शनिवार, 23 अक्टूबर 2021

जश्ने ईद मिलादुन्नबी के अवसर पर पंडरी इमाम बारगाह में नातिया मुशायरा -देर रात तक श्रोता झूमते रहे

 जश्ने ईद मिलादुन्नबी के अवसर पर पंडरी इमाम बारगाह में नातिया मुशायरा -देर रात तक श्रोता झूमते रहे 

रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़)अंजुमन ए अलमदारे हुसैनी ईरानी जमात पंडरी के तत्वाधान में जश्ने ईद मिलादुन्नबी के अवसर पर नातिया मुशायरा का आयोजन  इमाम बाकर अलैहिस्सलाम इमाम बारगाह में बड़े शान ओ शौकत से किया गया मुशायरे का आगाज हजरत मौलाना हसन अब्बास साहब और मिसाब असगर साहब ने क़ुरआन की बेहतरीन कीरत तिलावत से शुरुआत की पश्चात मज़ाहिर अली ने अपने कलाम से मुशायरा प्रारंभ किया  इसके पश्चात 

नमाज़ी अली और सरफ़राज़ हुसैन बिलासपुर ने  बेहतरीन तरन्नुम में कलाम पढा और महफ़िल में गर्मी ला दी शेर देखे-

जिसको भी मुहम्मद(स.अ.) का वसीला नही मिलता

जन्नत तो बड़ी बात है रास्ता नही मिलता

समीर हुसैन ने अपने कलाम में पढ़ा-

जिनको अहमद की मुहब्बत नही मिलने वाली

उनकी नस्लों में शराफत नही मिलने वाली

चाहे सजदे ही में मर जाए नबी का दुश्मन

ये तो तय है उसे जन्नत नही मिलने वाली

सफदर हुसैन ने सिलसिला आगे बढ़ाते हुए  कलाम पड़ा

जिनके लब खाके शिफा चूमने वाले होंगे 

उनकी तुरबत में उजाले उजाले ही होंगे

युवा इरफान अली ने मुशायरा के अपने कलाम में कहा 

फ़ज़ीलतों का समंदर कोई नही मिलता

सिवाए हैदर सफदर कोई नही मिलता....... मुशायरा रात गहराने के साथ ही और शबाब में पहुंचने लगा जब उस्ताद स्थानीय शायरों ने हुजूर मुहम्मदस.अ. की शान में एक से बढ़कर एक कलाम पढ़ा जिसे श्रोताओं ने झूम झूम कर नारए तकबीर  के साथ शायरों का हौसला अफजाई किया 

आज़म  अली रायपुरी ने अपने कलाम में कहा- होती जिनकी दिरहम ओ दीनार ज़िंदगी से... रचना पर खूब दाद दी वही रायपुर शहर के उभरते नात ख्वां जनाब तौकीर रजा साहब ने अपने बेहतरीन तरन्नुम अंदाज़ में  कलाम में पढ़ा - सहर का वक़्त था मासूम कलियां मुस्कुराती थी जैसे कलाम सुनकर महफ़िल झूम उठा और उनसे और कलाम  पढ़ने की मांग की गई इनके अलावा शाहरुख अली फैजान अली, अज़मत अली और उस्ताद शायरों मे जनाब सैय्याद मोबिन अली साहब,कविश हैदरी,मोहसिन अली सुहैल मीसम रज़ा जैसे उस्ताद शायरों ने अपने नातिया  कलाम  से देर रात तक  श्रोताओं को  कलाम सुनाकर झूमने विवश कर दिया कार्यक्रम की रूपरेखा जनाब बाबर अली,मेहंदी अली ने की कार्यक्रम की सदारत मौलाना हसन अब्बास कुम्मी,ने की वही मंच संचालन जनाब ज़ुबैर अली ने सधे हुए अंदाज में  किया और देर रात तक श्रोताओं को जगह पर बंधे रखा 






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