मंगलवार, 29 मार्च 2022

प्रकृति के कैनवास पर हरियाली का रंग

 प्रकृति के कैनवास पर हरियाली का रंग


छत्तीसगढ़ वनोदय

छग प्रदेश के बिगड़े वनों के सुधार की दृष्टिकोण से प्रदेश का वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग  बहुत सी योजनाओं को वास्तविक धरा पर अमल पर लाते हुए उसके संरक्षण संवर्धन में अपनी संपूर्ण ऊर्जा लगा कर वनों के अस्तित्व को बचाने लगातार कार्य कर रहा है जिससे बिगड़े वन क्षेत्र की प्राकृतिक वैभवता, यथावत बनी हुई है इस महत्वपूर्ण कार्य में मूल विभाग ही नही अपितु  विभाग के अनुषांगिक धड़ा छग राज्य वन विकास निगम की भी महती भूमिका देखी जा सकती है जिसके द्वारा बिगड़े वन क्षेत्र के आड़े तिरछे बीमारू पेड़ पौधों का थिनिंग कर खुले और शेष भूमि पर सागौन प्लांटेशन कर वनों की प्राकृतिक आभा पर चार चांद लगा रहे है वह भी इसलिए कि वन विकास निगम के साथ भावी पीढ़ी और विभाग को राजस्व की प्राप्ति हो सके साथ ही शासन को भी लाभांश प्राप्त हो सके इसके लिए छग राज्य वन विकास निगम का मैदानी अमला पूरी चुस्ती दुरुस्ती के साथ प्लांटेशन क्षेत्रों में चाक चौबंद के साथ उसकी सुरक्षा व्यवस्था,देखरेख में लगे हुए है जिसके दूरगामी परिणाम भी अब दिखाई पड़ रहे है  ऐसे बिगड़े वन क्षेत्र में लगाए गए सागौन प्लांटेशन डेढ़ से दो वर्षों के अल्प काल  के अंतराल मे ही लगभग दस से बारह फीट की ऊंचाई तक सर्वाइव कर चुके है जो एक बहुत बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है 

  

  छग राज्य वन विकास निगम के रायपुर स्थित बारनवापारा परियोजना मंडल कार्यालय  अंतर्गत लगभग पचास किलोमीटर की दूरी पर स्थित कोडार बांध के पीछे सघन वन क्षेत्र जो घाटी और पहाड़ों की ऊंचाई से  लगभग पांच सौ परिवारों के बसाहट ग्राम परसापानी को घेरा हुआ है तथा  लोहारडीह ग्राम पंचायत उस का आश्रित ग्राम है के कक्ष क्रमांक 850,859,860, में वित्तीय वर्ष 2019-2020 में  ऐसे आड़े तिरछे,बिगड़े बीमारू वन क्षेत्र की थिनिंग कर लगभग 16,30,एवं31, हेक्टेयर भूभाग में सागौन रोपण कार्य संपादित करवाया गया था जिसके लगातार उच्च अधिकारियों की मॉनिटरिंग और मैदानी अमले की चाक चौबंद सुरक्षा व्यवस्था से अब संपूर्ण क्षेत्र सागौन पौधों के साथ प्राकृतिक के कैनवास पर हरियाली का रंग बिखेरता प्रतीत हो रहा है  हरियाली की सौगात देने के पीछे छग राज्य वन विकास निगम के प्रबन्ध संचालक श्री पी.सी.पांडे की दूरदृष्टि सोच ने कार्यों में पारदर्शिता लाना प्रारंभ कर दिया जो कर्मचारी केवल प्लांटेशन पश्चात  निश्चित हो जाते थे वही प्रबंध संचालक पी.सी.. पांडे  के कुशल कसावट भरे प्रशासनिक  व्यवस्था के समक्ष दण्डवत होकर कार्यों के प्रति ईमानदारी,कर्तव्य निष्ठा,और जूझने वाली प्रवृति में आ गए  यही नही अपने अधीनस्थ डिविजनल मैनेजर के पद पर पदस्थ आई एफ एस अधिकारियों को दिशा निर्देश देकर कराए गए प्लान्टेशनों कि समय समय पर मॉनिटरिंग इत्यादि भी करवाते रहते है  जिसके सुखद परिणाम यह सामने आने लगा है कि दो वर्षों के अल्प काल मे ही ऐसे कराए गए सागौन प्लांटेशन  पांच वर्ष अवधि वाले प्लांटेशन के रूप में विकसित नज़र आ रहे है जो छग राज्य वन विकास निगम की एक बहुत बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है वरना पूर्व में देखा यह जा रहा था कि...आगे पाठ पीछे सपाट...वाली उक्ति विभाग में चरितार्थ होती दिखाई पड़ती थी  यह स्थिति जब से प्रदेश भर के नौ डिवीजनों में आई.एफ.एस. अधिकारीयों  की नियुक्ति नही हुई थी तब तक ..... ढाक के वही तीन पात..की तर्ज़ पर कार्य संचालित हो रहा था परन्तु जैसे ही छग राज्य वन विकास निगम  में प्रबन्ध संचालक श्री पी.सी.पांडे प्रबंधक के  पद पर आसीन हुए तब से   ही उन्होंने सर्वप्रथम छग राज्य वन विकास निगम के पूर्व कर्मचारियों जो पात्र न होते हुए भी डिवीजन मैनेजर के गरिमामयी पद पर पदस्थ रहते हुए वन विकास निगम की नैय्या को बीच भंवर में डुबाने  पूरा सामान तैयार कर लिया था उन्हें पृथक कर   उनके नियुक्ति के साथ ही सर्वप्रथम नाव में होने वाले छिद्र को दुरुस्त कर ने की दूरदृष्टि के तहत सर्वप्रथम समस्त परियोजना मंडलों में आई एफ एस अधिकारियों जैसे  कुशल प्रशासनिक ज्ञाता के जिम्मेदार हाथों में जिलों की कमान सौंपी तथा उसके दो वर्ष में ही दूरगामी परिणाम परिलक्षित होने लगे इसका एक छोटा सा साक्षात उदाहरण के रूप में कोडार बांध के पीछे स्थित ग्राम परसापानी के कक्ष क्रमांक 850,859,860 के वृह्द पैमाने पर किए गए सागौन प्लांटेशन को लिया जा सकता है जो मात्र दो वर्षों में दस से बारह फीट ऊंचाई को छू कर लहलहाते हुए वनों की शोभा बढ़ा रहे है



  सागौन रोपण के और उसके सफल प्लांटेशन  होने के पीछे यदि किसी का हाथ होता है तो वह है उस क्षेत्र की अनुकूल मिट्टी, जलवायु  तथा उसकी सुरक्षा सर्वाधिक मायने रखती है इसके लिए एक परिपक्व अनुभवी अधिकारी ही इन सब बातों का ध्यान रखता है और यदि कुशल अनुभव की बात चलती है तो स्वतः ही छग वन विकास निगम का एक चेहरा समकक्ष आ जाता है और वह किसी और का नही बल्कि रायकेरा नर्सरी के पूर्व प्रभारी एवं वर्तमान में रवान क्षेत्र के परिक्षेत्राधिकारी श्री  एम्ब्रोस एक्का का है जिनका संपूर्ण जीवन काल रायकेरा नर्सरी की सेवा में व्यतित हुआ था जब से रायकेरा नर्सरी अस्तित्व में आया तब से ही उन्होंने अनुभवी और जिम्मेदार अधिकारियों का सान्निध्य मिला उनके मार्ग दर्शन और नेतृत्व में उन्होंने सागौन पौधों का सफल रोपण एवं उत्पाद किया चाहे वह रूट शूट के माध्यम से हो अथवा बीजारोपण के माध्यम से ही क्यों न हो रायकेरा नर्सरी में  उन्होंने लाखों की संख्या में प्रत्येक वित्त वर्ष सागौन का उत्पाद किया तथा उनके उत्पाद राज्य के अलावा अन्य राज्यों में रोपण किए गए उनकी कर्तव्य निष्ठा एवं कार्यों की महीन ज्ञान की वजह से ही तत्कालीन   प्रबंधक एस सी जैना साहब उनकी पीठ थपथपाने से कभी नही हिचकते यही स्थिति चाहे  एन भावसार साहब हो बड़े अशोक वर्मा साहब हो चौहान साहब हो एम ए फारूकी साहब  श्रीवास्तव साहब ही क्यों न हो  अथवा समकालीन कोई भी अधिकारी हो  सब अधिकारियों ने उनके कार्यों को  सराहा था जब वे दो वर्ष पूर्व वित्तीय वर्ष 2019-20 मे रायकेरा प्रभार से पृथक हुए तब उनको कोडार डिपो सहित रायकेरा नर्सरी का दोहरा प्रभार दिया गया था उसी कार्यकाल में कोडार के समीप स्थित परसापनी के कथित कक्ष क्रमांक में सागौन प्लांटेशन की महती जिम्मेदारी सौंपी गई थी उनके ही कार्यकाल में जब उन्होंने वहां के अनुकूल वातावरण और मिट्टी को उपजाऊ देखा तब उनके ही मार्ग दर्शन में  लगभग 16 हेक्टेयर भूभाग में सागौन का सफल वर्षाधारित प्लांटेशन का संपादन करवाया जो आज क्षेत्र में जंगल सदृश्य नज़र आ रहा है अपने उक्त प्लांटेशन को लेकर उन्होंने सर्व प्रथम इसके मवेशियों की चराई रोकने सख्त दिशा निर्देश दिए जिसके आज अनुकूल परिणाम नज़र आ रहे है 



        इस संदर्भ में कोडार डिपो प्रभारी डिप्टी रेंजर श्री लोकेश साहू से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 में थिनिग कार्य संपादित किया गया था जिसमें आड़े तिरछे,बीमारू,पेड़ों को मार्किंग कर विदोहन किया गया था पश्चात वर्ष 2020 में प्लांटेशन कार्य संपादित किया गया जिसमें कक्ष क्रमांक 859 के लगभग 16हेक्टेयर भूभाग में जिसे ग्रामीणों द्वारा अतिक्रमण किया गया था उसे मुक्त करवाकर वहां लगभग 37 हजार सागौन पौधे रूट शूट पद्धति के पौधों  से  दो बाई दो की दूरी में रोपण कार्य किया गया जो वर्षाधारित रोपण था जिसके आश्चर्य जनक परिणाम सामने आए तथा बेहतर वातावरण,अनुकूल मिट्टी,जलवायु,में रोपित सागौन प्लांटेशन जादुई तरीके से बढ़त लिए हुए आज बहुत कम समय मे दस से बारह फीट की ऊंचाई को छू रहे है डिप्टी रेंजर लोकेश साहू ने आगे बताया कि समय समय पर तात्कालिक डी. एम.शशिकुमार आई.एफ.एस. अधिकारी का दौरा होता था  तथा उन्होंने स्वयं इसकी ऊंचाई और मापदंड देखकर काफी प्रसन्न हुए  थे उन्होंने आगे बताया कि प्लांटेशन क्षेत्र में चौकीदारों द्वारा लगातार उपस्थित रहकर देखरेख एवं सुरक्षा की जाती है ताकि मवेशी चराई से प्लान्टेशनों को  सुरक्षित कर सहेजा जा रहा है   डिप्टी रेंजर लोकेश साहू ने आगे बताया कि प्लांटेशन रोपण समय आसपास के ग्रामीण श्रमिकों को रोजगार ग्यारंटी के तहत रोजगार उपलब्ध कराया गया तथा उसका भुगतान सीधे उनके खातों में समायोजन कराया गया यही नही एक बार पुनः रोपण कार्य भी करावाया गया था  जिसके तहत जो पौधे सर्वाइव नही कर रहे थे तथा जो मृत प्रायः स्थिति में पहुंच गए थे उसके स्थान पर स्वस्थ्य पौधों का रोपण किया गया जो अनुकूल वातावरण में बढ़त लिए हुए है डिप्टी रेंजर लोकेश साहू ने आगे बताया कि वन क्षेत्र के उपरोक्त कथित कक्ष क्रमांक में सागौन रोपण प्लांटेशन एक बहुत बड़ी चुनौती थी क्योंकि क्षेत्र में ग्रामीणों द्वारा अतिक्रमण कर वन क्षेत्र को घेर लिया गया था तथा ग्रामीणों का भारी विरोध का सामना करना पड़ा था इसके लिए मंत्री संतरी सहित ऊपर तक शिकायते की गई थी



फिर भी वन क्षेत्र को अतिक्रमण मुक्त करवाकर सागौन प्लांटेशन कक्ष क्रमांक 859 के 15-16 हेक्टेयर भूमि में 37,500 पौधे,कक्ष क्रमांक 850 के 31 हेक्टेयर भूभाग में 75,000 सागौन पौधे,एवं कक्ष क्रमांक 860 के 30 हेक्टेयर भूभाग में 62,500 सागौन पौधों का सफल रोपण कार्य करवाया गया जो छग वन विकास निगम के लिए एक उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है वही सहायक परिक्षेत्र अधिकारी श्री लोकेश साहू ने बताया कि समस्त कार्य प्रारंभ से लेकर संपादित किए जाने तक उच्च अधिकारियों के मार्गदर्शन और कुशल नेतृत्व मिलता रहा है जिसके सुखद परिणाम अब सामने दिखाई दे रहे है वर्तमान परिक्षेत्राधिकारी श्री घोंघरे साहब का कथन है कि जिस ऊंचाई पर आज सागौन प्लांटेशन पहुंच गया है  वह विस्मयकारी करने वाला है अब वह बेहतर स्थिति में सर्वाइव कर रहा है  पतझड़ की स्थिति के पश्चात नए कोमल पत्ते के फुटने पर वह तेजी से बढ़त लेगा गर्मियों में पतझड़ में थोड़ी इसकी स्थिति दयनीय बनती है फिर भी प्लांटेशन क्षेत्रों में चौकीदार तैनात है तथा वे चराई इत्यादि से उसकी सुरक्षा बड़े चाक चौबंद के साथ करते है



 आने वाले वर्षा ऋतु तक यह लगभग दस से पन्द्रह फीट ऊंचाई का होगा जो प्रकृति नियम के अनुसार सागौन के कथित प्लांटेशन के बेहतर प्रतिसाद मान कर चल रहे है जिस प्रकार से कोडार डिपो के समीप स्थित ग्राम परसापानी में वर्ष 2019-20 में कराए गए प्लान्टेशन कि भांति प्रदेश भर के प्लांटेशनों पर संबंधित अधिकारी, मैदानी कर्मचारी ईमानदारी पूर्वंक अपने कार्यों के प्रति समर्पित रहकर उसके रोपण से लेकर सुरक्षा व्यवस्था के ऊपर तनिक  भी नज़र रखे तो छग राज्य वन विकास निगम की एक अलग पहचान निर्मित हो सकती है बस,आवश्यकता है कि मैदानी कर्मचारियों के ऊपर आर्थिक मांग ,व्यवस्था एवं मैनेज जैसे  दबाव को कम कर दिया जाए तथा उसके उपचार, सुरक्षा,देखरेख आदि की मिलने वाली राशि को सही ढंग से प्लांटेशनों पर व्यय किया जाए तो छग राज्य वन विकास निगम की तकदीर और तस्वीर कुछ अलग ही दृष्टिगोचर होगी जैसा कि कोडार के कथित प्लांटेशन के संदर्भ में लिखा जा रहा है वैसा ही  प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में कराए गए प्लांटेशनों की स्तुति लिखी जा सकती है बस, आवश्यकता है एक ईमानदार कोशिश की जो अपने कर्तव्यों की निष्ठा पूर्वक पहल कर सके.

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