सोमवार, 4 अक्टूबर 2021

रायपुर वन मण्डल का अनोखा प्रयोग नक्षत्र के अनुसार पौधा रोपण कर तैयार किया जा रहा नक्षत्र वाटिका

 रायपुर वन मण्डल का अनोखा प्रयोग - नक्षत्र के अनुसार पौधा रोपण कर तैयार किया जा रहा नक्षत्र वाटिका 

रायपुर (छत्तीसगढ़ वनोदय) .

.एहि सूर्य! सहस्त्रांशो! तेजो राशे! जगत्पते!

अनुकम्प्यं मां भक्त्या गृहाणार्घ्य दिवाकर!

अर्थात हे सूर्य देवता हजारों करोड़ों तेज किरण से संपूर्ण ब्रह्मांड  को अपनी तेज से प्रकाशमान करने वाले मुझ पर भी अपनी दया अनुकंपा की दृष्टि डाल कर मेरी भक्ति को स्वीकार करो तथा मुझे निरोग एवं स्वस्थ्य प्रदान करे,,, आपके समक्ष बारबार शीश नवाता हूं मेरी भक्ति स्वीकार करो.....ऐसे बहुत से श्लोक हिन्दू धर्म के प्रसिद्ध ग्रन्थों और पुराण में अंकित है जो हमारी उस संस्कृति एवं सभ्यता की ओर आकर्षित करता है जिसमे हम किसी अदृश्य शक्ति से प्रभावित अथवा ग्रसित होते है तब ऐसे मूल देवता की स्तुति श्लोक के माध्यम से भक्तिभाव  से उसके निराकरण हेतु अर्ध्य अर्पण कर शीश नवाते है तथा चमत्कारिक रूप से भी ऐसे संकट से सुरक्षित हो जाते है कुछ ऐसा ही मानव जीवन को प्रभावित करने वाले ग्रह,नक्षत्र  होते है जो बारंबार  जीवन को उथल पुथल करते रहते है  जिसके निराकरण के अनेक साधन भी ईश्वर ने  मानव को प्रदान किए है अब मनुष्य किन उपचारों का उपयोग करता है यह उसके विवेक पर निर्भर करता है धार्मिक आस्था वाले व्यक्ति ईश्वरी शरण मे उपरोक्त श्लोक,मन्त्रों एवं पूजा,आराधना, व्रत,उपासना,यज्ञ, के माध्यम ग्रह दोष की शांति के उपाय खोजते है तो कई जातक प्राकृतिक गर्भ से निकले रत्न धारण सहित अन्य माध्यम से ग्रह शान्ति के उपाय खोजते है जिनमे सर्वाधिक प्रबल ग्रह सूर्य है जिसकी शांति हेतु धार्मिक ग्रन्थ पुराण के उपरोक्त श्लोक के मंत्र द्वारा पूजा आराध्य के माध्यम से शांति के उपाय निश्चित किए गए है  जबकि भगौलिक संरचना एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण के आधार पर सूर्य ग्रह मंडल के  धुरी पर ही  संपूर्ण सोम,भौम,बुध,गुरु शुक्र शनि जैसे अन्य ग्रह मंडल उस की परिक्रमा अनवरत जब से पृथ्वी का अस्तित्व  धरती पर आया तब से ही करते रहते है इन्ही ग्रह मंडल के नाम पर ही साप्ताहिक दिवसों के नाम पड़े जो पृथ्वी से मानव जीवन के जुड़े होने की दशा में बदलते परिवेशों में उन पर अनुकूल विपरीत प्रभाव छोड़ते रहते है इनके प्रभाव से ही सारे जगत में  बाढ़, अकाल,भूकंप इत्यादि प्राकृतिक उथल पुथल की स्थिति निर्मित होते रहती है यदि ईश्वरीय प्रकोप ने मानव जीवन को व्याधि प्रदान किया है तो वही इनके  निराकरण एवं निरोग हेतु  प्राकृतिक से अनमोल खजाना जड़ी,बूटी, अध्यात्म,धार्मिक श्लोक,मन्त्र,दान,यज्ञ जैसी विधि  माध्यम भी उपलब्ध कराए है  तो दूसरी ओर ग्रह,दोष निवारण हेतु समुद्र मंथन से रत्न,मणि को भी औषधि के रूप में उपलब्ध कराए है कुल मिलाकर हमारे समस्त समस्या का निराकरण ईश्वर ने प्राकृतिक के गर्भ में छुपा रखा है उसका उपयोग हम कहां तक,किस रूप में कर सकते है यह सबसे बड़ा सवाल है क्या आप जानते है कि हमारे आसपास उगने वाले  पेड़ पौधे जिन्हें हमारे ऋषि मुनियों एवं तपस्वियों ने आदि काल से ही इसकी गुणवत्ता एवं उपयोगिता महत्वता को प्रामाणिक  संग्रहित कर मानव जीवन से भान कराया था उन्हें औषधि के रूप में इनके फल फूल पत्तों  की उपयोगिता बताई तो दूसरी ओर ग्रह शान्ति के  प्रकृतिक पेड पौधों के  उपायों को भी खोज निकाला था परन्तु आधुनिकता की चकाचौंध में मानव जीवन को कोसों दूर कर प्राकृतिक के अनमोल खजाने को बिसरा दिया इन्ही ग्रह दोष शांति होने वाले दुष्प्रभाव उस के निराकृत किए जाने वाले पेड़ पौधे,की जीवन मे उपलब्धता को भान करने के उपायों, उद्देश्य के लिए छग प्रदेश का वन जलवायु परिवर्तन विभाग  रायपुर वन मंडल के द्वारा अनोखा नक्षत्र वाटिका तैयार कर विलुप्त हो रही पारंपरिक धार्मिक मान्यता और ग्रह शांति के प्राकृतिक उपायों को आम व्यक्ति से साझा करने का अवसर तलाश रहे है इसके लिए एक ऐसी वाटिका का निर्माण करना प्रारंभ कर दिया गया है जो मात्र तीन से छह माह के अंदर आम जनता की ग्रह नक्षत्रों  से जुड़ी जिज्ञासा को शांत करने पर्याप्त होगा


  श्री विश्वेश कुमार झा साहब डीएफओ रायपुर व.म.

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ऐसे ही ग्रह शान्ति और नक्षत्रों के प्रभाव को कम करने वाले प्राकृतिक पेड़ पौधों का संकलन एवं उसकी उपयोगिता, महत्वता को आम जनता के समक्ष लाने का बीड़ा एवं अनोखी  परिकल्पना को  रायपुर वन मंडल के युवा ऊर्जावान,कर्तव्यनिष्ठ,डीएफओ विश्वेश कुमार झा साहब तथा लंबे समय से विभाग में अपनी सेवा देने वाले अनुभवी कर्तव्यनिष्ठ कार्यों के प्रति समर्पित निष्ठावान एसडीओ विश्वनाथ मुखर्जी साहब के माध्यम से साकार किया जा रहा है जो छग प्रदेश का एकमात्र ऐसा नक्षत्र वाटिका होगा जो रायपुर सहित प्रदेश एवं देश वासियों के समक्ष एक उदाहरण साबित होगा तथा पेड़ पौधों के माध्यम से ग्रह नक्षत्र  योग की दशा में आम जन को अपने घर आंगन में भी ऐसे पेड़ पौधों की रोपण करने की प्रेरणा मिलेगी  रायपुर वन मण्डलाधिकारी विश्वेश कुमार झा साहब ने इस अनोखी नक्षत्र वाटिका के बारे में  बताया कि   ग्रह नक्षत्र से रूबरू कराने तथा उनके द्वारा ग्रह शांति के उपाय के संदर्भ में जन  जगृति लाने के उद्देश्य से उक्त नक्षत्र वाटिका परियोजना को अमलीजामा पहनाया जा रहा है उन्होंने बताया कि नक्षत्र वाटिका का एक छोटा सा उदाहरण ऊर्जा पार्क में भी देखने मिल जाएगा परन्तु वह नक्षत्र जोन आम लोगों की जिज्ञासा दूर करने की दृष्टिकोण से संक्षिप्त है  श्री झा बताते है कि वृक्ष अथवा पेड़ तो सब को दिखता है परन्तु उसकी उपयोगिता धार्मिक मान्यता तथा ग्रह नक्षत्र से  पेड़ पौधों की संबंद्धता  का किसी को आभास नही है हमने ऐसे महा ज्ञानियों एव ऋषि मुनियों के माध्यम से धार्मिक पुराण ग्रन्थों से इनकी प्रामाणिक उपयोगिता को ज्ञात किया पश्चात उनका रोपण कार्य संपादित करवा रहे है रायपुर वन मण्डलाधिकारी विश्वेश कुमार झा साहब ने आगे बताया कि अभी ग्रह नक्षत्र से संबंधित बहुत से पौधे लगाए जा चूके है तथा बहुत से पौधों का रोपण होना शेष है इसके पीछे की वजह अधिकांश पेड़ पौधों को अनुकूल जलवायु, वातावरण, नही मिलने की वजह से वे सर्वाइव नही कर पाते ऐसे पौधों के रोपण हेतु संबंधित परीक्षण किए गए मृदा एवं समुचित खाद के साथ रोपण प्रक्रिया अपनाई जाएगी तथा उसके ग्रोथ किए जाने तक देखरेख एवं व्यवस्था दुरुस्त की जाएगी श्री झा साहब ने आगे बताया नक्षत्र वाटिका में  अब तक पचास फीसदी कार्य पूर्ण हो चुका है नक्षत्र वाटिका के  प्रेरणा के  संदर्भ में डीएफओ विश्वेश कुमार झा ने बताया कि स्वामी शंकराचार्य के मार्ग दर्शन एवं परिकल्पना को साकार करने की मंशा पर उनके द्वारा प्रदत्त  भूमि मिलने पर वर्ष 2019 में भूमि पूजन का कार्यक्रम प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल,वन मंत्री मो.अकबर, क्षेत्रीय वरिष्ठ विधायक सत्यनारायण शर्मा विधायक धनेंद्र साहू जी तथा श्री राकेश चतुर्वेदी साहब पीसीसीएफ वन बल प्रमुख सहित अनेक गणमान्य अधिकारीयों के गरिमामयी   उपस्थित में सम्पन्न हुआ था   छ माह के अंतराल में शीघ्र ही शेष कार्य पूर्ण कर लिए जाने हेतु वे आश्वस्त है

श्री विश्वनाथ मुखर्जी साहब एस डी ओ रायपुर व.म.

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इस संदर्भ में उप वन मण्डलाधिकारी विश्वनाथ मुखर्जी साहब ने बताया कि रायपुर शहर  से मात्र पन्द्रह किलोमीटर की दूरी पर स्थित बोरियाकला कालोनी के समीप दस एकड़ वृहद भूभाग में केवल ग्रह,नक्षत्र से सन्दर्भित पेड़ पौधों का रोपण कार्य संपादित किया जा रहा  है जिसका खाका वास्तुकला की दृष्टिकोण से  निर्माण किया गया है   वाटिका मे धार्मिक मान्यता वाले पौधे, सहित ग्रह शांत करने वाले पौधों को प्राथमिकता दी गई है श्री विश्वनाथ मुखर्जी साहब ने आगे बताया कि जब मानव जीवन का जन्म बालक के रूप में होता है तब वह किस नक्षत्र ग्रह में जन्म लेता है उसका भविष्य उस आधार पर सुनिश्चित कर निर्धारित किया जाता है ऐसे प्रत्येक मानव जीवन से जुड़े ग्रह नक्षत्र के प्राकृतिक एवं पेड़ पौधों की उपयोगिता  अवलोकन एवं ज्ञान जिज्ञासा को शांत करने के उद्देश्य से क्रमबद्ध वास्तुकला ग्रह दशा से सन्दर्भित पौधरोपण कार्य किया जा रहा है जहां मध्य में खड़े होने के पश्चात सम्पूर्ण नौ ग्रह से जुड़े पौधों से साक्षात्कार होगा तथा उनकी हमारे जीवन मे होने वाले अच्छे बुरे  प्रभाव  को कितने प्रकार से निराकृत करने में सहायक एवं उपयोगी है उसकी संपूर्ण विवरण एक बोर्ड में अंकित होगा जो अपने आप मे एक उपलब्धि होगी श्री मुखर्जी साहब ने बताया कि वाटिका में कुछ मिश्रित प्रजाति के पौधे भी रोपित किए गए है जो शुद्ध वातावरण एवं स्वच्छ ऑक्सीजन की दृष्टिकोण से मानव जीवन को स्वास्थ्य वर्धक बनाएंगे तथा आसपास  क्षेत्र का वातावरण भी प्रदूषण मुक्त होगा  मुखर्जी साहब ने आगे बताया कि दस एकड़ भूमि दान अनन्त श्री विभूषित श्री गजानन्द गुरु शंकराचार्य ज्योतिष पीठाधीश्वर श्री स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के द्वारा प्रदाय किया गया तथा उनकी ही परिकल्पना को साकार किया जा रहा है संरक्षक ब्रह्मचारी श्री सुबुद्धानन्द जी निज सचिव जगतगुरु शंकराचार्य जी महाराज  के मार्ग दर्शन में  समस्त कार्य निष्पादित  हो रहे है उन्होंने बताया कि वाटिका में लगाए जाने वाले पौधे गीता पुराण में उल्लेखित पौधों का चयनकर रोपा जा रहा है 

श्री सुधाकर राव शिंदे साहब प.अ.रायपुर व.म.
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रायपुर क्षेत्र के परिक्षेत्राधिकारी श्री  सुधाकर राव शिंदे साहब ने बताया कि नक्षत्र वाटिका का निर्माण उच्च अधिकारियों के दिशा निर्देश अनुरूप निर्माण करने का प्रयास है तथा यह नक्षत्र  वाटिका संभवतः छग प्रदेश  में एकमात्र एकलौता वाटिका होगा जो ग्रह नक्षत्र पर आधारित होगा परिक्षेत्राधिकारी सुधाकर राव शिंदे ने बताया कि नक्षत्र वाटिका निर्माण के पीछे मुख्य उद्देश्य  हमारी विलुप्त होती धार्मिक मान्यताएं संस्कार,एवं संस्कृति को सहेजना है आज भी वट वृक्ष एवं अन्य वृक्षों के तनों पर महिलाएं अपने पति पुत्र की दीर्धायु कामना के लिए  धागा बांधती है,उनकी पूजा अर्चना करती है ऐसे वृक्ष हमारे गौरवशाली इतिहास के साक्ष्य होते है परन्तु आधुनिकता ने हमारी सोच विचार एवं शैली में व्यापक परिवर्तन लाया है जिसको सहेजने का एक छोटा सा प्रयास है यदि यह सफल रहा तो इस प्रकार के मानव जीवन से जुड़ी उनके स्वास्थ्यगत संबन्धी,एवं धार्मिक संस्कारों से जुड़े अन्य  वाटिका,वृक्षारोपण,प्लांटेशन  के माध्यम से आम जन को जानकारी देने का प्रयास विभाग द्वारा  भविष्य में भी होता रहेगा

         श्री तेजा सिंह साहू प्रभारी नक्षत्र वाटिका

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नक्षत्र वाटिका के प्रभारी  तेजा सिंह साहू जो एक स्वस्थ्य एवं बलिष्ठ कद काठी,व्यक्तित्व के स्वामी है साथ ही पारंपरिक खेल भारोत्तोलन में उन्होंने राजीव पांडे खिताब भी अपने नाम किया हुआ है  खेल भावना के चलते ही उन्हें  खिलाड़ी कोटा से वन विभाग में सेवाकाल प्रारंभ करने का सुअवसर प्राप्त हुआ है उन्होंने उत्साहित होते हुए बताया कि यह अपने आप मे एक अनूठा प्रयास है जिसमे नक्षत्र के हिसाब से पौधे रोपे जा रहे है  वास्तुकला के दृष्टिकोण से इसका निर्माण किया जा रहा है  धार्मिक आस्था से जुड़े पौधे भी रोपित किए गए है कुछ मिश्रित प्रजाति के पौधे गौठान हिस्से में लगाए गए है तथा मध्य में वृत्ताकार परिधि है जो सूर्य का स्थान समतुल्य निर्माण किया गया वही उसके आसपास संबंधित ग्रह नक्षत्रों के पौधे रोपे जा रहे है जिनमे मुख्यतः आक,ढाक, खैर,अपमार्ग,पीपल गूलर,शामी, चंदन,कुश,एवं बांस  आम जामुन आंवला,अर्जुन,अशोक,नीम, अमरूद,कदम,अनार,इत्यादि प्रमुख है रोपित पौधों में कौन सा पौधा किस ग्रह शान्ति के लिए उपयोगी होता है पूछने पर वाटिका प्रभारी  तेजा सिंह साहू ने बताया कि भविष्य मे नक्षत्र वाटिका में लगाए जाने वाले पौधों के अंतिम सिरे में विस्तृत जानकारी के साथ साथ पौधों की उपयोगिता, एवं मान्यता अनुसार विवरण बोर्ड लगाए जाएंगे जो  प्रतिष्ठित ज्ञानी साधु संत एवं ऋषि मुनियों  से इसके लिए मार्गदर्शन लिया जाएगा जिसका कार्य प्रारंभ हो चुका है  वही श्री तेजा साहू ने बताया कि वर्तमान में पथ  मार्ग हेतु पेवर्स ब्लॉक लगाए जा रहे है जो एक परिधि स्वरूप होगा नक्षत्र वाटिका निर्माण के पीछे के उद्देश्य के बारे में प्रभारी  तेजा सिंह साहू ने बताया कि आम जन केवल यह घूमने टहलने ही नही आएंगे बल्कि पेड़ पौधों का हमारे जीवन मे धार्मिक एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कितना महत्व रखता है इसकी जानकारी भी  नक्षत्र वाटिका में दर्ज विवरणी बोर्ड का पाठन कर उसे अंगीकार करेंगे उन्होंने आगे बताया कि मानव को यह जानना अति आवश्यक हो गया है कि ग्रह  नक्षत्र मानव जीवन में क्या प्रभाव डालते है तथा इन्हें  किस प्रकार शांत किया जा सकता है जो हमे प्राकृतिक के खजाने से  ईश्वर ने भरपूर प्रदान किया है जिसकी उपयोगित एवं जानकारी के आभव में हम इनसे कोसो दूर रह कर इनका दोहन करते रहे  है जिनकी अल्पता से इसके दुष्परिणाम भी हमारे सामने आते है उन्होंने कहा कि आज हम मंगल और चन्द्र ग्रह में प्रवेश कर चुके है परन्तु उनके दुष्प्रभाव से आज भी अपरिचित है जो नक्षत्र वाटिका के माध्यम से संबंधित ग्रह नक्षत्र के पेड़ पौधों का रोपण कर आम जन में पेड़ पौधों की महत्वता, जागरूकता तथा पर्यावरण के संरक्षण संवर्धन में   उनकी सामाजिक,धार्मिक सरोकार, मान्यता के अनुरूप जागृत कर सहभागिता सुनिश्चित करने  का प्रयास मात्र है
 

        ग्रह नक्षत्र पर आधारित वाटिका का निर्माण

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जिससे सुरक्षा के साथ साथ पर्यावरण वातावरण अनुकूल होगा जो हमारी भावी पीढ़ी के लिए वरदान साबित होगा वही अपना संपूर्ण जीवन का सेवाकाल वन एवं पेड़ पौधों की सुरक्षा में लगा देने वाले एस डी ओ मुखर्जी साहब ने बताया कि नक्षत्र वाटिका जैसी अनोखी पहल  पूर्व में नही की गई थी यह संपूर्ण प्रदेश भर में अपने आप मे एक उदाहरण है नक्षत्र वाटिका निर्माण से आने वाले पर्यटकों  को बहुत सी जानकारी प्राप्त होगी प्रकृतिक प्रेमी एवं  छात्र छात्राएं भी पेड़ पौधों की गुणवत्ता ,  जन जीवन मे इसकी महत्वता और वर्षों से हमारे मानव जीवन का अस्तित्व को बचाए रखने में इनकी भूमिका से रूबरू हो सकेंगे बाहरी प्रदेशो से आने वाले अधिकारियों को भी एक  पृथक आभास होगा तथा नक्षत्र वाटिका से रूबरू होकर उन्हें भी अपने क्षेत्र में इस प्रकार की अनूठी पहल करने की प्रेरणा मिलेगी परिक्षेत्राधिकारी मधुकर राव शिंदे ने बताया कि हलांकि क्षेत्र में औषधि युक्त वाटिका सहित सफारी ज़ू, अन्य प्रयोग समय समय पर किया जाता रहा है तथा इससे साक्षात्कार होने पर्यटक भी आते है परन्तु ग्रह,नक्षत्रों, से संबन्ध नक्षत्र वाटिका प्रदेश भर में  एक ऐसा अद्भुत उदाहरण है जो किसी भी पर्यटक को अपनी ओर आकर्षित तो करेगा ही साथ ही उसे धार्मिक मान्यता,संस्कार,इनकी हमारे जीवन मे उपयोगिता,महत्वता के साथ विलुप्त होती प्राचीन सभ्यता के  लिए ज्ञान वर्धन में भी सहायक सिद्ध होगा 


त्रैमासिक पत्रिका छग वनोदय में शीघ्र प्रकाशित

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