शुक्रवार, 4 मार्च 2022

प्राकृतिक से रूबरू कराता पर्यटन स्थल इको वन चेतना केंद्र कोडार जलाशय - विलुप्त गौरैय्या के संरक्षण के लिए महासमुंद वन मंडल की पहल

 

प्राकृतिक से रूबरू कराता पर्यटन स्थल इको वन चेतना केंद्र कोडार जलाशय - विलुप्त गौरैय्या के संरक्षण के लिए  महासमुंद वन मंडल की पहल  

अलताफ हुसैन

(छत्तीसगढ़ वनोदय) किसी ज़माने में कोडार जलाशय व्यवस्थापन और मुआवजे को लेकर काफी चर्चा में रहा था वहीं एक ग्राम को दूसरे ग्राम से जोड़ने तथा आवागमन के लिए लंबे समय तक आंदोलन किए गए थे  काफी जद्दो जहद के पश्चात अंततः कोडार जलाशय  राज्य शासन को प्राप्त हुआ  कोडार जलाशय के प्राकृतिक आभा को सहेजने  के पीछे की मुख्य वजह आसपास के वन क्षेत्रों में नमी  बनाए रखने के साथ ही  कृषकों के फसल सिंचाई,एवं पेयजल  हेतु भी महत्वपूर्ण था जिसकी परिकल्पना साकार हुई तथा एक बहुत बड़े भूभाग में कोडार जलाशय अस्तित्व में आया  जलाशय में अत्यधिक जल संग्रहण की वजह से इसका लाभ तुमगांव सहित फ़रसापानी एवं आसपास के अनेक आश्रित ग्रामों के कृषकों को फसल सिंचाई  का प्रमुख साधन बना वही स्वतंत्र रूप से  विचरण करते वन्य प्राणियों के ग्रीष्म ऋतु में प्यास बुझाने का प्रमुख केंद्र बिंदु भी बना आसपास प्राकृतिक वन क्षेत्र अच्छादित होने की वजह से कोडार जलाशय की सुंदरता,और वैभवता में चार चांद लग गए इसकी प्राकृतिक सौंदर्यता एवं साफ सुथरे वातावरण को सीधे आम पर्यटकों साक्षात रूबरू कराने के उद्देश्य से छग वन जलवायु परिवर्तन विभाग ने काफी पहले कार्य योजना बना कर इसे अमलीजामा पहनाने  वर्षों से प्रयासरत रहा है,,, परन्तु   इसके वास्तविक धरा पर लाने का श्रेय वर्तमान  ऊर्जावान डीएफओ श्री पंकज राजपूत को जाता है जिनकी लगन परिश्रम तथा लक्ष्य पूर्ति हेतु,,, पूरी एकाग्रता से एक पर्यटन के रूप में विकसित करने कटिबद्ध रहे जिसके सुखद परिणाम सामने आए तथा धीमी और मद्धम गति से ही सही माह नवंबर 2021 को कार्य पूर्ण कर इसे पर्यटन के रूप में विकसित कर लिया गया लाखों की लागत  राशि से लगभग बारह किलोमिटर वन भूमि दायरे को सर्वप्रथम  फेंसिंग की गई पश्चात 500 वर्गफीट के दायरे में एक कक्ष  निर्माण किया गया जिसमें किचन,लेट बाथ की व्यवस्था सहित बैठने की व्यवस्था हेतु हॉल का निर्माण किया गया  सर्वाधिक चुनौती पूर्ण कार्य वन क्षेत्र में फेंसिंग का था ,,,जो वन्य प्राणियों के खतरों के बीच इसे पूर्ण किया गया 25 नवंबर 2021 को इसका उद्घाटन क्षेत्र के लोकप्रिय विधायक एवं संसदीय सचिव श्री विनोद सेवन लाल चंद्राकर जिला महासमुंद कलेक्टर महोदय पुलीस अधीक्षक महोदय तथा विशिष्ट जनों की गरिमामयी उपस्थिति में इको पर्यटन स्थल कोडार जलाशय का विधिवत लोकार्पण किया गया वर्चुअल मध्यम से भी प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को दिखाया गया जिसकी उन्होंने मुक्तकंठ से प्रशंसा व्यक्त करते हुए इसके और विस्तार किए जाने पर पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया

ऐसे मनोहारी प्राकृतिक क्षेत्र  का नाम इको पर्यटन वन चेतना केंद्र  कोडार जलाशय रखा गया जिसका सफल संचालन ग्राम कुहरी के वन प्रबन्ध समिति के द्वारा सफलता पूर्वक किया जा रहा है जिसमे वन प्रबंधन समिति कुहरी के सदस्य गण अपनी सेवाएं दे रहे है जिसमे खानपान सहित जलपरी में नौका विहार के कार्यों को बखूबी अंजाम दिया जा रहा है कोडार जलाशय स्थित वन चेतना केन्द्र   पर्यटन स्थल खुलते ही प्रदेश भर के तथा स्थानीय क्षेत्र वासी पर्यावरण प्रेमी,पर्यटकों एवं सैलानियों का रुख इको पर्यटन वन चेतना केंद्र कोडार जलाशय की ओर बढ़ने लगा वन चेतना केंद्र निर्माण का मूल वजह आम और खास पर्यटकों को कम खर्चे में पारिवार के साथ नैसर्गिक  प्रकृति एवं पर्यावरण के साक्षात  दर्शन लाभ कराना था जो संपूर्ण परिवार को एक साथ खुले वातावरण में स्वच्छंद  घूमने एवं एन्जॉय करने का लाभ मिल सके विभाग द्वारा जन सरोकार की  ऐसी परिकल्पना का ही परिणाम था कि एक माह में  ही यह क्षेत्र लोगों के पर्यटन का प्रमुख केंद्र बन गया तथा धीरे धीरे यह पर्यटन स्थल लोकप्रियता के नए आयाम छूने लगा पर्यटन हेतु आए पर्यटक वन चेतना केंद्र कोडार जलाशय  की प्रशंसा किए बगैर नही थकते इस संदर्भ में पर्यटन हेतु आए कुछ पर्यटकों से छत्तीसगढ़ वनोदय पत्रिका ने पर्यटन स्थल के संदर्भ में उनके विचार जानने का प्रयास किया जिनमे  सहायक शिक्षिका मालीडीह की श्रीमती नन्दिनी साहू जो अपने परिवार के साथ यहां घूमने आई थी  उन्होंने बताया की पूरा क्षेत्र प्राकृतिक रूप से अटा पड़ा हुआ है यहां खूबसूरत गार्डन बना हुआ है तथा बच्चों के खेलकूद के लिए उपकरण भी लगाए गए है कोडार जलाशय में विभाग द्वारा निर्मित क्षेत्र जलपरी में  बोटिंग की व्यवस्था की है जो जलाशय में परिवार के साथ नौका विहार करने में अलग आनंद आता है

वही श्रीमती साहू शिक्षिका ने वन चेतना केंद्र कोडार जलाशय में बहुत सुधार और विस्तार की आवश्यकता है जो भविष्य में  पर्यटकों को और अधिक आकर्षित करेगा  राजधानी रायपुर से आए शिक्षक लोकेश कुमार वर्मा ने बताया कि प्रकृति के मध्य पर्यटन का एक अलग आनंद है यहां खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता बेहतर है,कैम्प व्यवस्था भी बेहतर है, बोटिंग में बहुत आनंद आया है  यहां गार्डन का और विस्तार पर उन्होंने जोर दिया तथा बैठने की व्यवस्था पर विशेष ध्यान देने की जरूरत बताया नागपुर से आए पर्यटक अमित ने बताया कि वे यहां महासमुंद  रिश्तेदारी में आए थे जब पता चला कि कोडार जलाशय के समीप पर्यटन स्थल वन विभाग ने निर्माण किया है तो सह परिवार यहां चले आए है उन्होंने नौका विहार बढ़ाए जाने पर विशेष जोर दिया है तथा इनकी संख्या में बढ़ोतरी की अपेक्षा की है वे कहते है भविष्य में वे यहां दोबारा आना चाहेंगे क्योंकि प्राकृतिक के मध्य परिवार संग सैर सपाटे का एक अलग आनंद है वही डीएफओ पंकज राजपूत ने पर्यटन स्थल वन चेतना केंद्र के संदर्भ में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि वन चेतना केंद्र लगभग बारह हेक्टेयर वृह्द भूभाग में निर्माण किया गया है इसके निर्माण के पीछे मुख्य उद्देश्य स्थानीय निवासियों सहित अन्य राज्यों से आने वाले पर्यटकों को कोरोना काल के बीच स्वच्छ एवं स्वास्थ्यपूर्ण वातावरण देना है 

उन्होंने बताया कि वर्तमान में कुछ महत्वपूर्ण सुविधाएं दी जा रही है जिनमे मुख्यतः कोडार जलाशय में पैडल बोटिंग की व्यवस्था की गई है इसके पश्चात मशीन संचालित बोट लाए जाने पर विचार चल रहा है यह व्यवस्था पर्यटकों की संख्या को मद्दे नज़र रखकर किया जाएगा वही दूसरी सुविधा टेंट सुविधा है जहां नाइट एडवेंचर कैपिंग की जा सकती है तथा तीसरी सुविधा दिन में आने वाले पर्यटकों को नैका विहार सहित खेलकूद की विशेष व्यवस्था की गई है जिसमे,तीरंदाजी,कैरम बॉलीवॉल,चेस,क्रिकेट,बैडमिंटन,इत्यादि सुविधाएं उपलब्ध है वही सेल्फी ज़ोन भी बनाया गया है जहां पर्यटक अपने अंदाज में मोबाइल में अविस्मरणीय पल का फोटो सेंशन कर स्टोर कर सके वही प्राकृतिक को एकदम पास से निहारने पैदल घूमने की व्यवस्था भी है जो केवल वन चेतना केंद्र कोडार जलाशय में उपलब्ध है  डीएफओ श्री पंकज  राजपूत आगे बताते है पर्यटन स्थल मे इसके अलावा खानपान,नाश्ता के लिए कैंटीन की विशेष सुविधा की गई और यह सब वन प्रबंधन समिति कुहरी  के माध्यम से की जा रही है जिसमे दस युवाओं को विशेष  तौर पर सुरक्षा,बोटिंग,खानपान,सहितपर्यटन स्थल की व्यवस्था की ट्रेनिंग दी  गई है जिसे आगे और विस्तार किया जाएगा  तथा वे भी अतिथि देवो भवः की तर्ज पर पर्यटकों का पूरा ध्यान रख रहे है डीएफओ श्री पंकज राजपूत आगे बताते है कि प्रदूषण,एवं शोर शराबे से दूर शांत वातावरण में आने वाले पर्यटकों को एक अलग अनुभूति होती है

 यह पर्यटन स्थल राजधानी रायपुर से मात्र पैसठ और महासमुंद से बीस किलोमीटर की दूरी पर नेशनल हाइवे रोड से आधा किलोमीटर की दूरी पर पर्यटन स्थल तक पहुंचा जा सकता है वहां प्रवेश करते ही  माता रानी का भव्य मंदिर है जो धार्मिक दृष्टिकोण से भी काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है वही पर्यटन स्थल पहुँचने पर पर्यटको का मन आल्हादित होकर झूमने लगता है वन्य प्राणियों के पानी पीने और पर्यटकों के सुरक्षा के सवाल पर डीएफओ पंकज राजपूत कहते है कि संपूर्ण क्षेत्र तिकोने आकार में है तथा सुरक्षा की दृष्टिकोण से चारो ओर फेंसिंग की गई है वन्य प्राणियों से पर्यटकों को किसी प्रकार का कोई खतरा नही होना बताया वही परिक्षेत्राधिकारी अधिकारी महासमुंद  श्री टी.आर.सिन्हा ने पर्यटन स्थल इको वन चेतना केंद्र कोडार जलाशय के संदर्भ में बताया कि माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के द्वारा सिरपुर में किए गए घोषणा और  मंशा अनुरूप,मुख्य वन संरक्षक श्री जे आर नायक साहब एवं डीएफओ पंकज राजपूत के दिशा निर्देश पर इको पर्यटन  वन चेतना केंद्र कुहरी महासमुंद को विकसित किया गया है जो राजधानी रायपुर से बहुत ही करीब है यहां वन प्रबंधन समिति के सदस्यों को संलग्न कर पर्यटन स्थल का संचालन किया जा रहा है तथा उन्हें रोजगार भी उपलब्ध कराया जा रहा है  परिक्षेत्राधिकारी श्री सिन्हा आगे बताते है कि पर्यटकों के स्वाद अनुसार यहां भोजन व्यवस्था की जाती है तथा रात्रि कैम्प हेतु टेंट लगाए गए है यही नही उन्होंने इसके और विस्तार के संबंध में आगे बताया कि पर्यटकों के रुकने ठहरने की व्यवस्था हेतु आकर्षक काष्ठ निर्मित मचान बनाने की योजना है जिसके ऊपर काष्ठ के कॉटेज अथवा टेंट निर्माण कर ठहरने की व्यवस्था निर्मित की जाएगी उन्होंने उक्त योजना के तहत अटैच वॉशरूम की व्यवस्था भी बनाए  जाने की बात कही है जिससे पर्यटकों को कोई असुविधा न हो इसके लिए पर्यटकों द्वारा देयक भुगतान राशि वन विभाग द्वारा निर्धारित राशि के अनुसार ली जाएगी जिसमे ठहरने के अलावा खानपान, सहित अन्य सुविधाएं जुड़ी रहेगी महासमुंद परिक्षेत्राधिकारी श्री टी.आर. सिन्हा आगे बताते है कि बच्चों के मनोरंजन को दृष्टिगत रखते हुए चिल्ड्रन पार्क निर्माण की योजना है जिसके तहत भविष्य में उनके खेलकूद,हेतु झूला, फिसलपट्टी,गोल चकरी इत्यादि  पृथक उपकरण लगाए  जाने की योजना  है इसके लिए विभाग को कार्य योजना बना कर भेज दिया गया है  स्वीकृति मिलने के पश्चात ही चिल्ड्रन पार्क का निर्माण कर पर्यटन क्षेत्र को और  विस्तार किया जाएगा छग का वन जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा बारह हेक्टेयर में नव निर्मित इको वन चेतना केंद्र कोडार जलाशय वाकई में पर्यटन के साथ साथ वनों के प्रति जागृत करने का एक सशक्त  माध्यम भी है क्योंकि पर्यटक जब प्राकृति को करीब से देखेगा ,,,और इसके अस्तित्व को महसूस करेगा तब  वनों के संरक्षण के साथ  उस के अस्तित्व बचाने में उनकी चेतना जागृत होगी जिसका शुभारंभ और शंखनाद  वन चेतना केंद्र कोडार जलाशय से प्रारंभ हो चुका है

*घरेलू चिड़िया गौरैय्या  के संरक्षण हेतु वन चेतना केंद्र से पहल*

इसी कड़ी में महासमुंद वन मंडल अंतर्गत वन चेतना केंद्र पर्यटन स्थल मे  मार्च  माह में मनाए जाने वाले विश्व पक्षी दिवस का शुभारंभ एवं घरेलू पक्षी गौरैय्या के संरक्षण हेतु एक कार्यशाला का आयोजन किया गया  जिसका मुख्य उद्देश्य विलुप्त हो रही गौरैय्या चिड़िया के संरक्षण कैसे किया जाए विषय रहा यह कार्यक्रम महासमुंद कलेक्टर महोदय नीलेश कुमार क्षीर सागर  की गरिमामयी उपस्थिति में संपन्न किया गया जहां स्थानीय निवासियों के अलावा बड़ी संख्या में स्कूली विद्यार्थी टीचर उपस्थित रहे पक्षियों के संरक्षण और संवर्धन हेतु जागरूकता लाने के उद्देश्य से यह प्रदेश भर में अपने आप  प्रथम और पृथक प्रयास कहा जा सकता है जो वन विभाग महासमुंद के द्वारा आयोजित किया गया  कार्यशाला के प्रारंभिक उद्बोधन में डीएफओ श्री पंकज राजपूत ने कहा कि  मोर चिरैय्या यानी गौरैय्या चिड़िया जो प्रायः घरों के भीतर अपना घोंसला बनाती थी तथा भोर होते ही उसकी चहचाहट से सबकी नींद खुलती थी परन्तु आधुनिक परिवेश में फैलते प्रदूषण, मोबाइल टॉवर से हवा  और वतावरण में निकलने वाली अदृश्य तरंगित विकिरणों  से बहुत से पक्षी असमय कालग्रास बन गए है जिनकी वजह से इनकी चहचाहट और घरों में हमारे आसपास फुदकने वाली घरेलू चिड़िया गौरैय्या अब बहुत कम देखने मिल रही है जिसके संरक्षण संवर्धन की आवश्यकता है  इस संदर्भ में बन मण्डलाधिकारी श्री राजपूत ने बताया कि यह गर्व का विषय है कि गौरैय्या चिड़िया के संरक्षण हेतु महती जिम्मेदारी की पहल महासमुंद वन मंडल ने किया है   उन्होंने आगे कहा कि यह सब जन जागरूकता एवं जन सहभागिता से ही सुनिश्चित हो सकता है जिसका प्रारंभ आप समस्त उपस्थित गणमान्य नागरिकों और बच्चों की उपस्थिति में किया जा रहा है इसके साथ ही महासमुंद वन मंडल द्वारा घोसला निर्माण हेतु छोटे मिट्टी के कलश,रस्सी, एवं अन्य सामग्री उपलब्ध कराई गई जिसका निर्माण प्रशिक्षित की देखरेख में  घोसलों का निर्माण कर घोंसलों  का वितरण भी किया गया तथा  वन मण्डलाधिकारी  पंकज राजपूत ने स्कूली बच्चों से  आग्रह भी किया कि इस प्रकार के घोसला निर्माण कर विलुप्त होती घरेलू गौरैय्या चिड़िया का संरक्षण कर संवर्धन करें तथा इनके अस्तित्व को बचाएं  वही कलेक्टर नीलेश क्षीर सागर ने अपने संक्षित उद्बोधन में उपस्थित नागरिको एवं स्कूली विद्यार्थियों से कहा कि अब वातावरण में गौरैय्या चिड़िया की संगीत मय चहचाहट सुनाई नही देती संभवतः बहुत से बच्चे उसकी चहचाहट से भी वाकिफ नही है जो  पक्षी हमारे घरद्वार को अपनी चहचाहट से खुशनुमा वातावरण में बदल देते थे वे अब दिखाई नही देते उन्होंने मोर चिरैय्या के माध्यम से  गौरैय्या चिड़िया के संरक्षण हेतु महासमुंद वन मंडल द्वारा उठाए गए कदम एवं  वनमण्डलाधिकारी पंकज राजपूत द्वारा संरक्षण हेतु किए गए पहल की भूरि भूरि प्रशंसा व्यक्त करते हुए कहा कि वन  विभाग  द्वारा गौरैय्या चिड़िया के संरक्षण में  लगाए गए कार्यशाला और जन जागरूकता का यह उत्कृष्ट पहल है जिसकी जितनी भी सराहना की जाए कम है उन्होंने जनता से अपील की   ग्रीष्म ऋतु के आगमन के साथ ही घरों और छतों में निवासरत समस्त पक्षियों के पानी एवं दाने की व्यवस्था करें ताकि उनका अस्तित्व बचा रहे  वही वन मंडल महासमुंद के गौरैय्या चिड़िया के संरक्षण संवर्धन हेतु लगाए गए कार्यशाला में बहुत से नागरिक जन प्रतिनिधियों एवं विशिष्ट जनों ने हिस्सा लेकर गौरैय्या चिड़िया के संरक्षण में  वन मंडल महासमुंद के कार्यों की मुक्त कंठ से प्रशंसा व्यक्त की है

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