शनिवार, 30 अक्टूबर 2021

ऑक्सिजोन का नाम अब शहीद नंद कुमार पटेल ऑक्सिजोन के नाम से होगा

             ऑक्सिजोन का नाम 

अब शहीद नंद कुमार पटेल  ऑक्सिजोन के नाम से होगा 

रायपुर छग वन विकास निगम द्वारा नवम्बर 2017 से लगातार कार्य करते हुए शहर के मध्य स्थित ई ए सी कॉलोनी स्थित लगभग 20 एकड़ वृह्द भूभाग में ऑक्सिजोन का निर्माण किया था जिसका उद्घाटन वर्ष 2020 में प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल वन मंत्री मो.अकबर सहित वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की गरिमामयी उपस्थिति में सम्पन्न हुआ था लगातार  ऑक्सिजोन में लगाए गए पेड़ पौधे अब पूर्णतः युवा अवस्था मे पहुंच गए जिसकी हरीतिमा आभा अब देखते ही बनती है शरद ऋतु के सूर्य उदय होते ही प्रातःकाल से ही स्वस्थ रहने के लिए  वृद्ध,युवा बच्चे महिलाएं अपने अपने स्तर पर फिट रहने के लिए योगा एवं अन्य व्यायाम के जरिए लंबी लंबी सांसे खिंचकर अपनी धमनियों में शुद्ध ऑक्सीजन भरते दिख रहे है जो इसकी दिनोदिन बढ़ती लोकप्रियता का   साक्षात उदाहरण है ज्ञात हुआ है कि शीघ्र ही ऑक्सिजोन  के नाम से प्रसिद्ध हो चुके उक्त क्षेत्र का अब नाम करण होने जा रहा है इसके लिए छः माह पूर्व  राज्य सरकार के मंत्रीगण एवं स्मार्ट सिटी के अधिकारियों द्वारा ऑक्सिजोन क्षेत्र  का स्थल मुआयना किया गया था

खालसा स्कूल के समक्ष रिक्त भूमि पर सिटिंग जोन बनने का कार्य प्रारंभ हो चुका  है जिससे ऑक्सिजोन के मुख्यद्वार की  खूबसूरती और वैभवता में और इजाफा होने की बात कही गई है इस संदर्भ में वविनि के परिक्षेत्राधिकारी एवं ऑक्सिजोन  प्रभारी श्री ऋषि शर्मा से चर्चा की गई तब उन्होंने बताया कि खालसा स्कूल के समक्ष स्थित खुले भूभाग में छः माह पूर्व मंत्रियों सहित स्मार्ट सिटी के अधिकारियों के द्वारा स्थल मुआयना किया गया था तथा स्मार्ट सिटी योजनांतर्गत एक खुले स्थल में चारो ओर लाल मार्बल से निर्मित बरामदा निर्मित किया जा रहा है  उसके चारों ओर सीमेंट और मार्बल से सिटिंग कुर्सियां निर्माण की जा रही है वही प्रवेश द्वार तक पहुंचने  पथ वे भी निर्माण किया जा रहा है जिसमे लाल आकर्षक मार्बल, टाइल्स  लगाए जाएंगे  मध्य में वृत्ताकार  गार्डन निर्माण किए जा रहे है जिसके इर्द गिर्द आकर्षक रंग बिरंगे फूल के पेड़ पौधे लगेंगे जो हरियाली बिखेरेगी  ऐसा माना जा रहा है कि मध्य में शहीद नन्द कुमार पटेल की मूर्ति लगाई जाएगी  जिसका निर्माण लगभग पचास फीसदी पूर्ण किया जा चुका है वही पेड़ पौधों की सिंचाई हेतु बोर  खनन किया गया है ताकि मध्य में आकर्षक फव्वारा लगाया जा सके तथा रंग बिरंगे लाइट से फव्वारा और अधिक जगमगा कर आकर्षक लगे  ऐसे समाच मिल रहे है  कि ऑक्सिजोन का नाम शीघ्र ही झीरम घाटी हमले में शहीद हुए कांग्रेस पार्टी के लोकप्रिय नेता स्व. नन्द कुमार पटेल के नाम से हो सकता है माह दो माह में के अंदर खालसा स्कूल के समक्ष नव निर्मित कथित स्थल मे शहीद स्व. नन्द कुमार पटेल की प्रतिमा स्थापित होने की बात  भी सामने आई है नव वर्ष 2022 से ऑक्सिजोन क्षेत्र शहीद नन्द कुमार पटेल ऑक्सिजोन कहलाएगा जिसके निर्माण कार्य की तैयारी स्मार्ट सिटी योजना के माध्यम से द्रुत गति से जारी है

सोमवार, 25 अक्टूबर 2021

धार्मिक आस्था के बीच वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए दस हजार हेक्टेयर में किया फलदार वृक्षारोपण

 धार्मिक आस्था के बीच  वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए दस हजार हेक्टेयर में किया फलदार वृक्षारोपण 

छग वनोदय पत्रिका में प्रकाशनार्थ

रायपुर (छग वनोदय) महासमुंद वन मंडल के अंतर्गत स्थित बागबाहरा परिक्षेत्र कहने को तो यहां प्राकृतिक ने अपनी अद्भुत छटा बिखेर रखी है ऊंचे ऊंचे गगन चूंबी पर्वत माला उसमे वर्षों से सीना ताने इतिहास का साक्ष्य देते जटाधारी पीपल,बरगद, के  पेड़ उनके आस पास छोटे छोटे लगे प्राकृतिक पौधों में रंग बिरंगे कुसुम  मानों उसकी वैभवता और  प्राकृतिक सौंदर्यता को श्रृंगारित करने अपनी विशेष भूमिका निभा रहे हो साथ ही सावन की रिमझिम वर्षा से स्नान कर जैसे प्रकृति पुलकित हो हरित श्रृंगार में शरद ऋतु के आगमन से चहुओर फैली श्वेत ओस की मद्धम आभा में सूर्य उदय की पहली किरणे जब धरती पर स्थित प्राकृतिक के मनमोहक विहंगम स्थल पर पड़ती है तब स्वर्ग की परिकल्पना को बल मिलता है    ऐसी नैसर्गिक प्राकृतिक छटा को देखते ही इंसानी बाल मन  गौरैय्या चिड़िया की भांति फुदकने लगता है हृदय स्पंदन  हिरण की भांति चंचल होकर उछलने लगता है तथा नैसर्गिक पर्वत शिखर को और करीब जा कर उसकी विशालता वैभवता का दर्शन करने मचलने लगता है जब निकट पहुंच कर पर्वतों के मूल से लेकर शिखर की ऊंचाई  नापने आसमान की ओर सर उठा कर उसकी वैभवता का आंकलन करता है   तब मर्म मस्तिष्क पर यह शब्द स्वतः गुंजयमान होने लगता है कि...आज आया है ऊंट पहाड़ के नीचे ...अर्थात मनुष्य ईश्वर संरचना के विविध,विशाल विकराल स्वरूप प्रकृति के उक्त  प्रतीकात्मक दृश्य देखकर उसके समक्ष स्वयं को बौना होने का अहसास करता है तब उसे भान होता है कि ईश्वरीय दिव्य शक्ति के समक्ष उसका कद कितना छोटा है तब वह ईश्वर के अलौकिक दिव्य शक्ति के समक्ष नत मस्तक होता है परन्तु यही  ईश्वरीय दिव्य आभा एवं प्राकृतिक की अद्भुत छटा  का अविश्वसनीय विहंगम दृश्य का  लाभ जब एक ही स्थल पर हो जाए तब मानव का  उत्साह दोगुना हो जाता है महासमुंद वन मंडल अंर्तगत बागबाहरा परिक्षेत्र में  कुछ ऐसे ही दृश्य दृष्टिगोचर होते है जिसमे प्राकृतिक एवं धार्मिक आस्था का ऐसा समन्वय,और सामंजस्य निर्मित हो जाता है जिसकी केवल परिकल्पना भर की जा सकती है परन्तु यथार्थ से जब मानव का सामना होता है तब उसकी आंखे आश्चर्य विस्मित  रह जाती है ऐसा अद्भुत नजारा देखने दूर दूर से श्रद्धालु परिक्षेत्र में आते है जहाँ एक छोर के गगनचुंबी विशाल पर्वत शिखर पर माता खल्लारी का ऐतिहासिक मंदिर विराजमान है तो वही दूसरी पर्वत माला में  चंडी का विशाल मंदिर है जो समुद्र तट से 200 फीट ऊपर की ऊंचाई पर विधमान है माता चंडी के उक्त मंदिर में प्रतिदिन हजारों  की संख्या में भक्त पहुंचते है तथा अपनी मनौती मांगने और उतारने आते है वही माता चंडी मंदिर परिसर क्षेत्र में जहां भक्त,श्रद्धालु का प्रातःकाल से लेकर रात्रि तक अनवरत तांता लगा रहता है तो दूसरी ओर सर्वाधिक आकर्षण का केंद्र बिंदु वहां स्वंछन्द विचरण करते वन्य प्राणी भालू  है  जिनकी लगातार आमद वर्षों से हो रहा है ऐसा ज्ञात होता है कि ये स्वयं माता के अटूट भक्त है जो नियमित माता के चरणों मे अपना शीश नवाते है यही वजह है कि  माता चंडी के दर्शन  लाभ के साथ साथ अनेक भक्त मंदिर परिसर में वर्षों से आ रहे भालुओं के दर्शनार्थ हेतु भी उत्सुक दिखते है  तथा भक्तिभाव सहित भालुओं का साक्षात करीब से दर्शन करना आगन्तुक भक्तों को रोमांचित करता है ऐसी अविस्मरणीय परिकल्पना के साक्षात्कार के लिए बहुत से श्रद्धालु  बागबाहरा स्थित मां चंडी मंदिर  परिसर में पहुंचते है तथा भालुओं को चना फल्ली,प्रसाद नारियल फल इत्यादि खिलाते  है इन्ही खाद्य पदार्थ की लालसा की वजह से भोजन की तलाश में भालुओं की संख्या में अनवरत वृद्धि देखी गई 


  श्री पंकज राजपूत  वन मण्डलाधिकारी महासमुंद

-------------------------------------------------------------उनके लगतार मंदिर परिसर आना तथा भक्तों के द्वारा दी  जाने वाली खाद्य वस्तुओं के साथ मानव संपर्क से वन्य प्राणियों में बढ़ते संक्रमण और जान को खतरा का  ध्यान रखते हुए  महासमुंद वन मंडल द्वारा इनके संरक्षण,संवर्धन, हेतु कार्ययोजना बनाकर इनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की अद्भुत पहल की गई है इस संदर्भ में वन मण्डलाधिकारी श्री पंकज राजपूत जिनकी दूरदर्शी सोच ने वन्य प्राणी भालुओं की संरक्षण में न केवल वरदान साबित हो रहा है बल्कि उनके आहार विहार,रहवास, की चिंता करते हुए  बागबाहरा परिक्षेत्र स्थित मां चंडी मंदिर परिसर  में लगभग दो किलोमीटर से अधिक मंदिर परिसर को चैन लिंक फेंसिंग से सुरक्षित करवाया  बल्कि उनके क्षुधा शांति हेतु लगभग दस एकड़ वृह्द पर्वतीय क्षेत्र में 11 हजार फलदार मिश्रित पौधों का रोपण भी करवा दिया वर्ष 2021-22 में  राज्य शासन के द्वारा जारी कैम्पा मद से कराए गए उक्त अद्भुत मिश्रित प्रजाति के फलदार वृक्षरोपण कार्य से महासमुंद वन मण्डल के डीएफओ श्री पंकज राजपूत की चारों ओर खूब प्रशंसा हो रही है  केवल बागबाहरा परिक्षेत्र में भिन्न भिन्न प्रकार के फलदार वृक्षारोपण कार्य करवाए जाने के पीछे का मन्तव्य ज्ञात करने पर उन्होंने बताया कि इसके पीछे वन्य प्राणी भालुओं की सुरक्षा उनके आहार विहार एवं संरक्षण,संवर्धन की दृष्टि कोण से लगभग दस हेक्टेयर भूभाग में ग्यारह हजार फलदार वृक्षों का सफल असिंचित वृक्षारोपण इसी वित्तीय वर्ष 2021-22में कक्ष क्रमांक 131 में  करवाया गया है जिसमे आम,जाम,जामुन, बेर,कटहल, इमली, बेहड़ा, तेंदू,सहित अनेक वनोपज फल का सफल रोपण किया गया फलदार वृक्षों के रोपण से एक तो वर्तमान में उपस्थित लगभग सात भालुओं को उन्हें प्राकृतिक रूप से आहार प्राप्त हो सकेगा साथ ही मानव एवं वन्य प्राणियों में एक निश्चित दूरी निर्मित होगी हालांकि वर्तमान में मानव वन्य प्राणी संपर्क से दूरी बनाए रखने हेतु दो किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में मजबूत दीवार निर्माण कर चैन लिंक फेंसिंग कार्य करवाया है जिससे भालुओं की सुरक्षा का दायरा भी बढ़ गया है महासमुंद वन मण्डलाधिकारी श्री पंकज राजपूत का कथन है कि वर्षों से बागबाहरा परिक्षेत्र में भालू विचरण कर रहे है तथा वे घटते वन एवं निरन्तर मानव द्वारा निर्मित कांक्रीटीकरण के  चलते इनके आहार विहार में व्यापक प्रभाव डाला है लगातार वनों के विदोहन से तथा सिमटते  वन क्षेत्र के कारण वन्य प्राणी अपनी भूख प्यास मिटाने आबादी क्षेत्र का रुख कर रहे है जिसके चलते मानव द्वारा किए जाने वाले छेड़छाड़,एवं शरारत से स्वच्छंद विचरण करने वाले  वन्यप्राणी अपना आपा खोकर मानव जीवन के लिए घातक साबित हो सकते है यही वजह है कि इनके लिए प्राकृतिक वातावरण निर्मित करने के उद्देश्य से सिकुड़े,सिमटे वनों का  विस्तार कर प्रकृतिक वातावरण निर्मित किया जा रहा है तथा दस हेक्टेयर भूमि में ऐसे चयनित पौधों का रोपण किया जा रहा है ताकि उन्हें प्राकृतिक रूप से भोजन इत्यादि प्राप्त हो सके इस लिए ही परिक्षेत्र मे फलदार,छायादार वृक्षों का सफल रोपण कार्य संपादित  किया गया है ताकि उन्हें नैसर्गिक,प्राकृतिक वातावरण में रहने का अहसास हो सके बागबाहरा परिक्षेत्र के ऊंचे पर्वत शिखर पर माता चंडी मंदिर के समीप स्थित  कक्ष क्रमांक 131 में लगाए गए फलदार पौधा रोपण की  उन्होंने प्रशंसा करते हुए बताया कि बागबाहरा परिक्षेत्राधिकारी एवं मैदानी अमले ने ऐसे पर्वतीय क्षेत्र में  चुनौती पूर्ण कार्य को अंजाम दिया यह सर्वाधिक हमारे लिए संतोषप्रद कार्य है 


श्री विकास चन्द्राकर परिक्षेत्राधिकारी  बागबाहरा 

------------------------------------------------------------रोपण कार्यों को जानने जब महासमुंद वन मण्डल अंतर्गत बागबाहरा वन क्षेत्र के परिक्षेत्राधिकारी श्री विकास चन्द्राकर जो युवा एवं धर्मिक प्रवृत्ति के साथ, आधुनिक, विचारधारा भी रखते है तथा  वनों के संरक्षण,संवर्धन में भी विशेष रुचि रखते है  उनसे मिलकर रोपण कार्यों के संदर्भ में पूछा गया तब उन्होंने बताया कि क्षेत्र में फलदार पौधों का रोपण किया जाना वन्य प्राणी भालुओं के रहवास,भोजन की व्यवस्था सुनिश्चित करना मुख्य उद्देश्य है 


              श्री चुकेश ध्रुव परिसर वन रक्षक

---------------------------------------------------------------क्योंकि भोजन की अल्पता एवं  लगातार भक्तों,श्रद्धालुओं  द्वारा वितरित प्रसाद ने भालुओं के विचारधारा को परिवर्तित कर दिया अब भालू अपने निश्चित समय पर उपस्थित होकर प्रसाद ग्रहण करता है तथा कुछ समय विश्राम कर अन्यंत्र कूच कर जाता है परिक्षेत्राधिकारी विकास चन्द्राकर साहेब बताते है कि  भालुओं का रहवास क्षेत्र  आसपास ही पांच दस किलोमीटर पर्वत क्षेत्र के आसपास बन गया है तथा अब तक उसने किसी मानव भक्तों को जानमाल की हानि नही पहुंचाया है फिर भी विभाग का यह प्रयास है कि मानव निर्मित भोजन अथवा प्रसाद से उन्हें दूर रखा जाए भक्तों,श्रद्धालुओं द्वारा दिए गए आहार,प्रसाद के निरन्तर उपयोग से उसके स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है इसके लिए विभाग द्वारा उसे प्राकृतिक वन जैसा वातावरण, वनोंपज  से प्राप्त उसके रुचिकर फल फूल आहार एवं उसके स्वछंद विचरण हेतु  विहार जैसी परिस्थिति निर्मित कर  सुरक्षा की दृष्टिकोण से दस हेक्टेयर भूभाग में ग्यारह हजार फलदार पौधों का रोपण किया गया जो शत प्रतिशत सफल है रोपण किए गए पौधे के संदर्भ में जब जानकारी ली गई तब श्री चंद्रकार ने बताया कि  चट्टानी एवं रेतीले भूभाग में रोपण करना बहुत बड़ी चुनौती पूर्ण कार्य था इसके लिए पहाड़ी क्षेत्र  स्थल को साढ़े चार फीट गड्ढा किया गया पश्चात रेती मिश्रित मिट्टी में चुना मिलाया गया जिससे उसकी उर्वरा शक्ति बढ़ी तथा आज पांच माह  की अल्पवधि में उसके आश्चर्यजनक परिणाम देखने मिले आज रोपित फलदार पौधे बड़ी तीव्रता  से सर्वाइव कर रहे है वरना चट्टानी रेतीले भूभाग में वृक्षों का उगना केवल ईश्वरीय शक्ति के हाथ मे ही है परन्तु हमने असंभावित,चुनौती पूर्ण  कार्यों को कर दिख़या जो सबसे बड़ी उपलब्धि है कथित कक्ष क्रमांक 131 में कराए गए  वृक्षारोपण के संदर्भ में उन्होंने आगे बताया कि सफल वृक्षारोपण कार्य को देख कर महासमुंद वन मण्डलाधिकारी श्री पंकज राजपूत साहब भी काफी प्रसन्न हुए तथा कार्यों की भूरी भूरी प्रशंसा की 

महेश चन्द्राकर उर्फ मिंटू सुरक्षा गार्ड मंदिर परिसर
--------------------------------------------------------------परिक्षेत्राधिकारी  श्री विकास  चन्द्राकर  साहेब ने आगे बताया कि   पूर्व में भालुओं की संख्या दो थी जो अब बढ़कर सात हो गई है उनकी सुरक्षा के साथ साथ मानव से दूरी बनाए रखने  के  लिए विशेष तौर पर एक सुरक्षा गार्ड रखा गया है जो प्रातःकाल नौ बजे से लेकर रात्रि नौ बजे तक अपनी ड्यूटी करता है तथा  जब  वन्य प्राणी भालुओं का मंदिर में प्रवेश होता तब भीड़ को नियंत्रित एवं मानव से एक निश्चित  निर्धारित दूरी बनाए रखने का कार्य करता है ताकि मानव एवं भालुओं दोनों की सुरक्षा बनी रहे  रोपण क्षेत्र में जब स्थल मुआयना किया गया तब वास्तव में  कथनी और करनी में समानता दिखाई दी मां चंडी मंदिर बागबाहरा के पर्वतीय स्थल  रोपण क्षेत्र मे जब  मैदानी अमले के कर्मचारी चुकेश ध्रुव वन रक्षक ने हमे  क्षेत्र में भ्रमण करवाया तब भिन्न भिन्न फलदार वृक्षों की श्रृंखला योजनाबद्ध तरीके से रोपण किया जाना पाया उसने बताया कि क्षेत्र में प्राकृतिक पेड़ के साथ साथ वन्य प्राणी भालुओं के संरक्षण,संवर्धन हेतु इसी वित्तीय वर्ष2021-22 रोपण कार्य निष्पादित किया गया   शीघ्र ही क्षेत्र में दीमक बनाने की योजना है जो भालुओं का प्रिय भोजन के रूप में उनकी क्षुधा शांत करेगा इसके लिए प्रसाद के रूप में उपयोग नारियल बुच्छ,सड़े गले कपड़े सहित अन्य अपशिष्ट पदार्थों को गड्ढे नुमा स्थल में संग्रहित किया जाएगा जिसके सम्मिश्रण से कुछ माह में ही दीमक बन जाएगा जिसे वह बड़े चाव से ग्रहण करता है


                   वन्य प्राणी भालू 

-------------------------------------------------------------  वही क्षेत्र में मधु मक्खी पालन हेतु भी प्रयास किए जाएंगे जिससे शहद इत्यादि की उत्पत्ति होगी इसके लिए डीएफओ पंकज राजपूत साहब के दिशा निर्देश पर ही कार्य किया जाएगा शहद जैसा तरल पदार्थ  भी  भालुओं के प्रिय भोजन में शामिल है  इसके अलावा रोपे गए फलदार वृक्ष के फल भी भविष्य में उनके आहार के लिए पर्याप्त होगा पर्याप्त भोजन खाद्य सामग्री मिलने पर उसकी आमद ओ रफ्त मंदिर परिसर में कम होगी इससे  उसकी सुरक्षा,एवं, संरक्षण भी हो पाएगा बागबाहरा स्थित




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  मां चंडी मंदिर परिसर में भालुओं की सुरक्षा में तैनात  महेश चन्द्राकर उर्फ मिंटू से मिलने पर बताया कि विभाग से मेरे अलावा अन्य विभागीय कर्मचारियों की ड्यूटी लगी रहती है तथा एकजुटता से पब्लिक एवं वन्य प्राणियों की एक निर्धारित दूरी तय की जाती है ताकि मानव हाथों से निर्मित कोई खाद्य पदार्थों का सेवन से उन्हें सुरक्षित किया जा सके पेशे से मैकेनिक रहे महेश उर्फ मिंटू चंद्रकार ने बताया कि वे विगत पांच वर्षों से विभागीय ड्यूटी निभा रहे है तथा उनका एवं भालुओं का एक रिश्ता सा बन गया है वे ही उनके आगमन पर मूंग फल्ली ,फल इत्यादि देते है तथा वे उन्हें प्रिंस,लव,कुश,छोटा,छोटी, नाम से पुकारते है उनके द्वारा मानव पर किसी प्रकार के खतरे के सबन्ध में बताते है कि अधिक भीड़ देखकर वे थोड़ा अपना आपा खोने लगते है परन्तु विभाग द्वारा एक किलोमीटर मंदिर परिसर में मजबूत लोहे का सुरक्षा बाड़ा निर्माण करवाया गया है वही आठ किलोमीटर के दायरे को दस फीट ऊंचाई बाउंड्री वॉल एवं चैन लिंक फेंसिंग कराई गई है ताकि किसी अन्य क्षेत्र से वह प्रवेश न कर सके तथा मंदिर परिसर क्षेत्र में यत्र तत्र घूम रहे भक्तों को किसी प्रकार की क्षति न पहुंचा सके महेश उर्फ मिंटू चन्द्राकर ने सुरक्षा कर्मी ने आगे बताया कि वे वन्य प्राणियों की रेस्क्यू कार्य भी करते है तथा जख्मी हालत में मिले वन्य प्राणीयों का उपचार भी डॉ. की सलाह पर करते है उनके इस साहसी कार्य के लिए भय नही लगने पर वे कहते है कि प्रेम की भाषा मानव ही नही बल्कि मूक वन्य प्राणी भी समझते है बस इन्हें भी कभी थोड़ा पुचकार कर देखों ये भी आपके प्रेमी बन जाएंगे उनके कथन में भी वास्तविकता की छलक तब देखने मिली जब भालू एक साथ मंदिर परिसर में प्रवेश किए तब भालुओं को उनके नाम से संबोधित करते हुए  उनके प्रतिदिन की रूटिंग के हिसाब से दौड़ दौड़ कर पानी टँकी में हाथ से पानी को खल बलाना,तथा उन्हें थैली भर मूंग फल्ली बीज देना , मानो ऐसा ज्ञात हो रहा था जैसे ये कोई जंगली जानवर नही बल्कि पालतू भालू है 

जो बगैर कोई हिंसा के अपने  सेवादार की बात उसके मूक इशारों को समझ कर अपनी दैनिक क्रियाओं का अक्षरशः पालन कर रहे हो परन्तु यहां यह सवाल भी उठता है कि यदि कोई एक या दो भालू हो तो यह क्यास लगाया जा सकता है कि यह भालू अब पालतू हो गया परन्तु यहां तो छोटे बड़े सात भालुओं का पूरा परिवार है वो भला किसी मानव के इशारों पर क्यों चले ? उन सब भालुओं को नियंत्रित,एवं सुरक्षित करना यह सब  बड़े साहस,हिम्मत, और हौसलों का कार्य है  बधाई के पात्र है वो अधिकारी और मैदानी कर्मचारी जो ऐसे विशाल पर्वत पर वन्य प्राणी भालुओं की सुरक्षा,उनके आहार,विहार,की व्यवस्था हेतु फलदार पौधे रोपण करवाकर,दस फीट ऊंचे वॉल एवं तारों से चैन लिंक फेंसिंग करवाकर उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जो सराहनीय एवं प्रशंसनीय है..
 






शनिवार, 23 अक्टूबर 2021

वन विकास निगम द्वारा किए गए वृक्षारोपण से तीन ग्राम में बही हरियाली की बयार

 वन विकास निगम द्वारा किए गए वृक्षारोपण से तीन ग्राम में बही हरियाली की बयार 

श्री ऋषि शर्मा परिक्षेत्राधिकारी
 बार नवापारा परियोजना मंडल वविनि रायपुर
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छग वनोदय पत्रिका में प्रकाशनार्थ

रायपुर ( छग वनोदय) छग प्रदेश  की कांग्रेस सरकार  सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय की दृष्टिकोण से वर्ग,धर्म,सप्रदाय,से ऊपर उठकर मानव जीवन के उत्थान ,विकास, सरल,सहज एवं स्वच्छ  प्रदूषण मुक्त वातावरण निर्माण के उद्देश्य से  ,  अनेक जन कल्याणकारी विकास परक योजनाओं की घोषणा के साथ ही उसे वास्विकता की धरा में योजनाओं का  विभागीय स्तर पर सफल क्रियान्वयन कर प्रदेश भर मे एक बेमिसाल उदाहरण प्रस्तुत किया है
 

जिनमे मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना भी एक है इसके अंतर्गत ऐसे हितग्राही जिनमे ग्राम पंचायते,संयुक्त वन प्रबंधन समिति,वन अधिकार पट्टे वितरण किए भूमि या धान की खेती वाले किसानों को सम्मिलित किया गया जिनकी भूमि पर वृक्षरोपण  कार्यक्रम का त्वरित क्रियान्वयन कर प्रदेश को हरा भरा बनाने के उद्देश्य से द्रुत गति से कार्य किए जा रहे  प्रदेश भर में वृक्षारोपण कार्यक्रम के माध्यम से अल्प काल मे ही चहुओर हरित क्रांति ला दी गई है अब  इस योजना के दूरगामी परिणाम यह सामने आने लगे है कि  प्रदेश के घटते वन रकबे को संयुक्त जनभागीदारी से वनों के संरक्षण सहित संवर्धित किए जाने को बल मिल रहा है साथ ही वन क्षेत्रों  का विस्तार भी हो रहा है विभाग एवं जनभागीदारी के संयुक्त और  संतुलित प्रयास से चहुंओर हरियाली का विस्तार भी हो चुका है तथा घोषणा अनुरूप मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन राशि से वनों के सहेजने,उनके संरक्षण सहित  वृक्षों एवं पर्यावरण के प्रति  आम लोगो मे जन जागरूकता का संचार हुआ है   

मुख्यमंत्री वृक्षारोपण  प्रोत्साहन योजना के माध्यम से जन जागृति का सीधा उदाहरण यह देखने मे आ रहा है कि  कल तक वनों एवं अन्य स्थलों पर अंधाधुंध पातन कार्य होते थे उस पर भी अब ब्रेक लग चुका है तथा जन जगृति के चलते स्वयं आमजन कराए गए रोपण की सुरक्षा के लिए स्वयं तत्पर दिख रहे है उक्त योजना के ग्राम पंचायतों सहित सार्वजनिक अन्य स्थलों पर विभाग द्वारा कराए गए वृक्षारोपण  कार्यक्रम के  सफल क्रियान्वयन वास्तव में काबिले तारीफ है जिसकी सभी वर्ग भूरी भूरी प्रशंसा कर रहे है इसी कड़ी में रायपुर परिक्षेत्र के भिन्न भिन्न  ग्राम पंचायतो के पड़त बंजर भाटा भूमि में हरियाली लाने  सुखद कोशिश के परिणाम परिलक्षित हो रहे है ग्राम पंचायतों के माध्यम से क्षेत्रों में किए जा रहे वृह्द पैमाने पर अलग अलग प्रकार के मिश्रित प्रजाति के सफल रोपण अब जनता के साथ साथ अन्य विभाग के लिए प्रेणास्त्रोत भी बन रहे है छग वन एवं  जलवायु परिवर्तन विभाग के आनुषंगिक धड़ा छग राज्य वन विकास निगम बारनवापारा  परियोजना मंडल रायपुर द्वारा भी रायपुर के लगभग तीन ग्रामों क्रमशः मानिकचौरी,जौंदी एवं आकोली कला क्षेत्र के ग्राम  पंचायतो से मिले  पत्र के अनुसार पड़त भाटा बंजर भूमि पर सफल वृक्षारोपण कार्य संपादित किया गया मात्र पांच माह के अंतराल में ही उसके बेहतर परिणाम अब देखने मिल रहे है इस संदर्भ में छग राज्य वन विकास निगम के बार परियोजना मंडल कार्यालय के    परियोजना अधिकारी श्री ऋषि शर्मा ने बताया  कि बार नवापारा परियोजना मंडल वन विकास निगम  क्षेत्र के  तीन  ग्राम क्षेत्रों के माध्यम से पड़त बंजर भाटा भूमि मे सफल वृक्षा रोपण कार्य संपादित करने पत्र प्राप्त हुआ था जिसे शासन द्वारा प्राप्त राशि से संपादित कर  बारनवापारा परियोजना मंडल कार्यालय के मैदानी कर्मचारीयों ने  सौंपे गए दायित्वों का सफलता पूर्वक  निर्वहन किया वही किस मद से रोपण किए पूछे जाने के संदर्भ में  उन्होंने इसका निष्पादन शासकीय राशि से कार्य किया जाना बताया जबकि रोपण  कार्य में संभावना जताई जा रही है कि वृक्षा रोपण  कार्य औद्योगिक समाजिक उत्तरदायित्व के तहत आईपीडी योजना से शासन के माध्यम से प्राप्त राशि से उक्त तीनो ग्राम क्षेत्र मानिकचौरी,जौंदी, एवं आकोली कला के  ग्रामीण क्षेत्रों में वृक्षारोपण किय गया है परिक्षेत्राधिकारी श्री ऋषि शर्मा का कथन है कि उक्त संपूर्ण योजना में छग राज्य वन विकास निगम के प्रबंध   संचालक पी.सी.पांडे साहब एवं आर.जी.एम

मनोज पांडे साहब, डी. एम. शशि कुमार के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में संपादित हुआ है      उन्होंने बताया कि बार नवापारा परियोजना के डी. एम. शशि कुमार आईएफएस 2018  बेच के अधिकारी है तथा युवा  होने के साथ आधुनिक विचार धारा तथा कार्यों के प्रति संवेदनशील एवं निष्ठावान है ऊर्जावान अधिकारी शशि कुमार की सोच हमेशा  कुछ नया करने की रही है तथा वे स्वयं रोपण क्षेत्र में पहुंचकर बारीकी से मॉनिटरिंग करते है  एक प्रकार से नई लहर और नए उमंग के साथ   अपने कार्यों को बखूबी अंजाम दे रहे है उन्होंने बताया कि वन भूमि में कार्य करना कोई व्यवधान नही होता परन्तु ग्रामीण क्षेत्र की राजस्व भूमि पर रोपण कार्य वह भी  किसी विपरीत  परिस्थितियों में हो तो कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है उन्होंने बताया इसके लिए परिक्षेत्राधिकारी एवं मैदानी अमले को  ग्राम पंचायत एवं ग्रामीणों में परस्पर समन्वय स्थापित कर कार्यों को पूर्ण करवाना किसी चुनौती से कम नही होता  परिक्षेत्राधिकारी श्री ऋषि शर्मा ने बताया  कि ग्राम पंचायतों में कार्य संपादित करवाना एक बहुत बड़ी चुनौती होती है इसके लिए ग्रामवासियों को रोजगार के तहत श्रमिकों को स्थानीय स्तर पर कार्यों पर   संलग्न करना पड़ता है जिससे स्थिति उस वक्त विस्फोटक हो जाती है जब सभी आयु वर्ग के श्रमिक कार्यो में संलिप्त होना चाहते है जो संभव नही होता  तब ग्राम पंचायत के सरपंच सहित समस्त पंचों एव जन प्रतिनिधि के द्वारा चयनित श्रमिको को  कार्य देना पड़ता है तथा उनसे समन्वय स्थापित करना पड़ता है जो दुरूह एवं कठिन कार्य होता है ऐसी स्थिति अनेकों बार निर्मित हो चुकी  फिर भी ग्राम पंचायत के सरपंच सहित पंचगण,जन प्रतिनिधि के परस्पर तालमेल एवं सहयोगात्मक रूप से कार्यों  को संपादित कराया गया  क्योंकि  पूरे रोपण कार्यों में स्थानीय स्तर पर समस्त ग्रामवासियों को रोजगार ग्यारंटी के तहत  कार्य  देना असंभव था जनप्रतिनिधियों के सहयोग से ग्रामीण श्रमिकों का चयन प्रक्रिया कर कार्यों को पूर्ण करवाया गया प्रतिदिन उन्हें कार्यों में संलग्नीकरण कर तीन बाई तीन के दूरी पर डेढ़  

फीट गहरे गड्ढे खनन करवाए गए तथा मिश्रित प्रजाति के लगभग 40 हजार पौधों का सफल रोपण कार्य  संपूर्ण तीनों ग्राम क्षेत्रों में  संपादित किया गया तीनो ही ग्राम क्षेत्रों में क्रमशः ग्राम जौंदी में 11 हेक्टेयर भूमि पर लगभग 14 हजार 300 पौधे जिनमे  सात सौ पौधे केज्यूवल्टी के लिए रखे गए कुल संख्या 15000 से ऊपर रही ग्राम मानिकचौरी 13 हेक्टेयर भूमि पर 12 हजार 700 पौधे तथा 300 पौधे अतिरिक्त गिरने,मरने,अथवा ध्वस्त होने की स्थिति के सुधार हेतु रखे गए कुल 13000 हजार पौधे एवं आरंग स्थित ग्राम आकोली कला में 12 हेक्टेयर भूमि पर 13200 पौधों का रोपण किया गया जिसके सुधार कार्य हेतु पृथक 700 पौधे रखे गए कुल 14000 पौधों का रोपण कार्य किया गया रेंजर ऋषि शर्मा ने बताया कि अतिरिक्त पौधे इसलिए रखे जाते है कि रोपण कार्य वर्षा ऋतु में किया जाता है  उक्त मौसम में  अधिक वर्षा या अत्यधिक पानी ठहराव की वजह से रोपित पौधे क्षतिग्रस्त हो जाते है या मर जाते है उनके पुनः रोपण हेतु अतिरिक्त पौधे रखे जाते है ताकि रोपण शत प्रतिशत सफल हो  परिक्षेत्राधिकारी ऋषि शर्मा ने आगे बताया कि प्लांटेशन पश्चात रोपण क्षेत्रों में उसकी सुरक्षा सबसे महती जिम्मेदारी होती है गाय गरूआ,मवेशी चराई एवं अज्ञात  वाहनों के द्वारा गाड़ी ट्रेक्टर द्वारा उसको क्षति या ग्रामीणों के अनवरत आवागमन   के रोकथाम हेतु  विभाग द्वारा चारों ओर चैन लिंक,अथवा कांटेदार तारों से सीमेंट पोल के माध्यम से मजबूती के साथ फेंसिंग की जाती है ताकि रोपण क्षेत्र को क्षति ग्रस्त होने से बचाया जा सके पौधों के निरंतर सर्वाइव,एवं ग्रोथ  के लिए समय समय पर डीएवीपी खाद सहित वर्मी कम्पोस्ट खाद दिए गए है लगातार सुरक्षा श्रमिको को नियुक्त किया गया ताकि रोपण क्षेत्र की निगरानी अनवरत  होते रहे यही नही वास्तविक धरा पर  रोपण स्थल का समय समय पर निरक्षण भी उच्च अधिकारियों के द्वारा की जाती है  वन विकास निगम के अधिकारी प्रबंध संचालक पी.सी.पांडे.आर.जी.एम.मनोज पांडे साहब नए डी.एम.की कमान सम्हाले  2018 बेच के फ्रेशर आई. एफ.एस. अधिकारी शशि कुमार द्वारा कार्यों की समीक्षा एवं मॉनिटरिंग की जाती है

तथा उनके दिशा निर्देश एवं मार्गदर्शन में अन्य शेष कार्य संपादित होते है परिक्षेत्राधिकारी ऋषि शर्मा के संदर्भ में यह सर्वविदित है कि वो  एक परिपक्व अनुभवी अधिकारी के रूप में पहचाने जाते है तथा अनेक अनुभवी सेवानिवृत्त उच्च अधिकारी एवं मैदानी अमले का साथ उनका चोली दामन का रहा है उनके सान्निध्य में ही रहते हुए  रोपण कार्यों मे महारत  प्राप्त हुआ है विपरीत परिस्थितियों में श्रमिकों से किस प्रकार कार्य लिया जाए यह गुर उन्हें बखूबी आता है आज उसी अनुभव का लाभ वे क्षेत्र में हरियाली बिखेर कर दे रहे है बीस हेक्टेयर वृह्द भूभाग में फैले ऑक्सिजोन निर्माण इसका साक्षात  जीवंत  उदाहरण है जो आज आम जन के स्वस्थ्य के लिए जीवनदायिनी बन कर लोगों को ऑक्सिजन पहुंचा रहा है   तथा उनके स्वस्थ पूर्ण जीवन कारणों का मूल सबब बन रहा है उन्होंने आगे बताया कि ऐसे रोपण कार्य बार नवापारा डिवीजन में केवल उक्त तीनों स्थल में ही किया गया है  जिसका श्रेय अपने उच्च अधिकारी प्रबन्ध संचालक श्री पी.सी.पांडे साहब आर.जी.एम.मनोज पांडे साहब,डी.एम.शशि कुमार साहब को दिया है जिनके कुशल नेतृत्व एवं मार्ग दर्शन में कथित तीनों ग्राम पंचायतों में सफल  वृक्षारोपण कार्य संपादित हुआ उन्होंने आगे बताया कि आज अल्प अवधि में ही सही परन्तु सफल वृक्षारोपण उनकी सेवाकाल का  सुखद अनुभव है जिसके बेहतर परिणाम यह देखने मे आ रहे है कि समस्त रोपण क्षेत्र के पौधे  ग्रोथ कर रहे है  ऐसे हरियाली प्रसार कार्य विभागीय निर्देश पर आगे भी  समय समय पर योजनाबद्ध तरीके से होते रहेंगे फिलहाल गत वित्तीय वर्ष 2019-20 में  काय बान्ध  स्टेडियम के समीप स्थित पड़त भाटा बंजर भूमि में वृह्द भूभाग में वृक्षारोपण कार्य किया गया जहां के लगाए गए पौधे की मनमोहक छटा अब देखते ही बनती है  

वहां के रोपित पौधे युवा अवस्था मे पहुंच गए है तथा क्षेत्र वन समतुल्य दृष्टिगोचर हो रहे है कथित काया बांध क्षेत्र में वातावरण परिस्थितिय अनुकूल हो गया है तथा वहां की हरित छटा के अवलोकन हेतु आवागमन करते राहगीर भी कर रहे है उपरोक्त रोपण क्षेत्र कायबान्ध में देखा यह भी जा रहा है कि देशी सहित विदेशी प्रवासी पक्षियों की चहचहाहट से संपूर्ण रोपण क्षेत्र गुंजयमान हो रहा है अपने नेतृत्व एवं वरिष्ठ अधिकारियों के कुशल दिशा निर्देश और मार्ग दर्शन में  सफल वृक्षारोपण से आल्हादित श्री ऋषि शर्मा कहते है कि जब  हमारे वन विकास निगम द्वारा कराए गए रोपण की हरियाली युक्त क्षेत्र देखने के पश्चात स्वच्छ,निश्चल, प्रदूषण मुक्त वातावरण के मध्य जब स्वयं को खड़ा देखते है तो एक सुखद अनुभूति का अनुभव  होता है जो हमारे,कार्यो के साथ व्यक्तित्व को तो निखारती ही है साथ ही वन विकास निगम की  छबि भी स्वच्छ एवं उज्ज्वल बनाती है जो निगम कर्मियों को गौरवान्वित करती है

जश्ने ईद मिलादुन्नबी के अवसर पर पंडरी इमाम बारगाह में नातिया मुशायरा -देर रात तक श्रोता झूमते रहे

 जश्ने ईद मिलादुन्नबी के अवसर पर पंडरी इमाम बारगाह में नातिया मुशायरा -देर रात तक श्रोता झूमते रहे 

रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़)अंजुमन ए अलमदारे हुसैनी ईरानी जमात पंडरी के तत्वाधान में जश्ने ईद मिलादुन्नबी के अवसर पर नातिया मुशायरा का आयोजन  इमाम बाकर अलैहिस्सलाम इमाम बारगाह में बड़े शान ओ शौकत से किया गया मुशायरे का आगाज हजरत मौलाना हसन अब्बास साहब और मिसाब असगर साहब ने क़ुरआन की बेहतरीन कीरत तिलावत से शुरुआत की पश्चात मज़ाहिर अली ने अपने कलाम से मुशायरा प्रारंभ किया  इसके पश्चात 

नमाज़ी अली और सरफ़राज़ हुसैन बिलासपुर ने  बेहतरीन तरन्नुम में कलाम पढा और महफ़िल में गर्मी ला दी शेर देखे-

जिसको भी मुहम्मद(स.अ.) का वसीला नही मिलता

जन्नत तो बड़ी बात है रास्ता नही मिलता

समीर हुसैन ने अपने कलाम में पढ़ा-

जिनको अहमद की मुहब्बत नही मिलने वाली

उनकी नस्लों में शराफत नही मिलने वाली

चाहे सजदे ही में मर जाए नबी का दुश्मन

ये तो तय है उसे जन्नत नही मिलने वाली

सफदर हुसैन ने सिलसिला आगे बढ़ाते हुए  कलाम पड़ा

जिनके लब खाके शिफा चूमने वाले होंगे 

उनकी तुरबत में उजाले उजाले ही होंगे

युवा इरफान अली ने मुशायरा के अपने कलाम में कहा 

फ़ज़ीलतों का समंदर कोई नही मिलता

सिवाए हैदर सफदर कोई नही मिलता....... मुशायरा रात गहराने के साथ ही और शबाब में पहुंचने लगा जब उस्ताद स्थानीय शायरों ने हुजूर मुहम्मदस.अ. की शान में एक से बढ़कर एक कलाम पढ़ा जिसे श्रोताओं ने झूम झूम कर नारए तकबीर  के साथ शायरों का हौसला अफजाई किया 

आज़म  अली रायपुरी ने अपने कलाम में कहा- होती जिनकी दिरहम ओ दीनार ज़िंदगी से... रचना पर खूब दाद दी वही रायपुर शहर के उभरते नात ख्वां जनाब तौकीर रजा साहब ने अपने बेहतरीन तरन्नुम अंदाज़ में  कलाम में पढ़ा - सहर का वक़्त था मासूम कलियां मुस्कुराती थी जैसे कलाम सुनकर महफ़िल झूम उठा और उनसे और कलाम  पढ़ने की मांग की गई इनके अलावा शाहरुख अली फैजान अली, अज़मत अली और उस्ताद शायरों मे जनाब सैय्याद मोबिन अली साहब,कविश हैदरी,मोहसिन अली सुहैल मीसम रज़ा जैसे उस्ताद शायरों ने अपने नातिया  कलाम  से देर रात तक  श्रोताओं को  कलाम सुनाकर झूमने विवश कर दिया कार्यक्रम की रूपरेखा जनाब बाबर अली,मेहंदी अली ने की कार्यक्रम की सदारत मौलाना हसन अब्बास कुम्मी,ने की वही मंच संचालन जनाब ज़ुबैर अली ने सधे हुए अंदाज में  किया और देर रात तक श्रोताओं को जगह पर बंधे रखा 






शुक्रवार, 22 अक्टूबर 2021

नरवा योजना से बदली नागिनबहरा के किसानों की किस्मत,दो फ़सलों से आई ज़िंदगी में खुशहाली

 नरवा योजना से बदली नागिनबहरा के किसानों की किस्मत,दो फ़सलों से आई ज़िंदगी में खुशहाली 


  श्री मयंक अग्रवाल साहब डीएफओ गरियाबंद

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छग वनोदय पत्रिका में प्रकाशनार्थ

 रायपुर /गरियाबंद  (छग वनोदय )छग प्रदेश गौण खनिज सहित वन संपदा की प्रचुर मात्रा से लबरेज है इसके विभिन्न योजनाओं के माध्यम से न केवल इन्हें  संरक्षण कर संवर्धित किया जा सकता है बल्कि जन हित  से जुड़ी अनेक समस्याओं का निराकरण भी संभव है इसके लिए छग शासन द्वारा वन विभाग के भिन्न भिन्न मंडल कार्यालयों में जल संरक्षण के उद्देश्य से नरवा प्रोजेक्ट का सफल कार्य कैम्पा मद से  संपादित किया जा रहा है 

श्री अशोक भट्ट साहब तात्कालिक रेंजर छुरा

वर्तमान परसूली परिक्षेत्राधिकारी गरियाबंद वन मंडल

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 वनों के ढलानी वन भूमि में  प्रवाहित जल को एकत्रित कर उसका लाभ वन वासीयों के फसल उपज सहित वन्यप्राणीयों के पेयजल समस्या का निराकरण की संभावनाएं बढ़ गई है इसी नरवा प्रोजेक्ट के तहत जब प्राकृतिक संपदा से भरपूर गरियाबंद वन मंडल कार्यालय जो चारो ओर गगनचुंबी  पर्वत श्रृंखला एवं सघन वन क्षेत्र  से अटा पड़ा हुआ है वहां पहुंचने पर नरवा प्रोजेक्ट के तहत किए गए निर्माण कार्यों की तस्वीर और तकदीर दोनों ही बदली हुई नजर आई

इस संदर्भ में जब वन मंडल अधिकारी श्री मयंक अग्रवाल साहब से मुलाकात कर योजना के संदर्भ में जानकारी ली तब उन्होंने मुस्कुराते हुए योजना के बारे में बताया कि  एक सही कदम से मानव की किस्मत बदल सकती है,इस  कहावत को अक्षरशः सत्य साबित कर दिखाया  गरियाबंद वन मंडल के छुरा परिक्षेत्र में विभाग द्वारा कराए गए नरवा विकास योजना के तहत नरवा निर्माण से वन क्षेत्रों में अतिरिक्त बहाव एवं कटाव को संरक्षित करने के उद्देश्य से वहां चेकडेम निर्माण कर जल बहाव के स्त्रोत का  संचयन किया गया वन मण्डलाधिकारी श्री मयंक पांडे साहब जो ऊर्जावान के साथ बड़ी कर्तव्य निष्ठा से छग शासन की उक्त महती योजना नरवा योजना को मूल स्वरूप में पहुंचाने किसी प्रकार का कोई समझौता नही किया है जबकि कथित निर्माण क्षेत्र में वन्यप्राणी गजदल के अलावा हिंसक प्राणी भी बहुतायात संख्या में है फिर भी मैदानी अमले के जुझारू अधिकारी कर्मचारी अपने दायित्वों का बखूबी निर्वाहन करते हुए आज कथित क्षेत्र में वहां नरवा योजना के तहत निर्माण संपन्न कर  योजना को मूर्त रूप प्रदान किया गया

जिस का लाभ आसपास ग्रामीणों को प्राप्त हो रहा है   उन्होंने बताया कि गरियाबंद वन मण्डल अंतर्गत नरवा योजना का लाभ अब स्थानीय वनवासियों एवं ग्राम  नागिनबहरा के किसानों को मिल रहा है  जिससे वे गदगद है उन्होंने आगे बताया कि नागिन बहरा के ग्रामीण किसान जो पहले प्राकृतिक स्त्रोत वर्षा  पर निर्भर रहते हुए बमुश्किल एक ही खरीफ़ फसल अपनी खेती पर कर पाते थे वो आज खरीफ़ ही नहीं बल्कि रबी फसल और साथ में साग-सब्जी भी उगा रहें हैं एक प्रकार से वे दोहरा तिहरा लाभ उठा कर  आत्म निर्भर हो स्वावलंबी बन रहे है उन्होंने आगे बताया कि यह सब संभव हो सका है भूपेश सरकार के नरवा विकास योजना की वजह से,जिसके सही समय में  सफल क्रियान्वयन से नागिनबहरा के किसानों की ज़िंदगी में खुशहाली आई है श्री मयंक अग्रवाल आगे बताते है कि नरवा निर्माण के समय स्थानीय ग्रामीण श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराया गया जिसका उन्हें अतिरिक्त लाभ प्राप्त हुआ

वही परिक्षेत्राधिकारी श्री अशोक भट्ट साहब जो एक परिपक्व, अनुभवी,एवं सुलझे हुए  अधिकारी है उन्होंने बताया कि  गरियाबंद वन मंडल के अंतर्गत छुरा वन परिक्षेत्र के गांव नागिनबहरा  में दो नाले ताराझार और मुड़गा कटेल में नरवा विकास योजना के तहत बनाए गए चेकडेम,लूज बोल्डर चेकडेम जैसे 16855 संरचनाओं से यहां के 42 किसानों के 165 एकड़ कृषि भूमि को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध हो रहा है। इस संदर्भ में नागिनबहरा के किसान नीलकंठ बिंझवार से नरवा विकास योजना के संदर्भ तथा उससे मिल रहे लाभ के बारे में पूछा गया तब  किसान  नीलकंठ बिंझवार ने उत्साहित होकर बताया कि नाला बंधान और निर्माण से पूर्व दो साल पहले जब वो 4 एकड़ जमीन पर रबी फसल उगाए थे तब पानी की कमी की वजह से डेढ़ एकड़ फसल बर्बाद हो गई थी पर इस साल साढ़े चार एकड़ जमीन में रबी फसल शुरू किया

श्री धनेश सिन्हा(वनपाल)सहायक परिक्षेत्र चरौदा
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तथा नरवा संचयन जल स्त्रोत से बेहतर फसल प्राप्त किया और वह अच्छे से पक भी गया है अब पूर्व से और बेहतर उत्पाद प्राप्त  हो रहा है।इससे उनकी आय दोगुनी हुई है इसके लिए छग शासन एवं गरियाबंद वन मंडल अधिकारी श्री मयंक अग्रवाल साहब एवं तत्कालीन परिक्षेत्राधिकारी  अशोक भट्ट साहब  का हृदय से आभार व्यक्त किया 
कमार जन जाति बहुलता वाले क्षेत्र नागिनबहरा के ही रहने वाले किसान कलीराम कमार अध्यक्ष वन प्रबंधन समिति नागिनबाहरा ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए बताया कि पहले नाला में बरसात के बाद सप्ताह भर में धार कम हो जाता था पर जब से वन विभाग गरियाबंद द्वारा जल स्त्रोत संचय के उद्देश्य से चेकडेम निर्माण किया गया तब से पानी की अल्पता लगभग समाप्त हो गई है 
देव राम साहू परिसर रक्षक नागिनबहरा
---------------------------------------------------------------अब जनवरी में भी नाले का धार बना हुआ है। गर्मी के मौसम में भी अब गांव कुओं में पानी दो फीट ऊपर तक रहता है और बोर खनन में भी पानी अब डेढ़ सौ फीट में मिल जाता है जो पहले दो से तीन सौ फीट तक जाता था।नरवा विकास ने ना सिर्फ़ इस क्षेत्र में पानी और सिंचाई की समस्या को दूर किया है बल्कि कोरोना जैसी त्रासदी में भी लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया है जो काबिले तारीफ है

गुरुवार, 21 अक्टूबर 2021

हाथियों की बढ़ती धमक के बीच महासमुंद वन मंडल द्वारा जनहित में जागरूकता प्रसार की कवायद

 हाथियों की बढ़ती धमक के बीच महासमुंद वन मंडल द्वारा  जनहित में जागरूकता प्रसार की कवायद 

छग वनोदय पत्रिका  में इसी माह शीघ्र प्रकाशनार्थ

रायपुर (छग वनोदय) विगत कुछ वर्षों से छग प्रदेश में हाथियों की धमक बड़ी है तथा वनों में निवासरत वनवासी, वनादिवासियों सहित मानव जीवन के लिए एक बहुत बड़ा खतरा भी बढ़ गया है इसके रोक थाम के लिए छग शासन का वन विभाग विभिन्न कार्ययोजना निर्माण कर सुरक्षा के जतन भी कर रहा है परन्तु दिनोंदिन बढ़ती हाथियों की संख्या ने तथा लगातार हो रहे मानव हाथी द्वंद से होने वाली जानमाल की क्षति पर कोई कमी नही आई है एक ओर छग वन विभाग लेमरू प्रोजेक्ट के माध्यम से इनके संरक्षण,सहित प्राशिक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है तो इसके पूर्व  भी महासमुंद वन मण्डल अंतर्गत कुमकी हाथी के माध्यम से इनके नियंत्रण हेतु दक्षिण  भारत से प्रशिक्षित महावतों को लाकर प्रशिक्षित  हाथियों के माध्यम से घुमंतू हाथियों को नियंत्रण करने हेतु लंबे समय तक बार नवापारा वन क्षेत्र में करोड़ों की राशि लगाकर कैम्प लगाया गया था परन्तु उक्त प्रोजेक्ट के सारगर्भित परिणाम परिलक्षित नही हुए  फिर भी वन विभाग प्रवासी हाथियों के रहवास, सुरक्षा के लिए  कटिबद्ध है साथ ही आम मानव जीवन की सुरक्षा भी उनका मूल कर्तव्य बना हुआ है इसके चलते  आम जन में जागृति पैदा करने के उद्देध्य से विभाग अनेक माध्यम अपना रहा है इसी कड़ी में महासमुंद वन मंडल जो सर्वाधिक गजदल परिवार से प्रभावित क्षेत्र है वहां के युवा ऊर्जावान डीएफओ श्री पंकज सिंह राजपूत द्वारा  मानव हाथी द्वंद नामक लिखित ब्रोसर एवं स्कैच के जरिये जन जगृति लाने का विशेष प्रयास प्रारंभ कर दिया  है साथ ही हाथी प्रभावित वन क्षेत्रों में भी  महासमुंद वन मंडल के अधिकारी,कर्मचारियों के द्वारा समय समय पर वन परिक्षेत्रों में कैम्प लगा ग्रामीणों से रूबरू होकर उग्र मदमस्त हाथियों से सुरक्षा और बचाव हेतु जागरूकता लाई जा रही है हाथियों की लगातार वृद्धि और वन क्षेत्रों में धमक का मूल कारण डीएफओ पंकज राजपूत साहब कहते है कि घटते वन क्षेत्र एवं वनोपज की बड़ी कमी के कारण गज दल अपनी भूख प्यास मिटाने ऐसे सघन वन क्षेत्रों का विचरण कर मानव द्वारा  उपज फसल, धान,अन्य खाद्य पदार्थ इत्यादि की तलाश में वे छग प्रदेश के वन क्षेत्रों में सक्रिय हो गए है इनका आगमन विशेष रूप से झारखंड उड़ीसा बॉर्डर है जहां से इनका प्रवेश होता है इसके लिए ऐसे कोई उपाय नही किए गए कि उन्हें प्रदेश वन क्षेत्रों के आगमन पर रोका जा सके उनका कथन है कि जहां  तक वन शृंखला  का विस्तृत प्रसार है ये अपनी क्षुधा शांति हेतु अन्य राज्यों में प्रवेश कर जाते है फिर  वनों में मानव उपस्थिति तथा उनके विरुद्ध मानव जाति की प्रतिक्रिया शोर शराबे एवं भगदड़ की स्थिति में गजदल के मुखिया जो मादा हथिनी होती है उसके द्वारा दल में मजूद सदस्यों बच्चों की सुरक्षा को लेकर वह अत्यंत क्रोधित हो जाती है तथा परिवार की सुरक्षा को लेकर मानव जीवन पर आक्रमक होकर जानमाल को क्षति पहुंचाती है डीएफओ महासमुंद श्री पंकज राजपूत आगे कहते है कि मानव जीवन को सुरक्षित रखने के लिए गजदल अथवा हाथियों से एक निर्धारित दूरी रखना अनिवार्य है क्योंकि यह प्राश्रित अथवा पालतू वन्य प्राणी नही है इसलिए कभी भी वह आक्रमक हो सकता है वही हाथी जब हमलावर होता है तब वह आक्रमण के पूर्व कुछ संकेत देता है जिसे समझना अति आवश्यक होता है जैसे वह  अपने बड़े सूपा आकार कानों को हिलाते रहता है परन्तु जब वह आक्रमक रुख में होता है तब वह कानों को सीधे कर लेता है  एक पांव को उठा कर या धूल उड़ाकर सामने खड़े मानव को  चुनौती देता अपने विशाल शीश को तेजी से ऊपर नीचे करता है तथा तेजी से चिघाड़कर अपनी पूंछ सीधी कर लेता है ऐसी परिस्थिति देखकर तुरन्त वहां से पलायन करने उचित है नही तो वह सूंड में लपेट कर मानव जीवन की इहलीला समाप्त कर सकता है  वन मण्डलाधिकारी श्री पंकज राजपूत बताते है कि मदमस्त नर गज के संदर्भ में अध्ययन से यह ज्ञात होता है कि जब वह कामोत्तेजक अवस्था मे होता है तब वह मदमस्त चाल चलता है तथा उसके आंख एवं कानो से पतला द्रव्य अनवरत बहता रहता है ऐसी परिस्थिति में वह अपने से दोगुने शक्तिशाली हाथी से लड़ने की क्षमता रखता है जब उपरोक्त परिस्थिति में मदमस्त हाथी दिखे तो तत्काल लंबी दूरी बना लेना उपयुक्त रहता है डीएफओ पंकज राजपूत आगे बताते है कि मादा हाथी सदैव अपने परिवार के साथ रहती है जिनमे छोटे शावक, नर मादा भी रहते है परिवार का संचालन स्वयं मादा हथिनी करती है यदाकदा कुछ सदस्य अपने परिवार से कुछ दिन अलग भी हो जाते है पश्चात पुनः जुड़ जाते है इनमें सूंड के माध्यम से सूंघने की अद्भुत क्षमता होती है गन्ध तथा चिंघाड़ तथा ऐसे संकेत जो केवल हाथी परिवार के सदस्यों को लगभग दस से सोलह किलोमीटर तक अपने बातों का आदान प्रदान कर सकते है संभवतः दूर हुए हाथी परिवार से लगातार सांकेतिक ध्वनि के जरिये संपर्क में रहते है जिसका भान मनुष्यो को कतई नही रहता तथा  अपने परिवार को इशारा करते रहते है मादा हाथिनी के पारिवारिक मोह का मूल कारण उसके 5 वर्षों के लंबे प्रजनन  की वजह से होती है क्योंकि बीस से बाइस माह तक गर्भ धारण रहता है पश्चात तीन वर्षों तक अपने शावक को यह स्तनपान कराती है पांच वर्ष  पश्चात ही यह दुबारा प्रजनन योग्य होती है यही कारण है कि उसके शावक उसे अत्यंत प्रिय होते है तथा उनकी सुरक्षा को लेकर ही वह सदैव आक्रमक रुख अख्तियार किए रहती है यदि नन्हे शावक के साथ  मादा हथिनी दिखे तो तत्काल आसपास के लोगों को सावधान कर अपने आप को सुरक्षित कर लेने में ही भलाई  है वही नर हाथी के संदर्भ में यह बताया कि वह एकांत प्रिय  स्वच्छंद होता है तथा हथिनी से आकर्षण की वजह से वह दल में सम्मिलित होता है  उसका मूल उद्देश्य वंश वृद्धि ही होता है पश्चात वह दूसरे अन्य नर हाथियों  के दल में ही अधिकांश जीवन व्यतित करता है हालांकि नर हाथी के संबन्ध में यह भी ज्ञात हुआ है कि वह 11 से चौदह वर्ष की आयु में अपने परिवार से पृथक हो जाता है तथा पारिवारिक संबध स्थापित न हो वह स्वयं अन्य दल में शामिल होकर मादा हथिनी से संबन्ध स्थापित कर वंश वृद्धि करता है यही परिस्थिति मादा  हथिनी की भी है उसे भी 11 वर्ष की उम्र में गर्भ धारण की क्षमता होती है परन्तु पृथक  हुए नर हाथी की लगभग 30 वर्ष की आयु जब तक नही होती तथा वह पूर्णतः  वयस्क नही हो जाता तब तक  मादा हथिनी प्रजनन हेतु उसे स्वीकार नही करती यही कारण है कि ऐसे हाथी अन्य नर हाथियों के दल में पृथक विचरण करते है तथा उम्र दराज हाथी नए सम्मिलित हुए हाथी को अनुशासन,सुरक्षा इत्यादि सिखाते है अकेले विचरण करने वाले हाथी सदैव बिगड़ैल,गुस्सैल,की श्रेणी में आते है ऐसे बिगड़ैल एवं गुस्सैल हाथियों से  वन विभाग द्वारा जारी सुरक्षा सूत्र मानने पर भी जोर दिया गया है श्री पंकज राजपूत का कहना है कि यदि हाथी वन क्षेत्र परिसर में निवासरत वनवासी के गृह ग्राम में आते है तो ऐसे ग्राम क्षेत्र में माकूल विधुत व्यवस्था होनी चाहिए  ताकि तीव्र प्रकाश की रौशनी में वह क्षेत्र में घुसने क्षति पहुंचाने में असमर्थ होता है पटाखे के स्थान पर  हाथों या लोहे के थाली के माध्यम से समान रूपता में ध्वनि उत्प्न्न करना चाहिए,तेज टार्च की रौशनी उनकी आँखों मे बंद चालू करने से आंखे चौंधियाने पर भी ये वापस हो जाते है यदि ऊंचे ढलान क्षेत्रों में हाथियों से सामना हो जाए तो ऊंचाई की ओर भागने की बजाए ढलान क्षेत्र की ओर भागे क्योंकि वह ढलान क्षेत्र में असन्तुलित हो जाता है तथा उसकी गति भी धीमी हो जाती है इससे आपकी सुरक्षा में समय मिल जाता है जनधन क्षति होने की परिस्थिति में बदले की भावना से उत्प्रेरित न होकर इसकी सूचना तत्काल वन विभाग को दें ताकि शासन द्वारा निर्धारित मुआवजा से जनधन क्षति की भरपाई हो सके फसलों के सुरक्षा हेतु विद्युत संचरण हेतु विद्युत विभाग द्वारा  लगाए गए बिजली तारों के टूटने अथवा खुले तारों के होने पर इसकी सूचना तत्काल विभाग को दे ताकि अज्ञात व्यक्ति या वन्य प्राणी के  संपर्क में आने से रोका जा सके साथ ही फसलों की कटाई के पश्चात प्लास्टिक बैग अथवा बोरे में इसे मजबूती से बंद कर तहखाने नुमा स्थान में रखा जाए ताकि उसकी गन्ध से हाथी दल खाद्य पदार्थ तक पहुंच न सके समय समय पर इन बचाव और सुरक्षा हेतु ग्रामीणों द्वारा लगाए जाने वाले चौपाल बैठक में चर्चा होनी चाहिए ताकि उनमें जागरूकता आए तथा अपनी सुरक्षा हेतु तत्पर रहे साथ ही हाथी आगमन की सूचना मिलते ही ग्राम के वृद्धों और बच्चों की सुरक्षा पूर्व से ही निर्धारित कर ले ताकि वे सुरक्षित रहे डीएफओ महासमुंद श्री पंकज राजपूत ने आगे बताया कि हाथी प्रभावित वन क्षेत्रों में तेंदू पत्ता एवं अन्य वनोपज संग्रहण हेतु कतई न जाए तथा शोर शराबे वाले,ध्वनि विस्तारक यंत्र वाले वाहन इत्यादि का संचालन न करे इससे हाथी आक्रोशित,विचलित हो कर आक्रमक हो सकता है यदि वह करीब हो तो उस पर मशाल अथवा आग्नेय वस्तुओं का प्रयोग कतई न करें इससे वह आपके जान के लिए घातक हो सकता है संध्या एवं प्रातःकालीन नित्य क्रिया अथवा आवागमन उस क्षेत्र में न करे जहां उसके रहवास की संभावना है क्योंकि यह समय उसके भोजन एवं चराई का होता है इसलिए उसका आवागमन निरन्तर बना रहता है प्रातःकाल पश्चात वह अपने आप को सघन वन क्षेत्र के सुरक्षित स्थान को चला जाता है अतएव उक्त काल सावधानी बरतने की होती है डीएफओ महासमुंद वन मंडल ने आगे बताया कि अभी बडी संख्या में हाथी दल प्रदेश के भिन्न भिन्न वन मण्डल क्षेत्रों में सक्रिय है इसलिए समस्त कार्य दिन में ही करें  वन क्षेत्रों में रात्रिकालीन यात्रा आवागमन से स्वयं को रोके ये समयानुसार पुनः क्षेत्र से पलायन कर अपने मूल स्थल की ओर कूच कर जाते है इसलिए सावधानी एवं सुरक्षित रहने पर उन्होंने जोर दिया है 

गुरुवार, 14 अक्टूबर 2021

ग्राम पंचायत आकोली कला मे सतनामी समाज का चार दिवसीय विशाल अखंड ज्योति एवं गद्दी पूजा कार्यक्रम

 ग्राम पंचायत आकोली कला मे सतनामी समाज का चार दिवसीय विशाल अखंड ज्योति एवं गद्दी पूजा कार्यक्रम 

परम् पूज्य गुरु बाबा घासीदास को सादर नमन

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रायपुर (आरंग) आरंग जनपद के अंतर्गत ग्राम पंचायत आकोली कला में सतनामी समाज के द्वारा  विशाल चार दिवसीय अखंड ज्योति एवं गुरु गद्दी साहेब की पूजा कार्यक्रम रखा गया है यह जानकारी ग्राम आकोली कला के उपसरपंच रिकेश्वर कोसले ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी है 

 ग्राम आकोली कला के उपसरपंच एवं कार्यक्रम के संयोजक रिकेश्वर कोसले ने बताया कि परम् पूज्य गुरु घासीदास बाबा साहेब की अखंड ज्योति कार्यक्रम का यह नौवा वर्ष है जिसमे प्रदेश सहित आसपास क्षेत्र के सतनामी समाज के भाई बहन एवं भक्त पूरी आस्था के साथ कार्यक्रम में भाग लेते है  जिसमे अखंड ज्योति गद्दी पूजा का कार्यक्रम दिनांक 16 अक्टूबर दिन शनिवार को रखा गया है जिसमे समाज प्रमुखों की उपस्थिति में कार्यक्रम संपन्न होगा कार्यक्रम शुभारंभ 16 अक्टूबर को श्री यशवंत सतनामी जी के द्वारा मंगल भजन कीर्तन  से किया जाएगा साथ ही विभिन्न पूजा कार्यक्रम होगा जो अगले दो दिवसीय अनवरत जारी रहेगा


  ग्राम आकोली कला उपसरपंच  रिकेश्वर कोसले

 एवं अखंड ज्योति एवं गद्दी पूजा कार्यक्रम के संयोजक

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 श्री रिकेश्वर कोसले ने बताया कार्यक्रम का समापन 19 अक्टूबर को किया जाएगा जिसमे परम् गुरु श्री सोमेश साहेब की अगुवाई में सशस्त्र अखाड़ा एवं डीजे के साथ दोपहर 12 बजे विशाल शोभायात्रा निकाली जाएगी उसमे समाज के समस्त प्रबुद्ध जन उपस्थित रहेंगे इस चार दिवसीय कार्यक्रम के दिनांक 18 अक्टूबर को  माननीय वेदराम मनहरे जी प्रदेश प्रभारी नशा मुक्ति समाज कौशल अभियान छग के मुख्य अतिथ्य में भी कार्यक्रम होगा जिसके अन्य अतिथि गण जिनमे मुख्यतः रिंकू चन्द्राकर,जनपद सदस्य आरंग जनपद,श्री अनिल सोनवानी जी जनपद सभापति आरंग श्री राधा किशन टन्डन जी सतनामी समाज अध्यक्ष अभनपुर,श्री ललित ढ़ीढ़ी जी सरपंच आकोली कला आरंग,रिकेश्वर कोसले उप सरपंच आकोली कला आरंग,श्री संतोष डहरिया सरपंच ग्राम चिचा ,श्री धरम टन्डन जी सरपंच आकोली खुर्द,श्री बिसेशर टन्डन जी जनपद प्रतिनिधि आकोली खुर्द के सान्निध्य एवं उपस्थिति में समस्त कार्यक्रम होंगे 19 अक्टूबर मंगलवार को रात्रि कालीन कार्यक्रम में द्वारिका बर्मन ज्ञान गंगा के द्वारा सतनाम भजन की  विशेष प्रस्तुति दी जाएगी इस  विशेष अवसर पर ग्राम आकोली कला के समस्त सतनामी  समाज ने अपील की है कि श्री गुरु बाबा घासीदास साहेब के भक्त एवं सतनामी समाज के अनुयायी उक्त कार्यक्रम में बढ़चढ़ कर हिस्सा लें और उसे सफल बनाने में अपना महती योगदान दे इस अवसर पर प्रसाद भंडारे का विशेष आयोजन रखा गया है

चांदनी चौक दुर्गा समिति केंवट पारा ग्राम निसदा में नवरात्रि पर्व धूमधाम से मनाया

 चांदनी चौक दुर्गा समिति केंवट पारा ग्राम निसदा में नवरात्रि पर्व धूमधाम से मनाया 

नारायण साहू निसदा 

रायपुर (आरंग) जनपद अंतर्गत ग्राम निसदा पंचायत में  प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी  नवरात्रि पर्व बड़ी धूमधाम से पारंपरिक रीतिरिवाज के अनुसार हर्षोउल्लास के साथ मनाया गया इस अवसर पर ग्राम पंचायत निसदा के सरपंच महेश्वरी देवकुमार साहू ने नवमी पर नौ कन्या भोज में हिस्सा लिया तथा रीति अनुसार नौ कन्याओं के चरण धोकर आरती करने के पश्चात पूर्ण रीति विधि विधान अनुसार  उन्हें भोजन करवाया 

नवरात्रि के  इस पावन अवसर पर ग्राम निसदा में मां दुर्गा की मूर्ति स्थापना की गई तथा चांदनी चौक दुर्गा समिति द्वारा  नवरात्रि पर्व का आगाज किया गया था प्रति दिन विधि विधान के साथ पूजापाठ एवं धार्मिक अनुष्ठान नियमानुसार किया गया साथ ही ग्राम के समस्त  महिला,पुरुष द्वारा पूजा पाठ हवन जसगीत  का आयोजन किया गया जिसमे सभी आयु वर्ग के लोग उत्साह के साथ  सम्मिलित हुए वही अष्टमी नवमी में विशेष पूजा कार्यक्रम रखा गया तथा नौ कन्या भोज का आयोजन किया गया जिसमें बड़े बच्चे बूढ़े सभी हर्षोल्लास के साथ हिस्सा लिया ग्राम निसदा के सरपंच महेश्वरी देवकुमार साहू ने सभी ग्रामीणों को नवरात्रि दशहरा पर्व की बधाई दी तथा मां दुर्गा के समक्ष  प्रदेश भर में सुख समृद्धि,खुशहाली  की कामना की

नवरात्रि के विशेष अवसर पर प्रसाद वितरण की विशेष व्यवस्था की गई थी बताते चले कि ग्राम निसदा के केंवट पारा 25 वर्षों से संयुक्त रूप से वर्षों से धार्मिक त्योहार का आयोजन पारिवारिक रूप से करते आ रहे है जो आधुनिकता के इस दौर  में भी अपने संस्कार ,संस्कृति एवं धार्मिक रीतिरिवाज और एकता  की एक मिसाल कायम किए हुए है जो आम लोगों के लिए एक मिसाल भी है और प्रशंसनीय भी है 



सरपंच प्रतिनिधि देवकुमार मे बताया कि सामाजिक त्योहार ग्राम निसदा में पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है ग्राम सरपंच महेश्वरी देव कुमार साहू के द्वारा किए गए ग्राम विकास कार्यों की ग्रामवासियों ने खुलकर प्रशंसा की 

बुधवार, 13 अक्टूबर 2021

ग्राम भेलवाडीह में जंगल सफारी कर्मियों ने नवरात्रि पर्व पर प्रसाद वितरण किया

 


ग्राम भेलवाडीह में जंगल सफारी कर्मियों ने नवरात्रि पर्व पर प्रसाद वितरण किया


रायपुर (अभनपुर)नवरात्रि पर्व के अवसर पर  बजरंग दल द्वारा अभनपुर के पास स्थित ग्राम भेलवाडीह में बंजारी माता मंदिर परिसर में प्रसाद वितरण किया गया  इस अवसर पर बजरंग दल अध्यक्ष कौशल सिन्हा द्वारा नवरात्रि पर्व की  समस्त ग्रामीण बन्धुओं को बधाई दी तथा उन्होंने समस्त माता भक्तों को सुख समृद्धि की कामना की इस प्रसाद वितरण के समय ग्राम भेलवाडीह के समस्त  श्रद्धालु गण ने माता के प्रसाद का लाभ उठाया नवरात्र पर्व पर भेलवाडीह के समस्त ग्रामवासी उपस्थित थे तथा नौ दिन चलने वाले   जगराता सहित अन्य धार्मिक अनुष्ठान  कार्यक्रम में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया

मंगलवार, 12 अक्टूबर 2021

पर्यटकों,फ़िल्म निर्माण को आकर्षित करने मोहरेंगा सफारी में बनेगा बायोडायवर्सिटी पार्क

 पर्यटकों,फ़िल्म निर्माण को आकर्षित करने मोहरेंगा सफारी  में बनेगा बायोडायवर्सिटी पार्क  

अलताफ हुसैन -शीघ्र छग वनोदय पत्रिका में प्रकाशनार्थ

रायपुर (छग वनोदय) जंगल अर्थात एक ही स्थान पर लगभग दो सौ वृक्षों का ऐसा झुंड जो वन की श्रेणी में आता है ऐसे हरियाली युक्त वृक्षों का विशाल सघन क्षेत्र के संरक्षण उसकी सुरक्षा सबसे बड़ी मायने रखती है क्योंकि वर्ष  दो हजार के पूर्व वन विभग ऐसे बिगड़े वन क्षेत्रों का चयन कर उसके संरक्षण और संवर्धन कार्य को बखूबी अंजाम दे रहा था तात्कालिक वर्ष मे विभाग को अनेक जन विरोध का सामना भी करना पड़ा था यही नही वन क्षेत्रों की सुरक्षा एवं संरक्षण हेतु यदा कदा कोर्ट के संरक्षण में भी विभागीय लड़ाई लड़नी पड़ी पश्चात उसके सुखद परिणाम भी सामने आए  आज वही वन क्षेत्र मानव जीवन के लिए वरदान एवं वन्य प्राणियों के लिए प्राकृतिक वातावरण में निवास का मूल कारण भी बन गया है

बात यहां रायपुर से मात्र 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित प्रिय दर्शिनी इंदिरा गांधी नेचरल सफारी मोहरेंगा की हो रही है जहाँ वर्ष दो हजार के पूर्व लगभग 16 किलोमीटर के वृह्द भूभाग में फैले प्राकृतिक वनों का दोहन  मानव द्वारा खुलकर किया जा रहा था अनेक ग्रामीणों के द्वारा अतिक्रमण एवं वन्य प्राणियों का शिकार भी द्रुत गति  पर जोरो पर था मोहरेंगा वन के लगातार दोहन एव उसके घटते रकबे से चिंतित तात्कालिक  क्षेत्र के प्रभारी सैय्यद अली ने रायपुर वन मंडल के तात्कालिक सी सी एफ राकेश चतुर्वेदी साहब को समस्त कारणों से अवगत करवाया तब उनके दिशा निर्देश पर उपेक्षित मोहरेंगा वन क्षेत्र के संरक्षण संवर्धन हेतु कार्य योजना निर्माण की गई परन्तु इसके पूर्व आसपास वन क्षेत्र में  हो चुके अतिक्रमण एवं ग्रामीणों के विरोध के चलते उन्हें वन भूमि से  बे दखल करना एक बहुत बड़ी चुनौती पूर्ण कार्य  था पुलिस और संगीन के साए में छुटपुट झड़प एवं रिपोर्ट , कोर्ट के लंबी लड़ाई पश्चात मोहरेंगा प्राकृतिक वन अंततः वन विभाग  को प्राप्त हो गया मोहरेंगा वन भूमि के विस्तृत भूभाग जो चारों ओर से ग्रामीण क्षेत्रों और मानव आबादी से जुड़ा हुआ था जिसके चलते इसके संरक्षण एवं वन्य प्राणियों के सुरक्षा का सर्वाधिक बड़ा सवाल था तब तात्कालिक अधिकारियों ने इसका क्या उपयोग सुनिश्चित किया जाए इस पर मंथन किया तथा 2011 पश्चात इसके सुरक्षा हेतु  फेंसिंग कर बाउंड्री की गई तथा सुरक्षित कर वन भूमि के अस्तित्व को बचाया गया घनी आबादी एवं मानव जीवन से जुड़े होने पर इसके उपयोग,संरक्षण के लिए काफी मंथन के पश्चात  इस प्राकृतिक छटा बिखेरने वाले  वन क्षेत्र को पर्यटन के रूप में विकसित किए जाने पर मुहर लगाई गई तथा लगभग दस वर्षों से ऊपर इस सिलसिले में लगातार कार्य किए जाते रहे  गत वर्ष स्व.इंदिरा गांधी जयंती पर इसका उद्घाटन प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल,वन मंत्री मो.अकबर के करकमलों के द्वारा सम्पन्न हुआ तथा प्रियदर्शिनी इंदिरा गांधी नेचुरल सफारी मोहरेंगा को जन मानस के दर्शनार्थ हेतु समर्पित कर दिया गया  स्व.  इंदिरा गांधी नेचुरल सफारी वर्षों से आरक्षित वन क्षेत्र है जो तिल्दा खरोरा मार्ग स्थित खौली डबरी के कक्ष क्रमांक 49,50 एवं 51 के अंतर्गत 555-850 हेक्टेयर में विकसित किया गया मोहरेंगा वन अनेक वनोपज एवं वन संपदा से परिपूर्ण है जिसमे वनों से मिलने वाली औषधि सहित बांस बेहड़ा, साजा,खैर,आंवला,तेंदू सेन्हा,चार,घावड़ा,बरगद,इमलीअर्जुन इत्यादि सहित भिन्न भिन्न प्रकार के वन संपदा मौजूद है  लता बेल में दूधीनार,पलाश,बेल एवं अन्य विविध प्रकार के बेल मौजूद है तो वही वनौषधि के रूप में चिरायता,सफेद मूसली,काली मूसली सतावर,बज्रदंती,बूड़ सकरी  दहिमन जैसी विलुप्त प्रजाति के  ,वनौषधियों की प्रचुर मात्रा मजूद है वन क्षेत्र मोहरेंगा में वन्य प्राणियों में हिरण,चीतल,जंगली वराह,खरगोश,सियार,लोमड़ी,बंदर, अजगर, सरीसृप जानवरों सहित अनेक प्रकार के देशी विदेशी पक्षियों का रहवास केंद्र बिंदु बनता जा रहा है 555 हेक्टेयर के ऊपर वृह्द भूभाग में विस्तृत इंदिरा गांधी नेच्युरल मोहरेंगा सफारी को विभाजित कर दो जोन में बांटा गया एक बड़ा भूभाग आरक्षित रखा गया है जहां कैम्पा मद से अन्य निर्माण कार्य इसी वर्षान्त संपादित किया जाना प्रस्तावित है जिसमे मुख्य रूप से बायोडायवर्सिटी पार्क प्रमुख है इस तारतम्य में रायपुर डीएफओ श्री विश्वेश कुमार झा साहब कहते है कि वन्य प्राणियों के रहवास के साथ साथ उनके आहार,विहार,एवं पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित करना है साथ ही वन्य प्राणियों के संरक्षण तथा उनके प्रति जागरूकता लाकर राजधानी के समीप स्थित ऐसे प्राकृतिक वातावरण को विकसित करना है जो लोगो को वनों के प्राकृतिक परिदृश्यों से रूबरू करवाकर उन्हें  पर्यावरण उसके संरक्षण संवर्धन में उनकी सहभागिता सुनिश्चित करने जगृति आए अब इसके सार्थक परिणाम परिलक्षित हो रहे है शनैः शनैः  इंदिरा प्रियदर्शिनी नैचुरल मोहरेंगा सफारी वन  क्षेत्र  अब लोकप्रियता के ऊंचाई के मापदंड को छू रहा है  तथा  प्रदेश की राजधानी रायपुर वन मण्डल क्षेत्र अंतर्गत  प्रिय दर्शिनी स्व.इंदिरा गांधी  नैचुरल सफारी मोहरेंगा  का नाम विश्व के पर्यटन स्थल के  नक्शे में अब  धीरे धीरे पर्यटन के रूपमे  चिन्हित हो रहा  है 

                  श्री विश्वेश कुमार झा साहब

                     रायपुर वन मण्डलाधिकारी 

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इसकी वजह वे बताते है कि जंगली वराह अनेक मर्तबा मुंह से गड्ढे करता है जिससे गड्ढा बड़ा होने पर वह अन्यंत्र जा सकता है इसी दृषिकोण से उसे मजबूती प्रदान की गई है यह सब वह प्रजनन के समय करता है ताकि सुरक्षित स्थान पर बच्चे को जन्म दे सके श्री मुखर्जी साहब बताते है कि सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया है साथ ही वन एवं वन्य प्राणियों की सुरक्षा से दोनों ही संरक्षित हो संवर्धित हो सके  अब मोहरेंगा वन एक सघन वन का आकार ले चुका है मानव दखल एवं निस्तारी कम होने से वन्य प्राणियों  की वंश वृद्धि


में भी आशाजनक परिणाम सामने आए है चीतल की संख्या लगभग आठ सौ से ऊपर हो चुकी है पूर्व में  इनकी संख्या मात्र सौ डेढ सौ थी अब पर्यटकों के सफारी में प्रवेश करते ही उन्हें खुले वातावरण में झुंड के साथ प्रत्येक मोड़ पर चीतल कुलांचे भरते दिख जाते  है जिन्हें देख पर्यटक खुशी से आल्हादित होते है जो हमारे कार्यों के प्रति निष्ठा, प्रतिबद्धता, को दर्शाती है वनों के विस्तार एवं उनकी सुरक्षा का  सर्वाधिक महती दायित्व यदि किसी पर होता है तो वह मैदानी स्तर पर डटे  कथित क्षेत्र के प्रभारी पर होता  है 
 


              श्री विश्वनाथ मुखर्जी साहब 

              रायपुर उप वन मण्डलाधिकारी 

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प्रिय दर्शिनी इंदिरा गांधी मोहरेंगा नेचरल सफारी में कार्यों के प्रति लगातर अपनी जुझारू जीवट प्रवृति,लगन, समर्पित सेवा भाव,कर्तव्य निष्ठा की मिसाल एवं श्रमिकों से समान व्यवहार के धनी डिप्टी  रेंजर दीपक तिवारी का व्यक्तित्व सबसे अलग एवं अग्रणीय श्रेणी  में आता है अपनी सेवाकाल अनुकंपा नियुक्ति से प्रारंभ करने वाले दीपक तिवारी जीवन के ऐसे कठिन अग्नि के उतार चढ़ाव से तप कर कुंदन बने है जिनकी कार्यों के प्रति लगनशीलता तथा मृदु व्यवहार के चलते अपने वरिष्ठ,कनिष्ठ,अधिकारियों के आंख के तारे तो बने ही है साथ ही अपने अधीनस्थ कर्मचारियों श्रमिकों के मध्य भी उनकी पृथक पहचान निर्मित हुई है इसकी वजह वे बताते है कि मैदानी क्षेत्र वानिकी एवं रोपण का उनका लंबा अनुभव है जिसके चलते ही वे मोहरेंगा प्रभार पर है  उन्होंने बताया कि मोहरेंगा वन क्षेत्र को विभाग द्वारा केवल निर्माण कार्य और सुरक्षा से संरक्षित किया गया है  इस प्राकृतिक वन क्षेत्र को यथवत रखने विभाग ने किसी प्रकार के अन्य पेड़ पौधों का  पृथक रोपण न करते हुए उसे प्राकृतिक रूप से उसकी सुरक्षा व्यवस्था की गई साथ ही कुछ खुले भूभाग में  रोपण कार्य किए गए ताकि वन्य प्राणियों को प्राकृतिक वातावरण मिल सके श्री तिवारी ने बताया कि यहां तक घास को भी किसी प्रकार का छेड़छाड़ नही किया जाता इसके पीछे का कारण शाकाहारी वन्य प्राणियों को प्राकृतिक रूप से उगे घास इत्यादि उनके  आहार में सहायक सिद्ध होते है मोहरेंगा नेचुयरल सफारी में हिंसक प्राणियों की कमी है जिससे चीतल हिरण जैसे मनमोहक प्राणी दिन भर वन क्षेत्र में कुलांचे मारते, धमा चौकड़ी  करते दिख जाते है जो इस वन क्षेत्र के श्रृंगार है खरगोश, बन्दर, जहां वातावरण को खुशनुमा बनाते है तो देशी विदेशी पक्षी निश्चल वातावरण मे  समधुर भांति भांति के चहचहाहट से जैसे  शांत वातावरण प्राकृतिक मे  कोई संगीत की सुमधुर तान छेड़ दी हो और सांय सांय करते पेड़ उन संगीत की धुन पर हवा के झोंके से पौधों को झूमने अथवा नृत्य करने विवश कर दिया हो  उन्होंने बताया कि आगन्तुक पर्यटक ऐसे प्राकृतिक वातावरण में स्वयं को पाकर दुनिया के समस्त जंजालों से कुछ क्षण टेंशन मुक्त हो जाता है डिप्टी रेंजर श्री तिवारी ने बताया कि इसी वर्ष से बायोडायवर्सिटी पार्क निर्माण किया जाना प्रस्तावित है जो जैव विविधता के रूप में विकसित किए जाएंगे कैम्पा मद से ही  राज्य सरकार की महत्वकाँक्षी नरवा योजना अंतर्गत सर्व प्रथम दो जलधारा प्रवाह क्षेत्र को विकसित किया जाना है  जो जल कटाव से हो रहे भू कटाव को निर्माण कर जल संग्रहित किया जाएगा तथा मौजूद तालाब के जल को संरक्षित कर वन्य प्राणियों को पेयजल जैसी कमी को दूर किया जाएगा उक्त जल संरक्षण कार्य इसी वर्ष प्रारंभ होने की बात भी  कही  डिप्टी प्रभारी दीपक तिवारी ने बताया कि कैम्प मद से ही टूरिज्म जोन को भी विकसित किया जाएगा साथ ही पर्यटकों के सुविधाओं के आशानुरूप  आमूलचूल बदलाव भी किए जाएंगे उनकी  सुविधा  हेतु पगोडे,समुचित खानपान,कैंटीन  की सुविधा,बच्चों के खेलकूद उपकरण, सहित अनुकूल वातावरण निर्मित कर पर्यटकों को आकर्षित करने की योजना है क्योंकि विभाग द्वारा उपरोक्त सुविधा हेतु किसी प्रकार की राशि दिए जाने का कोई प्रावधान नही है उन्होंने स्काई वॉक,सहित एडवेंचर सुविधा बढ़ाने की उम्मीद जताई  है साथ ही फोटोग्राफी के लिए भी क्षेत्र को उसी अनुरूप ढालने की योजना बनी है उन्होंने बताया कि नेचुरल सफारी  पर्यटकों के साथ साथ फ़िल्म निर्माण हेतु भी प्राकृतिक दृश्यों के हिसाब से यहां माकूल वातावरण निर्मित है उन्होंने कहा यदि स्थानीय फिल्मकार अथवा बाहरी फ़िल्म मेकर चाहे तो उन्हें भी विभागीय नियमानुसार  एव दिशा निर्देशो  का पालन करते हुए  फ़िल्म शूटिंग की व्यवस्था हेतु आकर्षित किया जाएगा जो उन्हें एक ही स्थान पर उपलब्ध हो सकेगा  इसके अलावा वन क्षेत्र में ही दो स्थानों पर प्राचीन देवी स्थल  है जहां आज भी आसपास के ग्रामीण  पांच पत्थर गोटे रखकर मनौती मांगते है जिसमे शादी ब्याह से लेकर बच्चे की कामना करते है तथा मनौती पूर्ण होने पर  उन्हें नारियल सहित अन्य प्रसाद का भोग चढ़ाया जाता है इन्हें हम वनदेवी के रूप में स्वीकारते है तथा वही मोहरेंगा वन क्षेत्र की रक्षक एवं देवी है  धार्मिक दृष्टिकोण से भी एक प्रकार से मोहरेंगा सफारी का प्रसिद्धि पा रहा है कुछ पर्यटक मनौती उतारने भी मोहरेंगा सफारी भ्रमण हेतु आते है  सुमधुर   मृदुभाषी एवं कुशल व्यवहार व्यक्तित्व के धनी  दीपक तिवारी स्वयं को भाग्यशाली मान रहे है कि ऐसे महती जिम्मेदारी उन्हें  मिली है तथा वरिष्ठ अधिकारियों के मार्ग दर्शन एवं कुशल नेतृत्व में एक दिन  स्व.इंदिरा गांधी नेच्युरल सफारी एवं बायोडायवर्सिटी पार्क  पर्यटकों,फ़िल्म मेकर सहित आम लोगों के लिए  पर्यटन का मुख्य केंद्र बिंदु बनेगा ऐसी उन्होंने आशा व्यक्त की है  

और यह शाश्वत सत्य भी है वरिष्ठ अधिकारियों जिनमे मुख्यतः युवा ऊर्जावान डीएफओ श्री विश्वेश कुमार झा साहब की नई सोच ,लंबे समय के अनुभवी अधिकारी एसडीओ श्री मुखर्जी साहब का कुशल मार्गदर्शन, एवं जीवट जुझारू प्रवृत्ति के मैदानी वनपुत्र डिप्टी  दीपक तिवारी के द्वारा कर्तव्य निष्ठा से किए जा रहे कार्यों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि वो अपने नाम के मायनों को सार्थक कर रहे हो

श्री दीपक तिवारी 
डिप्टी रेंजर एवं प्रभारी मोहरेंगा नेच्युरल सफारी
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 जो मानव द्वारा लगातार हो रहे अतिक्रमण एवं खंडित हो रहे वनों के अस्तित्व के संरक्षण संवर्धन में विश्वा के अवतार के रूप में विश्वनाथ की भूमिका निभाते हुए वनों की आभायुक्क्त टिमटिमाते कम ज्यादा  दीपक को अपने कर्तव्य दायित्वों, निष्ठा पूर्ण कर्मों के माध्यम से उजड़े हुए वनों के संरक्षण संवर्धन एवं उसके अस्तित्व बचाने की जद्दो जहद मानो प्रकृतिक सहित मानव जीवन के अस्तित्व बचाने अपनी संपूर्ण ऊर्जा लगाए हुए है ऐसे कर्मयोगी अधिकारी कर्मचारी साधुवाद के पात्र है जो सुनी धरती की गोद को फिर से हरियाली की आभा बिखेरने एक दीपक के समान दैदीप्यमान हो रहे है और ये उन  अधिकातियों ,कर्मचारियों के ही अथक  सफल प्रयास का परिणाम कहा जा सकता है कि आज पर्यटक स्व.इंदिरा गांधी नेचरल पार्क मोहरेंगा के मध्य स्थित निर्मित पचास फीट ऊंचे टॉवर में पहुंच कर जब  लगभग 16 किलोमीटर दूर तक फैले मनमोहक, अद्भुत,अद्वितीय,रमणीय प्राकृतिक वन की छटा को निहारता है तो उसे स्वयं  हरीतिमा चादर ओढ़े  धरती मां की  गोद मे बैठा हुआ  महसूस करता है ऐसे प्राकृतिक छटा बिखेरते दृश्य जो अकल्पनीय ईश्वरीय संरचना  है उसकी मुक्त कंठ से भूरि भूरि  प्रशंसा करता है  और  ईश्वरीय निर्माण के समक्ष नत मस्तक होकर उसके द्वारा मानव को प्रदत्त प्राकृतिक संपदा जैसी अनमोल उपहार के लिए उसका धन्यवाद देना नही भूलता उस मानव को ही स्वयं सुनिश्चित करना है कि जो धरती माँ हमें अन्न से लेकर धन तक सर्वस्व  प्रदान करती है उस धरती माँ के श्रृंगार रूपी हरित चादर ओढ़े रहने में उसके  सहायक  पेड़ पौधों का संरक्षण करना है या उसे समूल नष्ट कर श्रृंगार विहीन कर उसे उजाड़ करना है यह प्रत्येक प्राकृतिक,एवं ,पर्यावरण, प्रेमियों को अब सोचना होगा