अलताफ हुसैन
रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़) राजनांदगांव स्थित पानाबरस परियोजना मंडल में पिछले अंक में पांच करोड़ की राशि के घोटाले और 35 लाख में सेटलमेंट शीर्षक से समाचार का प्रकाशन सोशल मीडिया के माध्यम से किया गया था जिसमे बार नवापारा परियोजना मण्डल के डीएम आईएफएस अधिकारी शशि कुमार द्वारा अपनी पूरी टीम के साथ मोहला परिक्षेत्र मे वर्ष 2019- 2020-2021 मे कराए गए बिगड़े वनों के सुधार के उद्देश्य से औद्योगिक वृक्षा रोपण कार्यों में अनियमितता एवं भ्रष्टाचार किए जाने की जांच रिपोर्ट मुख्यालय सौंपी थी ये बात अलग है कि उसी समय उनका तबादला दुर्ग रेग्युलर फॉरेस्ट में हो गया और मामले की लीपापोती करने के उद्देश्य से वित्त प्रबंधक लेखा के प्रमुख एवं संविदा नियुक्त अधिकारी भोजराज जैन द्वारा उन्ही व्यक्तियों को पुनः निरक्षण एवं जांच की कमान सौंपी दी जो उपरोक्त प्लांटेशन को संपादित करवाया था जबकि वरिष्ठ अधिकारी एवं वन विकास निगम के प्रबंध संचालक श्री पी.सी.पांडे साहब ने तत्काल इसके जांच के आदेश दिए थे परन्तु मुख्यालय वन विकास में भ्रष्टाचार एवं भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने वाले वित्त प्रबंधक लेखा शाखा के भोजराज जैन द्वारा एक आईएफएस अधिकारी के द्वारा निरीक्षण जांच रिपोर्ट को झुठला कर पुनः उन्ही अधिकारियों एवं वन विकास निगम कर्मियों को जांच करने के आदेश दे दिए जिन्होंने मैदानी क्षेत्र में वर्ष 2019- 2020-21 में वृक्षा रोपण कर कार्यों को संपादित करवाया था और लगभग पांच करोड़ की शासकीय राशि का घोटाला कर कमीशनखोरी,और बंदरबांट कर गबन कर दिया था फिर इसकी जांच आईएफएस अधिकारी द्वारा स्थल निरीक्षण कर अपनी जांच रिपोर्ट मे मात्र बीस प्रतिशत रोपण सागौन पौधों के जीवित होने की जानकारी वाली रिपोर्ट मुख्यालय सौंप दी थी मगर वित्त प्रबंधक लेखा के भोजराज जैन ने आईएफएस अधिकारी के जाते ही जांच की रिपोर्ट पर अविश्वास व्यक्त करते हुए उन्ही अधिकारियों कर्मचारियों को पुनः निरीक्षण कर जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने कहा है जिन्होंने मैदानी क्षेत्र में खड़े होकर गड़बड़ घोटाला कर शासकीय राशि गबन की थी
इस संदर्भ में जब वास्तविकता की जांच करने स्वयं फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़ की टीम मोहला के ग्राम मिस्प्रि के जक्के बोरिया,भोजटोला,के कक्ष क्रमांक सी/493 सहित अन्य कक्ष में किए गए रोपण की वास्तविक धरा पर मुआयना किया जिस में भारी अनियमितता पाई गई तथा जैसा कि 30 हेक्टेयर भूभाग में लगभग 62 हजार सागौन रोपण किया जाना था परन्तु वहां की स्थिति देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि मात्र पांच से सात हेक्टेयर वनों के सामने भूभाग में हो रोपण कार्य संपादित किया गया मजेदार बात यह है कि रोपण स्थल के अधिकांश कक्ष क्रमांक क्षेत्र में पूर्व में विरलन किए गए सागौन जो अपरिपक्व थे उनका पातन किया गया था वह भी उसके मैच्युरिटी होने के पूर्व ही बड़ी संख्या में सागौन के बल्ली साइज के रोपण को तहस नहस कर दिया गया यह सब किसके आदेश से हुआ यह बात का विषय है परन्तु जैसा निरीक्षण में पता चला कि वहां उन्ही सागौन में पुनः कॉपीज निकलने प्रारंभ हो गए तथा लगभग डेढ़ से तीन फीट की स्थिति में सर्वाइव कर रहे है उसे ही रोपण क्षेत्र बता दिया गया जबकि स्थानीय श्रमिकों द्वारा जिन्होंने तात्कालिक समय रोपण कार्यों में हिस्सा लिया था उनका मत है कि पारिश्रमिक तो 356 के सरकारी कलेक्टर दर से उनके खातों में पहुंच जाती थी परंतु कितने श्रमिकों के खातों मे राशि पहुंचती थी वह बताने में वह कतराने लगा
इस संदर्भ में मिस्प्रि के कक्ष क्रमांक 558 में स्थल निरीक्षण किया गया तब वहां सागौन रुटशूट के माध्यम से रोपण किए गए पौधे बहुत कम क्षेत्र में नज़र आए यानी एक प्रकार से जो रोपण संपादित किए गए है उनकी ऊंचाई भी इतनी थी कि वह दृष्टिगोचर नही हो रहे थे एक प्रकार से यह कह सकते है कि ... भ्रष्टाचार के ढेर में ...ईमानदारी की सुई ढूंढने वाली कहावत सत्य साबित हो रही थी .. ... यह स्थिति मिस्प्रि ग्राम के जक्के बोरिया के अलावा ग्राम देवबणवी के कक्ष क्रमांक 437 जिसमे भी 32 हजार सागौन पौधे बहुत कम स्थल क्षेत्र में जिसकी ऊंचाई का पता नही जो संभवतः तीन इंच भी नही होगी वे या तो गाय के द्वारा रौंद दिए गए या फिर रोपण ही नही हुआ तथा बचे खुचे पौधे पर्णपाती के सूखे पत्तों में ढंक चूके थे जो दिखाई भी नही दे रहे है इसके अलावा मोहला के गडग़ांव स्थित कक्ष क्रमांक 482-484 की स्थिति भी यही थी अब सवाल उठता है कि वन विकास निगम द्वारा उपरोक्त रोपण क्षेत्र में प्लांटेशन हेतु करोड़ों रुपये जारी किया था क्या वह रुटशूट रोपण के लिए प्रदाय किए गए थे ? बताते चले कि कोई भी प्लांटेशन अथवा रोपण क्षेत्र में संपादित कार्य मे एक निर्धारित ऊंचाई वाले लगभग दो से चार, छ फीट ऊंचाई के पौधे रोपण का प्रावधान है जिसकी बकायदा परियोजना मंडल द्वारा लाखों की राशि लगाकर पौधे क्रय करता है निश्चित ऊंचाई वाले पौधों के ही आधार पर संपूर्ण रोपण क्षेत्र में पौधे रोपित किए जाते है परन्तु यहां पौधा क्रय करना तो दूर रुट शूट पौधों का रोपण कर दिया गया वह भी क्रय किए हुए रूट शूट से नही बल्कि जंगल के ही लगे हुए सागौन पेड़ के रुट शूट लगा दिए गए
जिसमे यह भी ज्ञात हुआ है कि सागौन के ही टहनी जो एक निर्धारित ऊंचाई और मोटाई थी उसे ही काट कर भूमि में एक सब्बल मार कर जितनी गहराई हुई उतनी ही गहराई में माह जून जुलाई में सागौन के रूट शूट रोप कर उसमें बर्मी कम्पोस्ट मिश्रित खाद डाल कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री मान ली गई उसके पश्चात कथित रोपण भगवान भरोसे वर्षाधारित छोड़ दिया गया न ही वर्ष 2019-20-के रोपण क्षेत्र जिनमे वर्ष भर में कम से कम एक बार निंदाई गुढाई,थाला बनाकर उपचार किया जाता है वह कार्य भी नही किया गया सागौन रूट शूट के क्रय किए गए पौधों में भी बहुत बड़ा खेल किया गया है जिसमे डीडीएम प्रभारी महेश खटकर एवं स्थानीय नर्सरी प्रभारी देशराज नागौरे की बड़ी मिली भगत बताई जाती है ज्ञात हुआ है कि वन विकास निगम मुख्यालय द्वारा प्रति वर्ष चालीस लाख रुपये पानाबरस परियोजना मंडल के नर्सरी मे सागौन रूट शूट तैयारी हेतु राशि प्रदाय करता है परन्तु लगभग तीस लाख रुपये की राशि खटकर एवं देशराज नागौरे द्वारा गबन कर दिया जाता है क्योंकि मालूम हुआ है कि नर्सरी में कोई भी रूट शूट हेतु कोई भी बेड तैयारी नही की जाती बल्कि महाराष्ट्र राज्य के किसी नर्सरी से जो पचास पैसे या एक रुपये की दर से रुटशूट तैयार पौधे मिलते है उन्हें ही क्रय कर उसका विक्रय कथित नर्सरी से करते है बाकी दस प्रतिशत राशि ही लगा शेष राशि गबन कर दिया जाता है इसके लिए डिप्टी डीएम महेश खटकर समस्त बिल पास करने की बात कह राशि परस्पर बंदरबांट हो जाती है यही वजह है देशराज नागौरे आज लाखों के मकान,गाड़ी,सहित अन्य सुख साधन से संपन्न और लाखों का आसामी है जबकि उसने अपनी सेवाकाल दैनिक वेतन भोगी कर्मी के रूप में प्रारंभ की थी आज उसके पास अनुपात से अधिक संपत्ति कहां से उसने अर्जित कर ली क्या वेतन मात्र राशि से ऐसे विलासता संभव है ? यही हाल रेंजर जागेश गौंड का है अभी उसे वन विकास निगम में आए पांच वर्ष भी पूरे नही हुए होंगे परन्तु स्वर्गीय बप्पी दा जो स्वयं अपने आप मे सोने की चलती फिरती दुकान थी कुछ वैसे ही स्थिति रेंजर जागेश गौंड की है सोने की चैन अंगूठी,सहित चार पहिया वाहन एवं अन्य विलासता के संसाधन आज उन्होंने अल्प सेवा काल मे जुटा लिए यह सब कैसे संभव हुआ ये वही बता सकते है
परन्तु यह भी उतना ही कटु सत्य है कि उपरोक्त तीन वर्षों के मोहला परिक्षेत्रों के विभिन्न कक्ष क्रमांक के रोपण कार्यों मे भारी गड़बड़ी और भ्रष्टाचार सामने आया है और रेंजर जागेश गौंड ही उस क्षेत्र के जिम्मेदार अधिकारी है क्योंकि न ही वहां ठीक से रूट शूट सागौन रोपे गए और न ही समय समय पर उसका देखरेख,सुरक्षा उपचार इत्यादि किया गया एक प्रकार से तीन वर्षों की राशि जो लगभग पांच करोड़ की होती है उसे पूरी तरह गबन कर दिया गया इस सिलसिले में मोहला परिक्षेत्राधिकारी जागेश गौंड से वास्तविकता ज्ञात किया गया तो उन्हों ने स्वयं इस बात को स्वीकार करते हुए कहा है कि पौधे रूट शूट के माध्यम से लगाए गए परंतु उसकी निर्धारित ऊंचाई एवं उपचार के संदर्भ कोई जानकारी नही दे पाए उनका स्वयं के बचाव में ये कथन है कि जून जुलाई में किए जाने वाला रोपण कार्य का निरीक्षण दिसंबर माह के पूर्व कर लिया जाना था उस वक्त हरियाली दिखाई पड़ रही थी वर्तमान समय पतझड़ का समय आ चुका है इससे रोपित पौधे कहीं दिखाई नही देंगे इस संदर्भ में जब पाना बरस परियोजना मंडल के डी.एम. श्री ए.के.पाठक से चर्चा की गई तो उन्होंने भी इसे अस्सी प्रतिशत पौधे जीवित बताया जबकि पूर्व में ही बार नवापारा परियोजना मंडल के डीएम शशि कुमार ने अपनी रिपोर्ट मय हस्ताक्षर के मुख्यालय अधिकारियों को सौंप दी थी जिसमे उनके द्वारा किए गए निरीक्षण में 30 हेक्टेयर की जगह 5 से सात हेक्टेयर में ही रोपण की स्थिति बताई गई थी जहां के पौधे भी ठीक से सर्वाइव नही कर पाए बाकी जो पूर्व में बगैर मार्किंग के विरलन किए गए सागौन के ठूंठ से ही कॉपीज निकल आए है अब यदि उसे ही गणना में लिया जा रहा है तो यह एक बहुत बड़े घोटाले की ओर इशारा कर रहा है रहा डीएम पानाबरस परियोजना मंडल के डीएम.श्री ए. के.पाठक डीडीएम महेश खटकर एवं स्वयं रेंजर जागेश गौंड एवं अन्य कुछ सहयोगी कर्मियों के द्वारा पुनः निरीक्षण कर रिपोर्ट अस्सी प्रतिशत सफल रोपण बताना यह तो फिर वही कहावत को चरितार्थ करती है कि... एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी...क्योंकि डीएम. ए. के. पाठक तो अपने ऑफिस में ही बैठे बैठे अपने अधीनस्थ डीडीएम महेश खटकर को निरीक्षण इत्यादि की जिम्मेदारी सौंप देते है यदाकदा ही वे फील्ड निकलते है विश्वास का लाभ उठाकर रेंजर और डीडीएम ने पूरे करोड़ों की राशि को खुर्दबुर्द कर विरलन के शेष ठूंठ से निकल रहे कॉपिज सहित अन्य कुछ हेक्टेयर भूमि पर तीन इंच के सागौन रूट शूट को ही रोपण कर 30 हेक्टेयर के विस्तृत भूभाग को ही प्लांटेशन गणना कर सफल रोपण बता देना उस कहावत को चरितार्थ करता हुआ प्रतीत होता है कि किस तरह.... आंख से काजल चुराया जाता है ... यह इनसे कोई सीखे
वैसे भी देखा जाए तो डीएम.ए के.पाठक साहब के द्वारा अपने अधीनस्थ निगम कर्मी रेंजर जागेश गौंड को बचाना उनकी नैतिक जिम्मेदारी भी बनती है क्योंकि उनके ही हस्ताक्षर से करोड़ों की राशि आहरित हुई है और पानाबरस परियोजना मंडल में एक बड़ा अविश्वसनीय गड़बड़ घोटाले को अंजाम दे दिया गया है फिर भी इतने बड़े गड़बड़ घोटाले की लीपापोती करने की कवायद चल रही है जैसा कि पुर्व में आशंका व्यक्त की जा रही थी कि वित्त प्रबंधक लेखा के भोजराज जैन मामले को सुलटाने अपनी पूरी ऊर्जा लगा चुके है इसके लिए लाखों के लेनदेन की बात भी सामने आ चुकी है क्योंकि इसकी जांच उच्च स्तरीय किसी आई एफ.एस. अधिकारी से संपूर्ण मोहला परिक्षेत्र में गत वर्ष कराए गए रोपण कार्यों की सूक्ष्मता से यदि जांच होती है (जैसा कि शशि कुमार आईएफएस अधिकारी की रिपोर्ट शून्य माना गया )तो वन अधिनियम के तहत रेंजर जागेश गौंड,डीडीएम महेश खटकर,एवं देशराज नागौरे के ऊपर गड़बड़,घोटाला कर शासकीय राशि के गबन के मामले में इनकी नौकरी भी जा सकती है तथा यदि रिकवरी निकलती है तो उन पर करोड़ों की राशि रेंजर जागेश गौंड और डीडीएम महेश खटकर,देशराज नागौरे से वसूली की जा सकती है क्योंकि वन अधि नियम में क्षति की भरपाई अस्सी प्रतिशत वसुलने का प्रावधान है इस हिसाब से पांच करोड़ की राशि कम से कम चार करोड़ की रिकवरी तो बनती ही है एक प्रकार से रेंजर और डीडीएम,नर्सरी प्रभारी देशराज नागौरे के नौकरी के ऊपर जांच के साथ रिकवरी की तलवार भी लटक रही है जो इनके लिए बवाले जान हो सकती है इस परिस्थिति को भांपते हुए वित्त प्रबंधक लेखा के भोजराज जैन ने एक आईएफएस अधिकारी की रिपोर्ट को दर किनार करते हुए उन्ही अधिकारी कर्मचारियों को पुनः गणना और निरीक्षण का कार्य सौंप दिया जो स्वयं इस गड़बड़,घोटाले,और भ्रष्टाचार में संलिप्त है अब इन निगम कर्मियों की रिपोर्ट को सत्य माना जाए या एक आईएफएस अधिकारी की रिपोर्ट को सत्य माने यह तो भविष्य में ज्ञात होगा अब इस कार्यवाही से सहजता पूर्वक अनुमान लगाया जा सकता है कि जिसके द्वारा स्वयं मैदानी क्षेत्र में खड़े होकर रोपण कार्य संपादित करवा तथा कागजों में कूट रचना कर शासकीय राशि मे डाका डाला गया क्या वह डकैत स्वयं के द्वारा चोरी करना स्वीकार करेगा ? लेकिन वन विकास निगम के पानाबरस परियोजना मंडल में सब नियम कानून की धज्जियां उड़ाते हुए उन्हें ही जांच की कमान सौंप दी गई है जिनके द्वारा गड़बड़ घोटाले कर करोड़ों की राशि का खेल खेला गया यानी एक प्रकार से पाना बरस परियोजना मंडल के डी.एम.ए के.पाठक, जिन्होंने विश्वास के ऊपर चेक बिल बाउचर में हस्ताक्षर कर दिए डीडीएम महेश खटकर,एवं रेंजर जागेश गौंड को जांच की कमान सौंप दी गई है जो अपनी करनी पर पूरी तरह परदा डालने स्वतंत्र है हाल ही में ये तीनों अधिकारी गड़बड़ घोटाला हुए मोहला परिक्षेत्र अंतर्गत भिन्न भिन्न ग्राम के वन क्षेत्र के क्रमशः कक्ष क्रमांक में भ्रमण कर संपादित रोपण कार्यों के अस्सी प्रतिशत सफल रोपण बता कर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने पसीना बहा रहे है इसके पीछे पूरा का पूरा दिमाग वित्त प्रबंधक लेखा के भोजराज जैन का चल रहा है
दबी जबान में प्रबंध संचालक पी.सी.पांडे साहब का भी इसमें संलिप्तता की आशंका व्यक्त की जा रही है फिर भी श्री जैन जिनके सन्दर्भ में यह कहा जाता है कि....जब तक भोजराज जैन वन विकास निगम में है तब तक समस्त असंभव कार्य संभव है ......यानी इस गड़बड़ घोटाला के अलावा भविष्य में और भी इस प्रकार के बड़े बड़े गड़बड़ घोटाले सामने आते रहेंगे और उस का सुखद अंत इसी प्रकार भविष्य में पाठकों को देखने और सुनने मिल जाएगा ...इति श्री...
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