मंगलवार, 24 अगस्त 2021

वविनि में भ्रष्टासुरों की संविदा नियुक्ति को लेकर उठ रहे सवाल- भ्रष्टाचार हुआ तो जिम्मेदार कौन ?

 वविनि में भ्रष्टासुरों की संविदा नियुक्ति को लेकर उठ रहे सवाल- भ्रष्टाचार हुआ तो जिम्मेदार कौन ?

अलताफ हुसैन 

रायपुर (फॉरेस्टक्राइम  न्यूज़) छग राज्य वन विकास निगम में संविदा नियुक्ति के खेल में पूर्व वित्त प्रबन्धक भोजराज जैन ,कोठारे साहब,एच. आर.नेताम एवं कोरबा से पिल्लई ,को निगम में सेवानिवृत्त होने के पूर्व  विभागीय डीपीसी में उनके  संविदा नियुक्ति पर मुहर लगा दी गई जिसका समाचार वायरल होते ही संपूर्ण प्रदेश के परियोजना मंडल कार्यालय में गर्मागर्म  चर्चा और बहस का विषय बन गया और अधिकारी कर्मचारियों ने उक्त संविदा नियुक्ति को लेकर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इसे नियम विरुद्ध बताया तथा ऐसी संविदा नियुक्ति को तत्काल रद्द करने जैसे शब्द भी मुखर होने लगे है सोशल मीडिया में ऐतिहासिक रूप से दावानल की भांति तेजी से वायरल हुई उक्त समाचार को लेकर विभागीय जानकारों ने बताया कि वित्त लेखा प्रबन्धक के रूप में संविदा देने के पीछे कोई औचित्य नही है क्योंकि छग राज्य वन विकास निगम में ऐसे बहुत से प्रतिभाशाली, अनुभवी, सर्वगुण संपन्न अधिकारी मौजूद है जो उपरोक्त पद का सफल संपादन एवं क्रियान्वयन कर सकते है परन्तु केवल एक ही व्यक्ति भोजराज जैन के ऊपर अपना विश्वास व्यक्त करना छग वन विकास निगम के अध्यक्ष और मुखिया श्री पी सी पांडे साहब का क्या मंतव्य है

यह तो ज्ञात नही परन्तु वित्त प्रबन्धक के पद पर  पदस्थ संविदा अधिकारी भोजराज जैन एवं अन्य पदस्थ पिल्लई,कोठारे,के संदर्भ में यह ज्ञात हुआ है कि वे केवल अधिकारी कर्मचारियों से पोस्टिंग एवं नियुक्ति के नाम पर,परियोजना अंतर्गत कार्य संपादन हेतु जारी शासकीय राशि की कमीशन सहित अन्य कर्मचारियों का भयादोहन कर एक सूत्रीय कार्यक्रम के तहत केवल राशि वसूली करते है जिसके चलते संपूर्ण परियोजना मंडल कार्यालयों के अधिकारी कर्मचारी उनसे खासे  नाराज बताए गए है उनकी सेवानिवृत्त पश्चात संविदा नियुक्ति के पीछे भी यही कारण बताया जा रहा है कि वे पूर्व से ही समस्त वसूली कार्यों में जिनमे  स्थानांतरण, मन मुताबिक पोस्टिंग, सहित परियोजना मंडलों में क्रियान्वित प्लांटेशनो, वानिकी कार्यों के राशि से कमीशन सहित अन्य कार्यों में उपरोक्त अधिकारी पारंगत है तथा नए वित्त प्रबन्धक अधिकारी की नियुक्ति पर ऊपर बैठे अधिकारियों को इसके लाभ से वंचित होना पड़ता अतएव उन अधिकारियों की संविदा नियुक्ति इन्ही कार्यों हेतु किया गया है ताकि कमीशनखोरी सहित अन्य राशि की वसूली निर्बाध गति से जारी रहे बताते चले कि संविदा नियुक्ति के उक्त खेल पर छग राज्य वन विकास निगम के पूर्व प्रबन्ध संचालक श्री राजेश गोवर्धन के कार्यकाल में कोठारे बाबू एवं पिल्लई मैडम के संविदा नियुक्ति को लेकर फॉरेस्ट क्राइम समाचार पत्र में प्रकाशित समाचार पश्चात  लगभग संविदा नियुक्ति पर पूर्णतः प्रतिबन्ध लगा दिया गया था परन्तु अपनी संविदा नियुक्ति को लेकर वित्त प्रबन्धक भोजराज जैन ने सुनियोजित तरीके से पहले पिल्लई कोरबा एवं कोठारे बाबू की  संविदा नियुक्ति हेतु प्रयास किया जब उन्हें संविदा नियुक्ति की हरी झंडी  प्राप्त हो गई तब उन्होंने अपने नाम को भी इनके साथ प्रस्तुत कर दिया इस प्रकार उन्होंने अपनी संविदा नियुक्ति करवा ली तथा शासन द्वारा समस्त सुविधाओं का लाभ उठा रहे है जिनमे वेतन से लेकर गाड़ी एवं समस्त विभागीय लाभ प्राप्त कर रहे है जबकि वही भिन्न भिन्न परियोजना मंडल कार्यालयों  में कार्यरत अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को गाड़ी तक नसीब नही और न ही उन्हें  इस का  लाभ प्रदान  किया जा रहा है  दोयम दर्जे के उक्त व्यवहार से निश्चित तौर पर वरिष्ठों का क्षुब्ध होना लाजिमी है जबकि सर्वाधिक आश्चर्य का विषय यह बताया जाता है कि कोरबा से पिल्लई  का एक बार नही बल्कि तीसरी मर्तबा संविदा नियुक्ति हुई है तथा वर्तमान में उनकी आयु ही लगभग 70 वर्ष पार कर चुकी है यानी एक प्रकार से वयोवृद्ध हो चुके पिल्लई भी अपनी संविदा नियुक्ति की  तीसरी पारी खेल रहे है कार्यालयीन कर्मचारियों में उनकी नियुक्ति को लेकर चर्चा गरम है कि ऐसा कौन सा कार्य है जो वन विकास निगम का उनके न रहने पर अटका रहता है ? वही  यह भी चर्चा आम है कि उनकी पूर्व से ही सत्ता के गलियारे एवं नौकरशाह के मध्य बेहतर तालमेल है  जिससे बहुत से कार्य बड़ी सहजता से  वे कर लेते है इसके एवज में बड़ी राशि वसूल करते है  वही छग राज्य वन विकास  निगम के परियोजना मंडल कार्यालयों में कार्यरत अधिकारी कर्मचारियों से राशि एकत्रित कर ऊपर तक पहुंचाने में भी वे माहिर है यही वजह है कि आराम करने की उम्र में भी उन्हें हैट्रिक संविदा प्रदान की गई वही कोठारे बाबू भी अपनी संविदा नियुक्ति दूसरी बार करवा रहे है फॉरेस्ट क्राइम समाचार पत्र के पूर्व अंक में प्रकाशित समाचार पश्चात ऐसा ज्ञात हुआ था कि उनकी संविदा नियुक्ति रद्द कर दी गई थी परन्तु पुनः उन्हें संविदा नियुक्ति  किसी सोची समझी  प्लान के तहत किया जाना बताया जा रहा है जबकि यह भी ज्ञात हुआ है कि वित्त प्रबन्धक भोजराज जैन को संविदा नियुक्ति केवल नाम के लिए किया गया है उन्हें वित्तीय पॉवर नही दिया गया अब सवाल उठता है कि जब उन्हें केवल वित्तीय कार्यों के देख रेख एवं दिशा निर्देश देने के लिए संविदा नियुक्ति दी गई तो यह बात कुछ गले नही उतरती क्योंकि केवल वित्तीय देख रेख और दिशा निर्देश हेतु ही किसी व्यक्ति को शासकीय सुविधाओं के साथ बड़ा वेतन देकर क्यों रखा जा सकता है ? वह भी समस्त शासकीय सुविधाओं के साथ, वैसे भी कहा जा रहा है कि यदि किसी भी आर्थिकी धनादेश  परिपत्रों में आदेश,निर्देश,इत्यादि लिखित मे अथवा संविदा नियुक्त भोजराज जैन हस्ताक्षर कर दे तो समस्त पॉवर स्वतः  उन्हें प्राप्त हो जाता है तो फिर संविदा नियुक्ति का ढकोसला का कोई औचित्य नही ? जबकि वित्त प्रबन्धक की नियुक्ति को लेकर अनेक अनुभवी, पारंगत ,प्रतिभाशाली समकक्ष अधिकारी भी मौजूद है जो श्री जैन से बेहतर कार्य के जानकार है जिनमे एक नाम सरगुजा परियोजना मंडल  के सी.ए. मैनेजर एकाउंट सुभाष सिंह का नाम भी शामिल है जो विगत दो वर्षों से प्रबन्धक लेखा  पद हेतु मुख्यालय रायपुर में  आवेदन दे रहे है पश्चात उन्हें दरकिनार कर भोजराज जैन को ही संविदा नियुक्ति दे दी गई जबकि श्री सिंह के सन्दर्भ में यह बात प्रचलित है कि उनकी वरिष्ठता एवं योग्यता के अनुसार उनका पद  परियोजना मंडल मे नही है बल्कि उन्हें मुख्यालय में होना चाहिए था परन्तु सारे नियम कायदे को ठेंगा दिखाते हुए  बोर्ड ऑफ डायरेक्टर सहित उच्च अधिकारियों की मिली भगत के चलते भोजराज जैन को ही अंगद के पांव की भांति मुख्यालय में पैर जमाए रखने संविदा नियुक्ति दे दी गई  अब यह बात की चर्चा भी है कि श्री जैन पूर्व रिटायर्ड सहायक प्रबन्धक लेखा अधिकारियों की संविदा नियुक्ति कराने प्रयासरत है जिससे वर्तमान सहायक लेखा अधिकारी खासे नाराज है उनका मत है कि छग मे पूरे  वन विकास निगम परियोजना मंडल कार्यालयों में विगत दस वर्षों से ऊपर कार्यरत दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की नियमितीकरण हेतु नियुक्ति नही किया गया

जबकि राज्य शासन के वन जलवायु परिवर्तन विभाग मुख्यालय के पत्र क्रमांक/1210/2021/ के दिनांक 30/07/2021/10-1/में मुख्यालय अरण्य भवन  द्वारा नई भर्ती को लेकर भी लेटर जारी किया जा चुका है एक अन्य पत्र क्रमांक 243/2166//2017/10-1/ में दिनांक 29/01/2021 को जारी पत्र के अनुसार सीधी भर्ती हेतु पत्र मुख्यालय अरण्य भवन नवा रायपुर से जारी किया गया था मगर भर्ती आज तक नही हुई समस्त लेटर भी श्री जैन द्वारा दबा दिया जाता है जिसके कारण न नई भर्ती होती है और न ही दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की नियमितीकरण हो पा रहा है  दैनिक वेतन भोगी कर्मचारोयों के द्वारा अधिकार की लड़ाई में नई भर्ती पर रोक लगाने न्यायालय की शरण लेना पड़ा है जिसकी वजह से नई भर्ती पर भी रोक लगा दी गई है उल्लेखनीय है कि संपूर्ण वन विकास निगम में लगभग 600 से ऊपर कर्मियों का सैटअप है जिसमे दस वर्षों से अधिक समय तक अपनी सेवाकाल वन विकास निगम के भिन्न भिन्न परियोजना मंडल कार्यालयों में आधे से अधिक दैनिक वेतन भोगी कर्मी  इसका सफल संचालन सुचारू रूप से कर रहे है फिर इन्ही कर्मियों को लेकर पूरा सैटअप क्यों नही बिठाया जा सकता है ?  नई भर्ती का औचित्य भी समाप्त हो जाता है मगर वन विकास निगम में ऊपर बैठे घाघ अधिकारियों के सोची समझी साजिश के चलते दैनिक वेतन भोगी कर्मियों को नियमित नही किया जा रहा है जिसकी वजह से इनका मानसिक,शारीरिक एवं आर्थिक शोषण विगत कई वर्षों से नियमित रूप से निर्बाध गति से जारी है  इनमें अनेक दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी तो बगैर नियमित हुए सेवानिवृत्त भी हो चुके है फिर भी छग वन विकास निगम में भर्राशाही के चलते अब तक इनके पक्ष में कोई भी सारगर्भित कदम नही उठाया गया बताते चले कि वर्तमान कांग्रेस सरकार के घोषणा पत्र में अनियमित दैनिक वेतनभोगी कर्मियों को नियमितीकरण  किए जाने की  घोषणा की गई थी परन्तु ढाई वर्ष से ऊपर समय व्यतीत होने के बावजूद सरकार की तरफ से भी इन्हें नियमित नही किया गया केवल एक पर्यवेक्षक कमेटी का गठन कर अपने कार्यों एवं कर्तव्यों की इतिश्री मान ली गई वही मैदानी क्षेत्रों में वरिष्ठों को अनदेखा कर जूनियर कर्मियों को प्रभार दिए जाने वाले खेल में भी काफी विसंगतियां बताई जा रही है इसमें वरिष्ठ अनुभवी अधिकारियों के कार्यो के प्रति, उनके कर्तव्य निष्ठा पर सवाल तो उठता ही है वही जूनियर को उनके ऊपर बैठाकर एक तरह से वरिष्ठों पर अन्याय पूर्ण कृत्य को अंजाम दिया जा रहा है इसके पीछे का मंतव्य केवल भ्रष्टाचार, गबन,गड़बड़,घोटाला,के माध्यम से अधिक राशि प्राप्त करना बताया जा रहा है यही वजह है कि डिप्टी रेंजर जैसे छोटे पद से ऊपर डिविजन मैनेजर के पद तक पहुंचने वाले हलाल राम नेताम को मुख्यालय की ज़ीनत बनाकर बैठा दिया गया वह भी एक डमी के रूप में उन्हें वहां पाला जा रहा है अब उन्हें उक्त पद पाने के लिए कितनी बड़ी कुर्बानी और त्याग देना पड़ा होगा यह तो वही जाने परन्तु काना फुसी हो रही है कि  संविदा नियुक्ति प्राप्त डी एम.हलालराम नेताम जो अल्प शिक्षित सहित किसी भी प्रकार की कोई ट्रेनिंग नही लिए है  उन्हें डी एम जैसे गरिमामयी पद में प्रतिष्ठित कर उनसे केवल हस्ताक्षर,कर राशि आहरित की जाएगी तथा नाम,हस्ताक्षर, उनका  कार्य  होगा तथा आहरित राशि ऊपर बैठे अधिकारी अपना उल्लू सीधा करेंगे कर्मियों में चर्चा यह भी हो रही है कि संविदा के नाम पर की गई संधि एवं संविदा नियुक्ति किए जाने के तहत उन्हें प्राप्त होने वाला समस्त वेतन ऊपर बैठे अधिकारी लेंगे जबकिं छग वन विकास निगम में पांच से छ आई एफ एस .अधिकारी जो 2018 के फ्रेशर अधिकारी है अपनी सेवाएं दे रहे है बाकी परियोजना मंडल कार्यालयों में भी ऐसे अधिकारियों की नियुक्ति निकट भविष्य में हो सकता है तो फिर केवल मुख्यालय में एच आर नेताम को बैठाने के पीछे और क्या वजह हो सकती है ? वही संविदा नियुक्त  वित्त प्रबन्धक श्री जैन के संदर्भ में यह कहा जा रहा है कि  छग वन विकास निगम की रग में किस जगह राशि बह  रहा है उन्हें ज्ञात है तथा वे उनसे उगाही तो करेंगे ही साथ ही वन अधिनियम के तहत यह हवाला भी दिया जा रहा है कि अपनी सेवाकाल समापन होने के पूर्व  ही वित्त प्रबंधक रहते हुए उन्होंने अपना समस्त ग्रेच्युटी फंड सहित संबंधित मिलने वाली राशि को आहरण कर लिया होगा अब उन्हें वन विकास निगम से कुछ भी लेना नही है बल्कि अब अपनी वविनि में संविदा नियुक्ति करवाकर  उन्हें यहां से केवल लेना ही लेना है यानी खोने के लिए उनके पास कुछ नही है परन्तु पाने के लिए वविनि का  खजाना खुला हुआ है जिसका वे भरपूर लाभ यहां से उठाएंगे सवाल उठाया जा रहा है कि यदि मान लो  कोई बड़ा गड़बड़ घोटाला,भ्रष्टाचार,कर यहां लाखों करोड़ों की राशि  वे गबन कर लेते है तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी ? क्योंकि संविदा  नियुक्त हुए भोजराज जैन तो अपनी संविदा नियुक्ति एवं पॉवर विहीन होने की बात कह कर अपनी जिम्मेदारी से बच जाएंगे लेकिन  वविनि में हुए भ्रष्टाचार गड़बड़,घोटाला का पूरा ठीकरा तो  प्रबन्ध संचालक पी. सी. पांडे साहब के सर फूटेगा  तथा वे उनसे राशि रिकवरी भी नही कर पाऐंगे क्योंकि  श्री जैन तो पूर्व से ही अपना समस्त ग्रेच्युटी फंड को आहरित कर चुके है ? कर्मचारियों में इस बात को लेकर भी चर्चा है कि क्या ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिए प्रबन्धक वन विकास निगम द्वारा वित्त प्रबन्धक के रूप में संविदा नियुक्त हुए भोजराज जैन से कोई अमानत राशि ली गई है अथवा  रखी गई है जिससे भावी गड़बड़ी,घोटाला,भ्रष्टाचार जैसे विपत्तियों  से सहजता के साथ निपटा जा सके अथवा उसका  समाधान निकाला जा सके ?  यदि नही तो एम.डी. पांडे साहब को  इतना पॉवर तो है ही कि वे  संपूर्ण वन विकास निगम  कर्मचारियों के मध्य चर्चित हो चुके चारों की विवादित संविदा नियुक्ति को लेकर  हो रहे गर्मा गरम  चर्चा और विरोध को ध्यान में रखते हुए ऐसे विवादित संविदा  नियुक्ति को तत्काल रद्द कर सके जैसा कि सेवानिवृत्त पूर्व एम.डी. राजेश गोवर्धन साहब ने कोठारे बाबू की नियुक्ति को रद्द कर एक बहुत बड़ा  साहस दिखाया था ? क्या ऐसा साहस वर्तमान एम.डी. पी.सी.पांडे साहब दिखाएंगे ?यह सवाल सुरसा की भांति मुंह फाडे... अब वविनि के  समस्त परियोजना मंडल कर्मियों के मन मे कौतूहल बन कर खड़ा हुआ है ?

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