मंगलवार, 29 मार्च 2022

उद्यानिकी विभाग की बाड़ी योजना से कृषकों के आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम

 उद्यानिकी विभाग की बाड़ी योजना से कृषकों के आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम 


छग राज्य का उद्यानिकी,एवं प्रक्षेत्र वानिकी विभाग द्वारा विगत कई वर्षों से कृषि एवं वानिकी क्षेत्र में आधुनिक तकनीक प्रयोगों के साथ ही उन्नत,फसल के लगातार पैदावार स्थानीय कृषकों के आर्थिक सामाजिक विकास की नई इबारत लिख रहा है इसके लिए राज्य शासन एवं कृषि विभाग के माध्यम और समन्वय स्थापित कर कृषकों को अनुदान राशि प्रदाय कर  उन्हें प्रोत्साहित करने के साथ ही सुराजी गांव योजना के तहत हमर बाड़ी योजना एवं उद्यान इत्यादि विकसित करने भी शासन द्वारा अनेक योजनाए लागू की गई है इसके अंतर्गत  उन्हें उद्यानिकी विभाग के माध्यम से राज्य शासन बकायदा अनुदान राशि प्रदाय कर उन्नत फसल के रूप में पौष्टिक खाद्य वस्तुएं साग सब्जी फल आहार का उत्पाद हेतु प्रोत्साहित कर  उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाने दृढ़ संकल्पित है  बाड़ी योजना के तहत दो डिसमिल भूमि मे मुख्यतः  कंद मूल ,प्याज,आलू,,पत्ता गोभी ,भाटा,फूल गोभी टमाटर ,मिर्ची एवं फल फूल की पैदावार तथा उसके तीन ओर की शेष भूमि पर वानिकी पौधों का रोपण में नीम, गुलमोहर,पेल्टा फार्म जैसे  पौधों के साथ फलदार आम,जाम, जामुन, इत्यादि पौधों का रोपण के  फसल उत्पाद और पैदावर  क्षेत्र को कव्हर करने निशुल्क पौधे वितरण की महती जिम्मेदारी भी उद्यानिकी विभाग द्वारा बखूबी  निभाकर कृषकों को प्रोत्साहित किया जा रहा है 



  प्रदेश के लघु एवं सीमांत कृषकों  को पेड़ पौधों की निशुल्क वितरण और उसके रोपण से  एक प्रकार से  यह देखा जा रहा है कि हरियाली विस्तार में लघु कृषकों की महती नैतिक दायित्वों को सुनिश्चित किया  गया हो ताकि रोपण क्षेत्र के चारो ओर के क्षेत्र में रोपित फल दार पौधों की शीतलता से शाक सब्जी कंद मूल इत्यादि की भरपूर फसल ली जा सके एक प्रकार से उद्यानिकी विभाग  स्थानीय प्रदेश के कृषकों के आर्थिक एवं सामाजिक उत्थान  हेतु अपनी  जिम्मेदारी का निर्वाहन कर उन्हें आत्म निर्भरता की ओर एक कदम बढ़ाने प्रयासरत है इसके साथ ही महिलाओं के सशक्तिकरण उनके बेहतर,सुखमय जीवन हेतु भी राज्य शासन की अनेक स्वर्णिम योजनाओं के द्वारा सुखद अवसर लाकर उन्हें स्वावलंबी,और आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से उन्हें अनेक योजनाओं के माध्यम से लाभान्वित कर रहा है कृषकों के लिए उत्तरोत्तर आर्थिक,सामाजिक, गतिविधियों की सुदृढ़ता का सशक्त माध्यम बन उद्यानिकी विभाग अपना पृथक स्थान निर्मित कर चुका है इसके लिए ऐसे कृषकों भूमिहीनों व्यक्तियों को कम से कम दो डिसमिल से लेकर पांच एकड़ भूमि में कंदमूल आलू,प्याज,शाक सब्जी फलदार पौधे जैसे



 केला,लीची,नाशपती,अनानाश,  पपीता जैसे पौष्टिक आहार वाले फलदार उत्पाद को भी प्रोत्साहित कर निचले दबे कुचले तबके के कृषकों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ उनकी सहभागिता सुनिश्चित कर  सुख समृद्धि का मार्ग प्रशस्त कर रहा है  स्थानीय श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी विभाग बाकायदा अनेक चिन्हित क्षेत्र की भूमि पर नर्सरी निर्माण कर मनरेगा के तहत उन्हें कार्य भी उपलब्ध करा रहा है उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी के नर्सरीयों  में जहां फलदार फूलदार,छायादार पौधों का जन्म स्थली केंद्र बन स्थानीय श्रमिकों के लगातार रोजगार उपलब्ध करा रहा है   वही उपजाऊ भूमि पर नए तकनीक प्रयोग के माध्यम से नई किस्म के फलों को विकसित कर कृषि जगत में एक हरित क्रांति की शुरुआत भी प्रारंभ की जा चुकी  है जो अपने आप मे एक बहुत बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है वैसे तो  छग प्रदेश भर में  उद्यानिकी एव प्रक्षेत्र वानिकी विभाग के अनेक नर्सरी सफलता पूर्वक संचालित हो रहे है जो जलवायु,वातावरण के हिसाब से वहां की मिट्टी और तापमान को ध्यान में रख फसल की नई उन्नत किस्मों के सफल खेती की जा रही है परन्तु  रायपुर जिले के आरंग जनपद विकासखण्ड के अंतर्गत पारागांव नर्सरी एक ऐसी नर्सरी के रूप में ख्याति प्राप्त हो चुका है जहां  सभी प्रकार के फूलदार फलदार और सायादार पौधों का रोपण कर आधुनिक तकनीक से उत्पाद  किया जा रहा है जहां फूलों और फलों के नवीन  उन्नत प्रजाति के पौधों को विकसित कर कृषकों को फसल लेने प्रोत्साहित भी किया जा रहा है इस संदर्भ में समय समय पर अधिकारियों के द्वारा मॉनिटरिंग  कर नर्सरी का जायजा लिया जाता है तथा  कृषकों हितग्राहियों के मांग और मंशा अनुरूप पौधों का रोपण,एवं उत्पाद कर वितरण भी किया जाता है  जिससे आरंग विकासखण्ड के ग्रामीण कृषक शासन द्वारा जारी योजनाओं का लाभ उठा कर काफी प्रसन्न है तथा शासन की प्रत्येक मूल योजनाओं से लाभान्वित हो रहे है



 इसी क्रम में जब पारागांव स्थित नर्सरी में जानकारी लेने छग वनोदय पत्रिका टीम पहुंची तब वहां शाकंभरी बोर्ड के अध्यक्ष राम कुमार पटेल भी स्थानीय कृषकों से समीक्षा बैठक ले रहे थे जहां स्थानीय कृषक पूर्ण उत्साह से उपस्थित होकर संपादित किए गए कृषि कार्यों उसमे होने वाली असुविधा, के संदर्भ में जानकारी देकर विभागीय योजनाओं के लाभ से रूबरू हुए इस दौरान शाकंभरी बोर्ड के अध्यक्ष श्री राम कुमार पटेल ने उन्हें राज्य शासन द्वारा दिए जा रहे योजनाओं के लाभ से अवगत कराते हुए  आनुदान राशि से किस प्रकार आर्थिक सुदृढ़ता की ओर कदम उठाना है तथा आत्म निर्भर बनना है उसे विस्तार पूर्वक बताकर उन्हें अवगत कराया इस दरमियान असामयिक होने वाली वर्षा एवं फसल के नुकसान की ओर ध्यानाकर्षण कर फसलीय चक्र के संदर्भ में उन्हें साग सब्जियों में पडने वाले  कीट प्रकोप की जानकारी मिली तब उन्होंने समय समय पर जैविक खाद का उपयोग करने सलाह देकर उन्हें प्रोत्साहित किया शाकंभरी बोर्ड अध्यक्ष श्री राम कुमार पटेल ने छग प्रदेश की  पारंपरिक संस्कृति से जुड़ी मेहंदी पौधों के रोपण एवं उसके उत्पाद को लेकर भी कृषकों को जागरूक किया



  वही छग वनोदय से बात करते हुए  अध्यक्ष श्री राम कुमार पटेल ने  कहा कि  छग प्रदेश की भूपेश बघेल सरकार ने तीन वर्षों के अल्प कार्यकाल में वन वासी वनादिवासियों के आर्थिक और सामाजिक उत्थान के लिए बहुत सारी योजनाओं के माध्यम से कार्य किए है जिसमे कोरोना काल का विकट भयावह काल  भी शामिल है उसके बावजूद शासकीय योजनाओं को धरातल पर लाने पूरी कोशिश की गई जिसके सार्थक परिणाम परिलक्षित हो रहे है किसान स्वावलंबी बन आत्मनर्भरता की ओर बढ़ रहे है उन्होंने बताया अब तक प्रदेश भर में 29 जिलों का सघन दौरा कर कृषकों से मिलकर  शासकीय योजनाओं के लाभ से उन्हें अवगत कराया गया तथा कृषकों के ऋतु संबधी होने वाली क्षति को भी ध्यान से सुन वस्तुस्थिति से  माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को  अवगत कराने के उद्देश्य से रिपोर्ट भेजने की जानकारी भी   दी समीक्षा बैठक में शाकंभरी बोर्ड के अध्यक्ष  श्री राम कुमार पटेल ने उपस्थित कृषकों से अन्य नए कृषकों को राज्य शासन से मिल रहे योजना के लाभ से अवगत कराए जाने की  बात पर भी जोर दिया इस दरमियान उन्होंने चर्चा करते हुए बताया कि किसान चौपाल के माध्यम से बहुत सी बातें सुनी तथा होने वाली असुविधा, कमियों तथा उसके  निराकरण  भविष्य में किए जाने की बात पर जोर दिया उन्होंने भूपेश सरकार के तीन वर्षों की कार्यकाल में वन वासियों वन आदिवासियों के हितार्थ बहुत से कदम उठाए है जिनमे नरवा गरुवा घुरूवा,बाड़ी  योजना प्रमुख है वही बाड़ी योजना के सफल क्रियान्वयन हेतु राज्य द्वारा प्रदत्त योजना का लाभ प्रत्येक कृषक भाइयों को ज्यादा से ज्यादा मिले यही प्रयास शाकंभरी बोर्ड का है 



 शासकीय उद्यानिकी रोपणी के अधीक्षक श्री विनोद ठाकुर ने बताया कि यहां फलदार,फूलदार पौधों का उत्पाद किया जाता है तथा उसे कृषकों एवं ग्राम पंचायतों गौठनों में मांग अनुसार वितरण किया जाता है समस्त कार्य मनरेगा के तहत संपादित होते है गत वर्ष 60 हजार पौधों का वितरण उद्यानिकी विभाग द्वारा किया जाना बताया गया महिला स्व सहायता समूहों को भी सहायता प्रदान की जा रही है   श्री विनोद ठाकुर ने आगे बताया कि वर्तमान में लगभग साठ हजार पौधे उपलब्ध है विभागीय योजना अंतर्गत नए वित्त वर्ष में  एक लाख तीस हजार पौधे तैयार किए गए है जिनमे आम अमरूद,कटहल फल फूल वाले पौधे सम्मिलित है जो राज्य शासन की योजना के तहत कृषकों को निशुल्क प्रदाय कर उन्हें लाभान्वित किया जाता है अधीक्षक श्री विनोद ठाकुर ने आगे बताया की आरंग उद्यानिकी नर्सरी में  आम के आधुनिक प्रजाति के एक सौ बीस मदर प्लांट है  जिनमे लंगड़ा, बैगन फल्ली,दशहरी, जैसे स्वादिष्ट आम के पौधे रोपण किए गए है उन्होंने बताया कि गत वर्ष एक लाख बीस हजार रुपये की नगद राशि नीलामी से उद्यान को लाभ प्राप्त हुआ था जिसे उद्यान की व्यवस्था इत्यादि में लगाए गए है वही नर्सरी अधीक्षक श्री विनोद  ठाकुर ने आगे बताया कि आम अमरूद,नींबू,आंवला,सीताफल,कटहल,सहित वानिकी पौधे गुलमोहर,शीशम नीम,मौल श्री पेल्टाफार्म,आदि पौधों का उत्पाद कर स्थानीय श्रमिकों को महात्मा गांधी रोजगार ग्यारंटी के तहत कार्य दिया जाता है जिससे आसपास ग्राम के श्रमिक लाभान्वित हो रहे है




तथा गौठान,ग्राम पंचायतों सहित मांग अनुसार पौधों का निशुल्क वितरण सरपंच एवं जनपद सचिव के मांग अनुरूप पौधे निशुल्क वितरण किया जाता है रोजगार ग्यारंटी के तहत स्थानीय मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराए जाते है जिनमे सप्ताह दो सप्ताह में अन्य मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से श्रमिकों की संख्या को घटाया बढ़ाया  जाता है इसके पीछे श्री ठाकुर ने सभी को रोजगार उपलब्ध कराने की मंशा व्यक्त किया  प्रति दिन स्थानीय एवं आसपास के  बीस से पच्चीस मजदूर श्रमिक कार्य संपादित करते है तथा उन्हें मजदूर जॉब कार्ड के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराया जाता है जिसकी 194 रु कलेक्टर दर पर राशि उनके बैंक खातों में प्रत्येक  दूसरे तीसरे सप्ताह में पहुंच जाती है  राज्य शासन के महत्वाकांक्षी योजना नरवा गरुवा,घुरूवा बाड़ी के सफल क्रियान्वयन हेतु उद्यानिकी विभाग बड़ी तत्परता से प्रदेश के अंतिम व्यक्ति तक उक्त योजना का लाभ पहुंचाने कटिबद्ध है तथा शासन  के मंशा अनुरूप संपूर्ण ऊर्जा के साथ लघु सीमांत,स्थानीय कृषक उद्यानिकी विभाग के बाड़ी योजना से लाभान्वित हो आत्मनर्भरता कि ओर अपने कदम बढ़ा रहे है जिसके सार्थक परिणाम शनैः शनैः परिलक्षित हो रहे है

प्रकृति के कैनवास पर हरियाली का रंग

 प्रकृति के कैनवास पर हरियाली का रंग


छत्तीसगढ़ वनोदय

छग प्रदेश के बिगड़े वनों के सुधार की दृष्टिकोण से प्रदेश का वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग  बहुत सी योजनाओं को वास्तविक धरा पर अमल पर लाते हुए उसके संरक्षण संवर्धन में अपनी संपूर्ण ऊर्जा लगा कर वनों के अस्तित्व को बचाने लगातार कार्य कर रहा है जिससे बिगड़े वन क्षेत्र की प्राकृतिक वैभवता, यथावत बनी हुई है इस महत्वपूर्ण कार्य में मूल विभाग ही नही अपितु  विभाग के अनुषांगिक धड़ा छग राज्य वन विकास निगम की भी महती भूमिका देखी जा सकती है जिसके द्वारा बिगड़े वन क्षेत्र के आड़े तिरछे बीमारू पेड़ पौधों का थिनिंग कर खुले और शेष भूमि पर सागौन प्लांटेशन कर वनों की प्राकृतिक आभा पर चार चांद लगा रहे है वह भी इसलिए कि वन विकास निगम के साथ भावी पीढ़ी और विभाग को राजस्व की प्राप्ति हो सके साथ ही शासन को भी लाभांश प्राप्त हो सके इसके लिए छग राज्य वन विकास निगम का मैदानी अमला पूरी चुस्ती दुरुस्ती के साथ प्लांटेशन क्षेत्रों में चाक चौबंद के साथ उसकी सुरक्षा व्यवस्था,देखरेख में लगे हुए है जिसके दूरगामी परिणाम भी अब दिखाई पड़ रहे है  ऐसे बिगड़े वन क्षेत्र में लगाए गए सागौन प्लांटेशन डेढ़ से दो वर्षों के अल्प काल  के अंतराल मे ही लगभग दस से बारह फीट की ऊंचाई तक सर्वाइव कर चुके है जो एक बहुत बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है 

  

  छग राज्य वन विकास निगम के रायपुर स्थित बारनवापारा परियोजना मंडल कार्यालय  अंतर्गत लगभग पचास किलोमीटर की दूरी पर स्थित कोडार बांध के पीछे सघन वन क्षेत्र जो घाटी और पहाड़ों की ऊंचाई से  लगभग पांच सौ परिवारों के बसाहट ग्राम परसापानी को घेरा हुआ है तथा  लोहारडीह ग्राम पंचायत उस का आश्रित ग्राम है के कक्ष क्रमांक 850,859,860, में वित्तीय वर्ष 2019-2020 में  ऐसे आड़े तिरछे,बिगड़े बीमारू वन क्षेत्र की थिनिंग कर लगभग 16,30,एवं31, हेक्टेयर भूभाग में सागौन रोपण कार्य संपादित करवाया गया था जिसके लगातार उच्च अधिकारियों की मॉनिटरिंग और मैदानी अमले की चाक चौबंद सुरक्षा व्यवस्था से अब संपूर्ण क्षेत्र सागौन पौधों के साथ प्राकृतिक के कैनवास पर हरियाली का रंग बिखेरता प्रतीत हो रहा है  हरियाली की सौगात देने के पीछे छग राज्य वन विकास निगम के प्रबन्ध संचालक श्री पी.सी.पांडे की दूरदृष्टि सोच ने कार्यों में पारदर्शिता लाना प्रारंभ कर दिया जो कर्मचारी केवल प्लांटेशन पश्चात  निश्चित हो जाते थे वही प्रबंध संचालक पी.सी.. पांडे  के कुशल कसावट भरे प्रशासनिक  व्यवस्था के समक्ष दण्डवत होकर कार्यों के प्रति ईमानदारी,कर्तव्य निष्ठा,और जूझने वाली प्रवृति में आ गए  यही नही अपने अधीनस्थ डिविजनल मैनेजर के पद पर पदस्थ आई एफ एस अधिकारियों को दिशा निर्देश देकर कराए गए प्लान्टेशनों कि समय समय पर मॉनिटरिंग इत्यादि भी करवाते रहते है  जिसके सुखद परिणाम यह सामने आने लगा है कि दो वर्षों के अल्प काल मे ही ऐसे कराए गए सागौन प्लांटेशन  पांच वर्ष अवधि वाले प्लांटेशन के रूप में विकसित नज़र आ रहे है जो छग राज्य वन विकास निगम की एक बहुत बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है वरना पूर्व में देखा यह जा रहा था कि...आगे पाठ पीछे सपाट...वाली उक्ति विभाग में चरितार्थ होती दिखाई पड़ती थी  यह स्थिति जब से प्रदेश भर के नौ डिवीजनों में आई.एफ.एस. अधिकारीयों  की नियुक्ति नही हुई थी तब तक ..... ढाक के वही तीन पात..की तर्ज़ पर कार्य संचालित हो रहा था परन्तु जैसे ही छग राज्य वन विकास निगम  में प्रबन्ध संचालक श्री पी.सी.पांडे प्रबंधक के  पद पर आसीन हुए तब से   ही उन्होंने सर्वप्रथम छग राज्य वन विकास निगम के पूर्व कर्मचारियों जो पात्र न होते हुए भी डिवीजन मैनेजर के गरिमामयी पद पर पदस्थ रहते हुए वन विकास निगम की नैय्या को बीच भंवर में डुबाने  पूरा सामान तैयार कर लिया था उन्हें पृथक कर   उनके नियुक्ति के साथ ही सर्वप्रथम नाव में होने वाले छिद्र को दुरुस्त कर ने की दूरदृष्टि के तहत सर्वप्रथम समस्त परियोजना मंडलों में आई एफ एस अधिकारियों जैसे  कुशल प्रशासनिक ज्ञाता के जिम्मेदार हाथों में जिलों की कमान सौंपी तथा उसके दो वर्ष में ही दूरगामी परिणाम परिलक्षित होने लगे इसका एक छोटा सा साक्षात उदाहरण के रूप में कोडार बांध के पीछे स्थित ग्राम परसापानी के कक्ष क्रमांक 850,859,860 के वृह्द पैमाने पर किए गए सागौन प्लांटेशन को लिया जा सकता है जो मात्र दो वर्षों में दस से बारह फीट ऊंचाई को छू कर लहलहाते हुए वनों की शोभा बढ़ा रहे है



  सागौन रोपण के और उसके सफल प्लांटेशन  होने के पीछे यदि किसी का हाथ होता है तो वह है उस क्षेत्र की अनुकूल मिट्टी, जलवायु  तथा उसकी सुरक्षा सर्वाधिक मायने रखती है इसके लिए एक परिपक्व अनुभवी अधिकारी ही इन सब बातों का ध्यान रखता है और यदि कुशल अनुभव की बात चलती है तो स्वतः ही छग वन विकास निगम का एक चेहरा समकक्ष आ जाता है और वह किसी और का नही बल्कि रायकेरा नर्सरी के पूर्व प्रभारी एवं वर्तमान में रवान क्षेत्र के परिक्षेत्राधिकारी श्री  एम्ब्रोस एक्का का है जिनका संपूर्ण जीवन काल रायकेरा नर्सरी की सेवा में व्यतित हुआ था जब से रायकेरा नर्सरी अस्तित्व में आया तब से ही उन्होंने अनुभवी और जिम्मेदार अधिकारियों का सान्निध्य मिला उनके मार्ग दर्शन और नेतृत्व में उन्होंने सागौन पौधों का सफल रोपण एवं उत्पाद किया चाहे वह रूट शूट के माध्यम से हो अथवा बीजारोपण के माध्यम से ही क्यों न हो रायकेरा नर्सरी में  उन्होंने लाखों की संख्या में प्रत्येक वित्त वर्ष सागौन का उत्पाद किया तथा उनके उत्पाद राज्य के अलावा अन्य राज्यों में रोपण किए गए उनकी कर्तव्य निष्ठा एवं कार्यों की महीन ज्ञान की वजह से ही तत्कालीन   प्रबंधक एस सी जैना साहब उनकी पीठ थपथपाने से कभी नही हिचकते यही स्थिति चाहे  एन भावसार साहब हो बड़े अशोक वर्मा साहब हो चौहान साहब हो एम ए फारूकी साहब  श्रीवास्तव साहब ही क्यों न हो  अथवा समकालीन कोई भी अधिकारी हो  सब अधिकारियों ने उनके कार्यों को  सराहा था जब वे दो वर्ष पूर्व वित्तीय वर्ष 2019-20 मे रायकेरा प्रभार से पृथक हुए तब उनको कोडार डिपो सहित रायकेरा नर्सरी का दोहरा प्रभार दिया गया था उसी कार्यकाल में कोडार के समीप स्थित परसापनी के कथित कक्ष क्रमांक में सागौन प्लांटेशन की महती जिम्मेदारी सौंपी गई थी उनके ही कार्यकाल में जब उन्होंने वहां के अनुकूल वातावरण और मिट्टी को उपजाऊ देखा तब उनके ही मार्ग दर्शन में  लगभग 16 हेक्टेयर भूभाग में सागौन का सफल वर्षाधारित प्लांटेशन का संपादन करवाया जो आज क्षेत्र में जंगल सदृश्य नज़र आ रहा है अपने उक्त प्लांटेशन को लेकर उन्होंने सर्व प्रथम इसके मवेशियों की चराई रोकने सख्त दिशा निर्देश दिए जिसके आज अनुकूल परिणाम नज़र आ रहे है 



        इस संदर्भ में कोडार डिपो प्रभारी डिप्टी रेंजर श्री लोकेश साहू से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 में थिनिग कार्य संपादित किया गया था जिसमें आड़े तिरछे,बीमारू,पेड़ों को मार्किंग कर विदोहन किया गया था पश्चात वर्ष 2020 में प्लांटेशन कार्य संपादित किया गया जिसमें कक्ष क्रमांक 859 के लगभग 16हेक्टेयर भूभाग में जिसे ग्रामीणों द्वारा अतिक्रमण किया गया था उसे मुक्त करवाकर वहां लगभग 37 हजार सागौन पौधे रूट शूट पद्धति के पौधों  से  दो बाई दो की दूरी में रोपण कार्य किया गया जो वर्षाधारित रोपण था जिसके आश्चर्य जनक परिणाम सामने आए तथा बेहतर वातावरण,अनुकूल मिट्टी,जलवायु,में रोपित सागौन प्लांटेशन जादुई तरीके से बढ़त लिए हुए आज बहुत कम समय मे दस से बारह फीट की ऊंचाई को छू रहे है डिप्टी रेंजर लोकेश साहू ने आगे बताया कि समय समय पर तात्कालिक डी. एम.शशिकुमार आई.एफ.एस. अधिकारी का दौरा होता था  तथा उन्होंने स्वयं इसकी ऊंचाई और मापदंड देखकर काफी प्रसन्न हुए  थे उन्होंने आगे बताया कि प्लांटेशन क्षेत्र में चौकीदारों द्वारा लगातार उपस्थित रहकर देखरेख एवं सुरक्षा की जाती है ताकि मवेशी चराई से प्लान्टेशनों को  सुरक्षित कर सहेजा जा रहा है   डिप्टी रेंजर लोकेश साहू ने आगे बताया कि प्लांटेशन रोपण समय आसपास के ग्रामीण श्रमिकों को रोजगार ग्यारंटी के तहत रोजगार उपलब्ध कराया गया तथा उसका भुगतान सीधे उनके खातों में समायोजन कराया गया यही नही एक बार पुनः रोपण कार्य भी करावाया गया था  जिसके तहत जो पौधे सर्वाइव नही कर रहे थे तथा जो मृत प्रायः स्थिति में पहुंच गए थे उसके स्थान पर स्वस्थ्य पौधों का रोपण किया गया जो अनुकूल वातावरण में बढ़त लिए हुए है डिप्टी रेंजर लोकेश साहू ने आगे बताया कि वन क्षेत्र के उपरोक्त कथित कक्ष क्रमांक में सागौन रोपण प्लांटेशन एक बहुत बड़ी चुनौती थी क्योंकि क्षेत्र में ग्रामीणों द्वारा अतिक्रमण कर वन क्षेत्र को घेर लिया गया था तथा ग्रामीणों का भारी विरोध का सामना करना पड़ा था इसके लिए मंत्री संतरी सहित ऊपर तक शिकायते की गई थी



फिर भी वन क्षेत्र को अतिक्रमण मुक्त करवाकर सागौन प्लांटेशन कक्ष क्रमांक 859 के 15-16 हेक्टेयर भूमि में 37,500 पौधे,कक्ष क्रमांक 850 के 31 हेक्टेयर भूभाग में 75,000 सागौन पौधे,एवं कक्ष क्रमांक 860 के 30 हेक्टेयर भूभाग में 62,500 सागौन पौधों का सफल रोपण कार्य करवाया गया जो छग वन विकास निगम के लिए एक उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है वही सहायक परिक्षेत्र अधिकारी श्री लोकेश साहू ने बताया कि समस्त कार्य प्रारंभ से लेकर संपादित किए जाने तक उच्च अधिकारियों के मार्गदर्शन और कुशल नेतृत्व मिलता रहा है जिसके सुखद परिणाम अब सामने दिखाई दे रहे है वर्तमान परिक्षेत्राधिकारी श्री घोंघरे साहब का कथन है कि जिस ऊंचाई पर आज सागौन प्लांटेशन पहुंच गया है  वह विस्मयकारी करने वाला है अब वह बेहतर स्थिति में सर्वाइव कर रहा है  पतझड़ की स्थिति के पश्चात नए कोमल पत्ते के फुटने पर वह तेजी से बढ़त लेगा गर्मियों में पतझड़ में थोड़ी इसकी स्थिति दयनीय बनती है फिर भी प्लांटेशन क्षेत्रों में चौकीदार तैनात है तथा वे चराई इत्यादि से उसकी सुरक्षा बड़े चाक चौबंद के साथ करते है



 आने वाले वर्षा ऋतु तक यह लगभग दस से पन्द्रह फीट ऊंचाई का होगा जो प्रकृति नियम के अनुसार सागौन के कथित प्लांटेशन के बेहतर प्रतिसाद मान कर चल रहे है जिस प्रकार से कोडार डिपो के समीप स्थित ग्राम परसापानी में वर्ष 2019-20 में कराए गए प्लान्टेशन कि भांति प्रदेश भर के प्लांटेशनों पर संबंधित अधिकारी, मैदानी कर्मचारी ईमानदारी पूर्वंक अपने कार्यों के प्रति समर्पित रहकर उसके रोपण से लेकर सुरक्षा व्यवस्था के ऊपर तनिक  भी नज़र रखे तो छग राज्य वन विकास निगम की एक अलग पहचान निर्मित हो सकती है बस,आवश्यकता है कि मैदानी कर्मचारियों के ऊपर आर्थिक मांग ,व्यवस्था एवं मैनेज जैसे  दबाव को कम कर दिया जाए तथा उसके उपचार, सुरक्षा,देखरेख आदि की मिलने वाली राशि को सही ढंग से प्लांटेशनों पर व्यय किया जाए तो छग राज्य वन विकास निगम की तकदीर और तस्वीर कुछ अलग ही दृष्टिगोचर होगी जैसा कि कोडार के कथित प्लांटेशन के संदर्भ में लिखा जा रहा है वैसा ही  प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में कराए गए प्लांटेशनों की स्तुति लिखी जा सकती है बस, आवश्यकता है एक ईमानदार कोशिश की जो अपने कर्तव्यों की निष्ठा पूर्वक पहल कर सके.

सोमवार, 28 मार्च 2022

अभनपुर जनपद का ग्राम तामासिवनी- विकास की ओर बढ़ते कदम

 अभनपुर जनपद का ग्राम तामासिवनी- विकास की ओर बढ़ते कदम


रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़)अभनपुर जनपद अंतर्गत ग्राम पंचायत तामासिवनी जो आरंग एवं अभनपुर जनपद पंचायत का मध्य भाग है यहां की सरपंच दीपिका हेमलाल जांगड़े जिन्होंने अपने तीन साल के अल्प कार्य काल मे ही ग्राम तामासिवनी में विकास की नई इबारत लिख दी है यहां की महिला सरपंच दीपिका हेमलाल जांगड़े  एक दूरदर्शी एवं सुशिक्षित महिला है जिन्होंने अनेक पंचायती राज की नई  योजनाओं  का सफल  क्रियान्वयन कर ग्राम को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने का कार्य किया है अब चाहे ग्राम में सी.सी. रोड हो अथवा नाली,पानी,बिजली,सड़क की समस्या या फिर ग्राम  गौठान का कार्य ही क्यों न हो अपनी पूरी ऊर्जा के साथ उन्होंने अपने कर्तव्यों के प्रति निष्ठा दिखाते हुए अपने किए गए वादे के अनुसार शासन द्वारा जारी कार्यों पर खरा उतरने का पूरा प्रयास कर रही है कोरोना काल जैसे विकट परिस्थियों में भी उन्होंने अपने ग्राम वासियों के साथ नही छोड़ा तथा उन्हें मनरेगा के तहत रोजगार ग्यारंटी के तहत रोजगार उपलब्ध करवाया बल्कि मुफ्त राशन वितरण में भी अपनी महती भूमिका अदा की इस संदर्भ में श्रीमती दीपिका हेमलाल जांगड़े का कथन है कि ग्राम तामासिवनी का प्रत्येक व्यक्ति मेरा परिवार है तथा उन्होंने मेरा चयन कर मुझे सेवा का सुअवसर दिया मैं उनके अपेक्षाओं पर खरा उतरने का पूरा प्रयास करूंगी यही मेरी प्राथमिकता है सरपंच दीपिका हेमलाल जांगड़े आगे कहती है कि जो कार्य वर्षों से लंबित है तथा जिसके लिए लाखों का व्यय बताया जाता था आज उक्त कार्यों का निर्माण बहुत कम राशि मे करवाकर एक उदाहरण प्रस्तुत कर रही है जैसा कि पहले बताया जा चुका है कि ग्राम पंचायत तामा सिवनी दो जनपद को जोड़ने वाली ग्राम पंचायत है तथा  मध्य में बसा हुआ है यहां पर चारों ओर के ग्रामीणों का आवागमन अनवरत जारी रहता है यही वजह है कि ग्राम के मुख्य मार्ग पर स्थित साप्ताहिक बाजार में सर्वाधिक व्यापारियों का आवागमन होता है तथा उन्हें यहां व्यापार करने बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था अतएव सुचारू ढंग से  सुव्यवस्थित बाजार संचालन हेतु ग्राम में ही दो एकड़ भूभाग अधिग्रहित कर समतली कर्ण करवाया जा रहा है  ताकि आने  वाले व्यापारी भाइयों और आसपास के ग्राहकों को क्रय विक्रय में किसी प्रकार की कोई बाधा उत्प्न्न न हो और व्यापार सुगम सरल ढंग से व्यवस्थित होकर किया जा  सके तामासिवनी ग्राम सरपंच श्रीमती  दीपिका हेमलाल जांगड़े आगे बताती है कि अब तक इस संदर्भ में किसी प्रकार से कोई ठोस पहल नही की गई थी तथा बाजार व्यवस्थापन की मांग लगभग तीन दशक से की जा रही थी परन्तु पूर्व वर्ती अनेक पदस्थ माननीय सरपंच महोदयो द्वारा इस ओर कोई सार्थक जनहितकारी पहल नही की गई केवल आश्वासन एवं लाखों का बजट का आभाव बताकर बाजार व्यवस्थान को टालते रहे परन्तु सरपंच दीपिका  हेमलाल हेमलाल जांगड़े द्वारा अप्रत्याशित कार्य को भी परोक्ष रूप से सत्य कर दिखाया जिसकी समस्त ग्रामवासी मुक्त कंठ से प्रशंसा कर रहे है ग्रामवासी उत्साहित होकर कहते है कि पहले बाजार मुख्य मार्ग में होने से बड़ी असुविधाओं का सामना करना पड़ता था लेकिन एक सुशिक्षित  महिला सरपंच ने ग्राम विकास के इतिहास में विकास की एक कील ठोंक दी जो बड़े ही गर्व का विषय है वही ग्राम पंचायत तामासिवनी तालाब जो लगभग आधा दशक से साफ नही किया गया था आज उस तालाब की सफाई ग्रामवासियों  के सहयोग से उसके सूखे दलदली मिट्टी को निकाला जा रहा है जो विरोधियों एवं विध्न संतोषी लोगो को रास नही आ रहा है तथा  अनर्गल प्रचार कर ग्राम पंचायत और सरपंच की छबि बिगाड़ने पर तुले है विरोधियों द्वारा आरोप लगाया जा रहा है कि बगैर रॉयल्टी और पीट पास कटवाए तालाब की सफाई करवा कर सुखी दलदली मिट्टी उत्खनन कर उसका विक्रय किया जा रहा है इस संदर्भ में सरपंच प्रतिनिधि हेमलाल जांगड़े का कथन है कि ग्राम वासियों की मांग अनुसार  तथा उनके आदेश एवं जन भावनाओं का  सम्मान का पालन करते हुए सरपंच एवं पंच द्वारा अनुमोदन पश्चात सबसे पुराने तालाब का गहरीकरण एवं निस्तारी हेतु सुगम व्यवस्था की जा रही है जिसकी सुखी दलदली मिट्टी को अन्यंत्र फेका जा रहा है  अब यदि किसी को ऐसा लगता है कि उसका दोहन कर आय अर्जित की जा रही है तो हम सुखी दलदली मिट्टी को अन्यंत्र फेकने की बजाए उसके घर मे ही डलवा देते है जिन्होंने ग्राम पंचायत पर आरोप मढ़ा है सबसे प्राचीन तालाब का सफाई कार्यक्रम ग्राम तामासिवनी के ग्रामीणों के सहयोग और उनके दिशा निर्देश के अनुरूप हो रहा है जो ग्राम पंचायत की शांति भंग करने वाले विध्न संतोषी तत्वों के गाल में एक करारा तमाचा है तथा ऐसे अनर्गल आरोप लगा कर  ग्राम तामासिवनी की शांतिप्रिय एवं जागरूक जनता को बरगला नही सकती  वही तामासिवनी  ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम में समस्त ग्रामीणों को रोजगार,शिक्षा, राशन,सहित मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है तथा समस्त विकास पूर्ण योजनाओं में उनकी सहभागिता सुनिश्चित की जा रही है जो अन्य ग्राम पंचायतों के लिए एक बे मिसाल उदाहरण बनता जा रहा है

कोलियारी रोपणी में चाय पत्ती समान उत्कृष्ट वर्मी कम्पोस्ट खाद का निर्माण

 कोलियारी रोपणी में चाय पत्ती  समान उत्कृष्ट वर्मी कम्पोस्ट खाद का निर्माण




छत्तीसगढ़ वनोदय 

धमतरी वन मंडल के  वन क्षेत्र  तो प्राकृतिक वनोपज,वन औषधियों सहित आकूत गौण खनिज संपदाओं से परिपूर्ण क्षेत्र के रूप में जाना जाता है जिसके चारों ओर ऊंचे ऊंचे पर्वतीय क्षेत्र से घिरे होने के साथ ही यहां के  सघन वन क्षेत्र एवं मनोरम दृश्य भी लोगों को अनायास अपनी ओर आकर्षित करते है धर्म अध्यात्म के रूप में भी धमतरी वन मंडल काफी प्रख्यात रहा है इसकी वजह से ही क्षेत्र के (सिंह -आवा- )सिहावा क्षेत्र के आसपास स्थित पर्वत क्षेत्र ऋषि मुनियों की तपो भूमि के रूप में विख्यात है तथा उन्ही ऋषि मुनियों के नाम पर उपरोक्त क्षेत्र के अनेक पर्वत क्षेत्रों का नाम भी पड़ा जो  आज भी उनके तपो भूमि स्थल  के इतिहास का साक्षी है



साथ ही धमतरी वन मंडल मुख्यालय से मात्र 35 किलोमीटर की दूरी पर नगरी भी है जो प्राचीन काल से ही बहुत सी ऐतिहासिक कालीन  किवदंतियों को अपने आँचल के गर्त में समेटे हुए है फिर  आज भी उसकी उन्नति और विकास में कोई विशेष अंतर दिखाई दे ऐसा कुछ नज़र नही आता आज भी लालटेन युग की भांति संध्या पश्चात वहां की चहल पहल नगण्य हो जाती है यहां तक आवागमन के साधन भी नही होते जिससे धमतरी तक पहुंचा जा सके वर्तमान में यह आवश्यकता आमजन अब अपनी दो पहिया और चार पहिया वाहनों से ही पूर्ण करते है कथन आशय यह है कि विकास के नाम पर आज भी यह क्षेत्र बहुत पीछे चल रहा है किंतु धमतरी मुख्यालय से लगभग पच्चीस किलोमीटर और नगरी पंचायत  से ही दस किलोमीटर पूर्व आयुर्वेद ग्राम दुगली से लगे  मुख्य मार्ग में  स्थित क्षेत्र कोलियारी कहलाता है जहां पर  धमतरी वन मण्डल द्वारा रोपणी  का  सफल संचालन वर्ष 2003-04 से अनवरत किया जा रहा है यहां तात्कालिक अधिकारियों के द्वारा अनेक मिश्रित प्रजातियों के पौधों का सफल  रोपण कर एक छोटा सा प्रायोगिक रोपणी तैयार कर प्रारंभ किया था जो  धमतरी  वन विभाग की आर्थिक रीढ़ को सुदृढ किया था पर  समय समय पर यहां अनेक फलदार,फूलदार, वन औषधि पौधे एवं वानिकी पौधों सहित अन्य पौधों का उत्पाद व जन्म समय समय पर होता  रहा है जिससे विभाग को आर्थिक लाभ तो प्राप्त होता ही है साथ ही स्थानीय ग्रामीणों को भी रोजगार उपलब्ध हो रहा है जिससे उनकी आजीविका व्यवस्थित ढंग से व्यतित हो रही है एक प्रकार से विकासविहीन क्षेत्र में भी स्थानीय ग्रामीणों एवं वन वासियों के आय का मुख्य स्रोत के रूप में धमतरी वन मंडल अपनी पृथक पहचान निर्मित किए हुए है धमतरी वन मंडल के आर्थिक स्त्रोत के उन्नत विकास और उसके  विस्तार में बहुत से वरिष्ठ अधिकारियों ने अपने अपने स्तर पर ईमानदारी से कार्य किए थे जिसका प्रतिफल है कि लगभग दो दशकों से कोलियारी रोपणी उत्तरोत्तर वृद्धि करते हुए नए अय्याम स्थापित किए है कोलियारी रोपणी के विस्तार में जिन अधिकारियों ने अपने पसीने से सींच कर उसकी पहचान निर्मित की थी उन मे वर्तमान सहायक वन मण्डलाधिकारी  श्री टी आर वर्मा भी किसी समय अपनी सेवाएं उपरोक्त क्षेत्र में देकर अपने कर्तव्यों का अनुपालन किया था 



धमतरी वन मंडल के एसडीओ श्री टी. आर वर्मा जिनके बारे में यह प्रचलित है कि उन्होंने कभी भी अपने  कार्यों के प्रति विमुख न होते हुए  अपने जीवन मे  सर्वाधिक 1270 प्रकरण  अवैध शिकार, काष्ठ माफियाओं के विरुद्ध दर्ज किया जिनमे लगभग 700 अपराधियों को जेल के सींखचों के पीछे भिजवाया यह  उपलब्धि उनके ही नाम दर्ज है और आज भी वे वन अपराध से जुड़े अनेक प्रकरण पर कार्यवाहीकरने  से कभी नही कतराते इसके लिए समय समय पर बहुत से  ऊंची पहुंच वाले राजनीतिक दबाव का सामना भी करना पड़ा परन्तु उन सब की परवाह किए बगैर वे अपने कर्तव्यों के प्रति सदैव ईमानदार एवं निष्ठावान रहे यही कारण है कि उनकी गिनती एक कड़क कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी के रूप में होती है  उनकी चाल अब भी सिंहावलोकन करते हुए प्रतीत होती है तथा वे जहां भी पदस्थ रहे वहां के काष्ठ माफिया एवं चोर केवल उनके नाम से ही  थरथर कांपते है वजह श्री टी.आर वर्मा के  दूर दर्शी सोच एवं कड़क प्रशासनिक व्यवस्था के सुनियोजित ढंग से चोरों को पकड़ने एक कुशल रणनीतिज्ञ की भूमिका निभाते रहे है और उसमें वे काफी सफल भी रहे है  जिससे कोई भी अपराधी उनके चंगुल से बच नही सकता और ऐसे माफियाओं और चोरों के विरुद्ध वन अधिनियम के तहत कार्यवाही का एक कीर्तिमान  रिकार्ड दर्ज किया  एसडीओ श्री टी.आर.वर्मा के इन्ही कार्यों को देखते हुए उन्हें विभाग एवं अनेक सामाजिक संस्थाओं द्वारा कई प्रशस्ति पत्र  देकर उन्हें सम्मानित भी किया जा चुका है उनके द्वारा बताया गया कि तत्कालिक  सेवा काल के दौर में उपरोक्त क्षेत्रों के भिन्न भिन्न परिक्षेत्रों में रहते हुए अनेक विकासपूर्ण कार्य करवाए थे जिनमें कुछ परिक्षेत्रों में प्लांटेशन सहित वर्मीकम्पोस्ट टँकी का निर्माण भी उनके सेवा कार्यकाल में संपादित किए गए थे जो आज विभाग के आय का मुख्य स्रोत के रूप में एक पृथक पहचान निर्मित किए हुए है एसडीओ टी.आर.वर्मा का कथन है कि वर्तमान में कोलियारी रोपणी बहुत से वानिकी पौधे, औषधीय उत्पाद के पौधे, एवं जैविक वर्मीकम्पोस्ट खाद निर्माण का केंद्र बिंदु बना हुआ है यह सब डीएफओ श्री मयंक पांडे साहब की दूरदर्शी सोच  और उनके कुशल  दिशा निर्देश में  ही संपादित  किया जा रहा है वर्मी कॉम्पोस्ट खाद के संदर्भ में उनका कथन है कि  जैविक  वर्मी कॉम्पोस्ट खाद की गुणवत्ता का प्रदेश भर के वन मंडल कार्यालय के अधिकारियों द्वारा प्रशंसा व्यक्त की गई है तथा कोलियारी नर्सरी से ही खाद की मांग की जाती है जो धमतरी वन मण्डल के लिए बड़े गर्व का विषय है इसके अलावा भी रोपणी में वनौषधियों की प्रचुर मात्रा में उत्पाद स्थानीय महिला वन प्रबंधन समिति के द्वारा मांग अनुसार किया जा रहा है एक प्रकार से रोपणी का संचालन वन प्रबंधन समितियों के द्वारा किया जा रहा है जो अपने कर्मों का ईमानदारी पूर्वक निर्वहन कर रही है 



सघन वन क्षेत्र धमतरी वन मंडल के बिरगुड़ी रेंज अंतर्गत कोलियारी नर्सरी जहां के परिक्षेत्राधिकारी दीपक कुमार गावड़े है जो कार्यों के प्रति  निष्ठावान,संवेदनशील,धीर गंभीर एवं जुझारु प्रवृत्ति के ऊर्जावान अधिकारी है  तथा नित नई सोच नई उमंग के साथ किस तरह  बिरगुड़ी वन परिक्षेत्र के संरक्षण संवर्धन के साथ स्थानीय  ग्रामीण वन वासियों के  रोजगरउन्मुखी कार्यों से क्षेत्र का विकास सुनिश्चित किया जाए इस पर सदैव मंथन करते रहते है आज बिरगुड़ी रेंज की  महती जिम्मेदारी उन्ही के मजबूत कांधों पर टिकी हुई है उनसे जब कोलियारी रोपणी के सबंध में चर्चा की तो उन्होंने बडे सधे हुए गंभीर अंदाज में बताया कि वर्तमान में कोलियारी नर्सरी में औषधीय पौधों का उत्पाद किया जा रहा है जिसमे  एलोविरा, पौधों की फसल प्रमुख है वही अन्य औषधीय पौधों के संदर्भ में गुड़मार,शतावर,अश्वगंधा,गिलोय,सर्पगन्धा,हल्दू मुंडी,सहित अनेक पौधों का उत्पाद यहां किया जाना बताया साथ ही बड़े वृह्द भूभाग में फलदार पौधों में आम,जाम,जामुन,नींबू,काजू बादाम,चीकू कटहल सहित वानिकी पौधों में शीशम,बीजा,साल,सागौन,सिरसा, शर्मीली,छुईमुईआदि पौधों का जन्म स्थली कोलियारी रोपणी  बन चुका है 

यहां के पौधे ग्राम पंचायतों ,समाजसेवी संस्थानों,हाट बाजार,स्कूल इत्यादि में निशुल्क प्रदाय किए जाते है साथ ही मांग अनुसार अन्य राज्यों में भी  विक्रय  किए जाते है  बिरगुड़ी परिक्षेत्राधिकारी श्री दीपक गावड़े ने आगे बताया कि रोपणी में पौधा रोपण का कार्य स्थानीय और आसपास के ग्रामीण श्रमिकों के द्वारा संपादित किया जाता है जिन्हें कलेक्टर दर पर भुगतान उनके खाता में  किया जाता है यह सब कार्य राष्ट्रीय रोजगार योजना के मनरेगा के तहत किया जाता है निशुल्क पौधे वितरण के सबंध में उन्होंने बताया कि ग्राम पंचायतों के मांग के अनुसार पौधा तैयार किया जाता है तथा वर्षा पूर्व उसका निशुल्क वितरण किया जाता है अब तक लाखों पौधों का निःशुल्क वितरण गत वर्ष 2020-21में किया जा चुका है प्रकृति से प्रेम और जनजागरूकता के वजह से वन क्षेत्र के रकबा में भी विस्तार हुआ है वर्तमान में बिरगुड़ी रेंज के कोलियारी रोपणी में 23 हजार एलोविरा पौधों का सफल रोपण किया गया है जिससे स्थानीय आयुर्वेद ग्राम दुगली में इसके प्रोसेस यूनिट के माध्यम से अनेक देशी  उत्पाद जैसे साबुन, जेल,बॉडी वॉश, शैम्पू सहित पेय पदार्थों का निर्माण किए जा रहे है एलोविरा के केवल दुगली आयुर्वेद ग्राम के प्रोसेस सेंटर में देने के पीछे परिक्षेत्राधिकारी दीपक कुमार गावड़े का कथन है कि एलोवेरा सहित अन्य औषधियों का उत्पाद वन धन केंद्र द्वारा मांग अनुसार रोपणी में रोपण कर उन्हें दिया जाता है  जिसे वे प्रोसेसिंग कर अन्य देशी उत्पाद,औषधियों  का निर्माण कर बाजार में विक्रय करते है जिससे आम व्यक्ति से लेकर विभाग को भी इसके उपयोगिता का भान होता है तथा विभागीय आय के साथ साथ आम लोगों को भी प्राचीन देशी वनोपज औषधियों के उपयोग  से व्याधि ग्रसित व्यक्ति स्वास्थ्य लाभ भी उठा रहा है यही वजह है कि औषधि युक्त पौधों का उत्पाद एवं अन्य उत्पाद के अलग बेड तैयार कर आधुनिक एवं पारंपरिक फसल समय समय पर लेकर उसके निशुल्क वितरण एवं औषधीय पौधों के रॉ मटेरियल के रूप में जन स्वास्थ्य के प्रति भी कोलियारी रोपणी अपना दायित्व बखूबी निर्वहन कर रहा है 

वही सहायक परिक्षेत्राधिकारी एवं रोपणी प्रभारी टी.एस. ध्रुव जो रोपणी की बड़ी जिम्मेदारी का निर्वहन बड़ी कुशलता एवं चाक चौबंद के साथ श्रमिकों एवं विभाग के मध्य परस्पर तालमेल और समन्वय के साथ कर रहे है उन्होंने बताया कि पूर्व में रोपणी का क्षेत्र सीमित स्थान तक सिमटा हुआ था परन्तु शनैः शनैः इसका विस्तार किया गया है अब यहां औषधि वानिकी फलफूल उत्पाद के साथ साथ वन प्रबंधन समितियों के माध्यम से वर्मी कॉम्पोस्ट खाद का भी वृह्द स्तर पर उत्पाद किया जा रहा है जो राज्य शासन के द्वारा चलाए जा रहे  नरवा,गरुवा,घुरूवा, बाड़ी,योजना जैसे जनहित योजना जिसका सफल निष्पादन ग्रामीण क्षेत्रों के गौठान में किया जा रहा है उक्त योजना के अंतर्गत गौठानों में निर्मित वर्मी कॉम्पोस्ट खाद से भी बेहतर क्वालिटी के खाद  कोलियारी रोपणी में निर्माण किए जा रहे है सहायक परिक्षेत्राधिकारी टी.एस. ध्रुव आगे बताते है कि स्थानीय उपयोग सहित कृषकों को भी मांग अनुरूप खाद विक्रय किया जाता जिसका उपयोग पश्चात कृषकों का कथन है कि कोलियारी रोपणी के जैविक वर्मी कॉम्पोस्ट खाद की गुणवत्ता इतनी बेहतर है कि खाद के ज़मीन में पड़ते ही मिट्टी की उर्वरा क्षमता बढ़ जाती है 

तथा उन्नत फसल भी होती है जिससे दोगुने फसल के लाभ से कृषक लाभान्वित हो रहे है एक प्रकार से कृषकों का मत है कि जिस प्रकार चायपत्ती होती है उसी प्रकार के वर्मी कॉम्पोस्ट जैविक खाद  कोलियारी रोपणी में परिलक्षित होती है एक प्रकार से वे केओलियारी रोपणी के द्वारा निर्मित वर्मी कॉम्पोस्ट खाद  की तुलना चाय पत्ती से भी की जा रही है उसका साक्षात दर्शन करने में जब उसे हाथ मे उठाकर देखा गया तो वास्तव में जैविक वर्मी कॉम्पोस्ट खाद किसी चाय की पत्ती से कम दृष्टिगोचर नही हुई  डिप्टी रेंजर एवं नर्सरी प्रभारी टी.एस. ध्रुव आगे बताते है कि कोलियारी रोपणी में 150 प्रदर्शन बेड है जिनकी  6 मीटर लंबा एक मीटर  चौड़ा टँकी निर्मित किया गया है  वर्मी कॉम्पोस्ट खाद के निर्माण में लगभग सत्तर फीसदी गोबर डाला जाता है साथ ही पैरा या पैराली कुट्टी बनाकर सुखी पत्तियां इकट्ठी की जाती है सब को मिश्रण कर केंचुओं को डाला जाता है जिसमे नमी बनाए रखने के लिए गीला गोबर से कव्हर किया जाता है पश्चात केंचुओं के द्वारा भीतर ही भीतर उथल प्रक्रिया करते रहते है तथा आवश्यकता पड़ने पर टंकी में डाले गए सामग्री खाद को ऊपर नीचे भी किया जाता है जिसके डेढ़ से दो माह के भीतर उत्तम क्वालिटी का वर्मी कॉम्पोस्ट खाद निर्मित हो जाता है डिप्टी रेंजर थम्मन सिंह ध्रुव बताते है कि इसका विक्रय एवं मांग भिन्न भिन्न वन मंडल में वृक्षारोपण कार्यक्रम,रायपुर गरियाबंद,सूरजपुर,अंबिकापुर, कोरबा,इत्यादि में सप्लाय किया गया वही स्थानीय कृषकों को भी मांग अनुसार खाद विक्रय किया जाता है डिप्टी टी.एस. ध्रुव आगे बताते है कि अभी रोपणी को और विस्तृत किया जा रहा है आधुनिक पद्धति के उत्पाद पर अधिक ध्यान आकर्षित कर नए डोम एवं शेड तैयार किए जा रहे है वर्तमान में लगभग 250 बेड है जिनमे औषधीय प्रदर्शन प्लांट,फली हाउस,नेट हाउस ,लेबर शेड,पोटिंग मिश्रण शेड,एवं उपचार के लिए पृथक प्लेट फार्म निर्माण द्रुत गति से किया जा रहा है इनमें अधिकांश शेड में आधुनिक पद्धति से पौधे रोपण किए जाएंगे 


इसके लिए पौधों को सामान्य तापमान में रखने हेतु शीतल  विधुत उपकरण भी लगाए जाएंगे आधुनिक पद्धति और उत्पाद हेतु स्थानीय श्रमिकों को कार्यशाला लगाकर प्रशिक्षण दिया जाएगा तथा  शिशु रूपी पौधों को ऋतु वातावरण अनुकूल एवं सर्वाइव,उंसके ग्रोथ तथा नमी की स्थिति के संदर्भ में प्रशिक्षित सहित अन्य जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी जिस प्रकार बिरगुड़ी रेंज के कोलियारी रोपणी  में आधुनिक पद्धति से उत्पाद एवं फसल हेतु नए नए शेड उपकरण इत्यादि उपलब्ध की जा रही है उससे ज्ञात होता है कि भावी समय धमतरी वन मंडल का कोलियारी रोपणी अपने कालाजयी इतिहास रचने और  लिखने पूर्णत प्रतिबद्ध है  तथा शीघ्र ही अपनी नई सोच कार्यो के प्रति समर्पित भावना लगन और निष्ठा से धमतरी वन मंडल के बिरगुड़ी रेंज अंतर्गत कोलियारी रोपणी का भविष्य काफी उज्ज्वल एवं चमकदार दिखाई पड़ रहा है जिसके दूरगामी परिणाम  वर्तमान से ही सुखद संकेत दे रहे है 





शुक्रवार, 25 मार्च 2022

हां ...मैं बार नवापारा अभ्यारण्य हूं.....

 हां ...मैं बार नवापारा अभ्यारण्य हूं.....

अलताफ हुसैन

रायपुर (छत्तीसगढ़ वनोदय) हां...  मैं बार नवापारा अभ्यारण्य हूँ,,,क्योंकि मैं युगों यूगों से  यहां चट्टान की भांति खड़ा हूँ ,,,मेरा अस्तित्व का इतिहास कब का है यह कोई नही बता सकता पर.. हां.. वर्ष 1947 से 1948 में पहली बार मेरे अंचल में अंग्रेजों ने इतिहासिक भवन बनवाया था जो आज भी 75 वर्षों के अविस्मरणीय  अध्याय का पन्ना बना हुआ है और साथ ही वर्तमान में मेरे नए स्वरूप  का साक्षी भी बना हुआ है ,,, ज़ाहिर है कि  आज़ादी के पूर्व एवं  पश्चात मेरे प्राकृतिक सौंदर्यता ने गोरे विदेशियों को मेरी ओर आकर्षित किया था,, मेरे विशाल सघन वन में स्वतंत्र विचरण करते,खूंखार शेर भालू,चिता,गौर,हिरन, बायसन, वन भैंस,और इन जैसे और भी अनेक जलचर,नभचर,  सरिसृप,वन्य प्राणियों ने जो मेरे परिवार की ही भांति थे वन्य प्राणियों की  उपस्थिति और स्वतंत्र,अभय होकर अरण्य में विचरण करने की वजह से भी विदेशी अफसरों को मेरी ओर पर्यटन हेतु आकर्षित किया था मेरी प्राकृतिक सौंदर्य को बहुत करीब से देखने समझने और यहां के शांत स्वच्छ वातावरण को महसूस करने के उद्देश्य से ही उन्होंने मेरे अंचल के मध्य भूभाग में आज़ादी के पूर्व ही अपने सुखद पल व्यतित करने हेतु  विश्राम भवन बनाए थे तथा कई दिनों तक यहां रहकर शिकार अथवा प्राकृतिक सौंदर्यता को करीब से जानने,,पहचानने का प्रयास करते थे स्वतंत्रता संग्राम के  लिए  केंद्र बिंदु रहे वर्तमान राजधानी रायपुर से मात्र 100 किलोमीटर की दूरी में स्थित बार नवापारा अभ्यारण्य तक पहुंचना बड़ा दुरूह था उस  वक्त प्रचलित आवागमन हेतु उपलब्ध साधन बग्घी,,घोड़े,अथवा चार पहिया वाहन से तय कर विदेशी पूरे लाव लश्कर के साथ यहां पहुंचते क्योंकि सघन प्राकृतिक वन क्षेत्र होने  तथा खूंखार वन जीवों के रहवास के कारण कोई मेरे क्षेत्र में दाखिल अथवा प्रवेश करने का साहस भी नही कर सकता था जब तक वह पूरे सुरक्षा बंदोबस्त चाक चौबंद और रसद के साथ न चले  इसके लिए बड़ी संख्या में कुछ भारतीय मूल के जनजाति आदिवासी नौकर  चाकर मय अस्त्र शस्त्र के चलते ताकि उनके साथ स्वयं के जानमाल की सुरक्षा कर सके तत्कालीन समय  मेरे अंचल में मानव दखल भी न के बराबर था इस संदर्भ में ज्ञात हुआ है कि वर्ष 1940 से 43 के मध्य अंग्रेज ऑफिसर के चाकरी हेतु लाए गए मूल,वनवासी, आदिवासियों को यहां बसाया गया इसकी वजह वन अफसरों को वन में कार्य हेतु कर्मियों की आवश्यकता पड़ती थी जिसकी पूर्ति हेतु  बार नवापारा क्षेत्र में मुट्ठी भर आदिवासी,वनवासी,गोंड, बिंझावर,कंवर,जनजाति के लोगों को बसाया गया जो यहां के मूल  निवासी थे  मेरे इतिहास के पन्ने पलटने पर तथा वन विभाग के अंकित दस्तावेजों  को खंगालने से यह भी ज्ञात हुआ कि मनीराम नामक वन कर्मी द्वारा अंग्रेज अफसरों द्वारा कराए  जाने वाले सागौन प्लांटेशन को देख कर उसके द्वारा मेरे बार क्षेत्र अंचल  में वृह्द भूभाग में सागौन प्लांटेशन करवाया था जो आज भी क्षेत्र में मजूद है एवं उसे मनीराम प्लांटेंशन के रूप में उसके ही नाम पर जाना जाता है  यही नही मेरे मध्यांचल में बसाए गए ग्रामीण वनों से सन्दर्भित  वानिकी कार्यों सहित स्थानीय तौर पर काश्तकारी, कर अपना जीवन निर्वाहन करते थे वे ही मेरे प्राकृतिक सौंदर्यता एवं वन क्षेत्र के धरोहर कर्ता और मूल रक्षक भी थे मेरे सुरक्षा प्रहरी भी थे  उन्हें मैं फल,फूल,के अलावा प्राकृतिक जड़ी,बूटी, और बहुत से वनोपज प्रदान करता था जिसे  वे ग्राम बाजारों हाट में विक्रय कर अतिरिक्त आय का स्रोत बनाए हुए थे मगर आज़ादी पश्चात पूर्ण रूपेण वन से संबंधित विभाग अस्तित्व में आया और यहां अंग्रेज अफसरों के साथ भारतीय अधिकारियों का आवागमन बढ़ गया मेरे सुरक्षा और व्यवस्था के नए नए जतन, किए जाने लगे जब मैं अविभाजित मध्य प्रदेश राज्य के अधीन था तब ही मुझे सन 1973-से 76 के मध्य वन विकास निगम के हवाले किया गया था जहां मेरे सोंधी मिट्टी की खुशबू और स्वच्छ वातावरण जिसमे साल और सागौन जैसी बेशकीमती इमारती काष्ठों वाले वृक्षों की प्रचुरता थी उसका दोहन कर वन विकास निगम उसका व्यवसायिक उपयोग करने लगा  पश्चात मेरे अंचल में निवासरत वन्यप्राणी परिवार का शिकार कुछ ज्यादा बड़ा

तब मेरी सुध पूर्ववर्ती मध्य प्रदेश के अधीन वन विभाग ने लेते हुए वर्ष 1976 मे इसे आरक्षित करते हुए  मुझे संरक्षित वन क्षेत्र घोषित कर  दिया पश्चात धीरे धीरे मुझे अभ्यारण्य के रूप में विकसित किया गया मेरे अंचल में बसे ग्राम बार और नवापारा को मिला कर मेरा नाम  बार नवापारा अभ्यारण्य के रूप में मेरी पहचान विकसित की गई आज भी छग राज्य वन विकास निगम में मेरा एक बहुत बड़ा भूभाग उनके अधीन है जिसमे 1974-76  में कराए गए सागौन वृक्षा रोपण जो छग वन विकास निगम की आर्थिक रीढ़ की हड्डी  बनी हुई है मेरे अंचल मे उनका लगभग 121 कंपार्टमेंट है जिसका कुल क्षेत्र फल 352.471 हेक्टेयर में है जिसमे सागौन बांस भिर्रा छग वन विकास निगम के प्रमुख आय का स्त्रोत बना हुआ है जिसका वार्षिकी विरलन कर इनके  सेवारत कर्मियों के समूचे परिवार का पालन पोषण होता है बदले में वन विकास निगम राज्य सरकार को भी लाभांश राशि देती  है वर्तमान में मैं बलौदाबाजार वन मंडल के अंतर्गत आरक्षित सामान्य वन क्षेत्र 244.66.वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ हूं जिसे  सहेजा गया है शेष छग राज्य वन विकास निगम के हिस्से में चला गया इस तरह मेरे विशाल भूभाग को  कागजी दस्तावेजो में दो हिस्सों में विभाजित कर दिया गया फिर भी मेरे अंचल मे संरक्षित और अभय होकर विचरण करते वन्य प्राणियों के लिए अभ्यारण्य उनके मूल रहवास के रूप बना हुआ है और वे  सरहदों की परवाह किए बगैर निर्भय होकर बिना बंदिश के विचरण करते रहते  है कभी  मेरे गगन चुंबी वृक्षों की छांव में जो मेरे श्रृंगार है  उसमें पीढ़ी दर पीढ़ी स्वछंद विचरण करने वाले वन्य प्राणी  परिवार आज भी  मुक्त वातावरण में दूर दूर तक विचरण कर अठखेलिया करते दृष्टिगोचर हो  रहे है 

*प्रकृति सौंदर्य*

मेरे विशाल सौंदर्य का राज़ मेरे इर्दगिर्द ऊंचे ऊंचे पर्वत माला है जो मेरी भुजाएं है मैं स्वयं ऊंचे नीचे असमतलीय भूभाग में रचा बसा हूँ मेरी सौंदर्यता ऊंचे ऊंचे पेड़ पौधों जिनमे उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती के बांस,सागौन,और साल, सहित महुआ,सेमल,चार,तेंदू,बेर,सेमल जैसे पेड़ों की प्रचुरता है जिनमे वर्ष मे एक बार पतझड़ की स्थिति अवश्य बनती है 

फिर भी दो छोर में बालमदेही महानदी और जोंक नदी प्रवाहित है जिस की वजह से मेरे अंचल में नमी बराबर बनी रहती है  मेरे संपूर्ण बार अभ्यारण्य क्षेत्र बारह मासी सामान्य तापमान विसर्जित करता रहता है वही सामान्य तापमान की एक वजह बालम देही नदी जो पश्चिम की ओर से बहती है वही जोंक नदी उत्तर पूर्वी नदी से  प्रवाहित है जिसका जल अपना मार्ग तय करते हुए छोटे बड़े पोखर एवं स्त्रोत के माध्यम से चारो ओर क्षेत्र में नमी और पानी का रिसाव अनवरत करता रहता  है जो हमेशा अभ्यारण्य क्षेत्र में नमी बनाए रखने के साथ ही वन्य प्राणियों की प्यास शांत करता है मध्य क्षेत्र में होने के कारण भीषण ग्रीष्म ऋतु की उष्णता से गड्ढे सुख जाते है जिसके लिए वन विभाग द्वारा वर्षों पूर्व मेरे अंचल के अनेक वन क्षेत्र स्थलों पर तालाब निर्माण करवाया गया था जिससे वन्य प्राणियों के प्यास की समस्या लगभग समाप्त हो जाती है  विभाग द्वारा बहुत सी योजनाओं पर भी कार्य किया हुआ है जिनमे मुख्यतः सुगम आवागमन हेतु कच्ची मुरुमी सड़क,जो वर्ष 2005 से-10 के मध्य में कराए गए थे,वर्ष 2012-13  में पहली बार बढ़ते पर्यटकों की संख्या को ध्यान में रखकर बारह कक्ष निर्माण किया गया था जो तात्कालिक रेंजर व्ही. एन. मुखर्जी,एवं जे जे.आचार्या जैसे कर्तव्य निष्ठ अधिकारियों के माध्यम से कराए गए थे जिसमें शयनकक्ष के अलावा समस्त सुविधाएं उपलब्ध कराई गई थी  इसके अलावा  पुल,पुलिया, रपटा,फायर वॉच टॉवर भी उसी काल की देन है   वन्य प्राणियों की सुरक्षा और दावानाल रोकने फायर वॉच टॉवर निर्माण किए गए थे ताकि ग्रीष्म ऋतु में वनों में लगने वाली आग को त्वरित रोका जा सके और वन,एवं वन्य प्राणियों की आग से होने वाली जान माल की क्षति को बचाया जा सके

*राज्य निर्माण पश्चात अभ्यारण्य पर्यटन हेतु बार का द्वार खुला*

 काफी वर्षों तक आरक्षित वन क्षेत्र होने की वजह से मेरे अंचल में कोई खास  प्रकार के निर्माण नही किए गए जैसे ही वर्ष 2001 पश्चात छत्तीसगढ़ राज्य अस्तित्व में आया तब  से ही मेरी व्यवस्था रखरखाव एवं सुरक्षा हेतु विशेष योजनाएं बनती गई सर्व प्रथम पगडंडी रूपी मार्ग को व्यवस्थित करते हुए ईमानदार कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों ने कच्चे सड़क मार्ग का निर्माण किया जिस पर आज भी  स्थानीय ग्रामीण एवं पर्यटक आवागमन करते है

तत्कालीन समय वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए ऐसे संवेदनशील स्थलों को कांटेदार तारों से फेंसिंग की गई थी जहां वन्य प्राणी स्वतंत्र, स्वच्छंद होकर एक स्थान से दूसरे स्थान में सहजता से पहुंच जाते थे और एक प्रकार से उनकी सुरक्षा भी हो जाती थी मगर  वर्षो पूर्व कराए गए कंटीले तारो की फेंसिंग अब जीर्णशीर्ण अवस्था मे पहुंच चुका है जिससे पर्यटकों एवं वन्य प्राणियों  के लिए  जान का खतरा का सबब बन सकता है क्योंकि ऐसे भी बहुत से अति संवेदनशील क्षेत्र है जहां भालू चीता, जैसे वन्य प्राणियों का एक छोर से दूसरे छोर आवागमन अनवरत बना रहता है गाड़ियों के शोर शराबे,  परिवर्तित, ऋतु एवं विपरीत वातावरण के चलते  वन्य प्राणियों की मानसिक स्थिति भी बदलती रहती है वे कभी भी आक्रोशित हो कर हमला कर सकते है अतएव ऐसे वन स्थलों पर फैंसिंग करने की अति आवश्यकता है  वही मेरा क्षेत्र असमतलीय भूभाग मे होने की वजह से कई स्थलों में ढालान की स्थिति निर्मित होती है जिस पर अनवरत जल प्रवाहित होता था उस पर अस्थायी सड़क,रपटा,अथवा मार्ग निर्मित किया गया था रेतीला क्षेत्र होने की वजह से वर्तमान परिवेश में वे इतने गहरे गड्ढे नुमा स्थिति में पहुंच चुके है कि रेतीले गड्ढे होने के कारण गाड़ी अथवा मोटर सायकिल के दुर्घटना होने की आशंका बनी रहती है मैं नही चाहता कि मेरे धरती रूपी काया पर कोई चोटिल अथवा घायल हो इससे मेरी व्यवस्था पर सवाल उठता है  उसके भी सुधार कर खोलदार, पुल,रपटा  अथवा निर्माण की आवश्यकता महसूस की जा रही है ताकि प्रवाहित जल स्रोत भी अनवरत जारी रहे एवं आवागमन भी सुगम हो सके   ग्रीष्म ऋतु में सर्वाधिक तापमान की तपिश होने एवं जल अल्पता की वजह से मेरे गोद मे कई स्थलों पर पोखर,ताल,तालाब निर्माण किए गए थे ताकि  वन्य प्राणियों को यत्रतत्र पानी के लिए न भटकना पड़े इसके लिए यदि ग्रीष्म ऋतु में जल अल्पता होती है तब उसके भराव के लिए बोर अथवा ट्रेक्टर के माध्यम से आपूर्ति की जानी चाहिए

वही मेरा क्षेत्र अति उष्ण कटिबद्ध रेखा में आने के कारण ग्रीष्म ऋतु मे मेरी हरीतिमा युक्त शरीर पर यहां वहां बिखरे गिरे पतझड़ के  सूखे पत्तों में आग लगने से मेरे शरीर के झुलसने की संभावना अधिक रहती है ऐसी परिस्थितियों से निपटने विभाग द्वारा पूर्व में फायर वॉच निर्माण किए गए थे  जिसमे वन चौकीदारों की नियुक्ति होनी चाहिए ताकि उनकी सुरक्षा एवं चाक चौबंद सुरक्षा के बीच मेरे प्राकतिक स्वरूप की हरीतिमा में  निखार बनी रहे 

*बार स्थित पर्यटक ग्राम ने लाई पर्यंटन में क्रांतिकारी बदलाव*

 मेरे बार नवापारा अभ्यारण्य का सर्वाधिक आकर्षक क्षेत्र बार स्थित पर्यटक ग्राम को माना जाता है जहां बारह कक्षों की शुरुआत धीरे धीरे 34-से 36 कमरों के ग्राम के रूप में अवश्य परिवर्तित हुआ है यहां क्षेत्र में पहुंचते ही पर्यटकों का मन आल्हादित हो जाता है और मेरे हरियाली युक्त वातावरण और वन्यप्राणियों के दर्शन मात्र कल्पना से  उनके रोमांच की स्थिति निर्मित हो मन प्रफुल्लित होकर पर्यटकों का दिल बल्लियों  की तरह उछलता है यहां उनके रहने ठहरने और भोजन की पूर्ण व्यवस्था सृजन किया गया है जिसकी फीस ही 250-  रुपये से लेकर 800 रुपये तक डोरमेट्री रूम किराए में सुविधा अनुसार उपलब्ध कराए जाते है यहां रिसेप्शन कक्ष के अलावा म्यूज़ियम भी है जहां वन्य प्राणियों के संदर्भ में पूर्ण ज्ञान लिया जा सकता है यहां पर बकायदा गाइड द्वारा विभिन्न प्रकार के हिंसक एवं  शाकाहारी प्राणियों सरीसृप,जीव,नभचर पक्षियों  तितलियों सहित अन्य गौर,वन भैंसा वन प्राणियों की जानकारी उपलब्ध कराई जाती है  यहां बकायदा रेस्टोरेंट भी उपलब्ध है जहां स्वादिष्ट भोजन आर्डर पर उपलब्ध कराया जाता है चारो ओर मचान रूपी कक्षों का निर्माण  नैसर्गिक वातावरण में निर्मित किया गया है मध्य में बच्चों के खेलकुट उपकरण फिसलपट्टी सहित गोल चकरी एवं अन्य उपकरण लगाए गए है जिसके मध्य ही हजारों वर्षीय विशाल बूढ़े बरगद के पेड़ मौजूद है जो  वर्षों के इतिहास के साक्षी बने हुए है वे इसलिए भी कि यहां उनकी वृक्षों के शीर्ष से दाढ़ी नुमा निकली जड़ें आज भी जमीन को थामे अपना अस्तित्व बचाने संघर्षरत होती दिखाई पड़ती है करीब ही ऊंचे मिट्टी के निर्मित बांबी धार्मिक मान्यता की गवाही देते है परिसर में एक ओर गार्डन का रूप भी दिया गया है जहां लगे कुर्सी पर्यटकों के परस्पर विचार मन्त्रणा,और परिवार संग हंसी ठिठोली के साथ एन्जॉय कर प्रकृति का आनंद उठा सकते है यहां चारो ओर रंग बिरंगे फूलों से मनोहारी दृश्य निर्मित किया गया है  मेरे बारे में सर्वाधिक ज्ञान एवं पर्यटकों के मनोरंजन के उद्देश्य से मिनी थिएटर भी निर्मित है जहां वन्य प्राणियों,प्राकृतिक से सन्दर्भित फ़िल्म दिखाई जाती है यहां नाटक प्रहसन का आयोजन भी किया जाता है इस मिनी थियेटर की संरचना आदिवासी कला से निर्मित कर उसे आकर्षक रूप प्रदान किया गया है  मुख्य द्वार पर ही बंदरों चीते एवं गौर की विभिन्न मुद्राओं में भाव भंगिमा युक्त मूर्ति निर्माण किए गए है जो पर्यटकों को मेरी ओर आकर्षित करने पर्याप्त है इस संदर्भ में अधीक्षक कुदरिया साहब कहते है कि बार नवापारा एक विश्व प्रसिद्ध पर्यंटन स्थल है यहां स्थानीय पर्यटकों के अलावा देशी विदेशी सैलानियों का लगातार अवागमन रहता है पर्यटन स्थल बार वर्षा ऋतु  जून से लेकर अक्टूबर में ही बंद रहता है तथा एक नवंबर से  पन्द्रह जून तक खुला रहता है  इस वर्ष सर्वाधिक पर्यटक बार नवापारा अभ्यारण्य में भ्रमण हेतु आए थे जो आपने आप मे एक रिकॉर्ड है वही परिक्षेत्राधिकारी कृपालु चंद्राकर का कहना है कि बार नवापारा पर्यटन स्थल विश्व विख्यात पर्यटन स्थल है यहां पर्यटक स्वच्छंद विचरण करते वन्य प्राणियों को मुक्त वातावरण में देखना किसी रोमांच से कम नही है राजधानी रायपुर सहित देश विदेश के पर्यटकों का यहां अनवरत आवागमन रहता है परिक्षेत्राधिकारी कृपालु चंद्राकर आगे बताते है कि संपूर्ण व्यवस्था और अभ्यारण्य की सुरक्षा की दृष्टिकोण से स्थानीय निवासियों को रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से वन विभाग द्वारा चक्र वृद्धि के अंतर्गत उन्हें लोन में दिया गया है तथा वे ही इसके रखरखाव सहित बहुत से निर्माण कार्यों का निष्पादन करते है यहां तक पर्यटकों के भ्रमण हेतु गाइड इत्यादि भी स्थानीय ग्रामीण ही होते है जिसका लाभ पर्यटक सफारी भ्रमण  का लुत्फ उठाते है

  सेवा निवृत्त हो चुके तथा वर्षों से बार नवापारा अभ्यारण्य की व्यवस्था को सम्हाले अनुभवी ऊर्जावान कर्तव्य निष्ठ बार पर्यटक ग्राम के प्रभारी पी.एल.मिश्रा ने बताया की छः वर्षों से पर्यटक ग्राम में मैनेजर के प्रभार में हूं तथा इसके पूर्व देवपुर विश्राम गृह में उप वन क्षेत्र पाल के पद से सेवा निवृत्त हुआ हूँ पर्यटक ग्राम बार के प्रभारी मिश्रा जी बताते है कि 34 कक्षों का पर्यटक ग्राम का सफल संचालन अनवरत जारी है  यहां 300 रुपये से लेकर 800 रुपये तक श्रेणी अनुसार कक्ष उपलब्ध कराए जाते है भोजन में स्वादिष्ट और ताज़ा भोजन प्राप्त होता है तथा भ्रमण हेतु पूरा बार नवापारा क्षेत्र उपलब्ध है  भविष्य में इसके और विस्तार किए जाने की संभवना व्यक्त की है उन्होंने बताया अधीक्षक कुदरिया साहब के आगमन के साथ ही यहां गार्डन,कक्षों इत्यादि में सुधार हुआ है इंटरकॉम में सुधार किया गया है  साथ ही पर्यटकों को अधिक से अधिक सुविधाएं उपलब्ध कराने के प्रयास किए जा रहे है पर्यटकों के मनोरंजन की दृष्टिकोण से इन्टरपीटीशन सेंटर है ओपन थियेटर है जहां ज्ञान,शोध, फोटोग्राफी,सहित वन्य प्राणियों और प्राकृतिक के ऊपर फिल्मों का प्रदर्शन किया जाता है शनिवार, रविवार,को स्थानीय कलाकारों द्वारा सुआ नृत्य का आयोजन भी पर्यटक ग्राम द्वारा आयोजित किया जाता है पर्यटकों का बार बार पर्यटन स्थल में आना इससे ज्ञात होता है कि उन्हें पर्यटन स्थल बार और पर्यटक ग्राम उन्हें बहुत अच्छा लग रहा है 

*मेरी कमियों को दूर करो सरकार*

जैसा कि मेरे प्रहरी एवं रख रखाव सुरक्षा के व्यवस्थापक मेरे बार नवापारा के वर्तमान पदस्थ अधिकारी  अधीक्षक  कुदरिया साहब एवं वर्तमान पदस्थ रेंजर कृपालु चंद्राकर जैसे अनुभवी और  युवा जुझारु अधिकारियों ने  जैसा बताया है कि  कैम्पा मद से जारी नरवा प्रोजेक्ट  कार्य हेतु कोई बजट प्राप्त नही हुआ जबकि मेरे पालनहार बलौदाबाजार वनमण्डलाधिकारी कृष्ण राम बढई साहब का कथन है कि   छग वन जलवायु विभाग द्वारा  कैम्पा मद से बहुत से कार्य  किए गए है तथा तथा बलौदाबाजार वन मंडल अंतर्गत बार नवापारा मे भी नरवा प्रोजेक्ट का कुछ स्थलों में सफल क्रियान्वयन हो रहा है

परन्तु वर्तमान पदस्थ अधिकारियों के कथनानुसार कैम्पा मद से ऐसा कोई कार्य न होना बताया जाना बड़ी उहापोह की स्थिति निर्मित करती है अब मैं बलौदाबाजार वन मंडलाधिकारी कृष्ण राम बढ़ई की बात सही मानूं या मैदानी क्षेत्र में पदस्थ अधिकारियों की बातों को सत्य मानूं वास्तविकता क्या है ये तो वही जाने पर यह उतना ही कटु सत्य है कि  मुझ अभागे को ऐसा कोई बजट अथवा राशि प्रदाय नही किया गया जिनसे चेक डेम के अलावा सुरक्षात्मक दृष्टि कोण से वनों के चारों ओर फेंसिंग,उबड़ खाबड़ गड्ढे,को समतली करण करवा कर आवागमन सुगम बनाया जा सके वनों के साथ मानव जीवन एवं वन्य प्राणियों  की सुरक्षा की जा सके वर्तमान में मेरी सुरक्षा हेतु कोई भी उत्कृष्ट कार्य नही किया गया जिससे मेरा मन गर्वित हो सके क्योंकि गड्ढों में मुरुम भरना अलग बात है परन्तु  इससे क्या आवागमन सहज सरल होगा

वही छग राज्य वन विकास निगम के रेंजर एम्ब्रोस एक्का साहब जो  वानिकी कार्यों में बहुत ज्यादा पारंगत है तथा रायकेरा नर्सरी में उन्होंने अपना लंबा समय व्यतीत कर दिया तथा वर्तमान में वे बार से लगे रवान परिक्षेत्र के अधिकारी है उनका कथन था कि रवान क्षेत्र के इस ओर कुछ वर्ष पूर्व सड़क निर्माण किया गया था जिसका हजारों का भुगतान अब  तक लंबित है  मेरा सवाल उन अधिकारियों और वन कर्मचारियों से है जब मेरे अंचल में पर्यटन  हेतु आए पर्यटकों से विभाग लाखों की आय अर्जित करता है छग वन विकास निगम मेरे सागौन पेड़ो  का विरलन कर लाखों करोड़ों की आय अर्जित कर सकती है तो मेरे रख रखाव,सुरक्षा हेतु उक्त राशि का उपयोग क्यो नही किया जाता ? क्यों मेरे साथ दोयम दर्जे का व्यवहार  किया जाता है ? क्योंकि इसलिए कि ..मैं केवल बार नवापारा अभ्यारण्य हूँ ?..  एक भ्रमण स्थल,.मेरी सौंदर्य को निहारने पर्यटको के साथ साथ विभाग के चोटी के अधिकारी अपने परिवार संग यहां  केवल आ सकते है ...मेरे परिवार वन्य प्राणियों के दर्शन कर सकते है ...  और  वर्ष भर मेरे दर्शनार्थ एवं पर्यटन से विभाग को  लाखों करोड़ों का आय देकर उनका और उनके परिवार का पोषण भी कर सकते है परन्तु मेरे रख रखाव सुरक्षा और विस्तार हेतु कोई राशि व्यय नही कर सकते वह इसलिए कि मैं केवल प्राकृतिक वरदान पर निर्भर बना रहूं और मेरे पर्यटन से विभाग लाखों करोड़ों आय अर्जित करता रहे.. मगर जाते हुए मैं यही कहना चाहूंगा कि मेरी यही प्राकृतिक सुंदरता उसकी वैभवता जब समाप्त होगी तभी विभाग मेरी सुध लेगा क्या? मैं केवल उन वन कर्मियों पर आश्रित हूँ जो केवल अपना कार्य कर कर्तव्य परायणता का दंभ भरते है मगर मेरे सुरक्षा,एख रखाव,और विस्तार से उनको कोई लेना देना नही मेरे वो दृश्य जो मैं महसूस करता हूँ  हरे भरे हरीतिमा वातावरण के मध्य   रिक्त  विशाल भूभाग चटियल होते मैदानी स्वरूप में   सूखते पीले  और ज़र्द पत्ते की आभा विहीन क्षेत्र  जिसे देखकर मुझे अपनी काया किसी कुष्ठ रोगी होने का अहसास कराते है परन्तु  ऐसी स्थिति को देख कर भी ये अधिकारी उसे अनदेखा कर देते है  .. ... जी हां, मेरे ऐसे भी कई  क्षेत्र है जहां  कच्चे पगडंडी रूपी सड़क से ही पूरा मैदान स्पष्ट  नज़र आने लगता है क्या वहां बिगड़े वनों के सुधार के उद्देश्य से जिसके लिए विभाग लाखों की राशि जारी करती है उस राशि से अभ्यारण्य में वृक्षारोपण नही किया जा सकता ? या छग वन विकास निगम जो वार्षिकी  विरलन के नाम पर मेरा विदोहन करती रहती है और प्लांटेशन लगाने के नाम पर बजट का रोना लेकर कब तक रोते रहेंगे कब तक वर्षों पूर्व पूर्वजो के द्वारा कराए गए  प्लांटेशनों के ऊपर निर्भर रहेंगे ?  एक प्रकार से छग राज्य वन विकास निगम एवं वन विभाग सरहदों में उलझ कर पहले आप पहले आप...कर मेरी कब तक उपेक्षा करते रहेंगे अब मुझे ऐसा प्रतीत होने लगा है कि मेरे पर्यटन  स्थल के दर्शन हेतु आए पर्यटकों से  अर्जित आय से ही ( संभवत रख रखाव और व्यवस्था राशि निकलती ही है ) यदि मेरे अस्तित्व एवं सौंदर्यता नही बढ़ाई जा सकती तो शनैः शनैः हो रहे मेरे दोहन और खोखले होते अस्तित्व के समापन से ऐसे आय का क्या लाभ ?  जो मेरे  प्रकृति को बचाने मेरी पहचान अक्षुण्य बनाए रखने में काम न आए ! और मुझ पर  थोड़ी सी राशि भी व्यय नही किया जाए.अब तो थोड़ा संवेदनशील बन मेरे अस्तित्व बचने  ..... मेरी इन कमियों को दूर करो सरकार.......

सोमवार, 21 मार्च 2022

छग संवाद में सफाई कर्मियों का आर्थिक शोषण

 



छग संवाद वन विभाग, सहित अन्य विभागों  में सफाई कर्मियों का आर्थिक शोषण 


रायपुर  छत्तीसगढ़ संवाद वन विभाग सहित अन्य विभाग में विगत पांच वर्षों से साफ सफाई में कार्यरत सफाई कर्मियों का आर्थिक शोषण लगातार किया जा रहा  बताया जाता है कि छग संवाद,वन विभाग अन्य विभाग   में कार्यरत सफाई कर्मियों का अनुबंध कामथेन सर्विस, वन विभाग में मिडास सर्विस  नामक संस्था से किया गया है जहां स्थानीय पुरुष महिला ग्रामीणों को रोजगार दिया गया था जिसमे लगभग  सत्रह कर्मी कार्यरत छग संवाद में कार्यरत है इन्हें प्रति माह 6000 रुपये वेतन मान दिया जाता है जो कि  निर्धारोत ,,कलेक्टर दर से भी कम है यदि कलेक्टर दर से इन्हें वेतन दिया जाता तो इन्हें लगभग नौ हजार नौ सौ रुपये प्राप्त होता किंतु  कथित काम थेन, सर्विस के दीपक त्रिपाठी द्वारा समस्त नियमो की धज्जियां उड़ाते हुए इन्हें मात्र छ हजार रुपये वेतन दिया जा रहा है उसपर भी पीएफ कटौती के नाम पर दो सौ से लेकर तीन सौ रुपये तक कटौती अलग कर दी जाती है जिससे इनके लगातार आर्थिक शोषण जारी है  जिसकी शिकायत छग संवाद के,,,उच्च अधिकारीयों से भी  किया गया मगर इस ओर कोई ध्यान नही दिया गया इस सिलसिले में अब सफाई कर्मी कलेक्टर से शिकायत करने की बात कह रहे है

गुरुवार, 17 मार्च 2022

गृहमंत्री साहू ने प्रदेशवासियों को दी होलिका दहन और होली की शुभकामनाएं*

 

*गृहमंत्री साहू ने प्रदेशवासियों को दी होलिका दहन और होली की शुभकामनाएं*

रायपुर (मिशन पोलिटिक्स न्यूज़)प्रदेश के लोक निर्माण व गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने होलिका दहन एवं होली के पावन अवसर पर सभी प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए उनके सुखी व समृद्धिशाली जीवन की कामना की है। श्री साहू ने अपने बधाई संदेश में कहा है कि होलिका की पवित्र अग्नि में आप सभी के सारे कष्ट और समस्याएं जल कर नष्ट हो जाएं। साथ ही उन्होंने होली की पूर्व संध्या पर लोगों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि होली हमारे भारतीय संस्कृती का प्रमुख पर्व है; जो लोगों के जीवन में खुशी, उत्साह व उमंग का संचार करता है। उमंग और उत्साह से परिपूर्ण यह रंगोत्सव आपके जीवन में खुशियों के नए रंग भरे और आप सभी जीवन में नित नई सफलता अर्जित करें, यही ईश्वर से मेरी कामना है।

मीडिया पत्रकार मंच" ने वरिष्ठ पत्रकार दिनेश सोनी को सौंपी जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी

 




"मीडिया पत्रकार मंच" ने वरिष्ठ पत्रकार दिनेश सोनी को सौंपी जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी

रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़)विगत 10 सालों से पत्रकार  हित में सदैव तत्पर और उनके साथ होने वाले अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने वाले मीडिया पत्रकार मंच ने वरिष्ठ पत्रकार दिनेश सोनी को रायपुर जिला अध्यक्ष के पद पर नियुक्त किया है। मीडिया पत्रकार मंच के प्रदेश अध्यक्ष नितिन लॉरेंस ने दिनेश सोनी को जिला अध्यक्ष के पद पर नियुक्ति दी है। इस सम्बंध में जानकारी देते हुए नितिन लॉरेन्स ने कहा कि, लंबे समय से पत्रकारिता जगत से जुड़े दिनेश सोनी ने हमेशा पारदर्शिता के साथ पत्रकारिता की है। चाहे बात पत्रकारों हितों की हो अथवा उनसे जुड़ी समस्याओं की उसे बड़ी प्रखरता और प्रमुखता के साथ निर्भीक होकर उजागर किया है वही आम जनमानस एवं आदिवासियों की आवाज मुखर करने की हर क्षेत्र में दिनेश सोनी ने अपनी नैतिक जिम्मेदारी से निर्वहन किया है। उनकी कर्मठता और पत्रकारिता के प्रति सच्ची लगन और ईमानदारी को देखते हुए मीडिया पत्रकार मंच ने उन्हें इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के पद पर आसीन किया है।

वन विभाग मुख्यालय अरण्य भवन मे बस चालक युवक द्वारा फांसी लगाकर आत्म हत्या

  



वन विभाग मुख्यालय अरण्य भवन मे बस चालक युवक द्वारा फांसी लगाकर आत्म हत्या  

रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़) नवा रायपुर अटल नगर स्थित अरण्य भवन के मुख्यालय ऑफिस में रायपुर फाफाडीह निवासी शत्रुघ्न नेताम उम्र लगभग 37 साल के युवक ने जो वन विभाग  में ही  बस चालक था बीती रात फांसी लगाकर आत्म हत्या कर ली युवक के संदर्भ में बताया जाता है कि वह वन  विभाग  में ही बस चालक के पद पर कार्यरत था तथा रोज की भांति  बस रायपुर वन मंडल कार्यालय में  खड़ी कर अरण्य भवन ऑफिस नवा रायपुर  गया था सुबह  जब सफाई कर्मी  साफ सफाई करने मुख्यालय पहुंचे तब उसके द्वारा फांसी लगाकर खुदकुशी करने की बात सामने आई  उसने फांसी किन कारणों से लगाया यह ज्ञात नही हो सका परन्तु दबी जबान में मामला प्रेम प्रसंग का होना बताया जा रहा है युवक पूर्व से ही शादी शुदा बताया जा रहा है फिलहाल नया रायपुर के  द्वारा राखी थाना में मर्ग कायम कर  मृतक के द्वारा किन कारणों से खुदकुशी की है उन कारणों का पता लगाया जा रहा है  साथ ही बारीकी से विवेचना की जा रही है

रविवार, 13 मार्च 2022

वाह वाह रे पानाबरस योजना...... भ्रष्टाचार के ढेर में सुई खोजना

  

वाह वाह रे पानाबरस योजना...... भ्रष्टाचार के ढेर में ईमानदारी की सुई खोजना 



अलताफ हुसैन
रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़) राजनांदगांव स्थित पानाबरस परियोजना मंडल में पिछले अंक में पांच करोड़ की राशि  के घोटाले और 35 लाख में सेटलमेंट शीर्षक से समाचार का प्रकाशन सोशल मीडिया के माध्यम से  किया गया था जिसमे बार नवापारा परियोजना मण्डल के डीएम आईएफएस अधिकारी शशि कुमार  द्वारा अपनी पूरी टीम के साथ मोहला परिक्षेत्र मे वर्ष 2019- 2020-2021 मे कराए गए बिगड़े वनों के सुधार के उद्देश्य से औद्योगिक वृक्षा रोपण कार्यों में  अनियमितता एवं  भ्रष्टाचार किए जाने की जांच रिपोर्ट मुख्यालय सौंपी थी ये बात अलग है कि उसी समय उनका तबादला दुर्ग रेग्युलर फॉरेस्ट में हो गया और मामले की लीपापोती करने के उद्देश्य से वित्त प्रबंधक लेखा  के प्रमुख एवं  संविदा नियुक्त अधिकारी भोजराज जैन द्वारा उन्ही व्यक्तियों को पुनः निरक्षण एवं जांच की कमान सौंपी दी जो उपरोक्त प्लांटेशन को संपादित करवाया था जबकि वरिष्ठ अधिकारी एवं वन विकास निगम के प्रबंध संचालक श्री पी.सी.पांडे साहब ने तत्काल इसके जांच के आदेश दिए थे परन्तु मुख्यालय वन विकास में भ्रष्टाचार एवं भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने वाले वित्त प्रबंधक लेखा शाखा के भोजराज जैन द्वारा एक आईएफएस अधिकारी के द्वारा निरीक्षण जांच रिपोर्ट को झुठला कर पुनः उन्ही अधिकारियों एवं वन विकास निगम कर्मियों को जांच करने  के आदेश दे दिए जिन्होंने मैदानी क्षेत्र में वर्ष 2019- 2020-21 में वृक्षा रोपण कर कार्यों को संपादित करवाया था और लगभग पांच करोड़ की शासकीय राशि का घोटाला कर कमीशनखोरी,और बंदरबांट कर गबन कर दिया था फिर इसकी जांच आईएफएस अधिकारी द्वारा स्थल निरीक्षण कर अपनी जांच रिपोर्ट मे  मात्र बीस प्रतिशत रोपण  सागौन पौधों के जीवित होने की जानकारी वाली रिपोर्ट मुख्यालय सौंप दी थी मगर वित्त प्रबंधक लेखा के भोजराज जैन ने आईएफएस अधिकारी के जाते ही जांच की रिपोर्ट पर अविश्वास व्यक्त करते हुए उन्ही अधिकारियों कर्मचारियों को पुनः निरीक्षण कर जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने कहा है जिन्होंने मैदानी क्षेत्र में खड़े होकर गड़बड़ घोटाला कर शासकीय राशि गबन की थी 

इस संदर्भ में जब वास्तविकता की जांच करने स्वयं फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़ की टीम मोहला के ग्राम मिस्प्रि  के जक्के बोरिया,भोजटोला,के कक्ष क्रमांक सी/493  सहित अन्य कक्ष में किए गए रोपण की वास्तविक धरा पर मुआयना किया जिस में भारी अनियमितता पाई गई तथा जैसा कि 30 हेक्टेयर भूभाग में लगभग 62 हजार सागौन रोपण किया जाना था परन्तु वहां की स्थिति देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि मात्र पांच से सात हेक्टेयर वनों के सामने  भूभाग में हो रोपण कार्य संपादित  किया गया  मजेदार बात यह है कि रोपण स्थल के अधिकांश कक्ष क्रमांक क्षेत्र में पूर्व में विरलन किए गए सागौन जो अपरिपक्व थे उनका पातन किया गया था वह भी उसके मैच्युरिटी होने के पूर्व ही बड़ी संख्या में सागौन के बल्ली साइज के रोपण को तहस नहस कर दिया गया यह सब किसके आदेश से हुआ यह बात का विषय है परन्तु जैसा निरीक्षण में पता चला कि वहां उन्ही सागौन में पुनः कॉपीज निकलने प्रारंभ हो गए तथा लगभग डेढ़ से तीन फीट की स्थिति में सर्वाइव कर रहे है उसे ही रोपण क्षेत्र बता दिया गया जबकि स्थानीय श्रमिकों द्वारा जिन्होंने तात्कालिक समय रोपण कार्यों में हिस्सा लिया था उनका मत है कि पारिश्रमिक तो 356 के सरकारी कलेक्टर दर से उनके खातों में पहुंच जाती थी परंतु कितने श्रमिकों के खातों मे राशि पहुंचती थी वह बताने में वह कतराने लगा  
इस संदर्भ में  मिस्प्रि के कक्ष क्रमांक 558 में स्थल निरीक्षण किया गया तब वहां सागौन रुटशूट के माध्यम से रोपण किए गए पौधे बहुत कम क्षेत्र में नज़र आए यानी एक प्रकार से जो रोपण संपादित किए गए है उनकी ऊंचाई भी इतनी थी कि वह दृष्टिगोचर नही हो रहे थे एक प्रकार से यह कह सकते है कि ...  भ्रष्टाचार के ढेर में ...ईमानदारी की सुई ढूंढने वाली कहावत सत्य साबित हो रही थी .. ...  यह स्थिति मिस्प्रि ग्राम के जक्के बोरिया के अलावा ग्राम देवबणवी के कक्ष क्रमांक 437 जिसमे भी  32 हजार सागौन  पौधे बहुत कम  स्थल क्षेत्र में जिसकी ऊंचाई का पता नही जो संभवतः तीन इंच भी नही होगी वे या तो गाय के द्वारा रौंद दिए गए या फिर रोपण ही नही हुआ तथा बचे खुचे पौधे पर्णपाती के सूखे पत्तों में ढंक चूके थे  जो दिखाई भी नही दे रहे है इसके अलावा मोहला के गडग़ांव  स्थित कक्ष क्रमांक 482-484 की स्थिति भी यही थी अब सवाल उठता है कि वन विकास निगम द्वारा उपरोक्त रोपण क्षेत्र में प्लांटेशन हेतु करोड़ों रुपये जारी किया था क्या वह रुटशूट रोपण के लिए प्रदाय किए गए थे ? बताते चले कि कोई भी प्लांटेशन अथवा रोपण क्षेत्र में संपादित कार्य मे एक निर्धारित ऊंचाई वाले लगभग दो से चार, छ फीट ऊंचाई के पौधे रोपण का प्रावधान है जिसकी बकायदा परियोजना मंडल द्वारा लाखों की राशि लगाकर पौधे क्रय करता है निश्चित ऊंचाई वाले पौधों के ही आधार पर संपूर्ण रोपण क्षेत्र में पौधे रोपित किए जाते है परन्तु यहां पौधा क्रय करना तो दूर रुट शूट पौधों का रोपण कर दिया गया वह भी क्रय किए हुए रूट शूट से नही बल्कि जंगल के ही लगे हुए सागौन पेड़ के रुट शूट लगा दिए गए
 जिसमे यह भी ज्ञात हुआ है कि सागौन के ही टहनी जो एक निर्धारित ऊंचाई और मोटाई थी उसे ही काट कर भूमि में एक  सब्बल  मार कर जितनी गहराई हुई उतनी ही गहराई में माह जून जुलाई में सागौन के रूट शूट  रोप कर उसमें बर्मी कम्पोस्ट मिश्रित खाद  डाल कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री मान ली गई  उसके पश्चात कथित रोपण भगवान भरोसे वर्षाधारित छोड़ दिया गया न ही वर्ष 2019-20-के रोपण क्षेत्र जिनमे  वर्ष भर में कम से कम एक बार निंदाई गुढाई,थाला बनाकर उपचार किया जाता है वह कार्य भी नही किया गया सागौन रूट शूट के क्रय किए गए पौधों में भी बहुत बड़ा खेल किया गया है जिसमे डीडीएम  प्रभारी महेश खटकर एवं स्थानीय नर्सरी प्रभारी देशराज नागौरे की बड़ी मिली भगत बताई जाती है ज्ञात हुआ है कि वन विकास निगम मुख्यालय द्वारा प्रति वर्ष चालीस लाख रुपये पानाबरस परियोजना मंडल के नर्सरी मे सागौन रूट शूट तैयारी हेतु राशि प्रदाय करता है परन्तु लगभग तीस लाख रुपये की राशि खटकर एवं देशराज नागौरे द्वारा गबन कर दिया जाता है क्योंकि मालूम हुआ है कि नर्सरी में कोई भी रूट शूट हेतु कोई भी बेड तैयारी नही की जाती बल्कि  महाराष्ट्र राज्य के किसी नर्सरी से जो पचास पैसे या एक रुपये की दर से रुटशूट  तैयार पौधे मिलते है उन्हें ही क्रय कर उसका विक्रय कथित नर्सरी से करते है बाकी दस प्रतिशत राशि ही लगा शेष राशि गबन कर दिया जाता है इसके लिए डिप्टी डीएम महेश खटकर समस्त बिल पास करने की बात कह राशि परस्पर  बंदरबांट हो जाती है यही वजह है  देशराज नागौरे आज लाखों के मकान,गाड़ी,सहित अन्य सुख साधन से संपन्न और लाखों का आसामी है जबकि उसने अपनी सेवाकाल दैनिक वेतन भोगी कर्मी के रूप में प्रारंभ की थी आज उसके पास अनुपात से अधिक संपत्ति कहां से  उसने अर्जित कर ली क्या वेतन  मात्र राशि से ऐसे विलासता संभव है ? यही हाल रेंजर जागेश गौंड  का है अभी उसे वन विकास निगम में आए पांच वर्ष भी पूरे नही हुए होंगे परन्तु स्वर्गीय बप्पी दा जो स्वयं अपने आप मे सोने की चलती फिरती दुकान थी कुछ वैसे ही स्थिति  रेंजर जागेश गौंड की है सोने की चैन अंगूठी,सहित चार पहिया वाहन एवं अन्य विलासता के संसाधन आज उन्होंने अल्प सेवा काल मे जुटा लिए यह सब कैसे संभव हुआ ये वही बता सकते है
परन्तु यह भी उतना ही कटु सत्य है  कि उपरोक्त तीन वर्षों के मोहला परिक्षेत्रों के विभिन्न कक्ष क्रमांक के रोपण कार्यों मे भारी गड़बड़ी और भ्रष्टाचार सामने आया है और रेंजर जागेश गौंड ही उस क्षेत्र के जिम्मेदार अधिकारी है क्योंकि न ही वहां ठीक से रूट शूट सागौन रोपे गए और न ही समय समय पर उसका देखरेख,सुरक्षा उपचार इत्यादि किया गया  एक प्रकार से तीन वर्षों की राशि जो लगभग पांच करोड़ की होती है उसे पूरी तरह गबन कर दिया गया  इस सिलसिले में मोहला परिक्षेत्राधिकारी जागेश गौंड से वास्तविकता ज्ञात किया गया तो उन्हों ने स्वयं  इस बात को स्वीकार करते हुए कहा  है कि पौधे रूट शूट के माध्यम से लगाए गए परंतु उसकी निर्धारित ऊंचाई एवं उपचार के संदर्भ कोई जानकारी नही दे पाए उनका स्वयं के बचाव में ये कथन है कि जून जुलाई में किए जाने वाला रोपण कार्य का निरीक्षण दिसंबर माह के पूर्व कर लिया जाना था उस वक्त हरियाली दिखाई पड़ रही थी वर्तमान समय पतझड़ का समय आ चुका है इससे रोपित पौधे कहीं दिखाई नही देंगे इस संदर्भ में जब पाना बरस परियोजना मंडल के डी.एम. श्री ए.के.पाठक से चर्चा की गई तो उन्होंने भी इसे  अस्सी प्रतिशत पौधे जीवित बताया जबकि  पूर्व में ही बार नवापारा परियोजना मंडल के डीएम शशि कुमार ने अपनी रिपोर्ट मय हस्ताक्षर के मुख्यालय अधिकारियों को सौंप दी थी जिसमे उनके द्वारा किए गए निरीक्षण में 30 हेक्टेयर की जगह 5 से सात हेक्टेयर में ही रोपण की स्थिति बताई गई थी जहां के पौधे भी ठीक से सर्वाइव नही कर पाए बाकी जो पूर्व में  बगैर मार्किंग के विरलन किए गए सागौन के ठूंठ से ही कॉपीज निकल आए है अब यदि उसे ही गणना में लिया जा रहा है तो यह एक बहुत बड़े घोटाले की ओर इशारा कर रहा है रहा डीएम पानाबरस परियोजना मंडल के डीएम.श्री ए. के.पाठक डीडीएम महेश खटकर एवं स्वयं रेंजर जागेश गौंड एवं अन्य कुछ सहयोगी कर्मियों के द्वारा पुनः निरीक्षण कर रिपोर्ट अस्सी प्रतिशत सफल रोपण बताना यह तो फिर वही कहावत को चरितार्थ करती है कि... एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी...क्योंकि डीएम. ए. के. पाठक तो अपने ऑफिस में ही बैठे बैठे अपने अधीनस्थ डीडीएम  महेश खटकर को निरीक्षण इत्यादि की जिम्मेदारी सौंप देते है यदाकदा ही वे फील्ड निकलते है  विश्वास का लाभ उठाकर रेंजर और डीडीएम ने पूरे करोड़ों की राशि को खुर्दबुर्द कर  विरलन के शेष ठूंठ से  निकल रहे कॉपिज सहित अन्य कुछ हेक्टेयर भूमि पर तीन इंच के सागौन रूट शूट को ही रोपण कर 30 हेक्टेयर के विस्तृत भूभाग को ही प्लांटेशन गणना कर सफल रोपण बता देना उस कहावत को चरितार्थ करता हुआ प्रतीत होता है कि किस तरह.... आंख से काजल चुराया जाता है ... यह इनसे कोई सीखे
 वैसे भी देखा जाए तो डीएम.ए के.पाठक साहब के द्वारा अपने अधीनस्थ निगम कर्मी रेंजर जागेश गौंड को बचाना उनकी नैतिक जिम्मेदारी भी बनती है क्योंकि उनके ही हस्ताक्षर से करोड़ों की राशि आहरित हुई है और पानाबरस परियोजना मंडल में एक बड़ा अविश्वसनीय गड़बड़ घोटाले को अंजाम दे दिया गया है फिर भी इतने बड़े गड़बड़ घोटाले की लीपापोती करने की कवायद चल रही है जैसा कि पुर्व में आशंका व्यक्त की जा रही थी कि वित्त प्रबंधक लेखा के भोजराज जैन मामले को सुलटाने अपनी पूरी ऊर्जा लगा चुके है इसके लिए लाखों के लेनदेन की बात भी सामने आ चुकी है क्योंकि इसकी जांच उच्च स्तरीय किसी आई एफ.एस. अधिकारी से संपूर्ण मोहला परिक्षेत्र में गत वर्ष कराए गए रोपण कार्यों की सूक्ष्मता से यदि जांच होती है (जैसा कि शशि कुमार 
आईएफएस अधिकारी की रिपोर्ट शून्य माना गया  )तो वन अधिनियम के तहत रेंजर जागेश गौंड,डीडीएम महेश खटकर,एवं देशराज नागौरे  के ऊपर  गड़बड़,घोटाला कर शासकीय राशि के गबन के मामले में इनकी नौकरी भी जा सकती है तथा यदि रिकवरी निकलती है तो  उन पर करोड़ों की राशि रेंजर जागेश गौंड और डीडीएम महेश खटकर,देशराज नागौरे  से वसूली की जा सकती है क्योंकि वन अधि नियम में क्षति की भरपाई अस्सी प्रतिशत वसुलने का प्रावधान है इस हिसाब से पांच करोड़ की राशि कम से कम चार करोड़ की रिकवरी तो बनती ही है एक प्रकार से रेंजर और डीडीएम,नर्सरी प्रभारी देशराज नागौरे  के नौकरी के ऊपर  जांच के साथ रिकवरी की तलवार भी लटक रही है जो इनके लिए बवाले जान हो सकती है  इस परिस्थिति को भांपते हुए वित्त प्रबंधक लेखा के भोजराज जैन ने एक आईएफएस अधिकारी की रिपोर्ट को दर किनार करते हुए उन्ही अधिकारी कर्मचारियों को  पुनः गणना और निरीक्षण का कार्य सौंप दिया जो स्वयं इस गड़बड़,घोटाले,और भ्रष्टाचार में संलिप्त है अब इन निगम कर्मियों की रिपोर्ट को सत्य माना जाए या एक आईएफएस अधिकारी की रिपोर्ट को सत्य माने यह तो भविष्य में ज्ञात होगा अब इस कार्यवाही से सहजता पूर्वक अनुमान लगाया जा सकता है कि जिसके द्वारा स्वयं  मैदानी क्षेत्र में खड़े होकर रोपण कार्य संपादित करवा तथा कागजों में कूट रचना कर शासकीय राशि मे डाका डाला गया क्या वह डकैत स्वयं के द्वारा चोरी करना स्वीकार करेगा ? लेकिन वन विकास निगम के पानाबरस परियोजना मंडल में सब नियम कानून की धज्जियां उड़ाते हुए उन्हें ही जांच की कमान सौंप दी गई है जिनके द्वारा गड़बड़ घोटाले कर करोड़ों की राशि का खेल खेला गया यानी एक प्रकार से पाना बरस परियोजना मंडल के डी.एम.ए के.पाठक, जिन्होंने विश्वास के ऊपर चेक बिल बाउचर में हस्ताक्षर कर दिए डीडीएम महेश खटकर,एवं रेंजर जागेश गौंड को जांच की कमान सौंप दी गई है जो अपनी करनी पर पूरी तरह परदा डालने स्वतंत्र है हाल ही में ये तीनों अधिकारी गड़बड़ घोटाला हुए मोहला परिक्षेत्र  अंतर्गत भिन्न भिन्न ग्राम के वन क्षेत्र के क्रमशः कक्ष क्रमांक में भ्रमण कर संपादित रोपण कार्यों के अस्सी प्रतिशत सफल रोपण बता कर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने पसीना बहा रहे है इसके पीछे पूरा का पूरा दिमाग वित्त प्रबंधक लेखा के भोजराज जैन का चल रहा है 
दबी जबान में प्रबंध संचालक पी.सी.पांडे साहब का भी इसमें संलिप्तता की आशंका व्यक्त की जा रही है फिर भी श्री जैन  जिनके सन्दर्भ में यह कहा जाता है कि....जब तक भोजराज जैन वन विकास निगम  में है तब तक समस्त असंभव कार्य संभव है ......यानी इस  गड़बड़ घोटाला के अलावा  भविष्य में और भी  इस प्रकार के बड़े बड़े गड़बड़ घोटाले सामने आते रहेंगे और उस का सुखद अंत इसी प्रकार भविष्य में पाठकों को देखने और सुनने मिल जाएगा ...इति श्री...