कोलियारी रोपणी में चाय पत्ती समान उत्कृष्ट वर्मी कम्पोस्ट खाद का निर्माण
छत्तीसगढ़ वनोदय
धमतरी वन मंडल के वन क्षेत्र तो प्राकृतिक वनोपज,वन औषधियों सहित आकूत गौण खनिज संपदाओं से परिपूर्ण क्षेत्र के रूप में जाना जाता है जिसके चारों ओर ऊंचे ऊंचे पर्वतीय क्षेत्र से घिरे होने के साथ ही यहां के सघन वन क्षेत्र एवं मनोरम दृश्य भी लोगों को अनायास अपनी ओर आकर्षित करते है धर्म अध्यात्म के रूप में भी धमतरी वन मंडल काफी प्रख्यात रहा है इसकी वजह से ही क्षेत्र के (सिंह -आवा- )सिहावा क्षेत्र के आसपास स्थित पर्वत क्षेत्र ऋषि मुनियों की तपो भूमि के रूप में विख्यात है तथा उन्ही ऋषि मुनियों के नाम पर उपरोक्त क्षेत्र के अनेक पर्वत क्षेत्रों का नाम भी पड़ा जो आज भी उनके तपो भूमि स्थल के इतिहास का साक्षी है
धमतरी वन मंडल के एसडीओ श्री टी. आर वर्मा जिनके बारे में यह प्रचलित है कि उन्होंने कभी भी अपने कार्यों के प्रति विमुख न होते हुए अपने जीवन मे सर्वाधिक 1270 प्रकरण अवैध शिकार, काष्ठ माफियाओं के विरुद्ध दर्ज किया जिनमे लगभग 700 अपराधियों को जेल के सींखचों के पीछे भिजवाया यह उपलब्धि उनके ही नाम दर्ज है और आज भी वे वन अपराध से जुड़े अनेक प्रकरण पर कार्यवाहीकरने से कभी नही कतराते इसके लिए समय समय पर बहुत से ऊंची पहुंच वाले राजनीतिक दबाव का सामना भी करना पड़ा परन्तु उन सब की परवाह किए बगैर वे अपने कर्तव्यों के प्रति सदैव ईमानदार एवं निष्ठावान रहे यही कारण है कि उनकी गिनती एक कड़क कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी के रूप में होती है उनकी चाल अब भी सिंहावलोकन करते हुए प्रतीत होती है तथा वे जहां भी पदस्थ रहे वहां के काष्ठ माफिया एवं चोर केवल उनके नाम से ही थरथर कांपते है वजह श्री टी.आर वर्मा के दूर दर्शी सोच एवं कड़क प्रशासनिक व्यवस्था के सुनियोजित ढंग से चोरों को पकड़ने एक कुशल रणनीतिज्ञ की भूमिका निभाते रहे है और उसमें वे काफी सफल भी रहे है जिससे कोई भी अपराधी उनके चंगुल से बच नही सकता और ऐसे माफियाओं और चोरों के विरुद्ध वन अधिनियम के तहत कार्यवाही का एक कीर्तिमान रिकार्ड दर्ज किया एसडीओ श्री टी.आर.वर्मा के इन्ही कार्यों को देखते हुए उन्हें विभाग एवं अनेक सामाजिक संस्थाओं द्वारा कई प्रशस्ति पत्र देकर उन्हें सम्मानित भी किया जा चुका है उनके द्वारा बताया गया कि तत्कालिक सेवा काल के दौर में उपरोक्त क्षेत्रों के भिन्न भिन्न परिक्षेत्रों में रहते हुए अनेक विकासपूर्ण कार्य करवाए थे जिनमें कुछ परिक्षेत्रों में प्लांटेशन सहित वर्मीकम्पोस्ट टँकी का निर्माण भी उनके सेवा कार्यकाल में संपादित किए गए थे जो आज विभाग के आय का मुख्य स्रोत के रूप में एक पृथक पहचान निर्मित किए हुए है एसडीओ टी.आर.वर्मा का कथन है कि वर्तमान में कोलियारी रोपणी बहुत से वानिकी पौधे, औषधीय उत्पाद के पौधे, एवं जैविक वर्मीकम्पोस्ट खाद निर्माण का केंद्र बिंदु बना हुआ है यह सब डीएफओ श्री मयंक पांडे साहब की दूरदर्शी सोच और उनके कुशल दिशा निर्देश में ही संपादित किया जा रहा है वर्मी कॉम्पोस्ट खाद के संदर्भ में उनका कथन है कि जैविक वर्मी कॉम्पोस्ट खाद की गुणवत्ता का प्रदेश भर के वन मंडल कार्यालय के अधिकारियों द्वारा प्रशंसा व्यक्त की गई है तथा कोलियारी नर्सरी से ही खाद की मांग की जाती है जो धमतरी वन मण्डल के लिए बड़े गर्व का विषय है इसके अलावा भी रोपणी में वनौषधियों की प्रचुर मात्रा में उत्पाद स्थानीय महिला वन प्रबंधन समिति के द्वारा मांग अनुसार किया जा रहा है एक प्रकार से रोपणी का संचालन वन प्रबंधन समितियों के द्वारा किया जा रहा है जो अपने कर्मों का ईमानदारी पूर्वक निर्वहन कर रही है
सघन वन क्षेत्र धमतरी वन मंडल के बिरगुड़ी रेंज अंतर्गत कोलियारी नर्सरी जहां के परिक्षेत्राधिकारी दीपक कुमार गावड़े है जो कार्यों के प्रति निष्ठावान,संवेदनशील,धीर गंभीर एवं जुझारु प्रवृत्ति के ऊर्जावान अधिकारी है तथा नित नई सोच नई उमंग के साथ किस तरह बिरगुड़ी वन परिक्षेत्र के संरक्षण संवर्धन के साथ स्थानीय ग्रामीण वन वासियों के रोजगरउन्मुखी कार्यों से क्षेत्र का विकास सुनिश्चित किया जाए इस पर सदैव मंथन करते रहते है आज बिरगुड़ी रेंज की महती जिम्मेदारी उन्ही के मजबूत कांधों पर टिकी हुई है उनसे जब कोलियारी रोपणी के सबंध में चर्चा की तो उन्होंने बडे सधे हुए गंभीर अंदाज में बताया कि वर्तमान में कोलियारी नर्सरी में औषधीय पौधों का उत्पाद किया जा रहा है जिसमे एलोविरा, पौधों की फसल प्रमुख है वही अन्य औषधीय पौधों के संदर्भ में गुड़मार,शतावर,अश्वगंधा,गिलोय,सर्पगन्धा,हल्दू मुंडी,सहित अनेक पौधों का उत्पाद यहां किया जाना बताया साथ ही बड़े वृह्द भूभाग में फलदार पौधों में आम,जाम,जामुन,नींबू,काजू बादाम,चीकू कटहल सहित वानिकी पौधों में शीशम,बीजा,साल,सागौन,सिरसा, शर्मीली,छुईमुईआदि पौधों का जन्म स्थली कोलियारी रोपणी बन चुका है
यहां के पौधे ग्राम पंचायतों ,समाजसेवी संस्थानों,हाट बाजार,स्कूल इत्यादि में निशुल्क प्रदाय किए जाते है साथ ही मांग अनुसार अन्य राज्यों में भी विक्रय किए जाते है बिरगुड़ी परिक्षेत्राधिकारी श्री दीपक गावड़े ने आगे बताया कि रोपणी में पौधा रोपण का कार्य स्थानीय और आसपास के ग्रामीण श्रमिकों के द्वारा संपादित किया जाता है जिन्हें कलेक्टर दर पर भुगतान उनके खाता में किया जाता है यह सब कार्य राष्ट्रीय रोजगार योजना के मनरेगा के तहत किया जाता है निशुल्क पौधे वितरण के सबंध में उन्होंने बताया कि ग्राम पंचायतों के मांग के अनुसार पौधा तैयार किया जाता है तथा वर्षा पूर्व उसका निशुल्क वितरण किया जाता है अब तक लाखों पौधों का निःशुल्क वितरण गत वर्ष 2020-21में किया जा चुका है प्रकृति से प्रेम और जनजागरूकता के वजह से वन क्षेत्र के रकबा में भी विस्तार हुआ है वर्तमान में बिरगुड़ी रेंज के कोलियारी रोपणी में 23 हजार एलोविरा पौधों का सफल रोपण किया गया है जिससे स्थानीय आयुर्वेद ग्राम दुगली में इसके प्रोसेस यूनिट के माध्यम से अनेक देशी उत्पाद जैसे साबुन, जेल,बॉडी वॉश, शैम्पू सहित पेय पदार्थों का निर्माण किए जा रहे है एलोविरा के केवल दुगली आयुर्वेद ग्राम के प्रोसेस सेंटर में देने के पीछे परिक्षेत्राधिकारी दीपक कुमार गावड़े का कथन है कि एलोवेरा सहित अन्य औषधियों का उत्पाद वन धन केंद्र द्वारा मांग अनुसार रोपणी में रोपण कर उन्हें दिया जाता है जिसे वे प्रोसेसिंग कर अन्य देशी उत्पाद,औषधियों का निर्माण कर बाजार में विक्रय करते है जिससे आम व्यक्ति से लेकर विभाग को भी इसके उपयोगिता का भान होता है तथा विभागीय आय के साथ साथ आम लोगों को भी प्राचीन देशी वनोपज औषधियों के उपयोग से व्याधि ग्रसित व्यक्ति स्वास्थ्य लाभ भी उठा रहा है यही वजह है कि औषधि युक्त पौधों का उत्पाद एवं अन्य उत्पाद के अलग बेड तैयार कर आधुनिक एवं पारंपरिक फसल समय समय पर लेकर उसके निशुल्क वितरण एवं औषधीय पौधों के रॉ मटेरियल के रूप में जन स्वास्थ्य के प्रति भी कोलियारी रोपणी अपना दायित्व बखूबी निर्वहन कर रहा है
वही सहायक परिक्षेत्राधिकारी एवं रोपणी प्रभारी टी.एस. ध्रुव जो रोपणी की बड़ी जिम्मेदारी का निर्वहन बड़ी कुशलता एवं चाक चौबंद के साथ श्रमिकों एवं विभाग के मध्य परस्पर तालमेल और समन्वय के साथ कर रहे है उन्होंने बताया कि पूर्व में रोपणी का क्षेत्र सीमित स्थान तक सिमटा हुआ था परन्तु शनैः शनैः इसका विस्तार किया गया है अब यहां औषधि वानिकी फलफूल उत्पाद के साथ साथ वन प्रबंधन समितियों के माध्यम से वर्मी कॉम्पोस्ट खाद का भी वृह्द स्तर पर उत्पाद किया जा रहा है जो राज्य शासन के द्वारा चलाए जा रहे नरवा,गरुवा,घुरूवा, बाड़ी,योजना जैसे जनहित योजना जिसका सफल निष्पादन ग्रामीण क्षेत्रों के गौठान में किया जा रहा है उक्त योजना के अंतर्गत गौठानों में निर्मित वर्मी कॉम्पोस्ट खाद से भी बेहतर क्वालिटी के खाद कोलियारी रोपणी में निर्माण किए जा रहे है सहायक परिक्षेत्राधिकारी टी.एस. ध्रुव आगे बताते है कि स्थानीय उपयोग सहित कृषकों को भी मांग अनुरूप खाद विक्रय किया जाता जिसका उपयोग पश्चात कृषकों का कथन है कि कोलियारी रोपणी के जैविक वर्मी कॉम्पोस्ट खाद की गुणवत्ता इतनी बेहतर है कि खाद के ज़मीन में पड़ते ही मिट्टी की उर्वरा क्षमता बढ़ जाती है
तथा उन्नत फसल भी होती है जिससे दोगुने फसल के लाभ से कृषक लाभान्वित हो रहे है एक प्रकार से कृषकों का मत है कि जिस प्रकार चायपत्ती होती है उसी प्रकार के वर्मी कॉम्पोस्ट जैविक खाद कोलियारी रोपणी में परिलक्षित होती है एक प्रकार से वे केओलियारी रोपणी के द्वारा निर्मित वर्मी कॉम्पोस्ट खाद की तुलना चाय पत्ती से भी की जा रही है उसका साक्षात दर्शन करने में जब उसे हाथ मे उठाकर देखा गया तो वास्तव में जैविक वर्मी कॉम्पोस्ट खाद किसी चाय की पत्ती से कम दृष्टिगोचर नही हुई डिप्टी रेंजर एवं नर्सरी प्रभारी टी.एस. ध्रुव आगे बताते है कि कोलियारी रोपणी में 150 प्रदर्शन बेड है जिनकी 6 मीटर लंबा एक मीटर चौड़ा टँकी निर्मित किया गया है वर्मी कॉम्पोस्ट खाद के निर्माण में लगभग सत्तर फीसदी गोबर डाला जाता है साथ ही पैरा या पैराली कुट्टी बनाकर सुखी पत्तियां इकट्ठी की जाती है सब को मिश्रण कर केंचुओं को डाला जाता है जिसमे नमी बनाए रखने के लिए गीला गोबर से कव्हर किया जाता है पश्चात केंचुओं के द्वारा भीतर ही भीतर उथल प्रक्रिया करते रहते है तथा आवश्यकता पड़ने पर टंकी में डाले गए सामग्री खाद को ऊपर नीचे भी किया जाता है जिसके डेढ़ से दो माह के भीतर उत्तम क्वालिटी का वर्मी कॉम्पोस्ट खाद निर्मित हो जाता है डिप्टी रेंजर थम्मन सिंह ध्रुव बताते है कि इसका विक्रय एवं मांग भिन्न भिन्न वन मंडल में वृक्षारोपण कार्यक्रम,रायपुर गरियाबंद,सूरजपुर,अंबिकापुर, कोरबा,इत्यादि में सप्लाय किया गया वही स्थानीय कृषकों को भी मांग अनुसार खाद विक्रय किया जाता है डिप्टी टी.एस. ध्रुव आगे बताते है कि अभी रोपणी को और विस्तृत किया जा रहा है आधुनिक पद्धति के उत्पाद पर अधिक ध्यान आकर्षित कर नए डोम एवं शेड तैयार किए जा रहे है वर्तमान में लगभग 250 बेड है जिनमे औषधीय प्रदर्शन प्लांट,फली हाउस,नेट हाउस ,लेबर शेड,पोटिंग मिश्रण शेड,एवं उपचार के लिए पृथक प्लेट फार्म निर्माण द्रुत गति से किया जा रहा है इनमें अधिकांश शेड में आधुनिक पद्धति से पौधे रोपण किए जाएंगे
इसके लिए पौधों को सामान्य तापमान में रखने हेतु शीतल विधुत उपकरण भी लगाए जाएंगे आधुनिक पद्धति और उत्पाद हेतु स्थानीय श्रमिकों को कार्यशाला लगाकर प्रशिक्षण दिया जाएगा तथा शिशु रूपी पौधों को ऋतु वातावरण अनुकूल एवं सर्वाइव,उंसके ग्रोथ तथा नमी की स्थिति के संदर्भ में प्रशिक्षित सहित अन्य जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी जिस प्रकार बिरगुड़ी रेंज के कोलियारी रोपणी में आधुनिक पद्धति से उत्पाद एवं फसल हेतु नए नए शेड उपकरण इत्यादि उपलब्ध की जा रही है उससे ज्ञात होता है कि भावी समय धमतरी वन मंडल का कोलियारी रोपणी अपने कालाजयी इतिहास रचने और लिखने पूर्णत प्रतिबद्ध है तथा शीघ्र ही अपनी नई सोच कार्यो के प्रति समर्पित भावना लगन और निष्ठा से धमतरी वन मंडल के बिरगुड़ी रेंज अंतर्गत कोलियारी रोपणी का भविष्य काफी उज्ज्वल एवं चमकदार दिखाई पड़ रहा है जिसके दूरगामी परिणाम वर्तमान से ही सुखद संकेत दे रहे है








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