आर. डी.इवेंट के गीत संगीत कार्यक्रम में गोल्डन की चमक से वीरान जंगल में नृत्य
अल्ताफ हुसैन पत्रकार की
समीक्षात्मक रिपोर्ट
रायपुर कहते है अति घमंड खुदा को भी पसंद नही है इसलिए वह समय पर उसको आइना भी दिखा देता है कुछ यही हाल देखने को मिला मायाराम सुरजन हॉल में शुक्रवार को आर. डी.इवेंट के द्वारा संपन्न हुए गीत संगीत कार्यक्रम में जिसमे 1990 के सुपर हिट गीत संगीत की प्रस्तुति दी गई जिसमे बहुत से नवांगतुक प्रतिभाशाली कलाकारों ने अपनी बेहतरीन आवाज में उस दौर के गीतों की प्रस्तुति कंवलजीत कौर, रिद्धि दास गुप्ता, संचिता भट्टाचार्य,बसंत दीप,दीपक अग्रवाल जैसे नए कलाकारों ने बहुत मेहनत की और अपने गायकी के साथ पूरा न्याय करते हुए श्रोताओं की तालियों के हकदार भी बने तो वहीं विजय निहाल, अजय श्रीवास जैसे मंझे हुए गायकों ने मंच को पूरी ऊर्जा के साथ सम्हाले रखा जिसमे मुख्य रूप से ..मेघा रे मेघारे...पापा कहते है बड़ा नाम...सुन बेलिया ...जब हम जवां होंगे...गीतों को लिया जा सकता है..गायिकाओं में च्युंगम गर्ल शेख आफरीन,जो गाते हुए भी च्युंगम खाती है का परफॉर्मेंस अजय श्रीवास सहित अन्य गायकों की जुगल बंदी में बहुत ही शानदार रहा वही जबस्दस्त तरीके से संचिता भट्टाचार्य ने भी अपनी गायकी में कोई कोर कसर नही छोड़ी, कंवल जीत कौर अपने गीतों में मेहनत करती दिखी और कहीं हद तक वह सफल भी रही दीपक अग्रवाल के पापा कहते है गीत ने सब को झूमा दिया अजय श्रीवास की गायकी में परिपक्वता झलकती है तथा वे रफी,उदित नारायण सहित किशोर आदि गीतों को बहुत सहजता से प्रस्तुति देकर अपने प्रतिभा का पूरा सम्मान रखा वही, विजय निहाल और बसंत दीप, सहित अन्य गायकों की प्रस्तुति भी शानदार रही
यहां सर्वाधिक कमजोर कड़ी डायरेक्टर सलीम संजरी का रहा क्योंकि मो.रफी को अपना आदर्श मानने वाले सलीम संजरी ना तो रफी के गीतों पर न्याय कर सके और न ही शब्बीर कुमार और अमित के गीतों से न्याय कर सके क्योंकि आवाज ही उनकी इतनी दबी हुई है कि बारंबार साउंड सिस्टम वाले को आवाज कम ज्यादा का इशारा कर रहे थे जो नाच न आए तो आंगन टेढ़ा ...वाली उक्ति को चरितार्थ करते हुए प्रतीत होता है भले ही प्रोत्साहन स्वरूप उनके सफल गायकी और प्रोग्राम को लेकर मिथ्या प्रशंसा की जा रही हो परंतु वास्तविक धरातल पर यह उतना ही कटु सत्य जैसा है जितना दिन और रात का होना शाश्वत सत्य है उनके प्रोग्राम को ले डूबने के पीछे उनका स्वयं का इगो है जिसे वे स्वीकार नहीं करते और किसी भी कलाकार और सम्माननीय व्यक्तियों के संदर्भ में ऊट पटांग वक्तव्य दे देते है जिसका ही परिणाम है कि उनके द्वारा पूर्व में किए गए कार्यक्रम की अपेक्षा संपन्न हुए कल के कार्यक्रम में भीड़ भी कम आई जो उनके लिए बहुत ही ज्यादा विचारणीय पहलू है बड़े बड़े इवेंट करवा लेना या नई प्रतिभाओं को मंच देना कोई बड़ी बात नहीं परंतु स्वयं की प्रतिभा को सामने लाना वह भी पूरी परिपक्वता के साथ यह महत्वपूर्ण है सोशल मीडिया में कार्यक्रम के पूर्व में चाय पानी की व्यवस्था से लेकर अनेक अनर्गल टिप्पणी पता नही वे किस नशे में रहकर करते रहे है ज्ञात नही परंतु उनकी यह कमी अब भी दिखती है जो एक परिपक्व व्यक्ति को शोभा नहीं देता जिस पर सुधार की आवश्यकता है यहां
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