मंगलवार, 12 अक्टूबर 2021

पर्यटकों,फ़िल्म निर्माण को आकर्षित करने मोहरेंगा सफारी में बनेगा बायोडायवर्सिटी पार्क

 पर्यटकों,फ़िल्म निर्माण को आकर्षित करने मोहरेंगा सफारी  में बनेगा बायोडायवर्सिटी पार्क  

अलताफ हुसैन -शीघ्र छग वनोदय पत्रिका में प्रकाशनार्थ

रायपुर (छग वनोदय) जंगल अर्थात एक ही स्थान पर लगभग दो सौ वृक्षों का ऐसा झुंड जो वन की श्रेणी में आता है ऐसे हरियाली युक्त वृक्षों का विशाल सघन क्षेत्र के संरक्षण उसकी सुरक्षा सबसे बड़ी मायने रखती है क्योंकि वर्ष  दो हजार के पूर्व वन विभग ऐसे बिगड़े वन क्षेत्रों का चयन कर उसके संरक्षण और संवर्धन कार्य को बखूबी अंजाम दे रहा था तात्कालिक वर्ष मे विभाग को अनेक जन विरोध का सामना भी करना पड़ा था यही नही वन क्षेत्रों की सुरक्षा एवं संरक्षण हेतु यदा कदा कोर्ट के संरक्षण में भी विभागीय लड़ाई लड़नी पड़ी पश्चात उसके सुखद परिणाम भी सामने आए  आज वही वन क्षेत्र मानव जीवन के लिए वरदान एवं वन्य प्राणियों के लिए प्राकृतिक वातावरण में निवास का मूल कारण भी बन गया है

बात यहां रायपुर से मात्र 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित प्रिय दर्शिनी इंदिरा गांधी नेचरल सफारी मोहरेंगा की हो रही है जहाँ वर्ष दो हजार के पूर्व लगभग 16 किलोमीटर के वृह्द भूभाग में फैले प्राकृतिक वनों का दोहन  मानव द्वारा खुलकर किया जा रहा था अनेक ग्रामीणों के द्वारा अतिक्रमण एवं वन्य प्राणियों का शिकार भी द्रुत गति  पर जोरो पर था मोहरेंगा वन के लगातार दोहन एव उसके घटते रकबे से चिंतित तात्कालिक  क्षेत्र के प्रभारी सैय्यद अली ने रायपुर वन मंडल के तात्कालिक सी सी एफ राकेश चतुर्वेदी साहब को समस्त कारणों से अवगत करवाया तब उनके दिशा निर्देश पर उपेक्षित मोहरेंगा वन क्षेत्र के संरक्षण संवर्धन हेतु कार्य योजना निर्माण की गई परन्तु इसके पूर्व आसपास वन क्षेत्र में  हो चुके अतिक्रमण एवं ग्रामीणों के विरोध के चलते उन्हें वन भूमि से  बे दखल करना एक बहुत बड़ी चुनौती पूर्ण कार्य  था पुलिस और संगीन के साए में छुटपुट झड़प एवं रिपोर्ट , कोर्ट के लंबी लड़ाई पश्चात मोहरेंगा प्राकृतिक वन अंततः वन विभाग  को प्राप्त हो गया मोहरेंगा वन भूमि के विस्तृत भूभाग जो चारों ओर से ग्रामीण क्षेत्रों और मानव आबादी से जुड़ा हुआ था जिसके चलते इसके संरक्षण एवं वन्य प्राणियों के सुरक्षा का सर्वाधिक बड़ा सवाल था तब तात्कालिक अधिकारियों ने इसका क्या उपयोग सुनिश्चित किया जाए इस पर मंथन किया तथा 2011 पश्चात इसके सुरक्षा हेतु  फेंसिंग कर बाउंड्री की गई तथा सुरक्षित कर वन भूमि के अस्तित्व को बचाया गया घनी आबादी एवं मानव जीवन से जुड़े होने पर इसके उपयोग,संरक्षण के लिए काफी मंथन के पश्चात  इस प्राकृतिक छटा बिखेरने वाले  वन क्षेत्र को पर्यटन के रूप में विकसित किए जाने पर मुहर लगाई गई तथा लगभग दस वर्षों से ऊपर इस सिलसिले में लगातार कार्य किए जाते रहे  गत वर्ष स्व.इंदिरा गांधी जयंती पर इसका उद्घाटन प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल,वन मंत्री मो.अकबर के करकमलों के द्वारा सम्पन्न हुआ तथा प्रियदर्शिनी इंदिरा गांधी नेचुरल सफारी मोहरेंगा को जन मानस के दर्शनार्थ हेतु समर्पित कर दिया गया  स्व.  इंदिरा गांधी नेचुरल सफारी वर्षों से आरक्षित वन क्षेत्र है जो तिल्दा खरोरा मार्ग स्थित खौली डबरी के कक्ष क्रमांक 49,50 एवं 51 के अंतर्गत 555-850 हेक्टेयर में विकसित किया गया मोहरेंगा वन अनेक वनोपज एवं वन संपदा से परिपूर्ण है जिसमे वनों से मिलने वाली औषधि सहित बांस बेहड़ा, साजा,खैर,आंवला,तेंदू सेन्हा,चार,घावड़ा,बरगद,इमलीअर्जुन इत्यादि सहित भिन्न भिन्न प्रकार के वन संपदा मौजूद है  लता बेल में दूधीनार,पलाश,बेल एवं अन्य विविध प्रकार के बेल मौजूद है तो वही वनौषधि के रूप में चिरायता,सफेद मूसली,काली मूसली सतावर,बज्रदंती,बूड़ सकरी  दहिमन जैसी विलुप्त प्रजाति के  ,वनौषधियों की प्रचुर मात्रा मजूद है वन क्षेत्र मोहरेंगा में वन्य प्राणियों में हिरण,चीतल,जंगली वराह,खरगोश,सियार,लोमड़ी,बंदर, अजगर, सरीसृप जानवरों सहित अनेक प्रकार के देशी विदेशी पक्षियों का रहवास केंद्र बिंदु बनता जा रहा है 555 हेक्टेयर के ऊपर वृह्द भूभाग में विस्तृत इंदिरा गांधी नेच्युरल मोहरेंगा सफारी को विभाजित कर दो जोन में बांटा गया एक बड़ा भूभाग आरक्षित रखा गया है जहां कैम्पा मद से अन्य निर्माण कार्य इसी वर्षान्त संपादित किया जाना प्रस्तावित है जिसमे मुख्य रूप से बायोडायवर्सिटी पार्क प्रमुख है इस तारतम्य में रायपुर डीएफओ श्री विश्वेश कुमार झा साहब कहते है कि वन्य प्राणियों के रहवास के साथ साथ उनके आहार,विहार,एवं पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित करना है साथ ही वन्य प्राणियों के संरक्षण तथा उनके प्रति जागरूकता लाकर राजधानी के समीप स्थित ऐसे प्राकृतिक वातावरण को विकसित करना है जो लोगो को वनों के प्राकृतिक परिदृश्यों से रूबरू करवाकर उन्हें  पर्यावरण उसके संरक्षण संवर्धन में उनकी सहभागिता सुनिश्चित करने जगृति आए अब इसके सार्थक परिणाम परिलक्षित हो रहे है शनैः शनैः  इंदिरा प्रियदर्शिनी नैचुरल मोहरेंगा सफारी वन  क्षेत्र  अब लोकप्रियता के ऊंचाई के मापदंड को छू रहा है  तथा  प्रदेश की राजधानी रायपुर वन मण्डल क्षेत्र अंतर्गत  प्रिय दर्शिनी स्व.इंदिरा गांधी  नैचुरल सफारी मोहरेंगा  का नाम विश्व के पर्यटन स्थल के  नक्शे में अब  धीरे धीरे पर्यटन के रूपमे  चिन्हित हो रहा  है 

                  श्री विश्वेश कुमार झा साहब

                     रायपुर वन मण्डलाधिकारी 

-----------------------------------------------------------अब यहां  स्थानीय पर्यटकों के अलावा विदेशी पर्यटक भी आकर्षित हो रहे है श्री झा साहब बताते है पर्यटन स्थल की दृष्टिकोण से पर्यटकों के सुविधा के लिए  विशेष बायोडायवर्सिटी पार्क का कार्ययोजना प्रारूप तैयार किया गया है जो इसी वर्ष अंत तक वन क्षेत्र मोहरेंगा में प्रारंभ कर दिया जाएगा रायपुर वन मंडल के उप वन मण्डलाधिकारी श्री विश्वनाथ मुखर्जी साहब का इस संदर्भ में नजरिया है कि स्व. इंदिरा गांधी नेचरल सफारी केवल पर्यटकों के भ्रमण मात्र न रह जाए इसके लिए अन्य सुविधाएं विकसित किए जाने पर कार्य प्रारंभ किया जा रहा है पर्यटकों की सुविधा बढ़ाए जाने में मुख्यतः उन के परिवारिक सदस्यों एवं बच्चों के लिए खानपान,सहित ठहरने एवं कुछ पल सुकून से व्यतीत करने हेतु पगोडे एवं अन्य खुला बातावरण विकसित किया जाएगा  जिससे आगन्तुक परिवार  दिन भर क्षेत्र में छुट्टी का आनंद ले सके साथ ही बच्चों के खेल उपकरण जैसे फिसलपट्टी,झूला,इत्यादि भी लगाए जाएंगे जो पर्यटकों के आनंद, उत्साह को दोगुना कर सके वन्य प्राणियों के पेयजल एवं उनकी सुरक्षा हेतु जल संघरण हेतु पृथक कैम्प मद से  योजना तैयार की गई है  इसके लिए पृथक बीस एकड़ भूभाग लगभग आरक्षित किया गया है जो संभवत पार्क वन्य प्राणियों एवं उनकी सुरक्षा की दृष्टिकोण से  काफी अलग एवं सुरक्षित रखा जाएगा  इसके लिए पूरा मॉडल नक्शा तैयार किया जा चुका है उप वन मण्डलाधिकारी  श्री विश्वनाथ मुखर्जी साहब आगे कहते है कि वनों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया है इसके लिए कैम्पा मद से लगभग 16 किलोमीटर दायरे को चैन लिंक फेंसिंग से सुरक्षित किया जा चुका है वह भी चट्टानों के वॉल निर्माण कर फेंसिंग की गई

इसकी वजह वे बताते है कि जंगली वराह अनेक मर्तबा मुंह से गड्ढे करता है जिससे गड्ढा बड़ा होने पर वह अन्यंत्र जा सकता है इसी दृषिकोण से उसे मजबूती प्रदान की गई है यह सब वह प्रजनन के समय करता है ताकि सुरक्षित स्थान पर बच्चे को जन्म दे सके श्री मुखर्जी साहब बताते है कि सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया है साथ ही वन एवं वन्य प्राणियों की सुरक्षा से दोनों ही संरक्षित हो संवर्धित हो सके  अब मोहरेंगा वन एक सघन वन का आकार ले चुका है मानव दखल एवं निस्तारी कम होने से वन्य प्राणियों  की वंश वृद्धि


में भी आशाजनक परिणाम सामने आए है चीतल की संख्या लगभग आठ सौ से ऊपर हो चुकी है पूर्व में  इनकी संख्या मात्र सौ डेढ सौ थी अब पर्यटकों के सफारी में प्रवेश करते ही उन्हें खुले वातावरण में झुंड के साथ प्रत्येक मोड़ पर चीतल कुलांचे भरते दिख जाते  है जिन्हें देख पर्यटक खुशी से आल्हादित होते है जो हमारे कार्यों के प्रति निष्ठा, प्रतिबद्धता, को दर्शाती है वनों के विस्तार एवं उनकी सुरक्षा का  सर्वाधिक महती दायित्व यदि किसी पर होता है तो वह मैदानी स्तर पर डटे  कथित क्षेत्र के प्रभारी पर होता  है 
 


              श्री विश्वनाथ मुखर्जी साहब 

              रायपुर उप वन मण्डलाधिकारी 

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प्रिय दर्शिनी इंदिरा गांधी मोहरेंगा नेचरल सफारी में कार्यों के प्रति लगातर अपनी जुझारू जीवट प्रवृति,लगन, समर्पित सेवा भाव,कर्तव्य निष्ठा की मिसाल एवं श्रमिकों से समान व्यवहार के धनी डिप्टी  रेंजर दीपक तिवारी का व्यक्तित्व सबसे अलग एवं अग्रणीय श्रेणी  में आता है अपनी सेवाकाल अनुकंपा नियुक्ति से प्रारंभ करने वाले दीपक तिवारी जीवन के ऐसे कठिन अग्नि के उतार चढ़ाव से तप कर कुंदन बने है जिनकी कार्यों के प्रति लगनशीलता तथा मृदु व्यवहार के चलते अपने वरिष्ठ,कनिष्ठ,अधिकारियों के आंख के तारे तो बने ही है साथ ही अपने अधीनस्थ कर्मचारियों श्रमिकों के मध्य भी उनकी पृथक पहचान निर्मित हुई है इसकी वजह वे बताते है कि मैदानी क्षेत्र वानिकी एवं रोपण का उनका लंबा अनुभव है जिसके चलते ही वे मोहरेंगा प्रभार पर है  उन्होंने बताया कि मोहरेंगा वन क्षेत्र को विभाग द्वारा केवल निर्माण कार्य और सुरक्षा से संरक्षित किया गया है  इस प्राकृतिक वन क्षेत्र को यथवत रखने विभाग ने किसी प्रकार के अन्य पेड़ पौधों का  पृथक रोपण न करते हुए उसे प्राकृतिक रूप से उसकी सुरक्षा व्यवस्था की गई साथ ही कुछ खुले भूभाग में  रोपण कार्य किए गए ताकि वन्य प्राणियों को प्राकृतिक वातावरण मिल सके श्री तिवारी ने बताया कि यहां तक घास को भी किसी प्रकार का छेड़छाड़ नही किया जाता इसके पीछे का कारण शाकाहारी वन्य प्राणियों को प्राकृतिक रूप से उगे घास इत्यादि उनके  आहार में सहायक सिद्ध होते है मोहरेंगा नेचुयरल सफारी में हिंसक प्राणियों की कमी है जिससे चीतल हिरण जैसे मनमोहक प्राणी दिन भर वन क्षेत्र में कुलांचे मारते, धमा चौकड़ी  करते दिख जाते है जो इस वन क्षेत्र के श्रृंगार है खरगोश, बन्दर, जहां वातावरण को खुशनुमा बनाते है तो देशी विदेशी पक्षी निश्चल वातावरण मे  समधुर भांति भांति के चहचहाहट से जैसे  शांत वातावरण प्राकृतिक मे  कोई संगीत की सुमधुर तान छेड़ दी हो और सांय सांय करते पेड़ उन संगीत की धुन पर हवा के झोंके से पौधों को झूमने अथवा नृत्य करने विवश कर दिया हो  उन्होंने बताया कि आगन्तुक पर्यटक ऐसे प्राकृतिक वातावरण में स्वयं को पाकर दुनिया के समस्त जंजालों से कुछ क्षण टेंशन मुक्त हो जाता है डिप्टी रेंजर श्री तिवारी ने बताया कि इसी वर्ष से बायोडायवर्सिटी पार्क निर्माण किया जाना प्रस्तावित है जो जैव विविधता के रूप में विकसित किए जाएंगे कैम्पा मद से ही  राज्य सरकार की महत्वकाँक्षी नरवा योजना अंतर्गत सर्व प्रथम दो जलधारा प्रवाह क्षेत्र को विकसित किया जाना है  जो जल कटाव से हो रहे भू कटाव को निर्माण कर जल संग्रहित किया जाएगा तथा मौजूद तालाब के जल को संरक्षित कर वन्य प्राणियों को पेयजल जैसी कमी को दूर किया जाएगा उक्त जल संरक्षण कार्य इसी वर्ष प्रारंभ होने की बात भी  कही  डिप्टी प्रभारी दीपक तिवारी ने बताया कि कैम्प मद से ही टूरिज्म जोन को भी विकसित किया जाएगा साथ ही पर्यटकों के सुविधाओं के आशानुरूप  आमूलचूल बदलाव भी किए जाएंगे उनकी  सुविधा  हेतु पगोडे,समुचित खानपान,कैंटीन  की सुविधा,बच्चों के खेलकूद उपकरण, सहित अनुकूल वातावरण निर्मित कर पर्यटकों को आकर्षित करने की योजना है क्योंकि विभाग द्वारा उपरोक्त सुविधा हेतु किसी प्रकार की राशि दिए जाने का कोई प्रावधान नही है उन्होंने स्काई वॉक,सहित एडवेंचर सुविधा बढ़ाने की उम्मीद जताई  है साथ ही फोटोग्राफी के लिए भी क्षेत्र को उसी अनुरूप ढालने की योजना बनी है उन्होंने बताया कि नेचुरल सफारी  पर्यटकों के साथ साथ फ़िल्म निर्माण हेतु भी प्राकृतिक दृश्यों के हिसाब से यहां माकूल वातावरण निर्मित है उन्होंने कहा यदि स्थानीय फिल्मकार अथवा बाहरी फ़िल्म मेकर चाहे तो उन्हें भी विभागीय नियमानुसार  एव दिशा निर्देशो  का पालन करते हुए  फ़िल्म शूटिंग की व्यवस्था हेतु आकर्षित किया जाएगा जो उन्हें एक ही स्थान पर उपलब्ध हो सकेगा  इसके अलावा वन क्षेत्र में ही दो स्थानों पर प्राचीन देवी स्थल  है जहां आज भी आसपास के ग्रामीण  पांच पत्थर गोटे रखकर मनौती मांगते है जिसमे शादी ब्याह से लेकर बच्चे की कामना करते है तथा मनौती पूर्ण होने पर  उन्हें नारियल सहित अन्य प्रसाद का भोग चढ़ाया जाता है इन्हें हम वनदेवी के रूप में स्वीकारते है तथा वही मोहरेंगा वन क्षेत्र की रक्षक एवं देवी है  धार्मिक दृष्टिकोण से भी एक प्रकार से मोहरेंगा सफारी का प्रसिद्धि पा रहा है कुछ पर्यटक मनौती उतारने भी मोहरेंगा सफारी भ्रमण हेतु आते है  सुमधुर   मृदुभाषी एवं कुशल व्यवहार व्यक्तित्व के धनी  दीपक तिवारी स्वयं को भाग्यशाली मान रहे है कि ऐसे महती जिम्मेदारी उन्हें  मिली है तथा वरिष्ठ अधिकारियों के मार्ग दर्शन एवं कुशल नेतृत्व में एक दिन  स्व.इंदिरा गांधी नेच्युरल सफारी एवं बायोडायवर्सिटी पार्क  पर्यटकों,फ़िल्म मेकर सहित आम लोगों के लिए  पर्यटन का मुख्य केंद्र बिंदु बनेगा ऐसी उन्होंने आशा व्यक्त की है  

और यह शाश्वत सत्य भी है वरिष्ठ अधिकारियों जिनमे मुख्यतः युवा ऊर्जावान डीएफओ श्री विश्वेश कुमार झा साहब की नई सोच ,लंबे समय के अनुभवी अधिकारी एसडीओ श्री मुखर्जी साहब का कुशल मार्गदर्शन, एवं जीवट जुझारू प्रवृत्ति के मैदानी वनपुत्र डिप्टी  दीपक तिवारी के द्वारा कर्तव्य निष्ठा से किए जा रहे कार्यों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि वो अपने नाम के मायनों को सार्थक कर रहे हो

श्री दीपक तिवारी 
डिप्टी रेंजर एवं प्रभारी मोहरेंगा नेच्युरल सफारी
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 जो मानव द्वारा लगातार हो रहे अतिक्रमण एवं खंडित हो रहे वनों के अस्तित्व के संरक्षण संवर्धन में विश्वा के अवतार के रूप में विश्वनाथ की भूमिका निभाते हुए वनों की आभायुक्क्त टिमटिमाते कम ज्यादा  दीपक को अपने कर्तव्य दायित्वों, निष्ठा पूर्ण कर्मों के माध्यम से उजड़े हुए वनों के संरक्षण संवर्धन एवं उसके अस्तित्व बचाने की जद्दो जहद मानो प्रकृतिक सहित मानव जीवन के अस्तित्व बचाने अपनी संपूर्ण ऊर्जा लगाए हुए है ऐसे कर्मयोगी अधिकारी कर्मचारी साधुवाद के पात्र है जो सुनी धरती की गोद को फिर से हरियाली की आभा बिखेरने एक दीपक के समान दैदीप्यमान हो रहे है और ये उन  अधिकातियों ,कर्मचारियों के ही अथक  सफल प्रयास का परिणाम कहा जा सकता है कि आज पर्यटक स्व.इंदिरा गांधी नेचरल पार्क मोहरेंगा के मध्य स्थित निर्मित पचास फीट ऊंचे टॉवर में पहुंच कर जब  लगभग 16 किलोमीटर दूर तक फैले मनमोहक, अद्भुत,अद्वितीय,रमणीय प्राकृतिक वन की छटा को निहारता है तो उसे स्वयं  हरीतिमा चादर ओढ़े  धरती मां की  गोद मे बैठा हुआ  महसूस करता है ऐसे प्राकृतिक छटा बिखेरते दृश्य जो अकल्पनीय ईश्वरीय संरचना  है उसकी मुक्त कंठ से भूरि भूरि  प्रशंसा करता है  और  ईश्वरीय निर्माण के समक्ष नत मस्तक होकर उसके द्वारा मानव को प्रदत्त प्राकृतिक संपदा जैसी अनमोल उपहार के लिए उसका धन्यवाद देना नही भूलता उस मानव को ही स्वयं सुनिश्चित करना है कि जो धरती माँ हमें अन्न से लेकर धन तक सर्वस्व  प्रदान करती है उस धरती माँ के श्रृंगार रूपी हरित चादर ओढ़े रहने में उसके  सहायक  पेड़ पौधों का संरक्षण करना है या उसे समूल नष्ट कर श्रृंगार विहीन कर उसे उजाड़ करना है यह प्रत्येक प्राकृतिक,एवं ,पर्यावरण, प्रेमियों को अब सोचना होगा  




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