पेट्रोल के दाम पर सौ रुपये में मिट्टी तेल दिया अब दस महीने से ऊपर मिट्टी तेल का वितरण बंद-शक्कर भी गाहे बगाहे दिया जा रहा
मामला-सारागांव उचित मूल्य दुकान में खुल कर काला बाजारी
रायपुर से मात्र बीस किलोमीटर की दूरी पर स्थित सारा गांव के शासकीय उचित मूल्य के दुकान पर विगत दस महीने से ऊपर मिट्टी तेल वितरण नही किया जा रहा है जिसके वजह से बहूत से ग्रामीण खासे नाराज है और विक्रेता को पूछने पर वह भी कोटा का मिट्टी तेल दस महीने से नही आना बताया है
रायपुर के करीब स्थित ग्रामीण क्षेत्र सारागांव में धान खरीदी केंद्र के बगल में स्थित उचित मूल्य की राशन दुकान जिसका आई. डी. क्रमांक - 442001019 है के माध्यम से विगत कई वर्षों से मिट्टी तेल,शक्कर और अन्य खाद्य वस्तुओं की कालाबजारी करने का आरोप स्थानीय ग्रामीण उपभोक्ताओं द्वारा लगाया जा रहा है जिसे ग्राम पंचायत सारागांव में शासकीय उचित मूल्य के नाम से विक्रेता हीरामणि के द्वारा संचालित किया जाता है वहां उपस्थित अनेक उपभोक्ताओं से राशन के समय पर मिलने की बात पूछी गई तो ग्रामीण उपभोक्ताओं का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने विगत दस माह से मिट्टी तेल वितरण नही किया जाना बताया ग्रामीणों ने बताया कि दस माह पूर्व मे यदाकदा मिट्टी तेल वितरण सौ रुपये की दर से किया जाता था जिसे महंगा दर से उपभोक्ताओं को देने के पीछे की वजह उचित मूल्य दुकान के विक्रेता द्वारा मिट्टी तेल का टोटा होने की बात कही गई थी
जबकि ग्रामीणों ने बताया कि अधिक दर पर या कहें पेट्रोल की दर पर मिट्टी तेल वितरण के कारण बहुत से उपभोक्ता तेल लेना बंद कर दिए जिसकी वजह से दस महीने से किसी भी उपभोक्ताओं को मिट्टी तेल का वितरण आज पर्यंत नही किया गया ज्ञात हुआ है कि मिट्टी तेल का शासकीय दर 30 रुपये है जिसे विक्रेता द्वारा पेट्रोल के दाम पर सौ रुपये में उपभोक्ताओं को बेचा जाता था वही कुछ उपस्थित उपभोक्ताओं ने बताया कि रात के समय चोरी छिपे ग्राम स्थित कुछ होटलों में टीन के कनस्तर में भर कर उन्हें सप्लाई कर दिया जाता था जिसका उपयोग वे ईंधन के रुप में खाद्य सामग्री निर्माण करने में करते है जबकि विक्रेता हीरामणि से चर्चा करने पर उसने भी बताया कि विगत दस माह से मिट्टी तेल का वितरण नही किया गया इसलिए उपभोक्ताओं को मिट्टी तेल का वितरण नही किया जाता
जबकि इस बात की पुष्टि हेतु रायपुर कलेक्टोरेट स्थित खाद्य विभाग के कमिश्नर से करने का प्रयास किया गया परन्तु वे उपस्थित न होने के कारण जानकारी उपलब्ध नही हो सकी है शीघ्र ही वस्तुस्थिति ज्ञात कर इसकी शिकायत कलेक्टर महोदय से की जाएगी उपस्थित ग्रामीणों ने यह भी बताया कि शक्कर भी गिने चुने उपभोक्ताओं को दिया जाता है वह भी किसी किसी महीने नही दिया जाता आखिर संपूर्ण तेल और शक्कर जाता कहाँ है इसकी सुध लेने या जांच करने वाला कोई भी अधिकारी नही है जिसकी वजह से विक्रेता हीरामणि के हौसले बुलंद है तथा वह खुलकर कालाबजारी को अंजाम दे रहा है राशन ही नही बल्कि अन्य प्रकार के करारोपण कर स्थानीय सरपंच द्वारा आर्थिक शोषण किया जा रहा है ग्रामीणों ने आगे बताया कि प्रकाश व्यवस्था और मकान कर के नाम पर भी प्रति राशन कार्ड धारियों से ग्राम सारागांव सरपंच के द्वारा सौ रुपये शुल्क लिया जा रहा है यह शुल्क प्रति वर्ष लिया जाता है तथा बहुत से कर दाता स्थनीय ग्रामीण भी नही होना बताया गया वही शासकीय उचित मूल्य दुकान के विक्रेता हीरामणि के कथन अनुसार लगभग एक हजार कार्ड धारक संपूर्ण ग्राम में होना बताया गया है प्रकाश विद्युत व्यवस्था के नाम पर दिया तले अंधेरा वाली कहावत चरितार्थ होती परिलक्षित होती है क्योंकि ग्राम सारागांव के अधिकांश क्षेत्र अंधेरे में डूबे रहते है फिर किस प्रकार की प्रकाश व्यवस्था कर के रूप में लिया जा रहा है यह समझ के परे है
उल्लेखनीय है एक तरफ छत्तीसगढ़ राज्य की कांग्रेस सरकार बिजली बिल हाफ सहित मुफ्त बिजली की योजना चलाकर समस्त आम जन को विद्युत अधिभार से मुक्त करने का प्रयास कर उन्हें रिझाने का प्रयास करती है वही ग्राम सारागांव सरपंच द्वारा प्रत्येक राशन कार्ड धारियों से प्रकाश और मकान कर रोपण कर किसके जेब मे पैसा डाला जा रहा है यह जांच का विषय है राशन के समय पर न मिलने और मिट्टी तेल न मिलने जैसे इस समस्त बिषय को लेकर अध्यक्ष प्रबंधक सी.पी.वैष्णव से जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि वे दो वर्ष से रिटायर हो चुके है तथा अनेकों बार राशन दुकान से नाम और मोबाइल नम्बर हटाने कहा गया है परंतु आज पर्यंत उसे नही हटाया गया उन्होंने संपूर्ण दायित्व विक्रेता हीरामणि के सिर डाल दिया है संपूर्ण मामले का सही जवाब वे ही दे सकते है अब वास्तविकता क्या है यह तो जांच के बाद ही सामने आ सकता है





 
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