यालय के बड़े बाबू पद पर आसीन महिला क्लर्क की विशेष कृपा दृष्टि बनी हुई है जिससे विभाग को लाखों का आर्थिक नुकसान हो रहा है 

        विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रायपुर वन मंडल कार्यालय में भृत्य (अर्दली)चतुर्थ श्रेणी के पद पर कार्यरत राजकुमार ध्रुव,शंकर ठाकुर, और विजय यादव तीनों  पूरे रायपुर वन मंडल कार्यालय में चर्चा का विषय बने हुए है कि तीनों कर्मचारी विगत कई वर्षों से कार्यालय में महीनों उपस्थित रहते है न उनकी शक्ल कोई कार्यालयीन कर्मचारी देखता है फिर भी वे छः से सात माह का एक मुश्त वेतन का लाभ कार्यालय से उठा रहे है उनके सन्दर्भ में आगे चर्चा यह है कि  वेतन  प्राप्त करने के पश्चात वे मात्र पखवाड़े भर कार्यालय में नज़र आते है तथा उसके पश्चात उनकी शक्ल कभी कार्यालय  परिसर में नज़र नही आती  अर्थात  कई माह ये कार्य स्थल में दृष्टिगोचर भी नही होते तथा छः से सात माह में पुनः एक बार उपस्थित होकर लाखों का  वेतन का लाभ एक बार उठाते है फिर पुनः अंतर्धान हो जाते है  बताया जाता है कि रायपुर वन मंडल कार्यालय में  बड़े बाबू के पद पर पदस्थ महिला क्लर्क,और पदस्थापना प्रभारी  की उन तीनों पर विशेष कृपा दृष्टि बनी हुई अब वेतन जारी करने के एवज में उनके द्वारा बड़े बाबू को क्या कमीशन परितोष के रूप में प्राप्त होता है यह तो ज्ञात नही परंतु उनके द्वारा बगैर कार्यालय में उपस्थिति दर्ज किए लाखों का वेतन किस आधार पर जारी किया जाता है यह संदेह के दायरे में अवश्य आ गया है यही नही ज्ञात हुआ है कि उपरोक्त तीनों भृत्य(अर्दली) स्वास्थ्य संबंधी फर्जी बिल के माध्यम से भी लाखों की राशि आहरित करवा लेते है अब यह लाभ तीनो कर्मियों द्वारा किस आधार पर उठाया जा रहा है यह जांच का विषय है परंतु सवाल इस बात को लेकर उठाया जा रहा है कि बगैर उपस्थिति के तीनों को किस नियम,आधार पर अब  कार्य के एवज में,स्वास्थ्य गत कारणों से,या अनुपस्थित रहने के एवज में वेतन प्रदाय किया जा रहा है ? वही दूसरा सवाल  यह भी है कि यदि उनके द्वारा किसी भी प्रकार स्वास्थ्य गत  बिल इत्यादि प्रस्तुत करने पर उनसे उनकी उपस्थिति सहित उसके वस्तुस्थिति की जांच क्यों नही की जाती क्यों आंख बंद कर वेतन सहित अन्य प्रस्तुत बिल का भुगतान जारी कर दिया जाता है ? महीनों उपस्थिति पंजी में बगैर हस्ताक्षर किए कार्यालय से नदारत रहने के बावजूद उन्हें किस नियम के तहत वेतन जारी किया जाता है यह सब जांच का विषय है वही बड़े बाबू के पद पर आसीन महिला क्लर्क और पदस्थापना प्रभारी की कार्यशैली को लेकर भी सवाल खड़े किए जा रहे है कि कार्यालय से महीनों नदारत चतुर्थ श्रेणी वन कर्मियों को किस नियम के आधार पर वेतन जारी करती है उक्त लाखों के वेतन जारी करने में कहीं उसका भी कमीशन तो नही बंधा हुआ है ? जिसके चलते वरिष्ठ अधिकारियों के बगैर संज्ञान के चलते लाखों के  वेतन भुगतान में बड़ा खेल खेला जा रहा है 

  वैसे भी बताते चले कि भृत्य और अर्दली भुगतान का  यह खेल केवल यहां  तक सीमित नही अर्दली के नाम पर प्रत्येक परिक्षेत्राधिकारी को एक अर्दली मिलता है परंतु कोई भी रेंजर अपने किसी अर्दली को साथ लेकर नही चलता परन्तु अर्दली भुगतान का लाभ प्रत्येक रेंज अधिकारी वर्षों से उठा रहे है जिस पर भी विभाग,चिंतन मनन कर सकता है

भानुप्रतापपुर से भाजपा प्रत्याशी की हार की जिम्मेदारी कौन लेगा ? वरिष्ठ पत्रकार राजकुमार सोनी की बेबाक समीक्षा

 भानुप्रतापपुर से भाजपा प्रत्याशी की 

हार की जिम्मेदारी कौन लेगा ? 

वरिष्ठ पत्रकार राजकुमार सोनी की बेबाक समीक्षा


छत्तीसगढ़ के भानुप्रतापपुर सीट पर हुए उपचुनाव में एक बार फिर कांग्रेस ने कब्जा जमा लिया है. सवाल यह है कि भाजपा प्रत्याशी की करारी शिकस्त के बाद हार की जवाबदारी किस नेता के माथे पर चस्पा की जाएगी ? हाल-फिलहाल छत्तीसगढ़ भाजपा में यह तय नहीं हो पा रहा है कि आखिरकार पार्टी का प्रमुख कौन है और सबसे ज्यादा किसकी चलती है ? पार्टी का एक धड़ा पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह को अपना नेता मानता है तो एक दूसरा धड़ा अरुण साव की तरफ चला गया है. प्रदेश में बृजमोहन अग्रवाल, अजय चंद्राकर, नारायण चंदेल जैसे कुछ कद्दावर नेता भी है. लाख टके का सवाल यहीं है कि इन नेताओं में कौन है जो आगे बढ़कर कहेगा कि हमने एक ऐसे प्रत्याशी को टिकट दे दिया था जो एक नाबालिग बच्ची से दुष्कर्म के आरोप से घिरा हुआ था.हम हार की नैतिक जवाबदारी लेते हैं.


छत्तीसगढ़ में वर्ष 2018 के बाद से अब तक दंतेवाड़ा, चित्रकोट, मरवाही, खैरागढ़ और भानुप्रतापपुर सीट पर उपचुनाव हो चुके है. हर चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है. पूरे 15 साल तक सत्ता पर काबिज रहे भाजपा के सभी बड़े नेता हर बार जीत का दावा प्रस्तुत करते रहे है,लेकिन हर बार उनका दावा चूं-चूं का मुरब्बा साबित होता रहा है. 


फिलहाल गांव-गांव और शहरी हिस्सों में भूपेश बघेल और उनकी सरकार की स्थिति बेहद मजबूत दिखाई देती है. कई बार इधर-उधर का प्रेशर कुकर ग्रुप जिसमें चंद पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता और चुके हुए कारतूस अफसर शामिल है..वे सीडी-फीडी, आईटी और ईडी के छापों की खबरों को आधार बनाकर यह माइंड सेट करने का प्रयास अवश्य करते हैं कि भूपेश सरकार कमजोर हो गई है. यह टर्म सरकार का अंतिम टर्म होगा... आदि-आदि...


लेकिन सरकार को हताश और परास्त देखने की पुरजोर कोशिश में लगे ऐसे सभी तत्व ( जैसे किसी शख्स की फेसबुक पोस्ट को देखकर बड़ी आसानी से जाना जा सकता है कि वह अंधभक्त है या नहीं...वैसे ही  भूपेश बघेल के खिलाफ पेड एम्पलाइज बनकर माहौल बनाने खेल में लगे लोगों के सरनेम से यह जाना जा सकता है कि उनका विरोध क्यों और किसलिए होता है.) यह भूल जाते हैं कि सांस्कृतिक जड़ें इतनी जल्दी उखड़ती नहीं है. छत्तीसगढ़ में निवास करने वाले मूल छत्तीसगढ़ियों को पहली बार यह लग रहा है कि उनकी अपनी बोली-बानी,अस्मिता को महत्व देने और समझने वाली कोई सरकार बनी है. गांव और शहर में रहने वाले भाजपा कार्यकर्ताओं और भाजपाई मानसिकता को सहयोग करने वाले लोगों को छोड़ दिया जाय तो ज्यादातर छत्तीसगढ़िया इस बात से खुश है कि उनके बीच का एक ठेठ देसी आदमी उनका अपना मुख्यमंत्री है. वे सभी लोग जिन्होंने गांव की धूल और माटी से नाता तोड़ लिया है उन्हें थोड़ी गांवों की यात्रा भी करनी चाहिए. गांव के युवा और बुर्जुग ' कका ज़िंदा है ' जैसे गाने में अगर थिरक रहे है तो कोई बात अवश्य होगी. कोई जादू अवश्य होगा.


असल बात यह है कि जिन छत्तीसगढ़ियों के स्वाभिमान को बरसों तक कुचला गया...ऐसे सभी छत्तीसगढ़िया  अब किसी भी कीमत पर असल छत्तीसगढ़िया को हारते हुए देखना नहीं चाहते हैं.फिलहाल छत्तीसगढ़ में भाजपा के पास ऐसा कोई मुद्दा भी नहीं है जिसे वह चुनाव में एक हथियार की तरह इस्तेमाल कर सकें. यह सही है कि जनता में कांग्रेस के कुछ विधायकों के प्रति नाराजगी है, लेकिन उनकी नाराजगी कका को लेकर नहीं है. जिन ग्रामीणों की जेब में सरकार की विभिन्न योजनाओं का पैसा जा रहा है उनके बीच यह बात भी पैठ कर गई है कि उनके अपने कका को केंद्र की भाजपा सरकार जबरिया परेशान कर रही है. भाजपा के लोग उन्हें फंसाने का षड़यंत्र रच रहे हैं. 


अगर कांग्रेस ने 20 से 25 सीटों पर पूरी निर्ममता के साथ प्रत्याशियों का बदलाव किया तो 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सरकार के रिपीट हो जाने के पूरे-पूरे आसार है.


राजकुमार सोनी

98268 95207

बुधवार, 7 दिसंबर 2022

जंगल सफारी कुछ लोगों के लिए बना चारागाह श्रमिक ही कर रहे अधिकारियों का भय दोहन

 जंगल सफारी कुछ लोगों के लिए बना चारागाह श्रमिक ही कर रहे अधिकारियों का भय दोहन 


रायपुर जंगल सफारी भी हमेशा किसी न किसी विवाद की वजह से सुर्खियों में बना रहता है विशेष कर वहां कार्यरत दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों को लेकर अफसरों और  श्रमिकों के मध्य विवाद की स्थिति सदैव निर्मित रहती है परंतु अब जो मामला प्रकाश में आया है वह किसी अधिकारी के द्वारा किसी श्रमिक को परेशान करने की नही बल्कि वहां कार्यरत एक ऐसे श्रमिक के द्वारा अधिकारियों को हलाकान करने की बात सामने आ रही है जो वहां माह में दस बारह दिन उपस्थित होकर और बाकी दिन कार्य न करने की एवज में पूरे माह का वेतन का लाभ कई माह से उठा रहा है यही नही सूचना के अधिकार  किसी अन्य व्यक्ति के माध्यम से लगवाकर दस बीस लाख की मांग अलग से किया जाना भी बताया गया है जिसके चलते स्थानीय जंगल सफारी कर्मी,अधिकारी खासे परेशान हो रहे है 

   नाम न छापने की शर्त पर कुछ श्रमिकों ने बताया कि मनीष यदु नामक श्रमिक जो मूलतः ग्राम जौंदा निवासी है के द्वारा विगत कई वर्षों से जंगल सफारी में दैनिक वेतन भोगी के रूप में कार्यरत है परंतु वह तीन स्थानों का अपनी आई डी. (आधार कार्ड,वोटर कार्ड )बना कर जंगल सफारी में कार्य कर रहा है उसके सन्दर्भ में ज्ञात हुआ है कि लंबे समय से जंगल सफारी में कार्य करने की वजह से पिछले कर्मियों के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार का लेखा जोखा निकालने,हेतु स्थानीय किसी प्रवीण कुमार नामक व्यक्ति के द्वारा सूचना का अधिकार के माध्यम से जंगल सफारी के अधिकारियों से मोटी रकम दस से बीस लाख की मांग की जाती है जिससे वहां के अधिकारी खासे परेशान हो चुके है  जबकि इस संदर्भ में   जंगल सफारी रेंजर अश्वनी चौबे से संपर्क कर वस्तुस्थिति ज्ञात करने का प्रयास किया गया परंतु उनसे संपर्क नही हो पाया इस संदर्भ में बहुत से जंगल सफारी कर्मियों ने बताया कि रेंजर चौबे एक मृदु भाषी, सरल और सहज अधिकारी है तथा अपने सौपे गए दायित्वों का ईमानदारी पूर्वक निर्वहन करते है वही  मनीष यदु नामक श्रमिक द्वारा तीन आई डी के माध्यम से कैसे कार्य किए जाने के सन्दर्भ में पूछे जाने पर बहुत से कर्मियों  का कथन है कि जंगल सफारी ग्राम खंडवा,उपरवारा,पचेड़ा,और भेलवाडीह कि लगी भूमि में व्यवस्थित किया गया है जिसकी वजह से स्थानीय युवकों को रोजगार के उद्देश्य से स्थानीय श्रमिकों को अधिक तरजीह दिया जाता है जबकि मनीष यदु नामक कथित श्रमिक मूलतः जौंदा निवासी है तथा उसे जंगल सफारी में कार्य हेतु चारो ग्रामों में से किसी एक का निवासी होना अनिवार्य है यही कारण है कि यहाँ जंगल सफारी में कार्य हेतु आसपास ग्राम का निवासी होने तथा प्रमुखता के साथ जंगल सफारी में कार्य हेतु तीन ग्राम  स्थल का आई डी बनवा लिया है अब यह तीन स्थानों पर से कैसे आधार,वोटर लिस्ट में नाम दर्ज करवाया है यह जांच का विषय है जबकि कुछ कर्मियों का कथन है कि अलग अलग आई डी का उपयोग ग्राम पंचायतों में होने वाले विकास और निर्माण कार्यों में श्रमिक के रूप में किया जाने की बात कही जा रही है तथा वहां से भी आर्थिक लाभ उठाया जाना बताया जा रहा है जबकि इस प्रकार के आई डी से जंगल सफारी में भ्रष्टाचार को अंजाम दिए जाने से भी इंकार नही किया जा सकता क्योंकि यह बात पूर्व में भी प्रकाश में आ चुकी है कि एक ही परिवार के कई सदस्य बगैर किसी कार्य को अंजाम दिए जंगल सफारी में पारिश्रमिक  लाभ उठाते रहे है इसे भी उसी रूप में जोड़ा जा रहा है मनीष यदु के बारे में यह भी ज्ञात हुआ है कि जंगल सफारी अधिकारियों का भय दोहन कर उसने अपने छोटे भाई तामेश यदु को भी वहां कार्य पर लगवा दिया है  बताया गया है कि मनीष यदु मुख्यमंत्री कार्यालय में किसी परिचित के माध्यम से अधिकारियों पर दबाव बनाता है जबकि स्थानीय छोटी मोटी राजनीति करने वाले नेता भी उसका पूरा समर्थन करते है  विधायक द्वारा उसके उक्त कृत्य से दो चार बार लताड़ा भी जा चुका है ऐसा बताया गया फिर भी भय दोहन कर्ता मनीष यदु नाना प्रकार से कभी पत्रकार,तो कभी किसी छूट भैया नेता अथवा मुख्यमंत्री कार्यालय में कार्यरत किसी परिचित के माध्यम से लगातार सूचना का अधिकार एवं अन्य माध्यमों से अधिकारियों का भय दोहन कर बिचौलिया बन कर मामले को सेटलमेंट करता है वर्त्तमान में भी सफारी रेंजर हरि सिंह ठाकुर के नाम से सूचना का अधिकार लगा हुआ है इसका मध्यस्थता भी कथित मनीष यदु के द्वारा कराया जाएगा ऐसा लोगों का कहना है जबकि समस्त सूचना का अधिकार पत्र स्वयं उसके द्वारा पर्दे के पीछे रहकर अन्य लोगों के नाम से लगाया जाता है सवाल उठता है जब इस प्रकार से कोई व्यक्ति लगातार भय दोहन कर आर्थिक लाभ उठा रहा है तब उस पर अधिकारियों द्वारा कार्यवाही क्यों नही की जाती इससे स्पष्ट होता है कि कहीं न कहीं अधिकारी भी भ्रष्टाचार और घोटाले में लिप्त है तभी तो मनीष यदु की समस्त अनैतिक मांगों को पूरी कर रहे है और उसे आश्रय दिए हुए है हालांकि सफारी प्रबंधन चाहे तो ऐसे श्रमिक के विरुद्ध जो केवल दस दिन में कार्य मे उपस्थित होकर वहां की गतिविधियों को बाहर किसी परिचित के माध्यम से सूचना का अधिकार लगा कर मानसिक,और आर्थिक दोहन करने वाले कथित श्रमिक पर विधिवत कार्यवाही कर  कार्यालयीन निर्माण कार्यों की गोपनीयता भंग करने के एवज में उसे कार्य से पृथक कर सकता है  

मंगलवार, 29 नवंबर 2022

29 व 30 नवंबर को रायपुर में मुक्तिबोध प्रसंग 🔴 जुटेंगे देश के कई नामचीन लेखक और साहित्यकार

 🔴 29 व 30 नवंबर को रायपुर में मुक्तिबोध प्रसंग🔴 जुटेंगे देश के कई नामचीन लेखक और साहित्यकार


रायपुर. छत्तीसगढ़ साहित्य अकादमी  पंड़ित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय की अध्ययनशाला के साथ  विश्वविद्यालय के कला भवन में दो दिवसीय 'मुक्तिबोध प्रसंग' का आयोजन कर रही है. इसी महीने 29-30 नवंबर को होने वाले इस आयोजन में देश के कई जाने-माने लेखक और साहित्यकार शामिल होंगे. अलग-अलग सत्रों व विभिन्न विषयों पर केन्द्रित इस आयोजन के उद्घाटन सत्र को प्रसिद्ध कवि लाल्टू व वरिष्ठ आलोचक जयप्रकाश संबोधित करेंगे. उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता विश्विवद्यालय के कुलपति केशरीलाल वर्मा करेंगे. इस आयोजन का एक महत्वपूर्ण सत्र हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार गजानन माधव मुक्तिबोध और उनके छोटे भाई व मराठी के प्रसिद्ध साहित्यकार शरच्चंद्र माधव मुक्तिबोध के आपसी पारिवारिक, साहित्यिक और वैचारिक संबंधों पर आधारित है. ‘मुक्तिबोध और मुक्तिबोध: गजानन माधव और शरच्चंद्र माधव’ शीर्षक से आयोजित इस सत्र में वरिष्ठ साहित्यकार श्रीपाद भालचंद्र जोशी, साहित्यकार व पर्यावरणविद् प्रदीप मुक्तिबोध और कवि व आलोचक  प्रफुल्ल शिलेदार अपनी बात रखेंगे. इस सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार व पत्रकार दिवाकर मुक्तिबोध करेंगे.


कार्यक्रम में मुक्तिबोध की 

कविताओं पर विमर्श सत्र ‘आवेग-त्वरित-काल-यात्री’ और उनके रचनात्मक व आलोचनात्मक अवदान पर केंद्रित सत्र ‘अंधेरे में रोशनी मुक्तिबोध’ आयोजित किया जाएगा. इन सत्रों में शामिल वक्ताओं में कवि-कहानीकार बसंत त्रिपाठी, कवि व आलोचक मृत्युंजय, आलोचक अमिताभ राय, कवि मिथलेश शरण चौबे, दर्शनशास्त्री पंकज श्रीवास्तव, युवा आलोचक कामिनी और युवा आलोचक भुवाल सिंह ठाकुर शामिल हैं. इन सत्रों की अध्यक्षता साहित्य व भाषा अध्ययनशाला की प्राध्यापक शैल शर्मा और मधुलता बारा करेंगी.

 

कार्यक्रम के दौरान एक कवि गोष्ठी का आयोजन भी रखा गया है जिसमें लाल्टू, नवल शुक्ल, विजय सिंह, प्रफुल्ल शिलेदार, पथिक तारक, भास्कर चौधुरी, बसंत त्रिपाठी, मिथलेश शरण चौबे और मृत्युंजय कविता पाठ करेंगे. जानकारी साहित्य अकादमी के अध्यक्ष ईश्वर सिंह दोस्त ने दी है.

बुधवार, 23 नवंबर 2022

गाता रहे मेरा दिल ग्रुप ने नई प्रतिभाओं को तराशा नए पुराने गीतों की धूम रही

गाता रहे मेरा दिल ग्रुप ने नई प्रतिभाओं को तराशा नए पुराने गीतों की धूम रही 

रायपुर गाता रहे मेरा दिल का रंगारंग सुपरहिट गीतों का कार्यक्रम रविवार संध्या छ बजे से मायाराम सुरजन हॉल में प्रारंभ हुआ  जिसमें कुछ कलाकारों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश कलाकार नवोदित थे जिन्हें पहली बार मंच साझा करने का अवसर प्राप्त हुआ इन नवोदित कलाकारों को तराशने का कार्य गाता रहे मेरा दिल म्यूज़िकल ग्रुप के डायरेक्टर  नवाब कादिर,एवं सुप्रसिद्ध मंच संचालक लक्ष्मी नारायण लाहोटी,तिलक पटेल पार्षद ने किया प्रतिदिन की रिहर्सल हेतु चार से पांच घण्टे तक समय सभी कलाकारों ने टिम्बर भवन देवेंद्र नगर में दिया  इस अवसर पर समाज से प्रतिभाओं को बाहर निकालने और तराशने का श्रेय राजीव गांधी वार्ड के युवा मिलनसार,हंसमुख पार्षद तिलक पटेल को जाता है जिन्होंने गुजराती समाज में आज तक की दबी हुई प्रतिभाओं को सामाजिक मुख्यधारा में लाने प्रोत्साहित किया और पहली बार अपने  समाज से इतर उन्हें खुला मंच प्रदान करने विश्वसनीय गाता रहे मेरा दिल म्यूज़िकल ग्रुप को माध्यम बनाया और लगातार पखवाड़े भर तक कलाकारों द्वारा की गई मेहनत रंग लाई और अप्रत्याशित रूप से गीत संगीत का उक्त कार्यक्रम सफलता के नए अय्यम स्थापित कर दिया कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती वंदन गीत मंच संचालक लक्ष्मी नारायण लाहोटी ने सुमधुर भजन से किया गया  पश्चात  कालिका अवतार सिंह खनूजा ने स्टूमेंटल वाद्य यंत्र पर  आंख में पट्टी बांध कर म्यूज़िकल प्रस्तुति दी
जिसे उपस्थित श्रोताओं ने खूब सराहा गायकी कार्यक्रम की शुरुआत आर वासु ने.. गुलाबी आंखे जो तेरी देखी की प्रस्तुति दी लक्ष्मी नारायण दामा ने महेंद्र कपूर के गीत ...तुम अगर साथ देने का वादा करो ....गीत के हर अंतरे  पर लोगों ने ताली की गड़गड़ाहट के साथ उनका स्वागत किया एकल महिला गीत का खाता छत्तीसगढ़ की प्रख्यात गायिका  पूजा सिंह ने मूंगड़ा मूंगड़ा,,, मैं गुड़ की डली... की प्रस्तुति देकर  महफ़िल में जोश खरोश के साथ गर्माहट ला दिया इसके पश्चात संजय वर्मा  जिन्होंने गत माह कौन बनेगा करोड़पति में पार्टी सिपेट किया था तथा अपनी गायकी शौक के बारे में चर्चा के दौरान महानायक अमिताभ बच्चन ने अपनी शुभकामनाएं गाता रहे मेरा दिल म्यूज़िकल ग्रुप को दी थी उनके द्वारा  ..मेरे सपनों की रानी कब आएगी... गीत को बेहतरीन अंदाज़ में पेश किया वही सिंगर मनीष राव ने... होगा तुमसे प्यारा... कौन गीत को ऊर्जावान तरीके से प्रस्तुत किया ..डायरेक्टर नवाब कादिर और दक्षा पटेल जो नवोदित कलाकार थी के साथ युगल गीत ..हमको मुहब्बत हो गई है तुमसे ..गीत में उत्कृष्ट   तालमेल के साथ प्रस्तुति ने दर्शकों को ताली बजाने विवश कर दिया अगले पायदान में...नवोदित हरसुख पटेल ने.... मैं यट यमला पगला दीवाना,,, ओ रब्बा....जैसे  फ़ास्ट गीत को प्रस्तुत किया और दर्शकों को झूमने विवश कर दिया ...आर वासु ने तेरे हाथों में पहना के चुडिया ...डॉ शशी खिरैय्या ने दिल तो है दिल दिल का एतबार क्या की जे..... और युवा सिंगर अनुराग ठाकुर ने ...कहो न कहो... फ़िल्म मर्डर का अरबियन धुन जैसे आधुनिक गीत को प्रस्तुत किया तिलक पटेल पार्षद राजीव गांधी वार्ड जो संगीत प्रेमी है उन्होंने ... जिसे देख मेरा दिल धड़का .. की प्रस्तुति दी उनके बाद नवाब कादिर  मधु पटेल ने युगल गीत  ,.नैनो में सपना सपनों में सजना...गीत  को नृत्य वाले अंदाज़ में धूम मचाते हुए प्रस्तुत किया जो नवंबर के कड़ाके ठंड में भी लोगों में उत्साह और ऊर्जा का गर्म वातावरण  संचारित कर दिया पिंकी रामटेके ने भी अपने बेहतरीन अंदाज़ में  सर्द माहौल में .. जा रे जा ओ हरजाई,,, जैसे गीत का तड़का लगा कर मनोरंजन पूर्ण माहौल निर्मित कर दिया तो संजय वर्मा जो अपना परफॉर्मेंस को बड़े गर्म जोशी से सहगायिका पूजा के साथ युगल गीत टाइटल सांग गाता रहे मेरा दिल ... गीत को इतनी खूबसूरती से गाया की लोग दर्शक गण  झूम उठे रायगढ़ से पधारे विशिष्ट गायक लक्ष्मी नारायण पांडे ने  जो छत्तीसगढ़ी एलबम के पार्श्र्व गायक है ने बप्पी दा का सुपरहिट गीत..याद आ रहा है तेरा प्यार.. गीत से हॉल को झूमने  पर विवश कर दिया ,,  कार्यक्रम के दौरान डायरेक्टर नवाब कादिर एवं पार्षद तिलक पटेल के विशेष आमंत्रण पर पूर्व ग्रामीण विधायक रहे   देव जी भाई पटेल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित होकर सभी कलाकारों का उत्साह  वर्धन किया जिनका मंच आसंदी से स्वागत कर सम्मान और स्मृति चिन्ह देकर किया गया इस अवसर पर उन्होंने संक्षिप्त उद्बोधन में कहा कि गीत संगीत भाषा,धर्म जाति,संप्रदाय को एक मंच पर लाकर सभी के दिलों को जोड़ता है  जिसके लिए  तिलक पटेल और नवाब  कादिर,और मंच संचालक लक्ष्मी नारायण लाहोटी को बधाई देते हुए शुभकामनाएं दी इसके पश्चात डायरेक्टर नवाब कादिर और पूजा सिंह ने ...गोरी तेरे अंग अंग में  ...गीत का ऐसा परफॉर्मेंस दिया कि दर्शक अपने स्थान पर झूमने लगें,, आरती पटेल ने ...तूने ओ रँगीले कैसा जादू किया ,,,एकल गीत बहुत सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया दक्षा पटेल ...सात समंदर पार मैं तेरे पीछे पीछे आ गई मैं.....नवाब कादिर पूजा सिंह ड्यूट गीत का... जानू मैं सजनिया...भानु पटेल, ने एकल गीत  गाया, और अतिथि गायक के रूप में सुजीत यादव ने बढ़िया गीत.... चाहिए,,,थोड़ा प्यार..थोड़ा प्यार चाहिए...की बेहतरीन अंदाज़ में प्रस्तुति दी प्रकाश पटेल ने ...दिल जिगर नज़र क्या है गीत को गाया...पिंकी रामटेके  और नवाब कादिर का युगल गीत ..बच के रहना रे बाबा, तुझपे नज़र है.. गीत पर श्रोता  इतने ज्यादा एक्साइट हो गए कि हॉल में सिटी और ताली बजने लगी विशेष अतिथि के रूप से पधारे प्रेस क्लब अध्यक्ष दामू अंबेडारे का स्वागत सम्मान किया गया इस अवसर पर...उनके द्वारा मो रफी का सदाबहार गीत...  तेरी आँखों के सिवा दुनियां में रखा क्या है...को अच्छे ढंग से प्रस्तुत किया गया ...दुर्गेश पुली ने तेरे वास्ते... मेरा इश्क सूफियाना  गीत ने सब को झूमने मजबूर कर दिया है ...संजय पूजा का युगल गीत... ऐसी दीवानगी देखी नही को दोनों ने साक्षात जिया ,,,मधु पटेल ने ..मेरे ख्वाबों में जो आए ...  हरसुख पटेल और मधु  पटेल ने... कौन दिशा में चला रे बटोहिया...जबरदस्त तरीके से प्रस्तुत किया लक्ष्मी नारायण पांडे ने ...चला जाता हूँ किसी की धुन में...गाया तो मंच संचालक लक्ष्मी नारायण लाहोटी,और शशी खिरैय्या युगल ...सावन का महीना पवन करे शोर की प्रस्तुति दी जबकि आर वासु,, आरती पटेल,,,देखा है पहली बार साजन की आंखों में प्यार ,,,मनीष राव ने ...इश्क न चाहे जिसको यार... जाने जिगर जानेमन तुझको है मेरी कसम ...दो घूंट मुझे भी पिला दे शराबी....तुम अगर साथ देने का..  आंखों में काजल है ....हम तेरे बिन रह नही पाते ...आज रपट जाइयों...ये मुरादों की रात किसे पेश करूँ..जैसे गीतों को श्रोता गण  सुनकर झूम कर ताली बजाकरआनंद उठाते रहे जिसे अतिथि गायक बजरंग बंसल ने बड़ी सहजता के साथ सधे हुए अंदाज़ में प्रस्तुत किया वहीं सुजीत यादव ने   .. तू चीज़ बड़ी है मस्त मस्त...गीत को बड़ी परिपक्वता के साथ प्रस्तुत किया  जिसे सुनकर हॉल  में बैठे पूरे श्रोता झूमने लगे ...वही ...रिमझिम के गीत सावन..और दुनिया हसीनों का मेला,,जैसे गीतों की लगातार प्रस्तुति होती रही और दर्शक भी रात बारह बजे तक गीत संगीत का लुत्फ उठाते रहे मजेदार बात यह रही कि नए प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने सभी म्यूज़िकल ग्रुप के सभी डायरेकर ,मंच संचालक,सिंगर बड़ी संख्या में उपस्थित हुए तथा उन्हें अपना स्नेह आशीर्वाद दिया जिनमे कराओके क्लब के अध्यक्ष सर्व श्री अजय आडवाणी और प्रसिद्ध मंच संचालक रविन्द्र सिंह दत्ता  गीत संगीत के साधक,और उसके प्रति समर्पित ,इमरान अली, श्रीमती आशा केवलानी,डी आर साहू,शेष गिरी राव,, बाबा नवाब,रिज़वान भाई, बबलू पांडे,बजरंग बंसल,संदीप तिवारी ,विक्की सोनी  सहित बहुत से  गणमान्य,डायरेक्टर गण,सम्माननीय नागरिक,श्रोता गण उपस्थित हुए तथा नवोदित प्रतिभाओं को अपना आशीर्वाद दिया गाता रहे मेरा दिल म्यूज़िकल ग्रुप के डायरेक्टर नवाब कादिर ने धुन डायरेक्टर अजय आडवाणी का मंचीय आसंदी से माला और श्रीफल प्रदान कर सम्मानित किया इस अवसर पर सब कला साधकों  ने सफल कार्यक्रम हेतु गाता रहे मेरा दिल म्यूज़िकल ग्रुप को बधाई और शुभकामनाएं दी.कार्यक्रम का सफल संचालन, लक्ष्मी नारायण लाहोटी जी ने किया और देर रात तक दर्शकों को बांधे रखने में वे कामयाब रहे

मंगलवार, 15 नवंबर 2022

मृत दंतैल के दांत और सिंघा के सींग को लेकर उठते सवाल कहां गए तस्करी में राजसात किए गए वन्य प्राणियों के अंग अवशेष

 

मृत दंतैल के दांत और सिंघा के सींग को लेकर उठते सवाल कहां गए तस्करी में राजसात किए गए वन्य प्राणियों के अंग अवशेष 


देवपुर के समीप मृत हाथी और उसके दांत


अलताफ हुसैन

रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़) बार अभ्यारण्य क्षेत्र से सटे देवपुर के पकरीद गिधपुर  मार्ग विश्राम गृह के करीब स्थित धरती का सबसे विशाल भारी भीमकाय जानवर हाथी की करंट से मृत्यु विगत दिनों हो गई आनन फानन में उच्च अधिकारियों की देख रेख मे उसका पोस्ट मार्टम करवाकर कथित मृत हाथी को दफना भी दिया गया मृत हाथी के दफन के साथ ही उसके पीछे बहुत से सवाल भी छोड़ दिया जिसको लेकर अब संपूर्ण वन विभाग सहित आम वर्ग  में भी मृत गजराज की मौत और उसके दफन को लेकर तरह तरह की चर्चाएं चल रही है
      चर्चाओं के बीच  एक बहुत पुरानी कहावत की याद भी ताजा हो रही है कहते है जीवित हाथी लाख का और मर गया तो सवा लाख का ज्ञात हुआ है कि मृत गजराज जो विगत कई माह से या एकाध वर्ष पूर्व से बार नवापारा अभ्यारण्य क्षेत्र से लेकर देवपुर अर्जुनी,कसडोल,सहित बलौदाबाजार सिरपुर फुसेराडीह,कोडार क्षेत्र में प्रायः विचरण करते देखा गया एक प्रकार से गजराज उपरोक्त क्षेत्र को अपना रहवास क्षेत्र बना चुका था बताते  चले कि बार नवापारा अंतर्गत रवान परिक्षेत्र जो बार अभ्यारण्य  का एक क्षेत्र है तथा वन विकास  निगम के अंतर्गत आता है उसी के  एक कक्ष क्रमांक में इसी वर्ष चिन्हित पौधों के थिनिंग कार्य के समय जो फरवरी माह से लेकर जून जुलाई तक मे वन विकास निगम द्वारा कराया जाता है उसी कक्ष क्रमांक के क्षेत्र से सायकल पर जा रहे एक दैनिक वेतन भोगी श्रमिक को क्षेत्र में कई माह से विचरण कर रहे दंतैल द्वारा कुचल कर मार दिया गया था यही नही गत वर्ष  मोटर सायकिल से जा रहे दो लोगों में से एक की मृत्यु भी हाथी के हमले से हो चुकी है  अनुमान लगाया जा रहा है कि यह वही दंतैल था जो उपरोक्त क्षेत्र में विगत कई माह से विचरण कर रहा था जिसकी चर्चा कथित मृत हाथी के रूप में किया जा रहा है यही नही इसकी क्षेत्र में लगातार मुक्त वातावरण मे विचरण की पुष्टि स्थानीय ग्रामीण वासी पर्यटक एवं परिक्षेत्र के निगम के अधिकारी,कर्मचारी भी कर चुके है फिर भी  वन विभाग द्वारा आसपास के ग्रामीणों की सुरक्षा करने के कोई सार्थक उपाय नही उठा पाया  जबकि मानव हाथी द्वंद के रोकथाम के लिए प्रति वर्ष वन विभाग करोड़ों का बजट जारी करता है जिसमें महासमुंद वन मण्डल को भी बजट जारी किया जाता है  मगर वहाँ केवल औपचारिक बुकलेट,पाम्पलेट  प्रकाशित  तथा अन्य माध्यम से प्रचार प्रसार कर केवल खानापूर्ति कर सारे बजट का वारा न्यारा कर दिया जाता है महासमुंद वन मंडल द्वारा जन जागरूकता के नाम पर हाथी मूवमेंट के हिसाब से मुनादी जैसे कार्य भर किए जाते रहे है परन्तु हाथी जैसे विशाल प्राणी  से वनवासियों की जानमाल सुरक्षा के कोई उपाय नही किए गए जैसे हाथियों के आवागमन मार्ग को कॉरिडोर बनाकर हल्के विद्युत तारों की फेंसिंग की जाए ताकि वह अन्यंत्र प्रवेश कर जान माल को नुकसान न पहुंचा सके क्योंकि वर्ष भर गजदल एक छोर से दूसरे छोर तक यहां तक महारष्ट्र,एमपी,बिहार  बॉर्डर तक आवागमन करते रहते है वह भी उसी मार्ग से जिस मार्ग से वर्ष भर वे इधर से उधर होते रहते है केवल नर दंतैल हाथी ही अपने चयनित स्थल पर  विचरण करता है मगर यहां जानमाल सुरक्षा के बजाए  सब भगवान भरोसे छोड़ दिया जाता है  जिससे आसपास के ग्रामीणों के लिए सदैव  खतरा और दहशत पूर्ण वातावरण में जीवन व्यतीत करने विवश होना पड रहा है अपनी खड़ी फसल बचाने वे खेत के चारों ओर हल्के झटके देने वाले विद्युत प्रवाहित तार लगाते है ताकि फसल बचाया जा सके परन्तु इसके बावजूद वन विभाग द्वारा मानव सुरक्षा हेतु कोई कारगर उपाय न करने की वजह से माह दो माह में हाथियों की जद में आए ग्रामीणों  की मौत के समाचार प्रकशित होते रहते है जबकि वन्य प्राणियों से सुरक्षा और संरक्षण संवर्धन के लिए केंद्र से भी करोड़ों रुपये आते है परंतु वो सब कहाँ जाता है इसका कोई पुरसाने हाल नही है  उल्लेखनीय है कि देवपुर,अर्जुनी परिक्षेत्रों में प्रायः शिकार की घटना आम है जहां जंगली सुअर हिरण कोटरी,बारह सिंगा  के शिकार के समाचार  मिलते रहते है  परंतु शिकार के लिए बिछाए गए तार से हाथी की मृत्यु होना सब सोची समझी साजिश का नतीजा माना जा रहा है कुछ तो मानव अपनी जान की सुरक्षा को लेकर ग्रामीणों के द्वारा गजराज के निर्धारित आवागमन मार्ग में हाई वोल्टेज विद्युत प्रवाह तार का मक्कड़ जाल बिछा दिया गया ताकि हाथी करंट संपर्क में आकर अकाल मृत्यु का निवाला बन सके और ऐसा हुआ भी तभी तो पांच दिन से ऊपर उसकी मृत काया वहां पड़े रही औऱ  सड़ने की स्थिति में पहुंच गई जबकि गजराज को मारने उक्त क्षेत्र मे उच्च दाब लगभग 1100 वॉट का तार बिछाया गया था जबकि 440 वॉट के झटके  से ही अच्छे अच्छे प्राणी का खून पल भर में सुख जाता है फिर कथित क्षेत्र में 
लगातार चारवाहे, आम लोगों का आवागमन होता रहता है फिर भी उसके मृत होने की सूचना समीप स्थित वन विभाग कार्यालय में देना किसी भी ग्रामीण ने उचित नही समझा जबकि करीब ही विभागीय कार्यालय और विश्रामगृह है जिसे मद्देनजर रख कर  वहां भला कोई शिकारी तार बिछाकर वन्य प्राणियों का शिकार करने की हिमाकत और साहस कैसा करेगा ?  यह तब ही संभव है जब तक वन विभाग कर्मियों की शिकारियों से सांठगांठ न हो उसका ही परिणाम कहा जा सकता है अवैध शिकार का यह परिक्षेत्र केंद्र बिंदु बना हुआ है गौर तलब है कि कुछ दिन पूर्व भी एक व्यक्ति की जान ऐसे ही विद्युत पाश की चपेट में आने से हो गई थी 


हाथी दांत 

फिर क्षेत्र के रेंजर सहित वन कर्मी तत्काल एक्शन में क्यों नही आए ? जबकि परिक्षेत्र में बड़ी संख्या में फॉरेस्ट गार्ड रहते है वे ना ही वन क्षेत्रों का औचक भ्रमण करते है  और ना ही  शिकारियों काष्ठ तस्करों पर नकेल कसते है  इसका मतलब स्पष्ट है कि कथित परिक्षेत्र में ग्रामीणों,तस्करों  का एक ही लक्ष्य है कि वन जीवों को शिकार बनाना और उसका मांस भक्षण के साथ सिंग, खाल(चर्म) और कीमती अंग  अवशेष जैसे नाखून, इत्यादि की तस्करी करना जैसा मुख्य उद्देश्य मात्र रह गया है इसमें वन कर्मियों और तस्करों से बराबर सांठ गांठ रहता है जिन पर से विभागीय अधिकारियों का अंकुश पूरी तरह से हट चुका है या फिर इनके संरक्षण में शिकार की घटना को अंजाम दिया जा रहा है बताते चले कि देवपुर के प्रभारी रेंजर पंचराम यादव जो लंबे समय से देवपुर में जमे हुए है उनके ऊपर भी भ्रष्टाचार सहित बहुत से वर्षों पूर्व किए गए घटनाओं में आरोप लग चुके है तथा ज्ञात यह भी हुआ है कि शिकार अवैध संलिप्तता के कारण  वे लाल बंगले की सैर भी कर चुके है फिर भी उन्हें रेंज प्रभार देकर महिमा मंडित किया गया है इस संदर्भ में बताया जाता है कि वर्तमान किसी मंत्री का वरद हस्त प्राप्त होने के कारण वे बिंदास यहां जमे हुए है और देवपुर परिक्षेत्र को चारागाह समझ कर खोखला कर रहे है तथा सर्वाधिक शिकार और अवैध कटाई,विभागीय निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार बांस  करील की चोरी इत्यादि इनके ही कार्यकाल में हुए है ज्ञात तो यह भी हुआ है विभाग में बहुत से अधिकारी किसी न किसी मंत्री का करीबी होने का लाभ उठा रहा है एक प्रकार से ...जब सैय्या भयो कोतवाल तो अब डर काहे का.... वाली उक्ति यहां चरितार्थ होती नजर आ रही है ..कोई केंद्रीय मंत्री का करीबी,तो कोई छग के कोई,विधायक, मंत्री का विद्यार्थी जीवन काल का मित्र तो कोई मुख्यमंत्री के पाटन क्षेत्र का रहवासी होने का लाभ खुलकर उठा रहा है हालांकि किसी विधायक,मंत्री,छात्र सखा,या उनके निवास   क्षेत्र में रहने के कारण कोई विधायक मंत्री उन्हें बचाने नही आएंगे बल्कि संरक्षण देने से विपरीत ऐसे विशिष्ट जनों की बनी बनाई साख पर धब्बा लगेगा साथ ही जनता यह आरोप लगाएगी कि अब मंत्री ही अपने संरक्षण में ऐसे मैदानी अमले के अधिकारियों से अनैतिक कृत्य और भ्रष्ट कार्य करवा रहा है तब उनकी भावी राजनीतिक जीवन पर व्यापक बुरा प्रभाव पड़ सकता है इधर मंत्री विधायकों के नाम की आड़ में अधिकारी पूरी तरह से बेलगाम हो चुके है तथा अपनी मर्जी से वन नियम के इतर अपना जंगल कानून चला रहे है जिसकी वजह से  वनों की सुरक्षा का कोई माई,बाप नही  वन कर्मचारी भी खुले रूप मे अपने अपने क्षेत्रों में आतंक मचाए हुए है वन क्षेत्रों के भीतर होने वाले निर्माण कार्य से लेकर,अवैध,कटाई, शिकार,तस्करी, आम हो चुके है ऐसे भ्रष्ट अधिकारीयों पर अब विभागीय डंडा नही चलता बल्कि उसकी पीठ थपथपाकर उसे संरक्षण प्रदाय किया जाता है अधिक होने पर केवल इधर से उधर कर और मलाईदार जगह में बैठाया जाता है ताकि वह ज्यादा से ज्यादा मलाई दे सके  यही कारण है कि ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों के नियुक्ति के कारण वन क्षेत्र में लगातार अवैध कटाई,शिकार,तस्करी के चलते वन्य प्राणियों की मौत की घटना की पुनरावृत्ति होती रहेगी और  गजराज,बारहसिंगा, हिरण,कोटरी,वन भैंसे जैसे शेड्यूल एक श्रेणी के वन्य प्राणियों की अकाल मृत्यु जैसी भयावह हृदय विदारक घटना होते रहेगी और फिर  एकाध,दो ग्रामीण और छोटे वन कर्मी को बलि का बकरा बना कर प्रकरण की इति श्री मान ली जाएगी परन्तु देवपुर परिक्षेत्र के गिधपुर मार्ग मे करंट से मृत गजराज के दफन के साथ ही बहुत से सवाल भी खड़ा कर दिया है जैसे बताया गया है कि दंतैल की मृत्यु चार से पांच दिन पूर्व हो चुकी थी सडांग बदबू के पश्चात ज्ञात हुआ कि हाथी मरा हुआ है इसके पश्चात वहां जेसीबी भी पहुंच गया और उसे गुपचुप तरीके से दफन की तैयारी भी हो चुकी थी परंतु जब पिथौरा के सक्रिय  पत्रकारो को इसकी भनक लगी तब वे मौका स्थल पहुंच कर एक मात्र फोटो,और वीडियो क्लिप शूट कर सोशल मीडिया में समाचार वायरल किया तब संपूर्ण वन विभाग में हड़कंप मच गया 


पकड़े गए बारह सिंगा के सींग

और आनन फानन में वरिष्ठ अधिकारी मौका स्थल पर पहुंचे यदि समाचार बाहर नही आता तो संभवतः जेसीबी मशीन जो पहले ही पहुंच चुकी थी  समाचार  वायरल होने के पहले ही उसे दफना दिया जाता और किसी को कानों कान खबर नही लगती और एक बहुत बड़ी घटना को गुपचुप तरीके से निपटा दिया जाता सवाल उठता है कि  विश्राम गृह के समीप  गिदपुरी मार्ग में चार पांच दिन से ऊपर मृत दंतैल जो पूरी तरह फूल कर अकड़ चुका था उसके शव का किस तरह डॉक्टरो ने पोस्ट मार्टम किया ? क्योंकि सडांग बदबू की वजह से वहां खड़ा होना दुरूह था  फिर तीन से चार डॉक्टरों ने संपूर्ण पोस्टमार्टम प्रक्रिया की वीडियो ग्राफी,फोटो ग्राफ मीडिया में क्यो नही भेजा ? मीडिया कर्मियों को समाचार कव्हरेज करने क्यों रोका गया ? यह सवाल विभागीय कर्मियों सहित आम नागरिकों के मन में कौतूहल और चर्चा का विषय बन चुका है कि पत्रकारों को भी पोस्टमार्टम होने के पूर्व एवं पोस्टमार्टम होने के  पश्चात मौका स्थल में जाकर फोटो लेने और समाचार संकलन करने  रोक दिया गया जबकि किसी विशिष्ट जन की मृत्यु और दाह संस्कार प्रक्रिया में पूरे मीडिया बिरादरी को कव्हरेज करने बुलाया जाता है मगर यहां ऐसा कुछ भी नही किया गया जबकि गजराज जो भगवान गणेश स्वरूप  पूजा जाता है फिर भी पोस्टमार्टम के और दफन होने के पूर्व के फोटो वीडियो  सार्वजनिक नही किया गया


बारह सिंगा का अंतराष्ट्रीय मूल्य 

  इससे मृत दंतैल के संपूर्ण  विभागीय कार्यवाही को लेकर बहुत से सवाल खड़े हो गए है यह स्थिति प्रदेश के एक अन्य वन क्षेत्र में घटित हो चुकी है जहां गजराज का कंकाल भर बचा था  और दांत गायब हो चुके थे जिसकी वजह से एक पीसीसीएफ रैंक के अधिकारी को लूप लाइन में जाना पड़ा था  आखिर दंतैल जिसके दांत की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में लाखों करोड़ों की है कहीं पोस्टमार्टम की आड़ में कीमती दांत तो नही निकाल लिए गए ? बताते चले कि पश्चिम बंगाल में 17 किलो हाथी के दांत पकड़े गए थे, जिनकी अंतरराष्ट्रीय मार्केट में वैल्यू करीब एक करोड़ 70 लाख रुपये है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसके एक किलो की वैल्यू 10 लाख रुपये है. यानी अगर हाथी दांत 10 किलो के हैं तो उसके 1 करोड़ रुपये केवल दांत का मूल्य होता है इसलिए भी यह कहावत आज तक कहा जाता है कि जिंदा हाथी की कीमत लाख रुपये है तो मरने के बाद वह सवा लाख का होता है  वही एक अन्य प्रकाशित  समाचार की माने तो दिल्ली मे 28 अप्रेल 2022 को एक 23 वर्षीय महिला से बारहसिंगा के तीन किलो सिंग बरामद किए गए थे जिस की अंतरराष्ट्रीय कीमत  डेढ़ करोड़ बताई गई है उल्लेखनीय है कि लगभग चार माह पूर्व महासमुंद वन वृत के बागबाहरा परिक्षेत्र के लगभग छह किलोमीटर दूर स्थित हाथी गढ़ के सुकरा गौठान के समीप सात जुलाई को एक बारह सिंगा की मौत हो गई थी जिसे पहले दफना दिया गया पश्चात  ग्राम के आवारा श्वान के नोचकर बाहर निकाले जाने पर उसे खल्लारी वन क्षेत्र में कहीं फेक दिया गया ऐसा परिक्षेत्राधिकारी विकास चन्द्राकर का कथन था घटना के पीछे की कार्यवाही पंचनामा से लेकर पोस्टमार्टम तक का ब्यौरा तथा उसके नष्टीकरण,और लिखित प्रक्रिया, के संदर्भ में रेंजर द्वारा वन अधिनियम में परिवर्तन जैसी गोलमोल बातों को लेकर  विकास चन्द्राकर परिक्षेत्राधिकारी बागबाहरा  की भूमिका भी संदिग्ध बनी हुई है क्योंकि ज्ञात यह भी हुआ है कि बारहसिंगा की रिपोर्ट ऊपर मुख्यालय नही भेजी गई जो संदेह के दायरे में है बताया जाता है कि बारहसिंगा के मृत्यु पश्चात रेंजर विकास चन्द्राकर  पन्द्रह दिवस का  लंबा अवकाश लेकर अंतर्धान हो गए थे 

हाथी दांत का अंतरराष्ट्रीय मुल्यांकन


बारह सिंगा के शव को लेकर अपनाई गई प्रक्रिया और उसके वास्तविकता जानने के  लिए  सूचना का अधिकार लगाकर संबंधित जानकारी मांगी जाएगी  बहरहाल, महासमुंद और बलौदाबाजार परिक्षेत्रों में अवैध शिकार की घटना बहुत अधिक बड़ी है जिसमे यदाकदा कुछ तस्करों पर विभाग द्वारा वन अधिनियम के तहत कार्यवाही भी की जाती है जिसमे कार्यवाही पश्चात तस्करों से वन्य प्राणियों  की खाल,सींग नाखून दांत,जैसे अवशेष भी बरामद कर  विभाग द्वारा राजसात किया जाता रहा है परंतु तस्करों पर कार्यवाही पश्चात वन्य प्राणियों के ऐसे खाल,दांत,सींग, नाखून,अवशेष जो राजसात किए जाते है वह जाता कहाँ है ? क्योंकि वन विभाग ऐसे  तस्करों पर खाल चमड़े, नाखून,दांत  इत्यादि को लेकर वन्यजीव अवशेष  तस्करी के नाम पर  कार्यवाही तो आज से नही अपितु वर्षों से कर  रही है परंतु राजसात किए गए वस्तुओं का क्या किया गया ? कौन से भंडारण में रखा गया ? इसका आज तक कोई ब्यौरा सार्वजनिक नही किया गया जो वन विभाग के कार्यशैली पर भी संदेह की उंगली उठाता है वही एक पर्यावरण,प्रकृति, वन्यजीव प्राणी प्रेमी द्वारा इसकी शिकायत और जांच की मांग

       7 जुलाई 22 को मृत बारह सिंगा


अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ  *( IUCN)*  में करने की बात कही है बताते चले कि यह अंतरराष्ट्रीय संघ के द्वारा  *(red data book )* रेड डेटा बुक जारी  करती है जिसमे पौधों और जानवरों की प्रजाति  की वैश्विक संरक्षण की स्थिति को दर्शाया जाता है उदाहरण हाथी और हिरण इसकी (red data book) में है,


           देखे वीडियो 

 *(CITES)* संस्था के परिशिष्ट i में जिसमे शामिल वन्य प्रजाति जैसे हाथी हिरन जिन्हें व्यापार से  और अधिक खतरा हो सकता उसपर प्रतिबन्ध लगाती है इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय ही नही अपितु भारत सरकार द्वारा भी वन्य जीवों पर खतरे को।कम करने हेतु *वन्य जीव (संरक्षण ) अधिनियम*),1972 पारित किया है जिसके अंतर्गत वन्य जीवों  के अवैध शिकार तस्करी अवैध व्यापार को  नियंत्रित करने हेतु पूर्णतः प्रतिबंधित किया है इस अधिनियम के तहत सरकार ने कठोर सजा व जुर्माने का प्रावधान भी दिया गया है इस अधिनियम के अनुसूची 1 में बारह सिंगा और हिरण दोनों  शामिल है इसमें शामिल जीवों का शिकार करने पर धारा 2,8,9,11,40,41,43,48,51,61 तथा धारा 62 के तहत कठोर दंड और जुर्माने की सजा का प्रावधान किया गया है परंतु तस्करों पर विभागीय कार्यवाही खाना पूर्ति की जाती है और वन्य प्राणियों के बाल से लेकर खाल और अंग अवशेषों की  तस्करी और शिकार आज भी छग प्रदेश के सघन वन क्षेत्रों में अनवरत जारी है

सोमवार, 14 नवंबर 2022

गीत गुंजन के गीतों को सुनकर गर्मी बढ़ी लोग प्यास से इधर उधर भटकने लगे

 गीत गुंजन के गीतों को सुनकर गर्मी बढ़ी लोग प्यास से इधर उधर भटकने लगे 

गीत गुंजन म्यूज़िकल ग्रुप द्वारा मायाराम सुरजन हॉल में  नए पुराने सुपरहिट गीत की श्रृंखला में एक से बढ़कर एक गीत की प्रस्तुति दी गई गीतों में प्रेम,विरह,जज़्बात,सौंदर्य, जैसे केंद्रित विषय पर गीतों की भरमार रही ...हम को हमी से चुरा लो ,,मैं शायर बदनाम... तुम क्या मिले जाने जां....प्यार हमारा अमर रहेगा...परदेसिया ये सच है पिया ...जिसे देख मेरा दिल धड़का...(.देवेश शर्मा)सह संचालक सिंगर ने पूरा माहौल बना दिया श्रोता अपने सीट पर नाचने लगे तेरे मेरे बीच मे कैसा है ये बंधन अंजाना....

राजेन्द्र शर्मा (संरक्षक सिंगर)और नीतू लहरे ने युगल गीत ....हम तुम से मुहब्बत कर के दिन रात सनम रोते है....बादल यूं गरजता है डर कुछ ऐसा लगता है....जहां में कोई प्यार का दीवाना हो गया जहां...(ग़ज़ल) स्व.भूपेंद्र जी,बप्पी दा को श्रद्धांजलि स्वरूप अशोक जी नीतू लहरे ने युगल गीत ... किसी नज़र को तेरा इंतजार आज भी है.....प्रस्तुति पर श्रोताओं का दिल जीत लिया और प्रत्येक अंतरे में श्रोताओं ने खड़े होकर ताली बजाकर दोनों कलाकारो का स्वागत किया पश्चात ज्योति और प्रभात जी ने... तुझ संग प्रीत लगाई सजना....गीत से ...लुटे कोई मन का नज़र ..दिल जाने जिगर तुझपे निसार किया है....मदहोश दिल की धड़कन... तू जब जब मुझको पुकारे मैं दौड़ी चली आई नदिया किनारे..... तेरी इसी अदा पे सनम प्यार आया....मैं न भूलूंगा... कह दूं तुम्हे या चुप रहूं...जैसे सुपर हिट गीत की प्रस्तुति

क्रमशः संगीता अजीत,प्रभात जी पांडे,नीतू लहरे,थापस कांति बोस, अशोक जी,अनामिका गुप्ता,देवेश शर्मा जी,राजेन्द्र शर्मा जी, डायरेक्टर डी. आर.साहू ने बहुत सुंदर अंदाज़ में अपने गीतों की प्रस्तुति दी  समस्त कलाकारों में परिपक्वता नज़र आई सब ने अपनी प्रस्तुति और गाए जाने वाले गीत के साथ पूरा न्याय किया  नवंबर की ठंड और हॉल में लगे ए सी.ने बहुत से श्रोताओं को चाय की तलब बड़ा दी तो वे प्रोग्राम छोड़ कर नव भारत प्रेस की ओर बढ़ गए  जिससे कार्यक्रम हॉल में श्रोताओं की कमी दिखी वही मंचीय आसंदी से कलाकारों के जबरदस्त परफॉर्मेंस और गीतों को सुनकर श्रोताओं ने जोरदार तरीके से ताली बजा बजा कर उनका स्वागत किया लगातार ताली बजाने से श्रोताओं की हथेली पॉइंट पर एक्यूप्रेशर हुआ जिसकी वजह से बहुत से श्रोताओं का शरीर का खून गर्म होकर रगों में दौड़ने लगा और उनकी प्यास बढ़ गई और  दोनों ही वस्तुओं चाय और पानी  का अभाव कार्यक्रम स्थल में  दिखा और श्रोता गण चाय की तलब,और  प्यास की शिद्दत मिटाने यत्रतत्र  भटकने लगे और कई श्रोता प्यास,चाय की तलब मिटाने   हॉल से बाहर चले गए इतना सुंदर ढंग से गीत गुंजन कलाकारों की बेहतरीन प्रस्तुति तब नगण्य सी हो गई जब पानी के अभाव में श्रोता प्यासे भटकते दिखे बेहतरीन कार्यक्रम के साथ नई व्यवस्था प्रारंभ करने के लिए गीत गुंजन म्यूज़िकल ग्रुप बधाई की पात्र है 

शनिवार, 12 नवंबर 2022

स्मृति सभा में लेखकों और साहित्यकारों ने याद किया मैनेजर पांडेय को

 स्मृति सभा में लेखकों और साहित्यकारों ने याद किया मैनेजर पांडेय को



रायपुर. हिंदी आलोचना के महत्वपूर्ण स्तंभ मैनेजर पांडेय के निधन पर रायपुर जन संस्कृति मंच की ओर से उनके व्यक्तित्व और कृतित्व का मूल्यांकन करते हुए श्रद्धांजलि दी गई. स्थानीय वृंदावन हॉल में संपन्न हुए आयोजन का संचालन करते हुए जसम रायपुर के अध्यक्ष आनंद बहादुर ने कहा कि हिन्दी आलोचना ही नहीं, सम्पूर्ण भारतीय समाज, और भारत सहित दूसरे देशों की साहित्यिक सांस्कृतिक सामाजिक चेतना से मैनेजर पांडे का गहरा सरोकार था. एक तरह से वे समस्त मानवता के प्रवक्ता थे. मैनेजर पांडे के जाने से जो समाज को हानि हुई है उसकी भरपाई मुश्किल है, लेकिन जैसा कि वे कहा करते थे कि आदमी चला जाता है लेकिन पूरा आदमी कभी नहीं जाता.उसकी सोच,उसका लेखन और कार्य उसे कई हिस्सों में जिंदा रखता है. मैनेजर पांडेय भी हमारे बीच ज़िंदा रहने वाले है.


युवा आलोचक भुवाल सिंह ठाकुर ने अपने आत्मीय अनुभव को साझा किया. उन्होंने कहा कि सभी शिक्षकों के बीच उनका आकर्षण इतना जबरदस्त था कि वे हमेशा विद्यार्थियों से बातचीत करते नजर आते थे.


बातचीत में वे इतने सरल और सहज थे कि उनकी महानता छिप जाती थी और कोई कल्पना नहीं कर पाता था कि वे कितने महान लेखक और आलोचक थे. मगर जब कोई छात्र पुस्तकालय पहुंचता तो वहां उनका काम बड़े स्तर पर दिखता था.वे शब्दों की विलासिता से अलग शब्दों के कर्म पर यकीन रखते थे. उनके साहित्य में हमें गांव की चौपाल व वहां मौजूद दिल्लगी की झलक मिलती है. वे कहते थे “जो व्यक्ति लोकल होगा, वही व्यक्ति ग्लोबल होगा. वे पहले ऐसे शख्स थे जो रस, छंद, से अलग एक समाजशास्त्रीय नजर से दुनिया को देखते थे. उनकी किताब 'साहित्य का समाजशास्त्र' इसकी एक बानगी है. 


लेखक और पत्रकार समीर दीवान ने अपने वक्तव्य में कहा कि उनकी एक किताब में मनुस्मृति में जो वर्गवाद है, उसे बतलाया है और वर्णव्यवस्था की तुलना वज्रसूची से की है. उनकी प्रासंगिक बातों को और अधिक मुखरित करने की जरूरत है. उनके विद्यार्थियों को इस ओर और अधिक ध्यान देने की जरूरत है.


जसम रायपुर के सचिव मोहित जायसवाल ने कहा कि वे विज्ञान के छात्र होने के बावजूद मैनेजर पांडे के व्यक्तित्व की ओर आकर्षित होते रहते थे. और इसी ने उन्हें साहित्य की ओर आने की प्रेरणा दी. मैनेजर पांडे के दिवंगत होने से साहित्य जगत ही नहीं पूरे भारतीय समाज का नुकसान हुआ है. उनका लिखा हुआ समाज व युवा पीढ़ी का निरंतर मार्गदर्शन करता रहेगा. आज के युवाओं को मैनेजर पांडे के व्यक्तित्व और कृतित्व से सीखने की जरूरत है.


मैनेजर पांडेय की छात्रा रही पूनम ने कहा कि मेरे मन में स्मृति का ज्वालामुखी मन में फूट पड़ा है. जहां भी हमारे गुरू का लेक्चर होता था, हम वहां पहुंच जाते थे. उनका व्यवहार विद्यार्थियों के साथ बहुत ही सहज व सरल था. वे कहते थे साहित्य को सिर्फ पढ़ना ब्लकि उसे जीना चाहिए.


प्रगतिशील लेखक संघ के अध्यक्ष वरिष्ठ कवि आलोक वर्मा ने कहा कि मैनेजर पांडेय का जीवन साहित्य के आलोक में संपूर्ण साहित्य की सामाजिकता को लेकर सचेत रहा. वाम चेतना में दो तरह की वैचारिकी देखी जाती है, एक सैद्धांतिक व दूसरा व्यावहारिक. वे व्यावहारिक पक्ष के व्यक्ति थे. वे जेएनयू में रहते हुए छात्र आंदोलनों में सक्रिय रहे. जब हमारे देश में नक्सलबाड़ी आंदोलन हुआ तो उस दौर के साहित्य को केन्द्र में लाते हुए उन्होंने कई प्रमुख कार्य किए. उनके प्रिय कवि नागार्जुन थे जिनके संग्रह का उन्होंने प्रकाशन किया.अपनी किताब की भूमिका में उन्होंने समाज का संकट, सोवियत संघ के संकट व विदेशी लेखों के अनुवादों को स्थान दिया था. प्रचुर लेखन के बाद भी वे कभी विवादास्पद नहीं हुए. उन्होंने काफी विपुल लेखन किया है. उनकी समग्र रचनावली लाने की जरूरत है. एक बड़ा व्यक्ति जाता है तो बहुत कुछ साथ ले जाता है और बहुत कुछ छोड़ जाता है, उस कृतित्व को हमें सामने लाने की जरूरत है. 


अपने संबोधन में 'छत्तीसगढ़ मित्र' पत्रिका के संपादक तथा आलोचक सुधीर शर्मा ने कहा कि जो काम रामचंद्र शुक्ल पूरा नहीं कर पाए उसे प्रो. मैनेजर पांडेय ने पूरा कर दिखाया. कुछ लोग महापुरुषों को अलग विचारधारा की ओर ले जाने का प्रयास करते हैं. इन महापुरुषों को हमें बचाने का प्रयास करना होगा. उन्होंने माधव राव सप्रे का मूल्यांकन कर राष्ट्रीय रूप से उन्हें स्थापित करने का जो कार्य किया, उसके लिए छत्तीसगढ़ सदैव उनका ऋणी रहेगा. सुधीर शर्मा ने वादा किया कि 'छत्तीसगढ़ मित्र' का एक  विशेषांक प्रो. मैनेजर पांडेय को समर्पित रहेगा.


रायपुर इप्टा के अध्यक्ष मिनहाज असद ने इस बात पर दुख जताया कि प्रो. मैनेजर पांडेय को जितनी कवरेज अंग्रेजी अखबारों ने दी उतनी हिन्दी अखबारों ने नहीं दी.


इप्टा के साथी बालकिशन अय्यर ने अपने उद्बोधन में कहा कि आप प्रो. मैनेजर पांडेय को किस दृष्टि से देखते हैं यह आपकी वैचारिकी पर निर्भर करता है. उनके आर्टिकल्स को पढ़कर आप समझ पाते हैं कि उनमें एनालिसिस और क्रिटिसिज्म की कितनी गहराई होती थी. उनके द्वारा किए गए कार्य को लेकर तमाम अखबारों में बेहतर कवरेज आने चाहिए थे.


रायपुर के वरिष्ठ पत्रकार रंगकर्मी और अपना मोर्चा डॉट कॉम के संचालक

राजकुमार सोनी ने अपने वक्तव्य में कहा कि प्रो. पांडे सिर्फ साहित्य के आलोचक नहीं थे. उन्होंने उन तमाम विषयों पर भी कलम चलाई जिस पर लोग लिखने से बचते थे. उन्होंने हमेशा बुद्धि और वैज्ञानिक चेतना को संपन्न करने का काम किया. वे सिर्फ कविताओं या कहानियों के ही आलोचक नहीं थे बल्कि हिन्दी समाज के आलोचक थे.उनमें क्या गजब का आकर्षण था कि लोग उनका लेक्चर सुनने के लिए इंतजार करते थे.


अंत में युवा पत्रकार और लेखक अमित चौहान ने प्रो. मैनेजर पांडेय को अखबारों में दिए जा रहे कवरेज के बारे में कहा कि प्रो. पांडे जिस भाषा में जीवनभर लिखते रहे, जिसकी सबसे ज्यादा सेवा की उसमें ही उनको कम याद किया गया. प्रो. पांडे ठीक ही कहते थे कि “भाषा सिर्फ लिखने-पढ़ने से ही मजबूत नहीं होगी, उसके लिए संघर्ष करना पड़ता है.” उनकी बातें आज के परिदृश्य में सटीक जान पड़ती हैं. हमें उम्मीद है कि उनका लेखन और उनका कृतित्व भाषायी अंधकार को तोड़ने का काम करेगा.


साहित्य और समाज के इस महान युग दृष्टा आलोचक और गुरु को श्रद्धांजलि देते हुए दो मिनट के मौन के पश्चात श्रद्धांजलि सभा का समापन हुआ.


कार्यक्रम में मधु वर्मा, वसु गंधर्व, इन्द्र कुमार राठौर, अजुल्का सक्सेना, रामचंद्र सहित बड़ी संख्या में बुद्धिजीवी मौजूद रहे.

बुधवार, 9 नवंबर 2022

प्रख्यात आलोचक मैनेजर पांडेय की श्रध्दांजलि सभा 11 नवम्बर को



प्रख्यात आलोचक मैनेजर पांडेय की  श्रध्दांजलि सभा 11 नवम्बर को 

रायपुर. हिंदी में मार्क्सवादी आलोचना के प्रमुख हस्ताक्षर और जन संस्कृति मंच के पूर्व अध्यक्ष  डॉक्टर मैनेजर पांडे का विगत दिनों निधन हो गया था. उनकी स्मृति में जन संस्कृति मंच की रायपुर ईकाई ने  11 नवम्बर शुक्रवार की शाम 7 बजे सिविल लाइन स्थित वृंदावन हाल के मीटिंग कक्ष में एक श्रद्धाजंलि सभा का आयोजन किया है. जिसमे रायपुर ईकाई के अध्यक्ष आनंद बहादुर ने समस्त साहित्यकारों, लेखकों, संस्कृतिकर्मियों और कलाकारों से उपस्थिति का आग्रह किया है.

गुरुवार, 3 नवंबर 2022

बारह सिंगा की मौत,के बाद दफन मृत वन्य प्राणी बन रहे आवारा कुत्तों की खुराक- रेंजर चंद्राकार चला रहे अपना कानून

 बारह सिंगा की मौत,के बाद दफन  मृत वन्य प्राणी बन रहे आवारा कुत्तों की खुराक- रेंजर चंद्राकार चला रहे अपना कानून


(बदहवास जीवित बारहसिंगा डबरी में  7 जुलाई 22 )

अलताफ हुसैन

रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़) महासमुंद वन वृत अंतर्गत बागबाहरा परिक्षेत्र इस समय काफी चर्चा में  है इसकी वजह भ्रष्टाचार और गड़बड़ घोटाला नही बल्कि अवैध शिकार और दुर्घटना में हिरण,कोटरी, चीतल,सहित बारह सिंगा के मृत होने के पश्चात उसे खुले वन क्षेत्र में फेकना बताया जा रहा है  मृत शव के सड़ने,गलने के वजह से  फैलते दुर्गंध और संक्रमण  का खतरा वन्य क्षेत्र के भीतर निवासरत वन प्राणियों पर बढ़ रहा है साथ ही मृत वन्य प्राणीयों के शरीर के चर्म, (खाल)सींग इत्यादि की तस्करी की आशंका भी बढ़ गई है जिसमे बागबाहरा परिक्षेत्राधिकारी विकास चंद्राकर सहित विभागीय कर्मचारियों द्वारा क्षेत्र मे जंगल कानून चलाए जाने वाली भूमिका पर  अनेक प्रकार के उठते प्रबल सवाल के साथ उनके कार्यशैली पर भी संदेह व्यक्त किया जा रहा है

(पानी के बाहर आते ही मृत बारह सिंगा)


 उल्लेखनीय है कि इसी वर्ष जुलाई 2022 को छ अथवा सात तारीख के दरमियान एक बारहसिंगा को बागबाहरा परिक्षेत्र से लगभग छ किलोमीटर दूर स्थित ग्राम हाथीगढ़ के समीप स्थित सुकरा गौठान के
 डबरी में  बदहवास घायल अवस्था में   देखा गया पश्चात वह डबरी के समीप पहुंचते ही मृत हो गया अब उसकी मौत कैसे हुई यह जांच का विषय हो सकता है परंतु ग्राम के प्रत्यक्ष दर्शियों के अनुसार उसके पेट के समीप लंबा चोट का निशान होना बताया गया अब यह चोट शिकारियों द्वारा पहुंचाया गया या कमार जनजाति के वनवासियों द्वारा शिकार के उद्देश्य से बारह सिंगा को चोटिल किया गया या फिर आवारा कुत्तों की भीड़ ने उसे नोचा खसोटा यह तो ज्ञात नही परंतु मृत बारह सिंगा को औपचारिक  कार्यवाही के पश्चात उसी वन क्षेत्र  में कहीं दफना दिया गया इसकी पुष्टि हेतु जब ग्राम हाथीगढ  पहुंचा गया तब वहां के वन चौकीदार इशालु ने बताया कि दिनांक 6-7 जुलाई 22   के प्रथम सप्ताह  में एक बारह सिंगा बदहवास हालत में गौठान के डबरी के पास पहुंचा(देखे फोटो ) तब तक वह जिवित था परंतु बाहर आते ही वह कैसे मृत अवस्था में पहुंच गया यह जांच का विषय है  जिसके उदर हिस्से में गहरा जख्म था उसने बताया कि अति संवेदन शील प्राणी होने की वजह से उसके मृत होने की बात बताई  गई तथा परिक्षेत्र अधिकारी के दिशा निर्देश पर आसपास सघन वन क्षेत्र में मृत वन्य प्राणी के शव को दफना दिया जाना बताया पश्चात रात्रि में किसी वन्य प्राणी या  आसपास ग्राम के श्वानों के द्वारा उसे पुनः कब्र से बाहर निकाल दिया गया जिसे सूचना पश्चात उक्त शव को बाद में खल्लारी स्थित पहाड़ियों के वन क्षेत्र में किसी एक स्थान पर  ले जाकर डंप कर दिया गया अब उस मृत शरीर के साथ उसके खाल,सींग का क्या हुआ ज्ञात नही परंतु आशंका वक्त की जा रही है कि उसे स्थानीय श्वान द्वारा नोच नोच कर खा लिया गया ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम क्षेत्र के श्वान इतने खूंखार हो गए है कि बकरी इत्यादि को चीर फाड़ कर अपनी खुराक बना लेते है संभावना व्यक्त की जा रही है कि श्वान द्वारा हमले से इस प्रकार की घटना आए दिन क्षेत्र में होती होगी या फिर शिकारी द्वारा शिकार किए जाने का संदेह व्यक्त किया गया जिससे दो माह के अंतराल में तीन से चार शाकाहारी वन्यप्राणी,चीतल,कोटरी, हिरण,बरहसिंगा,असमय काल ग्रास बन गए है


(मृत बारहसिंगा के चोट को इमोजी बनाकर छुपाया गया)

 यही नहीं खल्लारी स्थित साजा ग्राम के वन क्षेत्र में डंप किए गए मृत शव के मांसाहारी वन्य प्राणी द्वारा भक्षण की  प्रतिदिन  फोटो वीडियो ग्राफी के माध्यम से अधिकारियों को अवगत भी कराया जाता है ऐसा वन चौकीदार इशालु  ने बताया पर अब तक कि इसकी पुष्टि या फोटो ग्राफ सामने नही आए जबकि वन नियम में किसी हिंसक वन्य प्राणी जिनमे शेर,चीता इत्यादि के द्वारा शिकार करने की स्थिति मे वन्य प्राणी के क्षत विक्षप्त शव का परीक्षण और पंचनामा   पश्चात उसी स्थल पर छोड़ दिया जाता है तथा बकायदा ट्रैप कैमरा की मदद से उसकी निगरानी की जाती है ताकि कोई मानव द्वारा शव से छेड़ छाड़ न कर सके तथा उस शव का भक्षण खूंखार जानवर द्वारा किया जा सके परंतु ऐसी कोई प्रक्रिया न करते हुए वन चौकीदार के कथन अनुसार किसी स्थान में मृत बारह सिंगा को दफन कर दिया गया जिसकी रिपोर्ट की प्रति आज तक सीसीएफ कार्यालय वन्य प्राणी,एवं रायपुर सीसीएफ कार्यालय में नही भेजी गई ताकि मृत बारह सिंगा के पंचनामा ,पी एम रिपोर्ट,एवं वरिष्ठ अधिकारी की उपस्थिति में उस्का दाह संस्कार की वीडियो ग्राफी जैसी प्रक्रिया के पक्के सबूत से जानकारी मिल सके परन्तु बागबाहरा परिक्षेत्र के कर्मियों द्वारा  ऐसी कोई प्रक्रिया अपनाई नही गई  वही  चर्चा इस बात को लेकर जम कर है कि  मृत बारह सिंगा सहित अन्य वन्य प्राणियों के शरीर की खाल और उसके सींग को निकाल कर तस्करी किए जाने की आशंका वयक्त की जा रही है यदि उसकी नियमित वीडियो ग्राफी की गई होगी तो कम से कम मृत बारहसिंगा की हड्डी और सिंग आज भी कथित वन क्षेत्र के डंप किए गए  स्थल पर मौजूद होंगे ? क्योंकि खाल और सींग, हड्डी इत्यादि को तो वह प्राणी खा नही सकते ? अब इस डंप करने जैसी प्रक्रिया और विभागीय कर्मियों द्वारा   की गई कार्यवाही वीडियो ग्राफी एवं पंचनामा पीएम की सूचना न देना बहुत सी आशंकाओं को जन्म दे रहा है इस सब कार्यवाही के पीछे किसका सहयोग और संलिप्तता है यह तो विभागीय  जांच का विषय है  वन विभाग में वन्य प्राणियों के शव  का इस प्रकार नष्टीकरण का संभवतः प्रदेश भर में यह पहला प्रकरण होगा जो मांसाहारी भक्षी वन्य प्राणियों की भूख प्यास की चिंता और क्षुधा को लेकर किसी रेंजर और विभागीय कर्मियों द्वारा शेड्यूल (1) एक के शाकाहारी वन्य प्राणियों जिनके मृत होने पर उनके शव को खुले वन क्षेत्र में फेकने और मांसाहारी वन्य प्राणियों की खुराक के उद्देश्य से किसी वन क्षेत्र स्थल पर डंप कर आवारा श्वानों की खुराक बना देने की आड़ में नष्टिकरण किया जाना एक सोची समझी साजिश ज्ञात होता है क्योंकि हर्राबोर शेड्यूल 1 एक के वन्य प्राणियों के मृत शव को बगैर पी एम. करवा कर   अपने वरिष्ठ अधिकारियों की अनुपस्थिति में उसे दफना दिया जाए या खुले वन क्षेत्र के मध्य डंप कर दिए जाने वाला वन अधिनियम या कानून लागू नही किया गया है इस संदर्भ में बागबाहरा परिक्षेत्राधिकारी विकास चन्द्राकर का कथन है कि  घटना दुर्घटना में मृत वन्य प्राणी को जंगल के मध्य जहां मांसाहारी भक्षी जिनमे शेर चीता, खूंखार वन्य प्राणी उक्त मृत वन प्राणी के शव का भक्षण कर अपनी क्षुधा मिटा सकते है इसलिए ऐसे शव को मानव पहुंच से दूर जंगल मे डंप कर दिया जाता है अब  सवाल खड़ा होता है कि बागबाहरा वन क्षेत्र में ऐसे कितने मांसाहारी  भक्षी वन्य प्राणी  जिनमे शेर चीता है जिनके भूख की चिंता परिक्षेत्र अधिकारी विकास चंद्राकर को होने लगी क्योंकि वन्य प्राणीयों की वार्षिकी  गणना में अब तक ऐसे खूंखार वन्य प्राणियों की संख्या नगण्य बताई गई है यदि ऐसे  खूंखार वन्य प्राणी वन क्षेत्रों में विचरण करते है तो सघन वन क्षेत्रों में  निवासरत वन ग्राम के ग्रामीणों के लिए सुरक्षा का दायित्व और जिम्मेदारी विभाग के लिए सर्वाधिक चुनौती होती परंतु ऐसी कोई सुगबुगाहट बागबाहरा परिक्षेत्र के किसी भी वन ग्राम क्षेत्र में परिलक्षित नही  हुआ जहाँ खूंखार वन प्राणी विचरण कर रहे हो और उनके शिकार की घटना के कोई समाचार बाहर आते हो यदि ऐसी कोई घटना की  सूचना प्राप्त होने पर  खूंख्रार वन प्राणी के शिकार करने की स्थिति में मृत वन्य प्राणी के शव को  विभाग द्वारा ट्रैप कैमरा लगा कर शव का चौबीस घंटे या उससे अधिक समय तक निगरानी करता वह भी तब तक  जब तक शव नष्ट न हो जाता वह भी इसलिए ताकि कथित शव को मानव अथवा किसी के द्वारा भक्षण न किया जा सके संभवतः  मृत बारहसिंगा को लेकर  यह भी चर्चा के साथ अंदेशा व्यक्त किया जा रहा है यदि शिकारियों द्वारा जहरीला तीर या स्थानीय वन क्षेत्र के कुत्तों के हमले से शाकाहारी वन प्राणी मृत होते है तब रेबीज संक्रमण के साथ उनके शरीर में जहर फैलने की आशंका बढ़ जाती है ऐसी परिस्थिति में यदि जहर अथवा श्वान के शिकार से रेबीज ग्रसित मृत वन्य प्राणियों को अन्य मांसाहारी भक्षी प्राणियों को भक्षण हेतु रखा जाता है तो फूड पॉइजनिंग या शरीर मे फैले ज़हर से मांसाहारी वन्य प्राणी के संक्रमित होने की संभावना बढ जाती है  तथा जहर और रेबीज वाले मांस भक्षण से उनकी भी अकाल मृत्यु हो सकती है परंतु यहां सारे नियम कानून को बलाए ताक रख कर विकास चंद्राकर रेंजर बागबाहरा द्वारा अपना जंगल का कानून चला कर असामयिक वन्य प्राणियों के मौत का कारण बन रहे है इस तारतम्य में उनसे मिलने पर बागबाहरा परिक्षेत्राधिकारी विकास चन्द्राकर कोई संतोष जनक जवाब न देकर विभाग से नया सर्कुलर जारी होना बताया और मृत शेडयूल 1 एक हर्राबोर वन्य प्राणी को जंगल के मध्य छोड़ने, फेकने की बात दोहराई ताकि खूंखार मांसाहारी भक्षी वन प्राणी उसका भक्षण कर अपनी क्षुधा शांत कर सके हालांकि इसकी पुष्टि के लिए महासमुंद डी एफ ओ पंकज राजपूत से भी संपर्क कर वास्तविकता जानने का प्रयास किया गया परंतु न जाने कौन से वन चेतना केंद्र में वे अचेतन स्थिति में पहुंच जाते है ज्ञात नही परंतु लगातार छह से सात मर्तबा महासमुंद वन मण्डल  कार्यालय में जाने पर भी वे अनुपस्थित ही रहे और उनसे कोई चर्चा नही हो पाई  जबकि  बागबाहरा परिक्षेत्र में ऐसी घटना के प्रकरण दो,तीन माह के अंदर  तीन से चार शाकाहारी  वन्य प्राणियों के मृत होने और उनके शव को  खल्लरी स्थित पहाड़ के वन क्षेत्र में डंप करने की बात  बताया गया है वही एक समाचार पत्र की माने तो गत वर्ष 14 जून 2021 को ग्राम खोपली में भी ऐसी घटना घटित हो चुकी है जिसमे आवारा कुत्तो द्वारा हिरण को मारा गया  बताया गया और उसके शव को भी रेंजर चन्द्राकर द्वारा क्षेत्र के घने  वन में छोड़ना बताया था  उक्त शव के साथ भी बागबाहरा परिक्षेत्र के जिम्मेदार अधिकारियों ने यही प्रक्रिया अपनाई थी (देखे चित्र)


( 14 जून 2022 को मृत हिरण का प्रकशित समाचार पत्र की कटिंग)

उल्लेखनीय  है कि वन अधिनियम के तहत किसी भी शेड्यूल एक के वन्य प्राणियों के चोटिल अथवा घायल होकर मृत अवस्था में मिलना या दुर्घटना या शिकार होने पर उसका सर्व प्रथम पोस्टमार्टम विभागीय डॉ.के माध्यम से कर उसके मृत होने की अवस्था ज्ञात किया जाता है कि उसकी मृत्यु का कारण क्या है पश्चात उसका पंचनामा बनकर उसका बकायदा दाह संस्कार वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में किया जाता है जबकि यहां मृत बारह सिंगा के शव के साथ ऐसी कोई प्रक्रिया नही अपनाया गया उल्टे यह बताया गया कि ऊपर से जैसा आदेश आया वैसा उस पर कार्यवाही की गई जबकि वन अधिनियम और कानून की जानकारी रखने वाले सीसीएफ वन्य प्राणी,सीसीएफ रायपुर के अनेक उच्च अधिकारियों से डंप करने वाली इस नए कानून के संदर्भ में चर्चा करने पर  लिखित में ऐसा कोई सर्कुलर जारी आज दिनांक तक  नही लाया जाना बताया गया क्योंकि वन अधिनियम 1972 एवं संशोधित वन अधिनियम के संदर्भ में आज दिनांक तक ऐसा कोई नया सर्कुलर संशोधित नियम नही आया है जिसके अनुपालन आज भी मृत वन्य प्राणियों के शव परीक्षण पोस्टमार्टम तथा दाह संस्कार की प्रक्रिया पूर्ववत नियम अनुसार अपनाई जाती है 


(रेंजर विकास चंद्राकर द्वारा समाचार पत्र को दिया गया वक्तव्य)

फिर बागबाहरा परिक्षेत्राधिकारी विकास चंदाकर को कौन से अधिकारी ने नया आदेश जारी कर दिया कि मृत बारह सिंगा के अलावा अन्य मृत वन्य प्राणियों के शव को उन्होंने जंगल के मध्य  में फेकने का फरमान जारी कर दिया अब यदि उच्च अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार ऐसा कोई वन नियम कानून जारी नही करने की स्थिति में चीतल,बारह सिंगा,कोटरी,हिरन आदि की मृत होने तथा वन क्षेत्र के किसी भी क्षेत्र में डंप करने की कार्यवाही करने  की घटना वाली बात कुछ गले नही उतरती और इसके पीछे वन्य प्राणियों के खाल,सींग की तस्करी होने की प्रबल संभावना दिखती है यह भी विभाग के लिए जांच का विषय हो सकता है इसके पीछे कौन कौन लोग संलिप्त है और किसके आदेश से रेंजर विकास चंद्राकर और उनके मातहत नए नियम की आड़ में किसके साथ कूट रचित घटना को अंजाम दिया जा रहा है जो नियम विरुद्ध जाकर वन्य प्राणियों के शव दुर्गति सहित श्वानों का निवाला बना कर कौन सा खेल खेला जा रहा है इसकी बारीकी से जांच करना और  संलिप्त कर्मचारियों पर   कार्यवाही किया जाना आवश्यक है नही तो खूंखार वन प्राणियों की खुराक बनाने की आड़ में कीमती खाल,सींग की तस्करी के साथ शेष मांस को आवारा श्वानों का निवाला बनवा कर  बहुत बड़ा खेल खेलने वाला यह  सिलसिला अनवरत जारी रहेगा.